दिल्ली में थोड़ी ज्यादा बारिश क्या हुई लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित हवाई अड्डे पर एक बड़ा हादसा हो गया और सारे देश की निगाहें इसी ओर चली गईं, पर बाद में बड़ी चतुराई के साथ यह बताने की कोशिश की गई कि दिल्ली में कई दशकों बाद बारिश में इतना पानी गिरा है यानी कुलमिला कर केंद्र सरकार का इस हादसे में कोई कुसूर नहीं है, बल्कि ऊपर वाले पर तोहमत लगा दी गई है.

प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के 10 सालों के कार्यकाल में जो कामकाज हुए हैं, वे धीरेधीरे अपनी असली रंगत में आ रहे हैं और देखते ही देखते ताश के पत्तों की तरह बिखर रहे हैं. यह बताता है कि नरेंद्र मोदी की प्रशासनिक कार्यदक्षता कैसी है.

दरअसल, केंद्रीय सत्ता का पूरा ध्यान ‘विपक्ष’ को नकारने और खत्म करने में लगा हुआ है. इस के लिए सीबीआई, ईडी जैसी सरकारी संस्थाओं का खुला इस्तेमाल किया जा रहा है.

याद रहे कि राष्ट्रीय राजधानी में भारी बारिश के बीच 28 जून, 2024 को इंदिरा गांधी इंटरनैशनल हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 की छत का एक हिस्सा वहां खड़ी कारों पर गिर गया था. इस से एक कैब ड्राइवर रमेश की मौत हो गई और 6 दूसरे लोग घायल हो गए. बड़ी खबर यह है कि इस हादसे के बाद हवाईजहाजों की उड़ान को रद्द करना पड़ा. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस हादसे से से कितना ज्यादा नुकसान हो गया होगा.

दुख की बात यह है कि पहली बारिश में ही राजधानी दिल्ली पानीपानी हो गई. कई जगह जलजमाव में गाड़ियां फंस गईं, तो कहीं घंटों जाम लगा रहा. बदइंतजामी का जो आलम देखा गया वह बताता है कि केंद्र सरकार समेत आम आदमी पार्टी की राज्य सरकार भी दिल्ली में फेल है.

देश की राजधानी इंटरनैशनल मैप पर होती है. दुनियाभर के लोग वहां आतेजाते हैं. जब सरकार राजधानी की ही व्यवस्था संभालने में नाकाम हो जाए तो फिर ऊपर वाला ही मालिक है.

5 बजे हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 की छत गिर गई थी. सूचना मिलने के बाद 3 दमकल गाड़ियों को वहां भेजा गया, मगर जो हादसा हुआ है, उसे केंद्रीय सरकार की नाकामी के रूप में कभी भुलाया नहीं जा सकता.

दूसरे पर ठीकरा फोड़ा

जैसा कि इन 10 सालों में नरेंद्र मोदी की सरकार में होता रहा है अपनी गलती कभी नहीं मानी और दाएंबाएं पर ठीकरा फोड़ा जाता है. यहां पर भी यही हुआ. कहा गया कि दिल्ली में शुक्रवार, 28 जून, 2024 को हुई बारिश में 88 साल पुराना रिकौर्ड टूट गया. साल 1936 के बाद पहली बार जून में इतनी बारिश हुई है. 24 घंटे में 228.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. राष्ट्रीय राजधानी में पिछले 15 साल में कभी पूरे जून महीने में भी कुल 200 मिलीमीटर बारिश नहीं हुई है.

जैसा कि होता है, इस पर भी राजनीति शुरू हो गई. भाजपा और कांग्रेस आमनेसामने आ गईं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दिल्ली हवाई अड्डे पर हुए हादसे पर सवाल उठाते हुए कहा कि मार्च में प्रधानमंत्री ने दिल्ली हवाई अड्डे टर्मिनल-1 का उद्घाटन किया था, आज उस की छत ढह गई जिस में एक कैब चालक की दुखद मौत हो गई. 3 महीने पहले प्रधानमंत्री ने जिस जबलपुर हवाई अड्डे का उद्घाटन किया था, उस की भी छत ढह गई.

वहीं, भाजपा के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने इस आरोप को झूठा करार देते हुए ‘एक्स’ पर लिखा कि जयराम रमेश झूठ बोल रहे हैं. टर्मिनल-1 का जो हिस्सा ढह गया, उस का निर्माण और संचालन 2009 में हुआ था, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सत्ता में थी.

दरअसल, हादसे में छत के अलावा सहारा देने के लिए लगाए गए खंभे भी गिर गए, जिस से टर्मिनल के ‘पिकअप और ड्राप क्षेत्र’ में खड़ी कारों को भी नुकसान पहुंचा.

पुलिस उपायुक्त, आईजीआई, ऊषा रंगनानी के मुताबिक, घायलों की पहचान संतोष कुमार यादव, शुभम शाह, दशरथ अहिरवार, अरविंद गोस्वामी, साहिल कुंदन और योगेश धवन के रूप में हुई है. ये सभी दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं.

नागर विमानन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने टर्मिनल-1 पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया और कहा कि वे हालात पर नजर रख रहे हैं. हवाई अड्डे की संरचना का गहन निरीक्षण किया जाएगा. मृतक के परिजनों को 20 लाख रुपए और घायलों को 3-3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी. मगर आज भारत की जनता जिस तरह देश की राजधानी की पानी से होती बदहाली देख रही है, वह सचमुच सरकार को शर्म से पानीपानी करने लायक है.

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