Story In Hindi: सरहद पर पहुंचते ही सरगना ने कहा, ‘‘देखो, तुम सब घुसपैठिए हो. सामने हिंदुस्तान नाम की बहुत बड़ी सराय है. एक बार किसी तरह सीमा सुरक्षा बल से बच कर दाखिल हो जाएं, उस के बाद उस भीड़ भरे देश में कहीं भी समा जाओ. शासन और प्रशासन भ्रष्ट हैं ही. पैसा फेंको और अपने सारे कागजात बनवा लो.
राशनकार्ड, वोटरकार्ड और इस देश की नागरिकता हासिल.’’
एक घुसपैठिए ने पूछा, ‘‘आप तो कह रहे थे कि सरहद पार करवाने के लिए भारतीय सेना में हमारे कुछ मददगार हैं?’’
सरगना बोला, ‘‘हां हैं, लेकिन अभी उन की ड्यूटी नहीं है. मुझे दूसरी घुसपैठिया खेप भी भेजनी है. बहुत ज्यादा लोगों को एकसाथ नहीं भेज सकते. मेरा रोज का काम है. हर पड़ोसी देश से घुसपैठिए घुसते हैं.
कभी मीडिया वाले ज्यादा हल्ला मचाते हैं, तो कुछ सख्ती हो जाती है.’’
‘‘लेकिन अगर हम पकड़े गए तो?’’ घुसपैठिए ने पूछा.
‘‘कुछ नहीं होगा. तुम्हें वापस भेज दिया जाएगा. वैसे ऐसा होगा नहीं. कब, किस समय सरहद पार करनी है, मुझे सारी जानकारी है. एक बार घुस गए तो बात खत्म.
‘‘हां, अगर वहां पहुंच कर पहचानपत्र बनवाने में कोई समस्या हो तो फोन करना. अपने एजेंट हैं. सब हो जाएगा. चिंता करने की जरूरत नहीं.’’
यह नजारा भारतबंगलादेश की सरहद का है. यह नजारा भारत और पाकिस्तान की सरहद का भी हो सकता है. भारतश्रीलंका, भारतनेपाल की सरहद का भी. नेपालियों को तो वैसे भी खुली छूट है. इस देश में कोई भी कहीं से भी आ कर बस सकता है. घुसपैठिया बन कर घुसता है, फिर मूल निवासी बन कर अपने लोगों को बुलाता है, बसाता है और बसनेबसाने का यह सिलसिला लगातार जारी रहता है.
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