उम्र 80 साल. कई बीमारियों का शिकार. लकवा से पीडि़त. इस के बाद भी 4 राज्यों में नक्सली संगठनों की कमान. सिर पर एक करोड़ रुपए का इनाम. कई राज्यों में 200 से ज्यादा नक्सली वारदातों का आरोपी. हत्या के 100 से ज्यादा केस. 40 सालों से पुलिस को उस की तलाश.
प्रशांत बोस नाम का यह नक्सली कई सारे नामों से जाना जाता है. प्रशांत उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ निर्भय मुखर्जी उर्फ काजल उर्फ महेश उर्फ बूढ़ा.
पिछले 40 सालों से पुलिस और 4 राज्यों की सरकार की नाक में दम करने वाला कुख्यात नक्सली प्रशांत बोस सैकड़ों नक्सली वारदातों का मास्टरमाइंड है. 12 नवंबर, 2021 को आखिरकार वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. झारखंड के जमशेदपुर जिला के कांद्रा नाका के पास से उसे स्कौर्पियो गाड़ी में दबोच लिया. उस के साथ उस की बीवी शीला मरांडी और 5 नक्सलियों को पकड़ा गया.
प्रशांत बोस भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के पोलित ब्यूरो का सदस्य है और ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का सचिव है. प्रशांत बोस ने कन्हाई चटर्जी के साथ मिल कर साल 1978 में माओवादी कम्यूनिस्ट सैंटर औफ इंडिया की बुनियाद रखी थी.
प्रशांत बोस के पास से पुलिस ने डेढ़ लाख रुपए नकद, एक पैन ड्राइव और
2 मैमोरी कार्ड बरामद किए थे. पुलिस ने पैन ड्राइव और मैमोरी कार्ड की जांच की, तो उस में कई नक्सलियों व नक्सली संगठनों के बारे में जानकारी के साथसाथ कई मीटिंगों की जानकारी भी मिली थी.
इस से पहले सीपीआई माओपादी संगठन के हार्डकोर नक्सली बैलून सरदार और सूरज सरदार ने रांची पुलिस के सामने सरैंडर किया था. उन्हीं से मिली जानकारी के आधार पर प्रशांत बोस को दबोचने में पुलिस को कामयाबी मिल सकी थी.
प्रशांत बोस नक्सली संगठन का थिंक टैंक है और पूरे देश के नक्सली संगठनों में उस की पैठ और अहमियत है. वह झारखंड के जंगलों और पहाडि़यों में ही रहता था. पुलिस को कई बार उस के हजारीबाग के जंगलों, बोकारो के झुमरा जंगल, सरांडा के जंगल और बूढ़ा पहाड़ में होने की जानकारी मिलती रही थी.
पुलिस ने घेराबंदी कर उसे पकड़ने की कोशिश भी की, लेकिन हर बार वह पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो जाता था. सरांडा के जंगल में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन से कई दफा उस की मुठभेड़ हुई, पर हर बार वह बच निकला.
प्रशांत बोस मूल रूप से पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के जादवपुर का रहने वाला है. उस की बीवी शीला मरांडी झारखंड के टुंडी ब्लौक के नावाटांड गांव की रहने वाली है.
प्रशांत बोस के पिता का नाम ज्योतिंद्र नाथ सन्याल था. प्रशांत बोस का मूल पता है 7/12 सी, विजयगढ़ कालोनी, जादवपुर, कोलकाता. उस की बीवी शीला मरांडी के पहले पति का नाम भादो हंसदा था. उस की मौत के बाद शीला ने प्रशांत बोस से शादी कर ली.
साल 1960 में प्रशांत बोस ने नक्सलियों से जुड़े एक मजदूर संगठन से जुड़ कर जमींदारों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. साल 1974 में वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया था और 1978 तक जेल की सलाखों के पीछे कैद रहा था.
रिहाई के कुछ समय बाद ही कन्हाई चटर्जी के साथ मिल कर उस ने एमसीसीआई (माओवादी कम्यूनिस्ट सैंटर औफ इंडिया) की बुनियाद रखी थी. उस के बाद उस ने गिरीडीह, धनबाद, हजारीबाग और बोकारो के जमींदारों के शोषण के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया था.
साल 2000 के आसपास प्रशांत बोस ने लोकल संथाल नेताओं के साथ मिल कर नक्सली संगठन को काफी मजबूत बना लिया था. साल 2004 में भाकपा माओवादी संगठन बनने के बाद प्रशांत बोस को केंद्रीय समिति और केंद्रीय सैन्य आयोग का सदस्य व पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का इंचार्ज बना दिया था.
साल 2007 में झारखंड मुक्ति मोरचा के महासचिव और जमशेदपुर के सांसद सुनील महतो की हत्या कर प्रशांत बोस ने सनसनी मचा दी थी. उस के अगले ही साल मंत्री रमेश मुंडा की हत्या कर एक बार फिर दहशत फैला दी थी. गृह रक्षा वाहिनी के शस्त्रागार को लूट कर उस ने पुलिस और सरकार को खुली चुनौती दे डाली थी. सरांडा के जंगल के 16 पुलिस वालों की हत्या का मास्टरमाइंड प्रशांत बोस ही था.
बिहार के जहानाबाद जेल बे्रक, महाराष्ट्र की कोकेगरांव हिंसा, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में डेढ़ दर्जन जवानों की हत्या का सूत्रधार प्रशांत बोस ही था. ऐसे ही सैकड़ों मामलों में पुलिस उसे कई सालों से ढूंढ़ रही थी और हर बार पुलिस के जवानों की आंखों में धूल झोंकने में ‘बूढ़ा’ कामयाब हो जाता था.
मिली जानकारी के मुताबिक, प्रशांत बोस ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि 70 के दशक में वह पारसनाथ आया था. वहीं से वह लगातार नक्सली गतिविधियों का संचालन करता रहा. बीमारी और काफी उम्र हो जाने की वजह से उस ने कुछ दिन पहले ही फैसला लिया था कि जिंदगी का बाकी समय वह पारसनाथ की पहाडि़यों पर रह कर ही काटेगा.
प्रशांत बोस ने यह भी कहा कि सरांडा छोड़ने के बाद संगठन में फूट पड़ चुकी है. लोकल कैडर और नेतृत्व के बीच मतभेद काफी बढ़ चुका है. संगठन में मतभेद की वजह से ही पिछले कुछ महीनों में कई नक्सलियों ने सरैंडर किया है. नक्सलियों के लेवी वसूली में भी काफी कमी आ गई, जिस से संगठन चलाना बहुत ही मुश्किल हो गया है.
झारखंड के बड़े पुलिस अफसर कहते हैं कि तकरीबन 80 साल का प्रशांत बोस जिस्मानी तौर पर भले ही कमजोर हो चुका है, लेकिन दिमागी रूप से अभी भी बहुत शातिर है. अभी भी वह किसी का भी दिमाग घुमा कर नक्सली बना सकता है.