सुबह का आगाज होते ही ग्वालियर के निंबाजी की तंग गलियों में 20 जुलाई, 2022 को पुलिस सायरन की आवाज सुन कर लोग चौंक
गए. वे अपनेअपने घरों से निकल आए. देखते ही देखते घनी आबादी वाले इलाके में स्थित भंवर सिंह के घर के बाहर लोगों की भीड़ जुट गई. वहां कई पुलिसकर्मी भी मौजूद थे. भंवर सिंह की कुंवारी बेटी किरण की हत्या के बारे में सुन कर लोग सन्न रह गए थे. इस का उन्हें जरा भी विश्वास ही नहीं हो रहा था.
इस तरह की वारदात उन के इलाके में हुई, यह जान कर लोग आक्रोशित भी हो गए. हालांकि वे अपने गुस्से को दबाए हुए आपस में तरहतरह की बातें कर उस बारे में विस्तार से जानने की कोशिश कर रहे थे.
इस वारदात की सूचना पौ फटते ही जनकगंज थाने के एसएचओ आलोक परिहार को घर वालों ने ही दी थी. बिना देरी किए वह पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए थे. पुलिस ने घटनास्थल और लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. पाया कि मृतका किरण की हत्या हरे रंग के गमछे से गला घोट कर की गई थी.
गला घोटे जाने का निशान गले पर साफ नजर आ रहा था. किरण की लाश बैठक में फर्श पर पड़ी थी और उस के गले में गमछे का फंदा भी कसा था. किरण की उम्र करीब 20-21 साल के आसपास थी. वहीं टेबल पर प्लेट में नमकीन, बिसकुट और चाय रखी थी.
इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे से मृतका के मधुर संबंध रहे होंगे. तभी उस की आवभगत हुई होगी. किरण का घर जिस गली में था, वह काफी संकरी थी. सभी के घर एकदूसरे से जुड़े हुए थे. यदि किरण मदद के लिए शोर मचाती तो घर में मौजूद उस की बड़ी बहन की बेटी सोनिया और पासपड़ोस में रहने वाले लोग अवश्य उस की मदद के लिए दौड़ पड़ते.
एसएचओ आलोक परिहार ने इस हत्या की गुत्थी सुलझाने के सिलसिले में कई बिंदुओं पर गौर किया. जैसे, घर का सारा कीमती सामान सुरक्षित था. अलमारियों में ताले जस के तस लगे थे. घर में लूटपाट का कहीं कोई निशान नजर नहीं आ रहा था.
इस से यह बात स्पष्ट था कि हत्या लूटपाट के लिए कतई नहीं की गई थी. इन्हीं वजहों से पुलिस का ध्यान करीबी लोगों पर गया. पुलिस ने मृतक के पड़ोसी के घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज की जांच शुरू की.
सीसीटीवी फुटेज में एक युवक मुंह पर गमछा बांधे भंवर सिंह के घर में दाखिल होता दिखाई दिया. वही जब 15 मिनट बाद घर से वापस बाहर निकला, तब उस के मुंह पर गमछा नहीं बंधा था. उस का चेहरा स्पष्ट दिखाई दिया. एसएचओ परिहार ने इसे भंवर सिंह को दिखा कर उस युवक के बारे में पूछा. भंवर सिंह ने उसे पहचान लिया और उस का नाम मुकुल बताया.
लाश के गले से लिपटा गमछा वही था, जो मुकुल ले कर घर में घुसा था. इस के अलावा कोई और सबूत नहीं मिला. फोरैंसिक एक्सपर्ट ने भी घटनास्थल और लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. प्रारंभिक जांच पूरी करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.
उस वक्त एसएचओ ने किरण के परिजनों को दहाड़ मार कर रोते पाया. उन में एक बूढ़ी महिला और दूसरी लड़की की आंखों से आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. बूढ़ी महिला किरण की नानी और मृतका की हमउम्र युवती उस की मौसी की बेटी सोनिया थी. एसएचओ ने उन्हें ढांढस बंधाया और उन से किरण के जानने वालों के बारे में पूछा.
