आज से 5 साल पहले रहमान की शादी रेशमा से हुई थी, जो देखने में निहायत ही खूबसूरत और अच्छे डीलडौल की थी. उस की खूबसूरती की मिसाल ऐसे सम?ा जैसे आसमान से कोई अप्सरा उतर कर जमीन पर आ गई हो. गुलाबी होंठ, सुर्ख गाल, काले घने लंबे बाल, उन के बीच में चमकता चेहरा ऐसा लगता था, जैसे बादलों को चीरता हुआ चांद बाहर निकल आया हो.
रेशमा को पा कर रहमान अपनेआप को बहुत खुशनसीब समझ रहा था. उस के बिना एक पल भी रहना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन था.
रहमान अपनी रेशमा को दिलोजान से चाहता था. उस की हर तमन्ना पूरी करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ता था. यही वजह थी कि शादी के एक महीने बाद ही रहमान उसे अपने साथ मुंबई ले आया, क्योंकि उस का कारोबार मुंबई में था.
वे दोनों हंसीखुशी अपनी जिंदगी गुजार रहे थे. शादी के एक साल के अंदर ही रेशमा ने एक चांद से बेटे को जन्म दिया, जिसे पा कर रहमान फूला नहीं समा रहा था.
शादी के दूसरे साल ही रेशमा ने एक बेटी को भी जन्म दिया. घर में 2 नन्हेमुन्ने बच्चों के आने से हर समय खुशी का माहौल बना रहता था.
रेशमा के भाई की शादी थी. इस सिलसिले में गांव जाना था. वैसे, हर साल रेशमा के मांबाप मुंबई ही उस से मिलने आ जाते थे. इन 4 सालों में रेशमा को कभी गांव जाने का मौका नहीं मिला था और न ही रेशमा ने कभी गांव जाने की जिद की थी.
रहमान और रेशमा ने अपनी पैकिंग की और बच्चों के साथ गांव चले आए. घर में खुशी का माहौल था. मेहमानों का आनाजाना लगा था. चारों तरफ चहलपहल थी. रेशमा की खुशी का ठिकाना न था. वह अपनी सहेलियों से मिल कर चहक रही थी.
आखिरकार वह दिन भी आ गया, जब रेशमा के भाई की शादी होनी थी. शाम को सब शादी से लौट कर सोने की तैयारी कर रहे थे. रहमान भी थका हुआ था, इसलिए वह जल्दी सो गया.
रात को जब रहमान की अचानक नींद खुली, तो रेशमा को कमरे में न पा कर वह इधरउधर नजर दौड़ाने लगा. फिर वह छत की तरफ गया, तो वहां किसी लड़के को रेशमा से बात करते सुना.
रेशमा उस लड़के की बांहों में थी और कह रही थी, ‘‘साजिद, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मैं सिर्फ तुम से प्यार करती हूं. तुम कहां चले गए थे? तुम जानते हो कि मैं तुम से कितना प्यार करती हूं. मुझे अपने साथ कहीं दूर ले चलो.
‘‘पता नहीं तुम कहां गायब हो गए थे. तुम्हारा कुछ अतापता नहीं था और अब्बाअम्मी ने मुझे अपनी कसम दे कर जबरदस्ती मेरी शादी करा दी. मैं तुम्हारे सिवा किसी और के साथ अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकती.’’
यह सुनते ही रहमान के पैरों तले जमीन खिसक गई और वह एक जिंदा लाश बन कर धड़ाम से वहीं गिर गया.
जब रहमान की आंख खुली, तो वह नीचे पलंग पर पड़ा था. उस की सास और ससुर हवा कर रहे थे और रेशमा एक कोने में ऐसे बैठी थी, जैसे कुछ जानती ही न हो. उसे अपनी इस हरकत का कोई अफसोस नहीं था.
रेशमा की अम्मी और अब्बू सब जान चुके थे, फिर रेशमा की अम्मी ने जो असलियत रहमान को बताई, उस ने उस के रोंगटे खड़े कर दिए.
रेशमा की अम्मी ने बताया, ‘‘बेटा, वह जो लड़का रेशमा के साथ था, वह मेरी दूर की बहन का बेटा था, जो यहां पास के ही गांव में रहता है. रेशमा उस से प्यार करती थी. एक बार वह उस के साथ घर छोड़ कर भी चली गई थी.
