‘‘आज फिर मालकिन रात को देर से आएंगी क्या साहब?’’ कमला ने डिनर के बाद बरतन उठा कर सिंक में रखते हुए बाईं आंख दबा कर होंठ का कोना दांत से काटते हुए मुसकरा कर पूछा.

कमला की इस अदा पर जितेंद्र कुरसी से उठा और उसे पीछे से बांहों में भरते हुए धीरे से उस के कान में बोला, ‘‘हां जानेमन. उस के बैंक में क्लोजिंग चल रही है, तो कुछ दिन देर रात तक ही लौटेगी. बहुत हिसाबकिताब करना होता है न बैंक वालों को. और मैनेजर पर सब से ज्यादा जिम्मेदारी होती है.’’

‘‘अच्छा है साहब, फिर हम भी कुछ हिसाबकिताब कर लेंगे. वैसे, आप हिसाब बहुत अच्छा करते हैं साहब. बस, किसी दिन मेमसाहब पूरी रात बाहर रहें तो मैं आप से ब्याज भी वसूल कर लूं,’’ कमला ने जितेंद्र की ओर घूमते हुए कहा और उस के ऐसा करने से जितेंद्र के होंठ कमला के होंठों के सामने आ गए, जिन्हें कमला ने थोड़ा सा और आगे हो कर अपने होंठों से चिपका लिया.

जितेंद्र की सांसें तेज होने लगी थीं. वह अब कमला से पूरी तरह चिपकने लगा था कि तभी कमला एक झटके से घूम कर जितेंद्र से अलग हो गई और बोली, ‘‘छोडि़ए साहब, देखते नहीं कितना काम पड़ा है. और फिर मुझे घर जा कर अपने मरद को भी हिसाब देना होता है. आप के साथ हिसाब करने लगी तो फिर मेरे मरद के हिसाब में कमी हो जाएगी और वह मुझ पर शक करेगा.

‘‘वैसे भी पिछली बार जब मैं आप के साथ चिपक कर गई थी तो वह सवाल कर रहा था कि यह जमीन में इतनी नमी क्यों है. वह तो मैं ने किसी तरह उसे यह कह कर संभाल लिया कि बहुत दिन से कुछ हुआ नहीं तो आज तुम्हारे हाथ लगाने से ज्यादा ही जोश आ गया है और वह मान गया, नहीं तो मेरा भेद खुल ही जाना था उस दिन.’’

जितेंद्र जो अब पूरी तरह मूड में आ चुका था, कमला को ऐसे दूर जाते देख कर झटका खा गया. वह अब किसी भी हालत में कमला का साथ चाहता था, तो वह आगे बढ़ कर फिर से कमला को बांहों में भरते हुए बोला, ‘‘अरे कमला, क्या तुम्हें मेरा प्यार कम लगता है? किसी को कुछ नहीं पता चलेगा, बस तुम मुझ से दूर मत जाओ. कमला, मैं सच में तुम्हें चाहता हूं. तुम्हारा साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है.

‘‘तुम जैसे मुझे प्यार करती हो न, ऐसा तो कभी तुम्हारी मेमसाहब भी नहीं करतीं. सच कहूं तो निर्मला को प्यार करना आता ही नहीं है,’’ जितेंद्र ने कमला को बांहों में भर कर उस के होंठों की तरफ होंठ ले जाते हुए कहा.

‘‘नहीं साहब, आप झूठ बोलते हैं. आप को मुझ से कोई प्यारव्यार नहीं है, आप तो बस अपनी जरूरत पूरी करते हो. मैं ही आप से प्रेम करने लगी थी साहब, लेकिन मैं अब समझ गई हूं कि आप बस मेरे साथ फरेब करते हो.

‘‘आप को मेरे जिस्म से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए. आप का प्रेम बस इतना सा ही है. अभी मैं आप के साथ बिस्तर पर चली जाऊंगी आप का काम हो जाएगा और आप मुझे भूल जाओगे बस,’’ कमला फिर अपनेआप को छुड़ाते हुए बोली.

‘‘नहींनहीं, ऐसा नहीं है कमला. मैं तुम से सच में प्यार करता हूं. अच्छा बताओ, मेरा प्यार सच्चा है, इसे साबित करने के लिए मैं तुम्हें क्या दूं?’’ जितेंद्र ने अब कमला को बांहों में उठा लिया था. हवस का जोश अब जितेंद्र के संभालने से बाहर हो रहा था.

जितेंद्र ने कमला को बिस्तर पर बिठाया और उस के सामने खड़े हो कर अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए बोला, ‘‘बताओ न, क्या चाहिए तुम्हें?’’

‘‘साहब, आप सच कह रहे हैं. सच में आप मुझे प्यार करते हैं,’’ कमला ने बिस्तर पर लेट कर अपने पैर से जितेंद्र के सीने के बालों को सहला कर होंठ काटते हुए पूछा.

‘‘हां सच कमला, तुम एक बार मांग कर तो देखो, जो कहोगी, मैं तुम्हें दे दूंगा,’’ जितेंद्र ने आगे बढ़ते हुए कहा. उस की आवाज हवस में बहक रही थी. कमला अपनी अदाओं से उस के जिस्म की आग को और बल दे रही थी.