किरण की मौत के बारे में सब से पहले घर में मौजूद सोनिया सिहोते को पता चला था. उस ने पुलिस को बताया कि घटना के दिन वह और उस की मौसी किरण सिंघानिया अपने नाना के घर पर थी. रोज की तरह सुबह होने से पहले नानानानी 4 बजे अपनी ड्यूटी पर चले गए थे. वे नगरनिगम में काम करते हैं.
उसी दौरान सुबह साढ़े 5 बजे के करीब किसी ने डोरबैल बजाई थी. घंटी बजने की आवाज सुन जब उस ने खिड़की का एक पल्ला खोल कर बाहर झांका तो विकास मौसा के छोटे भाई मुकुल धौलपुरिया को घर के दरवाजे पर खड़ा पाया.
इस बारे में उस ने मौसी किरण को बताया. मौसी ने उन्हें भीतर बुला कर ड्राइंगरूम में बैठाने के लिए कहा. उस के बाद वह मुकुल मौसा के लिए चाय नाश्ता लेने किचन में चली गई. मौसी चायनाश्ता टेबल पर रख कर मुकुल मौसा से बातचीत करने लगी और वह किचन में साफसफाई करने चली गई गई.
थोड़ी देर बाद किचन की साफसफाई कर वह घर के बाहर आई. उस ने देखा कि मुकुल बाहर से ड्राइंगरूम की कुंडी लगा कर झूला चौक की तरफ तेज कदमों से चले जा रहे हैं.
फिर उस ने ड्राइंगरूम की कुंडी खोली. वहां का दृश्य देख कर वह डर गई. कमरे में उस की किरण मौसी जमीन पर बेहोश पड़ी थी. उस ने मौसी को पुकारा, हिलायाडुलाया. लेकिन उस ने कोई हरकत नहीं की.
उस ने देखा कि किरण मौसी के गले में वही हरे रंग का गमछा कसा हुआ था, जो उस ने सुबह के वक्त मुकुल के गले में लिपटा देखा था. सोनिया ने बताया कि तुरंत किरण मौसी को आटोरिक्शा से अस्पताल ले गई. डाक्टर ने नब्ज देखते ही उसे मृत बता दिया.
फिर तो वह और घबरा गई. उस ने तुरंत पुलिस को काल कर दी. सोनिया ने मौसी के मर जाने की सूचना नानानानी को भी फोन कर दे दी और उन्हें जल्द घर आने को कहा.
खबर सुन कर नानानानी उलटे पैर वापस घर आ गए. नानी किरण की हालत देख कर रोनेचिल्लाने लगी. नाना की आंखों में भी आंसू आ गए. उन के रोनेचिल्लाने की आवाज सुन कर पासपड़ोस के कुछ लोग वहां आ गए.
किरण के बारे में छोटी से छोटी जानकारी जुटा कर एसएचओ आलोक परिहार थाने लौट आए. उन्होंने मृतका की बड़ी बहन की बेटी सोनिया की तहरीर पर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर लिया.
इस मामले की जांच एसएचओ परिहार ने अपने हाथों में ले ली. भंवर सिंह और सोनिया से मिली जानकारी के आधार पर घटनास्थल की स्थिति से इतना तो स्पष्ट हो चुका था कि किरण की हत्या में किसी जानने वाले का ही हाथ है.
सोनिया से मिली जानकारी के मुताबिक मुकुल ही मामले का मुख्य दोषी था. परिहार ने देर किए बगैर उसे दबोच लिया. वह आसानी से मिल गया. फिर उसे सबूत के तौर सीसीटीवी फुटेज और बरामद गमछे को दिखा कर सख्ती से पूछताछ की गई.
उस ने जल्द ही अपना जुर्म कुबूल कर लिया. और फिर इस हत्याकांड की
जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी.
किरण जवानी की दहलीज पर खड़ी थी और मुकुल भी जवान हो चुका था. दोनों रिश्तेदार थे. उन के रिश्ते अगर काफी दूर के नहीं थे तो पास के भी नहीं थे. मुकुल किरण की बड़ी बहन का देवर था. इस कारण उस का बड़े भैया के साथ उन की सुसराल आनाजाना लगा रहता था.
