शिव सुबहसवेरे दौड़ लगा रहा था. वह इतना दौड़ चुका था कि पसीने से तरबतर हो कर धीरेधीरे चलते हुए घर लौट रहा था. सुबह के 6 बजे थे. सड़क पर हर उम्र के लोग टहलने के लिए निकल चुके थे. पूर्व दिशा से सूरज मानो किसी छोटे से बालक की तरह सुर्ख लाल रंग में ऊंची इमारत की छत पर से सिर उठा रहा था. शिव यह नजारा अकसर देखता था.

यह इमारत उस स्कूल की थी, जिस में वह नौकरी करता था. स्कूल की छत पर 3 लड़कियों की छाया नाचती हुई दिख रही थीं. यह देख कर वह ठगा सा वहीं खड़ा रह गया. शिव के कदम अपनेआप स्कूल की तरफ बढ़ गए. इन दिनों स्कूल बंद था, इसलिए शादी के लिए किराए पर दिया हुआ था. शिव ऊपर छत पर गया, जहां एक लड़की खड़ी थी.

उस ने सवालिया नजरों से शिव की ओर देखा, लेकिन उस के मुंह से कुछ न निकला. शिव बड़ी देर तक उस नाचने वाली लड़की को देखता रहा. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. ‘‘आप के साथ 2 और भी लड़कियां थीं? वे कहां गईं?’’ शिव ने उस लड़की से सवाल किया. ‘‘वे दोनों नाश्ता करने गई होंगी,’’ उस लड़की ने बताया, ‘‘आप उन के रिश्ते में हैं या…’’

‘‘नहीं, मैं तो आप का नाच देख कर ऊपर चला आया हूं… आप ने बहुत मेहनत की है शायद…’’ ‘‘ऐसा तो नहीं है, पर आप ने हमें कैसे देखा? हम तो छत पर…’’ ‘‘जाने दीजिए… मैं इस स्कूल में टीचर हूं. अग्रवाल साहब ने यह स्कूल शादी के लिए लिया है, पर…

रूटीन चैकअप के लिए स्टाफ में से कोई तो आ ही जाता है… आप का नाम?’’ ‘‘रमा.’’ ‘‘मैं शिव.’’ शिव को पलभर के लिए लगा कि बातचीत का सिरा टूटने वाला है.

इतने में वह लड़की बोली, ‘‘यहां मेहंदी लगाने वाला कोई नहीं है? एक ही औरत आई है और मेहंदी लगवाने वाली कई हैं… आप यहां किसी को जानते हैं?’’

‘‘मैं आप को ले चलूंगा… लेकिन 10 बजे के बाद.’’ ‘‘ठीक है.’’ शिव की तो मानो लौटरी लग गई. दोनों नीचे आए. रमा एक कमरे में गई और बोली, ‘‘हमें यह कमरा दिया है. यहां सब आराम हैं, पर…’’

‘‘किसी बात की परेशानी हो, तो मु झे बताइए?’’ शिव ने कहा. ‘‘यहां नहाने का इंतजाम नहीं है. ये बाथरूम स्कूल के लिहाज से बने हैं. यहां गरम पानी भी नहीं है.’’ ‘‘आप के लिए गीजर का इंतजाम है. आप चलिए मेरे साथ… 2 मकान छोड़ कर ही मेरा मकान है,’’ शिव ने कहा.

यह सुन कर रमा एकदम चलने को राजी हो गई. कमरे से कपड़े ले कर वह उस के साथ ‘धड़धड़’ करती हुई नीचे चली आई. शिव उसे अपने मकान पर ले गया. वह वहां तरोताजा हो कर उस की मोटरसाइकिल पर लौट आई. जब मोटरसाइकिल स्कूल की बिल्डिंग के गेट पर रुकी, उसी समय स्कूल के प्रिंसिपल ने कमरे में कदम रखा. रमा एक नजर प्रिंसिपल पर डाल कर ऊपर जाने लगी. जातेजाते उस ने शिव से कहा, ‘‘10 बजे याद रखना…’’ फिर उस ने शरारत से कहा, ‘‘दिन के 10 बजे… रात के नहीं.’’

शिव चला गया, लेकिन प्रिंसिपल हरिमोहन के दिल पर मानो छुरियां चलने लगीं. वे इस लड़की को बहुत अच्छी तरह से जानते थे. रमा कोठारी उन्हीं के शहर की रहने वाली थी. कालेज के समय में भी हरिमोहन ने रमा को लुभाने की बहुत कोशिश की थी, पर कुछ हाथ न आया. शिव की पत्नी ने 10 बजे घर आने को कहा था, लेकिन 10 बजे रमा को ले कर वह बाजार जाएगा.

