‘‘आ प गांव वालों के सारे कष्ट दूर करने आ रहे हैं अकरोना बाबा. कल से गांव के स्कूल के मैदान में सुबह 10 बजे से कथा शुरू होगी,’’ एक मोटा सा आदमी एक दाढ़ी वाले बाबा का फोटो लगा कर रिकशे पर बैठा पूरे गांव में घूमघूम कर मुनादी कर रहा था.

‘‘याद रहे… अकरोना बाबा की कथा में सब को नहाधो कर आना है. लोग सामाजिक दूरी के साथ बैठेंगे. सब से जरूरी बात यह कि अकरोना बाबा की कथा में आप सब लोगों को मास्क मुफ्त में बांटे जाएंगे…’’

‘मुफ्त मिलेगा’ के नाम पर कई गांव वालों के कान खड़े हो गए थे.

‘‘आप सब लोगों को बता दें, जो लोग अकरोना बाबा की कथा में आएंगे, उन को कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं सताएगा… बोलो अकरोना बाबा की जय.’’

‘‘अरे भैया… बाबा की कथा में हम लोगों को मुफ्त में क्या मिलेगा?’’ एक ने दूसरे से पूछा.

‘‘अरे पांडे यार… तुम भी एकदम बुड़बक ही हो… मास्क यानी मुंह को ढकने वाली चीज… जैसे हमारे पास होता है न यह गमछा… बस… उसी का शहरी रूप है मास्क…’’ दूसरे ने ज्ञान बघारा.

‘‘हां, पर वे मुफ्त में दे रहे हैं… तब तो हम बाबाजी का आशीर्वाद लेने जरूर जाएंगे.’’

पूरे गांव में अकरोना बाबा के चर्चे छाए हुए थे और हर कोई बाबा को ले कर उतावला हो गया था.

‘‘पर, बाबा का नाम तो बड़ा अजीब ?है,’’ एक गांव वाले ने चर्चा छेड़ी.

‘‘हां… हां क्यों नहीं… अरे, उन के बारे में मैं ने सुना है कि उन का जन्म ही कोरोना नामक विषाणु रूपी राक्षस को मारने के लिए हुआ है.

‘‘अरे, मैं ने तो उन की बहुत सी कथाएं सुनी हैं. और तो और मैं तो उन से मिल भी चुका हूं,’’ एक नौजवान ने शेखी बघारते हुए कहा.

‘‘वाह भैया, तुम तो बड़े किस्मत वाले हो… तनिक हमारा भी जुगाड़ लगवाओ,’’ दूसरा गांव वाला मिन्नतें करने लगा.

‘‘हांहां, तुम को भी मिलवा ही देंगे, पर जरा कथा शुरू तो होने दो,’’ शेखी बघारने वाला लड़का शान से अकड़ा हुआ था.

शाम तक गांव के हर घर में अकरोना बाबा की ही बातें हो रही थीं और लोग अकरोना बाबा को देखने

के लिए बड़े उतावले हो रहे थे.

अगले दिन के सूरज उगने के साथ ही गांव में पानी का खर्चा अचानक से बढ़ गया था. हर घर में सभी लोगों का नहानाधोना चल रहा था, क्योंकि आज सभी को अकरोना बाबा के प्रवचन सुनने जाना था.

स्कूल के अहाते में एक तरफ 3 कारें खड़ी थीं, जो देखने में बहुत महंगी लग रही थीं.

अकरोना बाबा के आने का समय 10 बजे था, पर वे किसी बड़े नेता की तरह 12 बजे आए.

लंबी दाढ़ी, एक सफेद सा चोंगा, होंठों पर मुसकान और हाथों में सोने का ब्रैसलैट पहने हुए अकरोना बाबा का जलवा देखते ही बनता था.

बाबा ने मंच पर आते ही कहा, ‘‘भक्तजनो, आज पूरी दुनिया में कोरोना नामक बीमारी फैल रही है. लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं…पर, आप सब लोगों को इस बीमारी से डरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आप लोग मेरी शरण में आ गए हैं.

