मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में सब से साफसुथरे शहर इंदौर के बाणगंगा इलाके में रहने वाली 19 साला कुसुम (बदला हुआ नाम) को हाईकोर्ट ने 15 मार्च, 2023 को जब 10 साल कैद की सजा सुनाई, तो हर कोई हैरान रह गया कि क्या लड़कियां भी रेप करती हैं? पर बात सच थी, इसलिए यकीन न करने की कोई वजह भी नहीं थी.
किसी ने इसे कलियुग की एक और मिसाल बताया, तो किसी ने कमउम्र लड़कियों में सैक्स की बढ़ती इच्छा को जबरदस्ती पूरा करने का जिम्मेदार स्मार्टफोन को ठहराया, क्योंकि उस में कमउम्र लड़केलड़कियां दिनरात ब्लू फिल्में देखा करते हैं.
कुसुम और रोहित (बदला हुआ नाम) की दास्तान फिल्मों सरीखी है, जो आज से तकरीबन 5 साल पहले शुरू हुई थी. 3 नवंबर, 2017 को कुसुम ने रोहित को फोन कर के कहा था कि उस का अपने मम्मीपापा से झगड़ा हो गया है और वह घर छोड़ कर जा रही है.
कुसुम ने रोहित से साथ चलने की बात कही, तो मासूम रोहित का दिल पसीज गया और वह इनसानियत के नाते उस के साथ हो लिया. हो तो लिया, पर जल्द ही उसे छठी का दूध भी याद आ गया.
दरअसल, खीर खाने का शौकीन रोहित उस दिन घर से दूध लाने ही निकला था कि कुसुम का फोन आ गया. जब काफी देर तक बेटा घर नहीं लौटा, तो मांबाप ने उस की टोह लेनी शुरू कर दी, लेकिन वह कहीं नहीं मिला. 5 नवंबर, 2017 को थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई.
पुलिस ने रोहित का मोबाइल फोन ट्रेस किया, तो लोकेशन गुजरात की मिली. कुछ दिनों बाद छापा मारा गया, तो वे दोनों मिल गए, लेकिन वहां वे बाकायदा पतिपत्नी की तरह रह रहे थे.
पुलिस ने रोहित से बात की, तो उस ने बताया कि कुसुम उसे बहलाफुसला कर भगा ले गई थी और यहां आ कर उसे एक टाइल्स फैक्टरी में काम भी दिलवा दिया था. वे दोनों किराए के मकान में रहने लगे थे.
बकौल रोहित, कुसुम ने उस का मोबाइल फोन भी छीन लिया था और कभी भी उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करती थी.
मामले की गंभीरता देख कर पुलिस वाले भी हैरान रह गए, क्योंकि उन की जानकारी में यह पहला ऐसा मामला था, जिस में एक लड़की किसी नाबालिग लड़के को अपने साथ भगा कर ले गई थी और जबतब उस का रेप कर रही थी. पुलिस ने पास्को ऐक्ट के तहत कुसुम के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.
5 साल बाद रेप का यह अनूठा मुकदमा 5 साल चला. इस दौरान कुसुम के वकील ने उसे बेगुनाह साबित करने के लिए तरहतरह की दलीलें दीं, लेकिन उस की दाल नहीं गली. कभी उस ने रोहित को बालिग साबित करने की कोशिश की, तो कभी इसे रजामंदी का मामला बताया.
इसी दौरान कुसुम की शादी कहीं और हो गई और शादी के 2 साल बाद उस ने एक बेटी को जन्म भी दिया. सजा सुनते समय नन्हीं बेटी उस की गोद में थी, जिस की चिंता करते हुए कुसुम ने कहा कि अब वह बेटी को अपने मांबाप के पास छोड़ देगी.