इस लिहाज से किरण और मुकुल के बीच मजाक का रिश्ता था. किरण बड़े भाई की साली थी. इस लिहाज से वह उस की भी साली थी. दोनों हमउम्र थे. एक तरफ किरण की चढ़ती जवानी थी, दूसरी तरफ मुकुल का बांकपन और मदमस्ती की छेड़छाड़ वाली आदतें थीं.
फिर भी किरण ने न तो मुकुल को नजर भर कर देखा था और न ही मुकुल ने किरण को, जबकि उन के बीते सालों की जानपहचान थी.
बात बीते साल की है. एक दिन मुकुल जब भैया की ससुराल आया था, तब किरण घर में अकेली थी. किरण उसे अपने ड्राइंगरूम में बिठा कर खुद रसोई में चली गई. किंतु उस रोज मुकुल की नजर रसोई में जाती किरण की मदमस्त चाल पर पड़ी.
उस से रहा नहीं गया और बोल पड़ा, ‘‘हाय सैक्सी, तू चीज बड़ी है मस्तमस्त…’’
गाने की यह लाइन किरण के कानों तक पहुंची. वह पीछे मुड़ कर मुसकराई और फिर तेज कदमों से कमर मटकाती हुई चली गई. उस रोज मुकुल उसे देखता ही रह गया.
थोड़ी देर में किरण चाय और प्लेट में नमकीन बिसकुट ले कर आ गई. मुकुल के सामने के स्टूल पर रख कर फिर वापस जाने लगी. तभी मुकुल ने उस का हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए बैठने को कहा. लेकिन किरण पानी लाने के बहाने हाथ छुड़ा कर दोबारा किचन में चली गई.
उस रोज पहली बार मुकुल ने किरण की देह पर गहरी नजर डाली थी और उसे घर में अकेला पा कर छेड़ने के मूड में था. इस का असर किरण के मन पर भी हुआ, लेकिन उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. उस ने शर्म और रिश्ते की मानमर्यादा को बनाए रखा.
किरण ने मुकुल से आने का कारण पूछा. बड़ी बहन का समाचार लिया और मुकुल के साथ ड्राइंगरूम में समय गुजारते हुए औपचारिक बातें कीं.
कुछ दिनों बाद ही मुकुल फिर किरण से मिला. इस बार उस की मुलाकात घर पर नहीं, भीड़भाड़ वाले बाजार में हुई. छूटते ही उस ने किरण की तारीफ में कहा, ‘‘आज तो तुम इस ड्रेस में और भी सैक्सी लग रही हो.’’
किरण केवल मुसकरा कर रह गई. सिर झुकाते हुए बोली, ‘‘बाजार में ऐसी बातें करना ठीक नहीं है.’’
‘‘तो चलें किसी एकांत जगह में?’’ मुकुल तपाक से बोला.
‘‘…अरे नहींनहीं. मुझे जल्द घर जाना है. अपना कुछ सामान खरीदने बाजार आई थी.’’ किरण बोली.
‘‘ऐसा करो, तुम अपना मोबाइल नंबर बताओ,’’ मुकुल ने कहा.
‘‘लिखो 97…’’
‘‘अरे! 9 नंबर ही हुए.’’ मुकुल बोला.
‘‘अंत में 7 नहीं डाला क्या?’’ किरण बोली.
‘‘अच्छाअच्छा… लो, 7 डाल दिया. अब काल करता हूं. मेरे नंबर को सेव कर लेना. रात को काल करूंगा.’’ मुकुल लगातार बोलता चला गया.
किरण के मोबाइल पर मुकुल की मिस्ड काल आ गई. किरण देखते हुए बोली, ‘‘हां, आ गया नंबर. तुम्हारे नंबर के अंत में भी 37 है…’’
‘‘अब तुम्हीं बताओ हमारेतुम्हारे बीच कितनी समानता है,’’ मुकुल के इस तर्क पर किरण ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. चुपचाप वहां से चली गई.