‘‘वैसे मैं बता दूं कि आप लोगों के गांव में एक चुड़ैल की प्यासी आत्मा घूम रही है. वह कभी भी किसी के सिर पर सवार हो सकती है, पर जो मेरी शरण में आएगा वह महफूज रहेगा,’’ बाबा बोले जा रहे थे और भक्त मोहित हो कर सुन रहे थे.

तभी बाबा के समर्थकों ने जयकारा लगाया, ‘‘बोलो अकरोना बाबा की जय.’’

जयकारे के साथ ही भीड़ में से एक गांव वाला निकला और मंच के पास जा कर 100 रुपए का एक नोट चढ़ा दिया.

‘‘सुनें… एक बात अच्छी तरह से समझ लें… ये बाबा सब जानते हैं और ऐसे लोग पैसे को हाथ भी नहीं लगाते. वैसे भी नोटों को छूने में इस समय हमारे देश की सरकार भी एहतियात बरतने को कह रही है, इसलिए मेरा आप लोगों से कहना है कि अगर कुछ चढ़ाना चाहें

तो वह या तो सोने की हो या चांदी की कोई चीज… कृपया रुपयापैसा चढ़ा कर स्वामीजी की बेइज्जती न करें.

उस के बाद स्वामीजी ने कोई भजन शुरू कर दिया. इस की धुन पर सभी गांव वाले मस्त हो कर नाचने लगे.

जब सब गांव वाले नाचनाच कर थक गए, तो उन सब को एकएक मास्क यह कह कर दिया गया कि यह अकरोना बाबा का प्रसाद है.

अकरोना बाबा के एक चेले ने घोषणा की, ‘‘जिन लोगों की कोई पारिवारिक, सामाजिक या आर्थिक समस्या?है, तो वे अपना समय ले लें.’’

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा आदमी हो, जिस को कोई समस्या न हो, इसलिए बाबा के शिविर में तो अपनी समस्याओं का समाधान पाने वालों

का तांता लगने लगा.

अकरोना बाबा वैसे तो सब की समस्याएं सुनते थे, पर महिला भक्तों पर कृपा थोड़ी ज्यादा ही बरसती थी.

‘‘अकरोना बाबा की जय हो,’’ एक बहुत खूबसूरत औरत ने प्रवेश किया.

‘‘कहो ठकुराइन, क्या बात है?’’ बाबा ने आंखें बंद किए हुए ही कहा.

‘‘क्या बताऊं बाबाजी, मेरे कंधों में दर्द रहता है… कोई उपाय बताइए.’’

‘‘तुम पिछले जन्म में किसी राज्य की राजकुमारी थी और तुम ने लुटेरों के चंगुल से बचने के लिए वह खजाना कहीं गाड़ दिया था… उस खजाने का बोझ अब भी तुम्हारे कंधों पर है, उसे हटाना होगा,’’ अकरोना बाबा ने कहा.

‘‘पर, कैसे बाबा?’’

‘‘हमें वह खजाना ढूंढ़ना होगा,’’ बाबा ने कहा.

‘‘पर खजाना मिलेगा कहां बाबा?’’

‘‘खजाना तुम्हारे घर में ही है… हमें वहीं आ कर खुदाई करनी होगी. और क्योंकि तुम राजकुमारी थी, इसलिए तुम्हें हमारे काम में सहयोग भी देना होगा,’’ अकरोना बाबा ने कहा.

‘‘मैं तैयार हूं बाबा,’’ ठकुराइन बोलीं.

अगले दिन सुबह ठकुराइन के घर पूजा होनी थी. अकरोना बाबा ने इसे बेहद राज रखने को कहा था, सिर्फ बाबा और उस के 2 साथी ही वहां पहुंचे थे.

‘‘भाई, हमारे साथ पूजा में सिर्फ राजकुमारी… मेरा मतलब है कि ठकुराइन ही रहेंगी. किसी को कोई एतराज तो नहीं? क्यों ठाकुर?’’ अकरोना बाबा ने उन की ओर देखते हुए कहा.

‘‘अरे नहीं… नहीं, बाबाजी… हमें कोई दिक्कत नहीं है. बस हमारी पत्नी के कंधे का दर्द दूर होना चाहिए.’’

