शबनम और सीमा बचपन से ही साथ पढ़ी थीं. शबनम शुरू से ही सहमीसहमी सी रहती थी. वह किसी से भी ज्यादा बात नहीं करती थी. लेदे कर बस एक सीमा ही थी उस की खास सहेली, जिस से वह अपने सुखदुख की बातें कर लिया करती थी.

एक लड़का रोज शबनम का पीछा करता था और उसे छेड़ता था. शबनम को यह सब अच्छा नहीं लगता था. वह उसे बिलकुल पसंद नहीं करती थी.

एक दिन शबनम स्कूल नहीं आई. सीमा उस से मिलने उस की कोठी पर गई. शबनम गुमसुम बैठी थी और किसी बात पर रोए जा रही थी.

सीमा ने शबनम की बदहवासी की वजह पूछी, तो उस ने बताया, ‘‘बबलू नाम का एक लड़का मेरे बड़े अब्बू के बेटे राज का दोस्त है, जो मुझे हर समय परेशान करता है और राज भी उसे कुछ नहीं कहता है.

‘‘मेरे अब्बू बहुत तेज मिजाज के हैं. उन्हें भनक भी हुई तो वे मेरी तालीम रुकवा देंगे. मैं क्या करूं, कुछ सम?ा नहीं पा रही हूं. अब तू ही कोई बेहतर रास्ता सुझ.’’

सीमा ने उस से कहा, ‘‘कल हम दोनों साथ ही स्कूल चलेंगी.’’

अगले दिन हम एकसाथ स्कूल गईं. वह लड़का बबलू फिर शबनम के सामने आ गया और उस का हाथ पकड़ लिया.

सीमा ने शबनम को हिम्मत दिलाई और उस ने बबलू को एक जोरदार तमाचा जड़ दिया. उस दिन के बाद से बबलू दिखाई नहीं दिया.

समय गुजरा और एक दिन शबनम का निकाह राज से तय हो गया. शबनम तैयार न थी, फिर भी घर वालों के दबाव में उस ने यह निकाह कर लिया.

सुहागरात पर एक लड़की कितने ही सपने संजोती है, आखिर अरमान तो सब के दिल में मचलते हैं. सुहाग सेज पर आने वाली नई जिंदगी के सपनों में खोई शबनम राज का इंतजार कर रही थी. पूरे कमरे में अगरबत्ती की खुशबू में मिली मोगरे और गुलाब के फूलों की खुशबू मदहोश करने वाली थी.

बिस्तर के एक तरफ की टेबल पर बादाम, काजू जैसे मेवों से भरी प्लेट और साथ में एक गिलास दूध का रखा था और दूसरी तरफ की टेबल पर एक देशी ब्रांड की शराब की बोतल के साथ कांच के 2 गिलास थे.

शबनम मन ही मन सोचने लगी, ‘जब राज आएगा तो क्या वह दूध का गिलास आधाआधा कर के पीएगा या आजकल के लोग दूध के बजाय शराब के पैग टकराना पसंद करते हैं, तो क्या राज भी ऐसा करेगा? लेकिन अगर ऐसा हुआ तो मैं ने तो कभी पी ही नहीं, तब तो मुझे जल्दी ही नशा हो जाएगा.’

इतने में अचानक हुई आहट से शबनम चौंक गई. जैसे ही दरवाजा खुला उस के दिल की धड़कनें तेज हो गईं, पलकें शर्म से झक गईं, चेहरे पर इश्क की रंगत की लाली झलकने लगी, सांसें भी तेजी से चलने लगीं, दिल की धड़कन इतनी तेज हो गई कि उसे ‘धकधक’ सुनाई देने लगी.