वह स्कूल में ही बैठा रहा. 10 बजे रमा सजधज कर शिव के साथ चली गई. बाजार पहुंचते ही शिव ने कहा, ‘‘पहले कुछ खा लेते हैं, क्योंकि बाद में आप के हाथ मेहंदी से भरे होंगे. फिर आप को पानी का गिलास पकड़ने में भी मेहंदी सूखने तक इंतजार करना होगा.’’

मेहंदी वाले ने कहा, ‘‘आप अभी मेहंदी लगवा लो. मेरी बुकिंग है.’’ रमा ने मेहंदी लगवा ली. रैस्टोरैंट में रमा शिव के पास बैठ गई. शिव ने अपने हाथ से उसे बर्गर खिलाया. वे दोनों एकदूसरे से सट कर बैठे थे. यह छुअन उन दोनों में एक राजभरी नजदीकी बढ़ाए जा रही थी.

रमा ने शिव के कंधे पर सिर टिका दिया. उस के होंठ लरज रहे थे, आंखें मुंदी हुई थीं. शिव ने उसे अपनी बांहों में ले कर चूम लिया. जब तक वे शादी वाली जगह पर लौटे, औरतें बैंडबाजे के साथ मंदिर जा चुकी थीं. रमा ने बनावटी गुस्से में कहा, ‘‘तुम ने मु झे लेट करा दिया. अब मैं भाभी को क्या कहूंगी?’’ ‘‘मैं तुम्हें मंदिर छोड़ दूंगा.’’ ‘‘इन कपड़ों में?’’ ‘‘बदल लो.’’

वे दोनों ऊपर आ गए. कमरे में उन दोनों के अलावा कोई नहीं था. ‘‘मेरे हाथों में तो मेहंदी लगी है. तुम इतना भी नहीं सम झते.’’ ‘‘मैं कुछ मदद करूं,’’ कह कर शिव ने रमा को अपनी बांहों में भर लिया. रमा बेसुध शिव की बांहों में लिपटी हुई थी.

कुछ ही पलों में तूफान आ कर चला गया था, लेकिन रमा को जो सुख मिला, वह पा कर निहाल हो गई. बैंडबाजे की आवाज करीब आने लगी, तो वे दोनों संभलने लगे. एक आटोरिकशा के आने की आवाज आई. सीढि़यों पर किसी के चढ़ने की भी आवाज आ रही थी. मेहमान आने लगे थे. इस के बाद शाम और रात भी आ गई, लेकिन शिव को रमा से मिलने का मौका नहीं मिला.

दूसरे दिन सुबह ही मेहमानों के आने के बाद तो सबकुछ शादी की हलचल में खो गया. डिनर पार्टी में बरात आने पर दोनोें ने एकदूसरे को देखा. एक बार तो रमा ने आ कर शिव की प्लेट में से गुलाबजामुन भी उठा लिया. उस के लिए यह मामूली बात थी, लेकिन यह देख कर प्रिंसिपल हरिमोहन के तनबदन में आग लग गई. रमा शादीशुदा थी और दूसरे दिन सुबह उस का पति गोविंद इंदौर से कार से आ पहुंचा. सब लोग उस की आवभगत में लग गए. रमा भी नखरे भूल कर पति के आगेपीछे घूमने लगी.

प्रिंसिपल हरिमोहन ने रमा को इस अंदाज में देखा. उन्हें बहुत हैरानी हुई. उसी समय शिव इठलाता हुआ आया. वह प्रिंसिपल हरिमोहन को अनदेखा करते हुए ऊपर चला गया. उन्हें उत्सुकता हुई कि अब क्या होगा? इस की कल्पना कर के उन्हें खुशी हुई. वे अपने दफ्तर में बैठ गए. अचानक हरिमोहन की नजर टेबल पर रखे कंप्यूटर मौनीटर पर गई, जो गलती से चालू रह गया था.

उन्होंने रिमोट चला कर देखा. ऊपर के सब कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जिन से यह पता लग जाता था कि कौन सी क्लास में क्या हो रहा है. स्कूल 3 दिन से बंद था. उन्होंने जिज्ञासावश कंप्यूटर चालू किया. सब कमरों में मर्दऔरत नजर आ रहे थे.

एक कमरे में रमा घूमतीफिरती दिखी. उन्हें उत्सुकता हुई. वे उसी कमरे का नजारा देखने लगे. रमा के साथ शिव आया, फिर दोनों की प्रेमलीला शुरू हुई. रासलीला के नजारे आते रहे. कुछ समय के लिए हरिमोहन अपने होश भूल गए, फिर उन्होंने वह नजारा सीडी में लोड कर लिया. शिव ने देखा कि गोविंद रमा को ले कर होटल चला गया.