‘‘क्या आप को नहीं लगता कि ऐसे छिपछिप कर मिलने से हमारे प्यार की अच्छे से भरपाई भी नहीं हो पाती और हमारे पकड़े जाने का डर रहता है सो अलग.

‘‘अब मान लो कि अभी हम प्यार शुरू ही कर रहे हैं और आप की पत्नी आ जाए तब? या फिर मेरा मरद ही मुझे ढूंढ़ता हुआ आ जाए तब? क्या ऐसे अच्छे से प्यार हो सकता है?’’ कमला ने एकएक शब्द सोच कर बोला.

‘‘नहीं हो सकता कमला, तभी तो कह रहा हूं कि आओ हम जल्दी से प्यार कर लें, उस के बाद तुम आराम से काम खत्म कर के अपने घर चली जाना,’’ जितेंद्र ने कमला के ऊपर झुकते हुए कहा.

‘‘कुछ ऐसा नहीं हो सकता साहब कि हम लोग जब मन करे प्यार करें और हमें रोकनेटोकने वाला कोई न हो?’’ कमला ने जितेंद्र के गले में बांहें डाल कर उस की आंखों में देखते हुए बहुत मीठे शब्दों में कहा.

‘‘कैसे हो सकता है बताओ कमला? बताओ, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूं,’’ जितेंद्र ने अपनी उंगलियां कमला के ब्लाउज के बटनों में उलझाते हुए पूछा.

‘‘आप अपना ‘बोरीवली’ वाला वन रूम सैट मेरे नाम कर दो साहब. फिर जब आप का मन करे दिन या रात

कभी भी हम उस फ्लैट में आराम से प्यार करेंगे. वहां कोई हमें डिस्टर्ब नहीं करेगा साहब.’’

‘‘लेकिन, तुम्हारा मरद?’’ जितेंद्र ने कमला का कंधा सहलाते हुए कहा.

‘‘उस की फिक्र आप न करो साहब ऐसे तो वह 12-12 घंटे गार्ड की नौकरी करता है, कभी दिन, तो कभी रात. हमारे पास बहुत समय होगा अकेले में मिलने का, जब वह काम पर होगा.

‘‘और फिर मैं उसे बताऊंगी ही नहीं कि फ्लैट आप ने मेरे नाम पर किया है. मैं उस से कहूंगी कि मालिक ने तरस खा कर यह फ्लैट हमें रहने के लिए दिया है, इसलिए साहब जब चाहे यहां आ सकते हैं बस,’’ कमला ने जितेंद्र की पीठ पर हाथ चलाते हुए कहा.

‘‘लेकिन कमला, उस के लिए फ्लैट तुम्हारे नाम करने की क्या जरूरत है? उस में तो तुम ऐसे भी जा कर रह सकती हो?’’ जितेंद्र ने एक सवाल पूछा कि तभी कमला ने आगे बढ़ कर उस के होंठों को अपने होंठों में दबा कर एक लंबा सा चुम्मा किया और बोली, ‘‘तुम सोचते बहुत हो साहब, अभी तो कह रहे थे कि अपना प्यार साबित करने के लिए कुछ भी कर सकते हो और अब कुछ पेपर पर तनिक सा पैन घिसने में तुम्हारे पैन की स्याही खत्म होने लगी. फिर

तुम हमारे प्यार की कहानी कैसे लिखोगे साहब?’’

कमला ने जितेंद्र की आंखों में मुसकराते हुए देखा और अपने हाथ उस की पैंट की ओर बढ़ा दिए.

कमला की इस हरकत पर जितेंद्र के मुंह से हलकी ‘आह’ निकल गई और मस्ती से उस की आंखें बंद होने लगीं.

‘‘आप का पैन तो एकदम तैयार है साहब, तनिक इन पेपरों पर चला कर देखिए तो क्या यह हमारे प्रेम की कहानी लिख पाएगा…’’ कमला ने तकिए के नीचे से कुछ पेपर निकाल कर जितेंद्र के सामने रखे और उस के हाथ में एक कलम दे कर बोली, ‘‘यहां दस्तखत कीजिए साहब.’’

ऐसा कहने के साथ ही कमला के हाथ जितेंद्र की पैंट में हरकत करने लगे, उस से जितेंद्र की आंखें बंद हो गईं और वह बोला, ‘‘लेकिन, कमला…’’

‘‘ओहो… आप कितना सोचते हो साहब. बस जरा सा पैन ही तो चलाना है, फिर जी भर कर हम अपने प्यार की कहानी लिखेंगे. आप सोचिए मत. बस, दस्तखत कीजिए, तब तक मैं चैक करती हूं कि क्या आप की कलम मेरे प्रेम की किताब पर कोई कहानी लिख भी पाएगी या फिर…?’’ कह कर कमला ने अपने होंठ ‘उधर’ बढ़ा दिए.

अब जितेंद्र आगे कुछ नहीं कह पाया और उस ने कांपती उंगलियों से उन पेपरों पर दस्तखत कर दिए.