आज शबनम बला की खूबसूरत लग रही थी. सुर्ख लाल जोड़े में उस का गोरा बदन और भी निखर कर आ रहा था. खूबसूरत जड़ाऊ हार उस की सुराहीदार गरदन को निखार रहा था. माथे का टीका चांद से मुखड़े को चार चांद लगा रहा था. सीना तेज सांस की वजह से ऊपरनीचे ऐसे हो रहा था, मानो कोई 2 गेंद उछाल रहा हो. आज शबनम कयामत ढा रही थी.

जैसेजैसे कदमों की आहट नजदीक आ रही थी, वैसेवैसे शबनम का दिल भी उछल कर बाहर आने को बेताब हो रहा था. लेकिन उस ने खुद पर काबू रखा, अपने अरमानों को अपनी मुट्ठी में दबाए वह राज की छुअन का बेसब्री से इंतजार करने लगी. उस के अरमान मचलने लगे. मन चाहा कि राज जल्दी से आए और उसे अपनी मजबूत बांहों में कस कर बांध ले.

शबनम के होंठ राज के होंठों को अपना रस पिलाने के लिए तड़प उठे कि अचानक उस का घूंघट उठाने के लिए एक हाथ जैसे ही बढ़ा, तो शबनम हाथ के इशारे से रोकते हुए बोली, ‘‘हाय, पहले दरवाजा तो बंद कीजिए.’’

जैसे ही शबनम ने यह कहा, तो जवाब में वह एक अनजान आवाज से चौंकी. वह आवाज बबलू की थी.

बबलू अपने हाथ पर बंधे गजरे की खुशबू सूंघते हुए बोला, ‘‘जानेमन, दरवाजा बंद हो या खुला रहे क्या फर्क पड़ता है, बाहर पहरे पर आप का शौहर राज बैठा है न.’’

शबनम घबरा कर बिस्तर से छलांग लगा कर उठी और बाहर की तरफ भागने लगी, तो बबलू ने उस का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘जा कहां रही हो? इतने सालों से जो दिल में आग लगी है, उसे तो बु?ा दो, फिर चली जाना जहां जाना हो.’’

शबनम छटपटाते हुए राज को आवाज लगाने लगी. आवाज सुन कर राज अंदर आया और बोला, ‘‘क्यों शोर मचा रखा है… बबलू अपना यार ही तो है, कोई गैर थोड़े ही है. अपना मुंह बंद रखो और चुपचाप बबलू की बात मानो.

‘‘और हां, मैं कहीं काम से जा रहा हूं, सुबह तक आ जाऊंगा. आने पर कोई शिकायत नहीं मिलनी चाहिए,’’ ऐसा कह कर राज बाहर जाते हुए दरवाजा बंद कर गया.

यह सुन कर शबनम की आंखों से केवल आंसू नहीं निकल रहे थे, बल्कि दर्द बह रहा था. क्या करे और क्या न करे, उसे कुछ समझ नहीं आया.

बबलू ने शबनम को अपनी बांहों में जकड़ लिया. शबनम जल बिन मछली की तरह तड़प कर रह गई. उस की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और बबलू उस के जिस्म को भूखे भेडि़ए की तरह नोंचनेखसोटने लगा था.

अचानक राज घर पर वापस किसी काम से आया, तो जैसे ही उस ने दरवाजा खोला, तो शबनम दौड़ कर राज के पास आ गई.

‘‘आप ने किस गुनाह की सजा दी है मुझे? मैं ने आप का क्या बिगाड़ा था, जो आप ने इतनी घिनौनी हरकत की? क्या कोई इस तरह सुहागरात पर अपनी बीवी के साथ ऐसा सुलूक करता है, जैसा आप कर रहे हैं?’’

‘‘अरे जानेमन, इस में इतना नाराज होने की क्या बात है? तुम्हें सुहागरात ही तो मनानी थी न, तो मैं या बबलू हो, क्या फर्क पड़ता है?

