Bahujan Samaj Party : मायावती को कांशीराम की राजनीतिक धरोहर बहुजन समाज पार्टी जिस ऊंचाई पर ले जानी चाहिए, अगर उस के बजाय पार्टी अंधेरे गड्ढे में चली जा रही है, तो यह चिंता की बात है. मायावती बारबार ऐसे फैसले ले रही हैं, जिन से बहुजन समाज पार्टी कमजोर होती चली जा रही है. याद कीजिए, बसपा के निर्माता कांशीराम के समय के दिन, जब बसपा ने लीक से ह टकर राजनीति के क्षेत्र में अपना परचम लहराया था. वह परचम अब पुराना होता दिख रहा है, जिस की चमक बहुत ज्यादा फीकी हो गई है.

अब जब बहुजन समाज पार्टी को नई दिशा देने की कोशिश में जुटे आकाश आनंद को मायावती ने बाहर का रास्ता दिखाया है, तो एक बार फिर सवाल उठ गया है कि क्या मायावती का मकसद बसपा को पूरी तरह तबाह कर देना है?

दरअसल, आकाश आनंद ने अपने एक संबोधन में मायावती के कुछ करीबियों पर पार्टी के हित का ध्यान न रखने का आरोप लगाया था. यह बात बसपा सुप्रीमो मायावती को पसंद नहीं आई और पाटी को लगातार मिल रही हार की बौखलाहट भी आकाश आनंद के बाहर होने की अहम वजह बन गई. परिवारवाद के खिलाफ बोलने वाली मायावती आखिरकार खुद भी उसी राह पर चल पड़ी थीं. यह उन की सब से बड़ी गलती थी. अगर कांशीराम चाहते तो वे भी अपने किसी भाईभतीजे को बसपा सौंप सकते थे, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और भारतीय राजनीति में ऐसा काम किया, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता.

लेकिन कुछ समय पहले मायावती ने पहले तो अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर खांटी बसपाइयों को भीतर ही भीतर नाराज कर दिया, फिर हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरीखे राज्यों में हुए चुनाव की सारी जिम्मेदारी आकाश आनंद को सौंपी. आकाश
आनंद इन राज्यों में बसपा को दोबारा मुख्याधारा में लाने के लिए खासी मेहनत करते दिखाई दिए और एक दफा उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, ‘हमारे कुछ पदाधिकारी पाटी को फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान पहुंचा रहे हैं. गलत लोग गलत जगह पर बैठे हैं, जिस से पार्टी को नुकसान हो रहा है. यह चीज मैं ने भी महसूस की. मुझे भी काम करने में बहुत दिक्कत आ रही है. कुछ लोग हमें भी काम नहीं करने दे रहे हैं. कुछ लोग ऐसे बैठे हैं जिन को अभी हम छेड़ नहीं सकते. जिन को हम हिला नहीं सकते. जिस तरह से पार्टी चल रही है, उस में काफी कमियां हैं.’

दरअसल, आकाश आनंद ने जिस तरह खुल कर पार्टी की खामियों के बारे में कार्यकर्ताओं से मंच से बात की, वह बड़ेबड़े नेताओं को पसंद नहीं आ रही थी. उन्हें लग रहा था कि आने वाले समय में उन की कुरसी खतरे में है. इस से पार्टी के बड़े नेताओं के बीच आकाश आनंद को ले कर विरोध के स्वर उठने लगे. नतीजतन, मायावती ने वही किया जो उन के आसपास बैठे लोगों ने उन्हें बताया और मजबूर कर दिया. आकाश आनंद को पार्टी से बाहर करने की वजह भी यही बनी.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद को जिम्मेदारी सौंपी थी कि वे नौजवानों को बसपा के साथ जोड़ें, पर लगता है कि मायावती को अपने भतीजे के काम करने का तरीका पसंद नहीं आया.

अगर मायावती को बहुजन समाज पार्टी को सचमुच कांशीराम के पदचिह्नों पर आगे ले जाना है, तो आनंद प्रकाश जैसे लोगों को अहमियत देनी ही पड़ेगी. यह नहीं भूलना चाहिए कि बसपा का जो असर बहुजन समाज पर था, आज वह धीरेधीरे अगर कमजोर हो जा रहा है, तो उस की बड़ी वजह मायावती के काम करने के तरीके हैं.

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