‘‘हम रेशमा को समझबुझ कर यहां ले आए थे. उस की जिद थी कि वह साजिद से ही शादी करेगी, लेकिन साजिद बहुत ही गरीब परिवार का लड़का था. कामकाज कुछ करता नहीं था, दिनभर आवारागर्दी करता फिरता था. कई बार वह चोरी के इलजाम में भी पकड़ा गया था, इसलिए हम ने उस के घर वालों पर दबाव बना कर उसे गांव से दूर दिल्ली जाने पर मजबूर कर दिया.
‘‘उस के एक महीने बाद हम ने रेशमा को सम?ाया कि साजिद बिगड़ा हुआ लड़का है, उस का कुछ अतापता नहीं है कि कहां गायब हो गया है. तुम्हारा रिश्ता आया है. तुम चुपचाप इस रिश्ते के लिए हां कर दो और अगर ऐसा नहीं करोगी, तो हम दोनों अपनी जान दे देंगे.
‘‘कुछ दिनों तक तो रेशमा चुप रही, लेकिन हमारे रोने और घर की इज्जत की दुहाई देने से आखिर उसे हमारा फैसला मानना पड़ा और तुम्हारी शादी उस से हो गई. यही वजह थी कि हम कई साल से रेशमा को घर नहीं लाए थे, उस से वहीं मिलने आ जाते थे.
‘‘हम ने सोचा था कि शादी के कुछ साल बाद रेशमा के सिर से साजिद का भूत उतर जाएगा और शौहर और बच्चों की मुहब्बत में वह साजिद को भूल जाएगी.’’
रहमान चुपचाप उन की बातें सुन रहा था. उस की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे. रेशमा के अम्मीअब्बू उसे दिलासा दे रहे थे और वह सोच रहा था कि रेशमा और उस के अम्मीअब्बू ने उस की जिंदगी क्यों बरबाद कर दी. अगर रेशमा उस के साथ रहने को तैयार नहीं हुई, तो इन मासूम बच्चों का क्या होगा? लेकिन, फिर कुछ सोच कर रहमान ने रेशमा को अपने साथ मुंबई ले जाने का फैसला कर लिया.
अगले ही दिन वे मुंबई के लिए रवाना हो गए. घर पहुंच कर उन दोनों में ज्यादा बातें नहीं हुईं. अगले दिन रहमान फ्रैश हो कर काम पर चला गया, पर अगले कई दिनों तक वे दोनों अनजान की तरह घर में रहे.
अभी इस वाकिए को 3 महीने ही गुजरे थे कि एक दिन रहमान किसी काम से घर जल्दी आ गया. घर का मेन दरवाजा खुला था. जैसे ही वह घर के अंदर दाखिल हुआ, तो वहां का सीन देख कर दंग रह गया. रेशमा अपने आशिक साजिद की बांहों में पड़ी थी.
रहमान उसे देख कर चिल्लाया, तो उस का आशिक झट से खड़ा हो गया. इस बार रेशमा भी चुप न रही और तपाक से बोली, ‘‘मैं साजिद से प्यार करती हूं और इस के बिना नहीं रह सकती.’’
रहमान ने रेशमा को पुलिस की धमकी दी, तो वह बोली, ‘‘जाओ, कहीं भी जाओ. मैं बोल दूंगी कि तुम ने ही इसे यहां बुलाया था और इस से पैसे लिए थे. मुझे मारपीट कर मुझ से गलत काम करवाते हो. देखते हैं कि पुलिस किस की सुनती है. साजिद भी तुम्हारे खिलाफ गवाही देगा.’’
रहमान यह सब सुन कर सन्न रह गया और सोफे पर बैठ गया. रेशमा उठी और अपने कपड़े सही कर के लेट गई.
रहमान रेशमा के सामने खूब रोयागिड़गिड़ाया, ‘‘ऐसी हरकत मत करो, हमारे छोटेछोटे बच्चे हैं. इन का क्या होगा.’’
लेकिन रेशमा ने रहमान की एक न सुनीं. वह बोली, ‘‘मैं बच्चे घर से लाई थी क्या? तुम्हारे बच्चे हैं, तुम पालो.’’
रहमान ने उसी समय रेशमा के अम्मीअब्बू को फोन किया और उन्हें सब बातें बताईं. वे अगले ही दिन मुंबई के लिए रवाना हो गए.