‘‘बबलू अपना जिगरी यार है. अगर उसे कोई चीज पसंद आए और उसे वह हासिल न करे, ऐसा आज तक हुआ नहीं, तो भला अब कैसे होता? और उस ने मुंहमांगी कीमत भी तो दी है… देख कितने रुपए हैं. तुम ने सारी जिंदगी इतने रुपयों की शक्ल नहीं देखी होगी…’’

ऐसा कहते हुए राज नोटों के बंडल उस के सामने रखते हुए आगे बोला, ‘‘अरे, अब मैं भी परिवार वाला हो गया हूं, भला मेरी तनख्वाह से परिवार कहां से पालूंगा? इसलिए कुछ इंतजाम तो करना था. मुझे यह रास्ता बहुत बढि़या लगा. इस में कमाई अच्छी है. बस, तुम साथ देती रहना.’’

यह सुन कर शबनम के रोंगटे खड़े हो गए कि राज क्या करने की सोच रहा है. हर रात उस के जिस्म का सौदा?

इधर राज को देख बबलू को भी गुस्सा आ गया, ‘‘राज, क्या यार तू इतनी जल्दी वापस आ गया. अभी तो मजा लेना शुरू भी नहीं किया. अभी तक तो देख हम दोनों ने कपड़े पहने हुए हैं.’’

‘‘यार बबलू, माफ कर दे. तेरा मजा खराब करने का मेरा कोई इरादा नहीं था. मैं रोज रात को दवा लेता हूं, तब मेरी रात कटती है. अगर मैं दवा न लेता तो सारी रात तड़पता रहता. मैं वही दवा लेना भूल गया था. बस, वही लेने आया हूं.’’

‘‘चलचल, अब जल्दी से अपनी दवा उठा और चलता बन. मुझ से अब और बरदाश्त नहीं हो रहा. मैं इस कली को मसलने के लिए कब से तड़प रहा हूं,’’ बबलू बोला.

राज जब बिस्तर की दराज में से दवा निकालने लगा, तो उस की नजर शराब की बोतल पर पड़ी, जो ज्यों की त्यों रखी थी.

‘‘यार बबलू, इस के 2 पैग लगा और इसे भी थोड़ी सी पिला दे, फिर देख कैसा मजा आएगा,’’ राज बोला.

‘‘हां यार, यह तो मैं ने देखी ही नहीं. जहां शबनम नाम की बोतल हो, वहां कोई दूसरी बोतल किसे नजर आएगी,’’ बबलू ने कहा, तो वे दोनों हंसने लगे.

राज दवा ले कर चला गया, तो बबलू ने 2 पैग बनाए.

इधर बबलू शराब के पैग बना रहा था, उधर शबनम के दिमाग में भी कुछ चल रहा था. वह सोच रही थी कि अगर आज ?ाक गई, तो राज रोज यही खेल खेलेगा उस के साथ. उसे इस जहन्नुम से निकलने के लिए कुछ न कुछ करना ही होगा.

बबलू ने 2 गिलास में शराब डाल कर एक गिलास शबनम की तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘आज तुम भी इस का स्वाद चख कर देखो. इस के अंदर जाते ही तुम्हें जन्नत का नजारा दिखने लगेगा.’’

जब बबलू शबनम के साथ जबरदस्ती करने लगा, तो शबनम ने चुपचाप गिलास ले कर उसे बातों में उलझ दिया और इस तरह बबलू ने गटागट 4 पैग पी लिए, मगर शबनम ने शराब को छुआ तक नहीं.

बबलू ने नशे में अपने हाथ पर बंधे गजरे की महक को सूंघा और फिर शबनम के बदन को सूंघने लगा, फिर अपने हाथ पर बंधी फूलों की वेणी उतार कर फेंकते हुए कहने लगा, ‘‘इन फूलों में वह महक कहां, जो तेरे बदन में है. तेरे सामने ये फूल सब बेमानी हैं.’’