‘‘जरूर दूर होगा,’’ बाबा ने हुंकार भरी.

पूजा शुरू हुई. उस कमरे में अकरोना बाबा ने ठकुराइन से ध्यान लगाने को कहा. ठकुराइन ने ऐसा ही किया. अकरोना बाबा एक मंत्र पढ़ रहा था कि अचानक से ठकुराइन बेहोश हो कर गिर गईं. क्योंकि आग से उठता हुआ धुआं नशीला था.

फिर क्या था, ठकुराइन के गिरते ही अकरोना बाबा अपने असली रंग में आ गया. उस ने ठकुराइन के साथ उसी बेहोशी में बलात्कार किया और उस के फोटो भी उतारे.

बेचारी ठकुराइन को जब होश आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी. वे किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थीं. और अगर बाबा की करतूत अपने पति को भी बतातीं तो भी उन की शादीशुदा जिंदगी को खतरा हो सकता था, इसलिए सब आगापीछा सोच कर वे चुप ही रहीं.

अब तक अकरोना बाबा समझ चुका था कि ठकुराइन अपना मुंह नहीं खोलेंगी, इसलिए उस ने फिर से एक नाटक खेला. कमरे का दरवाजा खोल कर ठाकुर को एक मिट्टी की हांड़ी दिखाई और बोला, ‘‘राजकुमारी ने खजाना तो सोने के घड़े में छिपाया था, पर किसी बेकुसूर को सजा देने के चलते राजकुमार को पाप मिला और राजकुमारी का वह खजाना अपनेआप मिट्टी में बदल गया… और अब कुछ नहीं हो सकता.’’

‘‘कोई बात नहीं अकरोना बाबा, आप ने इन को इतना टाइम दिया, यही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है… आप का बहुत शुक्रिया है,’’ ठाकुर ने कहा.

अब अकरोना बाबा ने गांव में भोलीभाली जनता को बेवकूफ बनाना शुरू कर दिया और जब गांव के बाकी लोगों ने जाना कि बाबा प्रवचन करने के साथसाथ समस्याएं भी सुलझाते हैं, तो अकरोना बाबा के पास लोगों की भीड़ बढ़ने लगी.

और अब तो कभी हरिया, कभी किसना, तो कभी राघव, तो कभी मंगलू जैसे लोग बाबा के पास अपनी समस्या का इलाज कराने जाने लगे.

जिस तरह से अकरोना बाबा ने ठकुराइन के साथ किया, कुछ वैसा ही वह मंगलू के घर पर करने वाला था. उस बंद कमरे में मंगलू की पत्नी के अलावा बाबा और उस के 2 चेले थे.

मंगलू और उस के परिवार की आर्थिक समस्या सही करने के लिए अकरोना बाबा मंत्र पढ़ रहा था.

मंगलू की पत्नी अभी बेहोश नहीं हुई थी और बाबा ज्यादा ही उतावला हो रहा था. अकरोना बाबा मंगलू की पत्नी की पीठ सहलाने लगा और धीरेधीरे उस के हाथ मंगलू की पत्नी के सीने की तरफ बढ़ने लगे.

मंगलू की पत्नी अकरोना बाबा की नीयत भांप गई और उस का विरोध कर के बाहर निकल आई. उस ने शोर मचा कर सब को इकट्ठा कर लिया.

वह जोरजोर से कहने लगी, ‘‘देखो…देखो यह ढोंगी बाबा… यह मेरे साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहा है… देखो देखो.’’

मंगलू की पत्नी के इस तरह चीखने पर उस का पति व आसपास के लोग जमा हो गए, वे सभी उस की बातों को सुन ही रहे थे कि अंदर के कमरे से अकरोना बाबा मुसकराते हुए बाहर निकला और बोला, ‘‘देखो गांव वालो, मैं ने तुम लोगों को तो बहुत पहले ही उस चुड़ैल की आत्मा के बारे में बता दिया था… देखो, आज उसी चुड़ैल की आत्मा इस औरत के अंदर आ गई है और हमारे पास इसे सजा देने का मौका भी है… इसे मेरे शिविर में ले चलो… हम सब मिल कर इसे सजा देंगे.’’