किरण अपने परिवार, संस्कार और समाज के रीतिरिवाज में बंधी थी. उम्र 22 की हो चुकी थी. दिलदिमाग में उस के कई रंगीन सपने थे. उन में मनपसंद जीवनसाथी का भी था. लेकिन वह किस रूप में मिलने वाला था पता नहीं था.
दूसरी तरफ जब से मुकुल ने किरण की कमसिन जवानी को भरी नजर से देखा था, उसे पाने के लिए बेचैन हो गया था. उस का मन उस से हटता ही नहीं था. वह बड़े भाई की साली थी. उस से मिलनाजुलना आसानी से हो जाता था. किरण की खूबसूरती ने मुकुल का मन कुछ इस तरह मोह लिया था कि वह उसे पाने के लिए लालायित हो उठा था. एक दिन हसरत भरी नजरों से देखने पर किरण ने मुकुल का ध्यान तोड़ते हुए कहा, ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो मुकुल, क्या कोई खास बात है?’’
मुकुल को लगा, जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. वह झेंपते हुए बोला, ‘‘न..नहीं. यूं ही… कुछ भी तो नहीं…’’
‘‘कुछ बात तो जरूर है,’’ इस बार किरण ने उसे छेड़ा था.
‘‘बात तो है जरूर,’’ मुकुल बोला.
‘‘जरा मैं भी तो सुनूं,’’ किरण दोबारा मजाकिया अंदाज में बोली.
‘‘आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. बहुत सजीधजी हो. कहीं जाने वाली हो क्या?’’ मुकुल बोला.
‘‘कुछ दिन पहले मैं सैक्सी दिखती थी, आज सिर्फ सुंदर दिख रही हूं?’’ किरण बिंदास हो कर चहकती हुई बोल पड़ी.
‘‘ऐसी बात नहीं है, तुम बहुत सैक्सी हो. दिन पर दिन और सैक्सी होती जा रही हो.’’
‘‘सो तो हूं ही.’’ किरण थोड़ा शरमाई.
वैसे किरण दूसरी लड़कियों की तरह झिझकती नहीं थी. जिस से खुल जाती थी, तो बस पूछिए मत, उस से दिल खोल कर बातें करती थी. पिछले कुछ हफ्तों से किरण मुकुल के साथ काफी खुल गई थी.
उस ने बताया कि वह अपनी सहेली के बर्थडे में जा रही है. और फिर इठलाती हुई वहां से चली गई. मुकुल उसे तब तक टकटकी लगाए निहारता रहा, जब तक कि वह उस की नजरों से ओझल नहीं हो गई.
उस दिन मुकुल ने पहली बार किरण को इस तरह खुल कर बातें करते हुए देखा था. किरण आंखों के रास्ते उस के दिल में उतर गई थी. किरण की बातें और अदाओं ने मुकुल के दिल में हचलच मचा रखी थी.
मुकुल घर पहुंचते ही सीधा अपनी भाभी के पास गया. भाभी यानी किरण की बड़ी बहन से अपने दिल की बात कह डाली. मुकुल ने बड़ी हिम्मत कर अपनी भाभी से किरण के साथ शादी की बात चलाई. उस ने कहा कि वह किरण को बहुत चाहता है. किरण भी उस से प्यार करती है. यह सुनते ही किरण की बड़ी बहन मुकुल पर बरस पड़ी.
तिलमिलाती हुई नाराजगी के साथ डांट लगाई, ‘‘कमाताधमाता एक धेला नहीं है और सपने देख रहा है मेरी छोटी बहन से शादी करने के. पहले कमाने की सोच, उस के बाद शादी करने की बात मुझ से करना. …और किरण को तो तुम भूल ही जाओ…’’
मुकुल बेरोजगार था. वह भाभी की बातों पर चुप रहा. उस समय उन से किरण को ले कर बहस करना सही नहीं समझा. दूसरी तरफ किरण के दिलोदिमाग में मुकुल रच बस गया था.
प्यार के अंकुर फूट चुके थे. प्यार की खुशबू उसे भी बेचैन किए जा रही थी, लेकिन वह भी परिवार की मर्यादाओं से बंधी हुई थी. दोनों मन ही मन एकदूसरे को चाहने लगे थे.