अदालत ने कुसुम को नाबालिग बच्चों की हिफाजत के लिए बनाए गए कानून पास्को ऐक्ट के तहत कुसूरवार पाते हुए उसे 10 साल की सजा सुनाने के साथसाथ उस पर 3,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया. साथ ही, रोहित को 50,000 रुपए मदद देने की सिफारिश भी की.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हर बार मर्द गलत हो, यह जरूरी नहीं. इसी तरह पास्को ऐक्ट में हमेशा मर्द ही कुसूरवार होगा, ऐसा नहीं है. इस ऐक्ट के तहत औरत या लड़की भी उतनी सजा की हकदार है, जितना कि कोई कुसूरवार मर्द या लड़का होता है.
दरअसल, कुसुम को कुसूरवार साबित करने में वह मैडिकल रिपोर्ट भी अहम रही, जिस में डाक्टरों ने कहा था कि लड़की को सैक्स संबंधों की आदत है, जबकि लड़के के माध्यमिक सैक्सुअल कैरेक्टर विकसित नहीं हुए हैं यानी रोहित सैक्स करने के लिहाज से मैच्योर नहीं था.
इस परिभाषा के मुताबिक लड़के का अंग तो होता है, लेकिन उस की दाढ़ी नहीं आती है, न ही कंधे चौड़े हुए होते हैं और आवाज में भारीपन भी नहीं आता है. ये सब उस के पूरे मर्द होने की निशानी मानी जाती है. आम बोलचाल की भाषा में कहा जाए, तो रोहित सैक्स करने के काबिल नहीं था.
अधूरा सा इंसाफ
अदालत के इस फैसले से कुसुम को उस के किए की सजा मिल गई, जो एक हद तक रोहित के साथ इंसाफ है, लेकिन कुसुम के पति और बेटी को किस बात की सजा मिली, यह कह पाना मुश्किल है. उस का पति तो फिर भी मुमकिन है देरसवेर दूसरी शादी कर ले, लेकिन मासूम बेटी का क्या होगा? ऐसे सवालों के जवाब जाहिर है किसी अदालत में नहीं मिलेंगे, बल्कि इसी समाज में मिलेंगे, जिस में हम सब रहते हैं.
बात यह भी सच है कि यही समाज रोहित पर लानतें नहीं भेजेगा और न ही उसे उतनी हिकारत से देखेगा, जितना कि एक रेप पीडि़त लड़की को देखता है. समाज मर्दों का है, इसलिए कोई रोहित को कुलटा भी नहीं कहेगा. वजह, लड़कों के लिए तो ऐसे शब्द ईजाद ही नहीं किए गए हैं, क्योंकि कभी लड़कों का भी रेप होगा, किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं था और जब होने लगा है तो आज नहीं तो कल इस तरफ भी सोचना पड़ेगा ही.
ये रेपिस्ट दिखते क्यों नहीं
इस फैसले से मैसेज यह गया है कि नाबालिग लड़के भी यौन शोषण का शिकार होते हैं और अपराध साबित हो जाए तो दोषी औरत या लड़की को सजा भी हो सकती है. पर लड़कों के साथ होने वाले रेप या यौन शोषण आमतौर पर दिखते नहीं हैं. पर कई मर्द ऐसे मिल जाएंगे, जिन का यौन शोषण या रेप उन की भाभी, चाची, पड़ोसन या किसी दूसरी रिश्तेदार औरत ने किया था, लेकिन बात ढकीमुंदी रह गई. ऐसा लड़कियों के साथ होना तो आम बात है.
पिछले दिनों तकरीबन 200 फिल्मों में काम कर चुकी हीरोइन खुशबू सुंदर और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने यह खुलासा किया था कि किसी और मर्द ने नहीं, बल्कि उन के सगे पिता ने उन का तब यौन शोषण किया था, जब वे बिलकुल नासमझ थीं और कुछ बोलने या विरोध करने की हिम्मत उन में नहीं थी.