मंगलू की पत्नी चीखती रह गई थी, पर उस गांव में भला उस की सुनने वाला कौन था. गांव के लोग तो उसे चुड़ैल समझ कर मारने पर आमादा थे.

अब मंगलू की पत्नी अकरोना बाबा के चंगुल में थी.

अकरोना बाबा आया और बोला ‘‘क्या फायदा मिला तुझे… देख लिया न, तेरे ही लोग तुझे यहां छोड़ कर गए हैं मेरे लिए… अगर तू चुपचाप रहती तो इतना नाटक नहीं करना पड़ता… तू भी खुश रहती और मैं भी खुश रहता… अब अपनी नासमझी का अंजाम भुगत.’’

और उस के बाद अकरोना बाबा और उस के चेलों ने जी भर कर उस के जिस्म से कई दिनों तक अपनी प्यास बुझाई.

अकरोना बाबा का परदा सब गांव वालों की आंखों पर पड़ चुका था. बाबा औरतों और लड़कियों के जिस्म से तो खेलता ही था, उन के पैसे भी मार रहा था.

धीरेधीरे अकरोना बाबा ने पूरे गांव पर अपने छोटेमोटे चमत्कार या हाथ की सफाई दिखा कर गांव वालों के मन में जगह बना ली थी और गांव वाले उसे पूजने लगे थे.

बाबा की नजर जिस लड़की या औरत पर पड़ जाती, उसे वह किसी पूजा या अनुष्ठान के बहाने अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश करता और अगर वह विरोध करती तो उसे प्यासी चुड़ैल बता कर अपनी हवस का शिकार भी बनाता.

गांव की कुछ औरतों ने जोरजुल्म सहने के बाद भी जब इस बाबा की पोल खोलने की कोशिश की तो अकरोना बाबा ने गांव वालों को बताया कि ये प्यासी चुड़ैल हैं और अगर इन्हें मारा नहीं गया तो ये गांव वालों के बच्चों को ही खाने लगेंगी, इसलिए बहुत सी औरतों को तो गांव के कुछ दबंग, ऊंची जाति और पैसे वाले लोगों ने पेड़ के तने से बांध कर मारा, इतना मारा जब तक कि वे मर नहीं गईं.

एक दिन की बात है. अकरोना बाबा के पास एक जोड़ा आया और चांदी की भेंट चढ़ाई.

‘‘बाबा के चरणों में हमारा प्रणाम.’’

‘‘हां… कल्याण हो तुम लोगों का… पर देखने में तुम लोग तो इस गांव के नहीं लगते,’’ अकरोना बाबा बोला.

‘‘बाबाजी ने सही पहचाना, हम लोग पास के गांव से आए हैं और हमारी समस्या यह है कि मेरी बीवी को बच्चा नहीं ठहरता और इसीलिए हम शादी के कई साल बाद भी बेऔलाद हैं.’’

उस आदमी ने हाथ जोड़ कर अकरोना बाबा से विनती की.

बाबा ने औरत की नब्ज टटोली. थोड़ी देर मौन रहने के बाद वह बोला, ‘‘खेत में खाली हल चलाने से फसल अच्छी नहीं होती… बीज अच्छा हो तो ही अच्छी फसल मिलती है…

‘‘और तुम्हारे माथे की रेखाएं बता रही हैं कि तुम ने पिछले जन्म में किसी बच्चे को मारा है, इसीलिए उस जन्म की सजा तुम्हें इस जन्म में मिल रही?है.

‘‘चलो, कोई बात नहीं है, अब तुम सही जगह पर आ गए हो. अब तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे…

‘‘हां, पर हमें संतान प्राप्ति तंत्रमंत्र करना होगा और हो सकता है कि उस बच्चे की आत्मा तुम्हारे पति पर आ जाए, तो होशियार रहना… घबराना बिलकुल मत. और हमारा अनुष्ठान आज रात को ही शुरू हो जाएगा.’’

वे औरतों के आश्रम में ही रुक गए थे. बाबा की तरह उन्हें भी शाम होने का बेसब्री से इंतजार था.