बच्चे भूखेप्यासे रो रहे थे. रेशमा को किसी की परवाह नहीं थी. रहमान बच्चों के लिए खाना लेने बाहर चला गया. वापस आ कर उस ने देखा कि रेशमा घर पर नहीं थी. रहमान ने आसपड़ोस में सब से मालूम किया, पर किसी को उस का कोई पता न था.
थकहार कर रहमान बच्चों को चुप कराने में लग गया, जो अभी तक रो रहे थे. काफी इंतजार के बाद वह पुलिस स्टेशन गया और वहां रेशमा के गायब होने की सूचना दी.
एक पुलिस वाले ने कहा, ‘‘तुम्हारा झगड़ा हुआ होगा. गुस्से में वह कहीं चली गई होगी. उस की रिश्तेदारी में मालूम करो. अगर नहीं मिली, तो 24 घंटे बाद उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराना. उस के बाद हम खोजबीन चालू करेंगे.’’
बेइज्जती के डर से रहमान ने रेशमा के अफेयर के बारे में किसी को नहीं बताया, क्योंकि वह उस से सच्ची मुहब्बत करता था. वह नहीं चाहता था कि उस की बदनामी हो.
अगले दिन रेशमा के अम्मीअब्बू भी आ गए. रहमान उस के अब्बू के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचा और रेशमा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस से पहले पुलिस उसे ढूंढ़ती, 4 दिन बाद वह खुद ही पुलिस स्टेशन आ गई.
वहां पर रहमान को भी बुलाया गया. इंस्पैक्टर ने रेशमा से पूछा कि वह कहां गई थी, तो उस ने साफ शब्दों में कह दिया, ‘‘मुझे अपने शौहर के साथ नहीं रहना है. मैं आप के किसी सवाल का जवाब यहां नहीं दूंगी. सब सवालों के जवाब कोर्ट में मेरा वकील देगा. ये रहे केस के कागजात.’’
रेशमा ने रहमान के ऊपर दहेज और मारपीट का केस दर्ज करा दिया था. पुलिस ने कहा कि वह इस में कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि अब मामला कोर्ट में है. रेशमा को जाने दिया गया. उस के जाने के कुछ देर बाद रहमान को भी छोड़ दिया गया.
समय गुजरता गया. रेशमा के अम्मीअब्बू भी कुछ दिन बाद अपने गांव चले गए. रहमान के पास कोर्ट की तारीख का मैसेज आया. वह वकील के पास गया. उस ने कहा, ‘‘जब तक नोटिस नहीं आता, तब तक तुम मत आओ.’’
इस तरह तकरीबन एक साल तक कोर्ट की तारीख मैसेज के जरीए रहमान के फोन पर आती रही.
एक दिन रहमान के पास एक अनजान फोन नंबर से मैसेज आया कि ‘मुझे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं. मैं तुम से प्यार नहीं करती थी. मेरे अम्मीअब्बू ने जबरदस्ती तुम से मेरी शादी करवा दी थी, इसलिए तुम से छुटकारा पाने के लिए मुझे तुम पर केस करना पड़ा’.
रहमान समझ चुका था कि मेरा एकतरफा प्यार रेशमा को अपना नहीं बना सका. समय गुजरता गया और कुछ ही महीनों में रेशमा ने जो केस उस के ऊपर किया था, उस में उस के हाजिर न होने के चलते केस खारिज हो गया.
इस तरह रहमान की जबरदस्ती की गई शादी ने उस की जिंदगी तो बरबाद की ही, दोनों बच्चे भी अपनी मां की ममता से महरूम रह गए. उन मासूमों की जिंदगी भी मां के बगैर वीरान बन कर रह गई.
रहमान के कई दोस्तों ने उसे दूसरी शादी करने की सलाह दी और कई रिश्ते भी ले कर आए, पर शादी के नाम से तो उसे डर लगने लगा था कि क्या पता कब किस की शादी जबरदस्ती करा दी जाए. वैसे भी, रेशमा ने भले ही रहमान से प्यार नहीं किया, पर वह तो उस से प्यार करता था. उस के लिए उसे भुलाना नामुमकिन था.
इस तरह किसी की गलती की सजा किसी और को मिलती है. यहां रेशमा और उस के अम्मीअब्बू की गलती की सजा रहमान और उस के मासूम बच्चे भुगत रहे थे.