अब बारी थी शबनम को अपने प्लान को अंजाम देने की. जैसे ही बबलू शराब के नशे में शबनम को पकड़ने लगा, वह शराब की बोतल से उस के सिर पर लगातार वार करने लगी, जिस से उस के सिर से खून की जबरदस्त धारा बहने लगी और कुछ ही पलों में बबलू का शरीर शांत हो कर लुढ़क गया.

इस के बाद शबनम ने राज को फोन कर के खुद ही बुलाया. राज बबलू की लाश और शबनम के हाथ में बोतल देख कर घबरा गया. इस से पहले वह कुछ कहता, शबनम बोल उठी, ‘‘ज्यादा तमाशा करने की जरूरत नहीं है. मैं ने जो किया है, सोचसमझ कर किया है. मैं ने पुलिस को फोन कर के बुला लिया है.’’

राज कुछ सोच कर अचानक से शबनम के कपड़ों को थोड़ा सा कहींकहीं से फाड़ने लगा और उस के बाद खुद के शरीर पर भी चोटें लगाने लगा.

‘‘राज, तुम यह क्या कर रहे हो?’’

‘‘शबनम, तुम्हें जो ठीक लगा वह तुम ने किया, अब मुझे जो सही लग रहा है, वह मैं कर रहा हूं.’’

थोड़ी ही देर में पुलिस आ गई. तब तक शबनम के अब्बूअम्मी और बहुत से रिश्तेदार भी आ गए. सब को अचरज था कि नईनई ब्याहता के कमरे में किसी बाहरी आदमी की लाश पड़ी थी.

एक नए जोड़े के कमरे के हालात बेतरतीब से थे. दुलहन के अधफटे कपड़े थे और दूल्हे के शरीर पर चोटें लगी थीं. सब से अचरज वाली बात यह थी कि एक पराए मर्द की लाश सुहागरात वाले कमरे में कहां से आई?

इंस्पैक्टर के पूछने पर शबनम ने बताया, ‘‘यह आवारा मुझे पहले से ही छेड़ता था और आज पहली रात को मुझे बदनाम करने के लिए कमरे में घुस आया.

‘‘मैं ने समझ कि राज आया है. मैं राज के इंतजार में तड़प रही थी और मैं ने राज के अंदर आते ही बत्ती बुझा दी और अपने ऊपर के कपड़े उतार कर लेट गई.

‘‘इसी बीच कमरे में आया बबलू बिना कुछ बोले मेरे जिस्म के साथ खेलने लगा, तो मैं ने झट से चादर से बदन ढक कर बत्ती जला दी और फटाफट कपड़े पहनने लगी कि तभी राजू भी आ गया और बबलू से उस की लड़ाई होने लगी.

‘‘बबलू राज पर लगातार हमला कर रहा था. किसी अनहोनी के डर से न जाने मुझे क्या सूझ कि मैं ने पास पड़ी शराब की बोतल उठाई और बबलू के सिर पर वार करने लगी. इस तरह बबलू मारा गया.’’

शबनम का पुलिस को इस तरह का बयान दे कर राज को बेगुनाह साबित करना, राज को अंदर तक सालने लगा. जिस शबनम का वह सौदा कर रहा था, आज वही उसे बचा कर खुद सूली पर चढ़ रही थी.

लेकिन न तो पुलिस और न ही शबनम के अम्मीअब्बा शबनम की बात पर यकीन कर रहे थे. पुलिस दोनों को पकड़ कर ले गई.

आखिर में राज को गुनाह कबूल करना पड़ा कि उस ने खुद ही सुहागरात के लिए बबलू को बुला कर शबनम का सौदा किया था.

राज को अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई, लेकिन जातेजाते वह शबनम के लिए अदालत में ही ‘तलाक, तलाक, तलाक’ कह कर उसे इस निकाह से आजाद कर गया.

शबनम ने कुछ समय के बाद दूसरा निकाह कर लिया और अपने नए शौहर के साथ दूसरे शहर में जा बसी.

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