ये मामले तूल नहीं पकड़ पाए, जबकि इन पर जम कर बहस होना जरूरी था, जिस से लड़कियों की हिफाजत की दिशा में कुछ नई हिदायतें सामने आएं. समाज ही नहीं, बल्कि मीडिया भी मर्दों का है, इसलिए बात न केवल दबा दी गई, बल्कि सोशल मीडिया पर धर्म के पैरोकारों ने इन्हीं हस्तियों को चरित्रहीन करार दे दिया.
यह भेदभाव किसी सुबूत का मुहताज कभी नहीं रहा, लेकिन अब बात उलट है कि जरूरत लड़कों को भी यह बताने की है कि वे ऐसी औरतों या लड़कियों से कैसे बचें? यह ठीक है कि नौबत अभी ऐसी नही आई है कि उन्हें मिर्च का स्प्रे रखने का मशवरा दिया जाए, लेकिन इतनी तो आ ही गई है कि वे कुसुम जैसी या भोपाल के 30 साला सुनील (बदला हुआ नाम) की भाभी जैसी औरतों से खुद को कैसे बचाएं.
भोपाल के एक मामूली नौकरीपेशा सुनील की आपबीती उन की जबानी ही सुनें :
‘‘मैं 12 साल का था, जब मेरी भाभी ने मेरा यौन शोषण किया. भैया एक कंपनी में थे और माल बेचने के सिलसिले में अकसर टूर पर हफ्तों
शहर से बाहर रहते थे. ऐसे में मुझे भाभी के पास सुला दिया जाता था.
‘‘पता नहीं, शुरुआत कब हुई, लेकिन मुझे याद है कि भाभी अकसर मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर अंग सहलाने लगती थीं. इस से मुझे मजा तो आता था, लेकिन डर भी बहुत लगता था.
‘‘फिर धीरेधीरे हमारे संबंध बनने लगे, जिस की घर में किसी को भनक भी नहीं लगी. वे मुझे तरहतरह से सैक्स करना सिखाती थीं. फिर कई बार मेरी इच्छा न होने पर भी जबरदस्ती करती थीं और मैं मारे डर के कुछ बोल नहीं पाता था. मुझे लगता था कि बात खुल गई, तो भी मुझे ही मार पड़ेगी.’’
सुनील अब घर से अलग हो गए हैं, लेकिन वह ‘जबरदस्ती’ उन्हें जब कभी याद आ जाती है, तो मारे बेबसी के हाथ मलते रहते हैं. उन का मन कसैला हो जाता है.
सुनील बताते हैं, ‘‘5-6 साल तक यह सिलसिला चला, जिस के चलते मैं 10वीं में लगातार फेल होता गया. फिर पापा ने पढ़ाई छुड़ा कर दुकान पर नौकरी लगवा दी.’’
सुनील अपने कम पढ़ेलिखे होने का जिम्मेदार अपनी भाभी को ठहराते हैं, जिस ने उन से बचपन छीन लिया. शादी के बाद भी अपनी पत्नी से कनैक्ट होने में सुनील को तकरीबन 4 साल लग गए.
मुमकिन है, रोहित के साथ भी ऐसा ही कुछ हो, जिस के नौर्मल जिंदगी गुजारने की गुंजाइश आम लड़कों के मुकाबले बहुत ही कम बची हैं. उस ने
तो 5 साल मुकदमे को भी झेला है. सालोंसाल वह नहीं भूल पाएगा कि कुसुम कैसे उस से जबरदस्ती करती थी और घर वालों से बात भी नहीं करने देती थी.
यह पहला मामला नहीं
इंदौर के मामले के पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जिन में बालिग लड़कियों या औरतों ने नाबालिग लड़कों की इज्जत लूटी. एक मामला मार्च, 2021 में देहरादून से उजागर हुआ था, जिस में एक लड़की ने नाबालिग लड़के पर रेप करने का झूठा इलजाम लगाया था.