मुकुल की भाभी ने किरण को भी जबरदस्त डांट पिलाई. उसे डांटते हुए कहा कि बेरोजगार और दिन भर आवारागर्दी करते घूमने वाले मुकुल से शादी कर वह अपना जीवन क्यों बरबाद करना चाह रही है.
साथ ही उस ने किरण को हिदायत भी दी कि आइंदा मुकुल का नाम तक जुबां पर नहीं लाए. उस से दूर रहे. यहां तक कि उस के घर से बाहर जाने और मुकुल से मिलने तक पर नाना से कह कर पाबंदी लगवा दी.
किरण की बड़ी बहन नहीं चाहती थी कि उस की छोटी बहन की शादी उस के देवर से हो. किरण मन मसोस कर रह गई. किरण को तो परिजनों की पाबंदी से कोई खास फर्क नहीं पड़ा, उस ने अपने दिल को तसल्ली दे दी कि उसे परिवार वालों की पसंद के लड़के के साथ ही शादी करना पड़ेगी. किंतु मुकुल किरण को पाने के बेचैन रहने लगा.
किरण से मिलने की पाबंदी लगने के बाद मुकुल उस के घर चोरीछिपे जाने लगा. वह किरण के पास तभी जाता था, जब वह घर में अकेली होती. इस बारे में वे पहले मोबाइल से बातें कर लेते थे. इस के लिए सुबह 4 बजे का समय सब से सही था.
मुकुल 20 जुलाई, 2022 की सुबह किरण के घर तब गया था, जब उस के नाना और घर के दूसरे सदस्य नहीं हों. किंतु उसे इस का पता नहीं था, उस दिन उस की भतीजी सोनिया वहां आई हुई थी.
किरण मुकुल को ड्राइंग रूम में बैठा कर साथसाथ चाय पीने लगी. इसी दौरान मुकुल ने किरण से सैक्स करने की इच्छा जताई. किंतु किरण ने इंकार कर दिया. फिर मुकुल छेड़छाड़ करने लगा. उस के अंगों को छूने छेड़ने लगा. किरण उस का विरोध जताने लगी.
जबकि मुकुल के दिमाग पर सैक्स का फितूर सवार था. वह उस से हर हाल में सैक्स करना चाहता था. इसी क्रम में मुकुल ने उस से कहा कि वह एक न एक दिन तो उस से शादी करेगा ही.
इस पर जैसे ही किरण ने कहा, ‘‘कतई नहीं.’’
मुकुल सैक्स की जद में पागल जैसा हो गया. उस ने अपने गले का गमछा किरण के गले में डाल दिया. दोनों हाथों से गमछे को कसता रहा और उस से शादी करने की बात कुबूल करवाने की जिद करता रहा.
उस वक्त वह इस बात से एकदम अनजान था कि किरण की गला दबने से मौत हो चुकी है. वह अपना होशोहवास खो बैठा था.
किरण की सांस बंद होने पर वह घबरा गया और उसी घबराहट में गमछा लिए बगैर ही वहां से फरार हो गया. जाने से पहले उस ने ड्राइंगरूम के दरवाजे की बाहर से कुंडी लगा दी. मुकुल एक पल गंवाए बगैर वहां से निकल भागा. जबकि पुलिस उसी रोज मुकुल का नाम आते ही उसे पकड़ने का अपना जाल बिछा चुकी थी. पूरे शहर और वहां से बाहर जाने वाले रास्ते, रेलवे स्टेशन एवं बस अड्डे पर मुखबिरों को लगा दिया गया था.
एसएचओ आलोक परिहार को मुखबिर से मिली सूचना के बाद मुकुल मुरैना रेलवे स्टेशन पर खड़ा मिल गया था. वहां वह ट्रेन के आने का इंतजार कर रहा था. पुलिस ने उसे तत्काल हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई. उस के द्वारा किरण की हत्या करने का जुर्म कुबूल करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर दिया. वहां से उसे जेल भेज दिया गया.