शाम हुई, तो उस जोड़े को एक कमरे में ले जाया गया. वहां अकरोना बाबा सिर्फ एक लंगोटी बांधे आंखें बंद किए बैठा था.

‘‘इस अनुष्ठान में सिर्फ औरत ही बैठेगी… मर्द को बाहर जाना होगा,’’ अकरोना बाबा ने कहा और उस की आज्ञा मान कर उस औरत के साथ आया आदमी बाहर आ कर बैठ गया.

अकरोना बाबा ने अनुष्ठान शुरू किया और पता नहीं क्या बुदबुदाने लग गया.

कुछ देर बाद अकरोना बाबा ने उस आई हुई औरत का हाथ पकड़ लिया. औरत ने कोई विरोध नहीं किया.

‘‘बाबाजी, मुझे आप के बारे में सब पता है. दरअसल, मेरी एक सहेली भी आप से यही वाला अनुष्ठान कराने आई थी और इसी तरह आप ने उसे बच्चा पैदा करने वाली कृपा की थी और जिस का मजा मेरी सहेली को भी आया था, इसलिए मेरे साथ आप को कोई नाटक करने की जरूरत नहीं है.’’

‘‘अरे वाह, तुम तो बहुत समझदार निकली, तो फिर आओ हम आराम से बिस्तर पर लेट कर जिस्मानी मजा लेते हैं,’’ बाबा ने कहा.

‘‘जिस्मानी मजा, पर वह क्यों?’’ उस औरत ने पूछा.

‘‘अरे, अभी तो तुम ने ही कहा था कि तुम मेरा तरीका जानती हो. तब तो तुम यह भी जानती होगी कि मैं औरत के साथ जबरन जिस्मानी रिश्ता बनाता हूं. अगर वे नानुकुर करती हैं तो मैं उन को चुड़ैल की आत्मा घोषित कर देता हूं. और फिर मुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती, बाकी का काम उस के गांव वाले खुद ही कर डालते हैं…’’ हंसने लगा था अकरोना बाबा, क्योंकि उस ने अपना राज खुद ही खोल दिया था.

‘‘बस, अब तेरा खेल खत्म हुआ… अकरोना बाबा,’’ उस औरत ने अपने बैग से पिस्तौल निकालते हुए कहा.

‘‘क्या मतलब? कौन हो तुम?’’

‘‘मैं एक पुलिस इंस्पैक्टर हूं…’’

‘‘और यह मेरी साथी है,’’ बाहर बैठा हुआ वह आदमी अंदर आते हुए बोला.

‘‘हां तो तुम पुलिस हो… तो मैं क्या करूं… मैं ने किया क्या है,’’ अकरोना बाबा ने कहा.

‘‘औरतों के रेप के आरोप में हम तुम्हें गिरफ्तार करते हैं. हमें कई बार तुम्हारे खिलाफ गुमनाम फोन द्वारा शिकायतें मिल रही थीं, पर सुबूत की कमी में हम कुछ कर नहीं पा रहे थे और इसीलिए हम ने यह प्लान बनाया.

‘‘और हम ने तुम्हारी इस दाढ़ी के पीछे छिपे चेहरे को भी पहचान लिया है. तुम एक शातिर ठग विजय हो जो जेल से भाग कर अपना वेश बदल

कर यह काम करने लगा था,’’ इंस्पैक्टर ने कहा.

‘‘पर, सुबूत क्या है तुम लोगों के पास?’’ अकरोना बाबा चीख रहा था.

‘‘सारा सुबूत इस के अंदर है,’’ उस महिला इंस्पैक्टर ने अपने बैग में छिपा एक खुफिया कैमरा दिखाते हुए कहा.

‘‘और मेरे उकसाने पर तुम ने खुद ही अपनी सारी बातें मुंह से उगली है, अब बाकी की जिंदगी जेल में कैदियों का कोरोना भगाने में लगाना,’’ महिला इंस्पैक्टर ने अकरोना बाबा को हथकड़ी पहनाते हुए कहा.

और इस तरह से एक ठग, जो अकरोना बाबा बना फिरता था, पहुंच गया सलाखों के पीछे. सही कहा गया है कि बुरे काम का बुरा नतीजा.

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