लड़की का आरोप था कि लड़के ने उसे शादी का झांसा दिया था और शारीरिक संबंध बनाए थे, जिस के चलते वह पेट से हो गई.
पुलिस की जांच में पता चला कि लड़के की उम्र महज 15 साल है, तो उस लड़के के पिता की शिकायत पर लड़की के खिलाफ ही यौन शोषण का मामला दर्ज कर लिया गया, क्योंकि वह लड़की बालिग थी.
इस के कुछ दिन बाद ही छत्तीसगढ़ के जशपुर में भी एक लड़की को नाबालिग लड़के को भगा ले जाने और जबरन दुष्कर्म करने के चलते एक बालिग लड़की के खिलाफ पास्को ऐक्ट के तहत ही मामला दर्ज किया गया था.
इस मामले की रिपोर्ट पत्थलगांव थाने में पीडि़त लड़के के पिता ने दर्ज कराई थी. लड़की को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया और पीडि़त लड़के को उस के घर वालों के हवाले कर दिया गया.
गुजरात के गांधीनगर में तो 26 साला एक महिला टीचर तो 8वीं क्लास के अपने 14 साला छात्र को ही ले कर भाग गई… इसी साल जनवरी में एक शाम जब लड़का घर नहीं पहुंचा, तो मांबाप को चिंता हुई. खोजबीन करने पर पता चला कि उस की टीचर ही उसे ले भागी है.
उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई, तो पुलिस वाले स्कूल पहुंचे. हैरत तो उस समय और बढ़ गई, जब कमउम्र बच्चों ने यह राज खोला कि टीचर और लड़के के शारीरिक संबंध थे और वह टीचर कभी भी लड़के को ले कर कहीं चली जाती थी. यह बात स्कूल मैनेजमैंट को भी मालूम थी.
मांबाप की रिपोर्ट पर कलोल थाने में आईपीसी की धारा 363 के तहत मामला दर्ज हुआ. इस टीचर को भी सजा होना तय है.
ऐसा ही एक और मामला महाराष्ट्र के अकोला से भी सामने आया था, जिस में एक मिल में काम करने वाली 29 साला एक औरत 17 साल के एक लड़के को ले कर भाग गई थी. उन दोनों में भी शारीरिक संबंध थे. इसी साल 9 फरवरी को मामला उजागर हुआ, तो लड़के के मांबाप की रिपोर्ट पर उस औरत के खिलाफ पास्को ऐक्ट के तहत मामला दर्ज हो गया. अब मुमकिन है कि उस औरत को भी कुसुम की तरह सजा हो.
संभल कर रहें
दरअसल, इस औरत का पति इस के साथ नहीं रहता था, इसलिए सैक्स की अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए उस ने नाबालिग लड़के को चुन लिया था. इसे भले ही वह गांधीनगर की टीचर की तरह प्यार कहती रहे, लेकिन कानून की नजर में यह एक नाबालिग लड़के के यौन शोषण का मामला है.
लड़कियां सोचती हैं कि लड़का मासूम है, इसलिए खेलेखाए बालिगों की तरह हल्ला नहीं मचाएगा, पर जब हल्ला मचा तो सभी के मुगालते दूर हो गए.
इन और ऐसे कई मामलों से साफ हो जाता है कि नाबालिग लड़कों से सैक्स संबंध बनाना औरतों के लिए दिखने में तो आसान है, लेकिन पकड़े जाने पर खतरे की घंटी है, इसलिए उन्हें बालिग लड़कों से ही सैक्स संबंध बनाने चाहिए, जिस से वे पास्को ऐक्ट और कानून के फंदे से बची रहें, नहीं तो मजा सजा में बदलना तय है.
अच्छी बात यह है कि नाबालिग लड़कियों की तरह अदालतें और कानून नाबालिग लड़कों के शोषण के मामलों में अलर्ट हो चले हैं और दोनों को बराबरी का दर्जा देते हुए फैसले सुनाने लगे हैं.