दस्तखत होने के बाद कमला को जैसे जितेंद्र के अंदर उमड़ रहे तूफान को शांत करने की बहुत जल्दी थी. उस ने अपनी हरकतों को और बढ़ा दिया और 3-4 मिनट में ही जितेंद्र निढाल हो कर बिस्तर पर लुढ़क गया.

कमला ने उठ कर अपना मुंह साफ किया और अपने कपड़े ठीक करते हुए गेट बंद कर के फ्लैट से बाहर निकल आई.

‘‘हो गया न काम?’’ नीचे आते ही चौकीदार की वरदी पहने खंभे की आड़ में खड़े एक आदमी ने उस से पूछा.

जवाब में कमला ने मुसकराते हुए पेपर उस के हाथ में रख दिए.

‘‘वाह मेरी जान, खूब फरेब में फंसाया तुम ने इस रईस को,’’ वह चौकीदार कमला को गले लगाते हुए खुश हो कर बोला.

‘‘फरेब तो इस ने किया था मेरे साथ, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि अपने मरद के अलावा किसी को हाथ भी लगाने दूंगी, लेकिन उस दिन पार्टी के बाद इस कमीने ने मुझे जूस में न जाने क्या मिला कर पिलाया कि मैं इस की बांहों में गिर पड़ी और उस मदहोशी की हालत में इस की किसी भी हरकत का विरोध न कर सकी.

‘‘बस, आज मैं ने भी वही किया. और यह भी मदहोशी में मेरी किसी भी मांग का विरोध नहीं कर पाया. लेकिन इस ने जो काम मुझे ड्रग्स दे कर किया था. वह मैं ने केवल अपने हुस्न और अदाओं से कर दिया.

‘‘अच्छा, अब चलो यहां से. किसी ने देख लिया, तो गजब हो जाएगा. बस, कल सुबह ही ये पेपर ले कर वकील के पास चले जाना. एक बार 40 लाख

का वह फ्लैट अपने नाम हो जाए, फिर इसे लात मार कर भगा दूंगी,’’ कमला ने हंसते हुए कहा और दोनों वहां से चले गए.

‘‘कमला, तुम पिछले 5-6 दिन से काम पर क्यों नहीं आई? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न? तुम मेरा फोन भी नहीं उठा रही हूं और न ही तुम्हारा पति

फोन उठा रहा है. क्या हुआ? कोई बात है तो मुझे बताओ?’’ जितेंद्र ने सुबहसुबह फ्लैट पर पहुंच कर कमला से सवाल किया.

‘‘कुछ नहीं हुआ साहब, मेरे मरद ने अब मुझे लोगों के घरों में जा कर काम करने से मना किया है, तो आप दूसरी बाई ढूंढ़ लो. मैं अब काम नहीं करूंगी. अब मेरा मरद कमाएगा और मैं बैठ कर खाऊंगी बस,’’ कमला ने बहुत ही रूखे स्वर में जवाब दिया.

‘‘कैसी बात करती हो कमला? मैं किसी के घर काम की नहीं कह रहा हूं, लेकिन हमारे अपने घर…? क्या तुम्हारा प्यार खत्म हो गया, जो तुम मुझ से मिलने भी नहीं आईं और जैसी कि हमारी बात हुई थी कि इस फ्लैट में मैं और तुम साथ रहेंगे और प्यार करेंगे. क्या तुम वह भी भूल गईं?’’ जितेंद्र ने सवाल किया.

‘‘कौन सा प्यार साहब? वह तो बस एक सौदा था, उस में कुछ मैं ने अपना लुटाया और कुछ आप ने अपना. सौदा पूरा हुआ, साहब सब व्यापार खत्म,’’ कमला ने उसी रूखेपन से कहा.

‘‘तो क्या तुम्हारा प्यार सच में बस एक फरेब था कमला? क्या तुम ने मेरा मकान हड़पने के लिए मुझ से प्रेम का नाटक किया था?’’ जितेंद्र ने गुस्से से भर कर पूछा.

‘‘हाहाहा… फरेब… हां साहब, फरेब ही था वह. फरेब जो आप ने मेरे साथ किया था मेरे जूस में ड्रग्स मिला कर. फरेब जो आप ने अपनी पत्नी के साथ किया था पत्नी होते हुए भी मेरे साथ संबंध बना कर.

‘‘फरेब, जो आप ने अपने खुद के साथ किया था हवस में अंधे हो कर, यह मकान मेरे नाम कर के. अब

आप यहां से चले जाइए साहब, कहीं ऐसा न हो कि मैं आप की पत्नी को आप के फरेब के बारे में बता दूं और आप उन्हें भी खो दो. अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है साहब, रोक दो इस फरेब को और बचा लो अपने असली घर को टूटने से.

‘‘मुझे भी अपना घर बचाने दो साहब. मेरा मरद बस आता ही होगा और मैं नहीं चाहती कि वह फिर मेरी गीली होती हुई देखे आंखें,’’ कमला ने कहा और जितेंद्र के मुंह पर फ्लैट का दरवाजा बंद कर दिया.

जितेंद्र खड़ाखड़ा सोच रहा था कि फरेब किस ने किया? फरेबी कौन है? द्य

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