उस की हिम्मत रमा और गोविंद से बात करने की नहीं हुई. उन्हें देख कर वह सकपकाया और चुपचाप स्कूल की छत पर चला गया. जब रमा और गोविंद कार में बैठ कर चले गए, तब वह हाथ मलता हुआ हारे हुए खिलाड़ी की तरह नीचे उतरने लगा. दफ्तर में बैठे हरिमोहन ने उसे बुला कर उस के जले पर नमक छिड़कने वाली बातें कीं, फिर तैश में आ कर वे बोले, ‘‘यह देखो तुम्हारी करतूत. स्कूल में तुम ने कैसी रासलीला रचाई है. तुम्हें शर्म नहीं आई कि तुम एक टीचर हो.’’

हरिमोहन ने सीडी दिखाई. शिव शर्म से सिर झुका कर खड़ा था. ‘‘मैं तुम्हें एक दिन भी स्कूल में नहीं रखूंगा. निकल जाओ यहां से. ’’ यह सुन कर शिव चला गया. हरिमोहन का गुस्सा ठंडा हुआ. उन का शैतानी दिमाग उधेड़बुन में लग गया. रमा ने अपने से उम्र में छोटे शिव के साथ कैसी रासलीला रची.

2 दिन में लट्टू की तरह उस के आगेपीछे नाचने लगी और पति के आते ही सतीसावित्री बन गई. हरिमोहन ने तय कर लिया कि उन्हें क्या करना है. वे गोविंद के पास गए और कहा,

‘‘मैं आप से आधा घंटे के लिए जरूरी बात करना चाहता हूं.’’ गोविंद ने हां की और हरिमोहन से मिलने स्कूल पहुंचा. हरिमोहन ने कहा, ‘‘मिस्टर गोविंद, आप की पत्नी के किसी पराए मर्द के साथ कैसे रिश्ते हैं, क्या आप जानते हैं? वह आप के साथ धोखा कर रही है.’’

पहले तो गोविंद यह सच मानने को तैयार ही नहीं था. उस ने कहा, ‘‘क्या आप ने मेरा समय बरबाद करने के लिए मु झे यहां बुलाया है?’’ ‘‘ठहरिए, मैं आप को दिखाता हूं,’’ कह कर हरिमोहन ने सीडी चलाई. गोविंद ने रमा को दूसरे मर्द के साथ देखा. उस के चेहरे का रंग बदलने लगा. सीडी दिखाने के बाद हरिमोहन ने कहा, ‘‘कहिए मिस्टर गोविंद, अब क्या बोलेंगे?’’

‘‘मु झे यह सीडी चाहिए. आप को कितनी रकम चाहिए?’’ ‘‘क्या यह नहीं जानना चाहोगे कि यह आदमी कौन है? यह इसी स्कूल का एक टीचर है. रमा से 6 साल छोटा है. यह सीडी इसी स्कूल में बनी है.’’ ‘‘आप ने बनाई है?’’ ‘‘इत्तिफाक से बन गई. हर क्लासरूम में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. इन दोनों को जरा भी होश नहीं था कि कैमरा चालू है. इन दोनों ने स्कूल में ही वासना का खेल खेला.’’

‘‘और इस सीडी से आप मु झे ब्लैकमेल कर रहे हैं?’’ ‘‘जो मौके का फायदा नहीं उठाते, मैं उन बेवकूफों में से नहीं. मु झे 2 लाख रुपए चाहिए.’’ ‘‘मु झे मंजूर है.’’ गोविंद ने 2 लाख रुपए दे कर सीडी ले ली और बोला, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि अब आप इस बात का जिक्र किसी से नहीं करोगे.’’

‘‘मैं वादा करता हूं…’’ हरिमोहन ने कहा, ‘‘मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि रमा ने आप के साथ धोखा किया है, तो आप उसे तलाक क्यों नहीं दे देते? अपनी इज्जत बचाने के लिए 2 लाख रुपए में सीडी ले ली. क्या आप इसे रमा को दिखाएंगे?’’ ‘‘यह बात जान कर वह शर्मिंदा होगी, दुखी होगी, जो मैं नहीं चाहता. इस सीडी को मैं लव चैनल को दूंगा, जो केवल होटल के डीलक्स कमरों में दिखाया जाता है. ‘‘मैं ने लाखों रुपए कमाने के लिए आप को 2 लाख रुपए दिए हैं.

मेरे लिए बेवफा बीवी कमाई का एक जरीया है, इस से ज्यादा कुछ नहीं.’’ प्रिंसिपल हरिमोहन गोविंद की बात सुन कर हैरान रह गए. वे सोचने लगे कि क्या ऊंचे लोग ऐसे भी होते हैं?

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