Snake Rescuers: गांवदेहात में बारिश के दिनों में सांप का अपने बिल से बाहर आना कोई नई बात नहीं है. खेतखलिहानों में भी वे मेढ़क, पक्षियों के अंडों और चूहों के लालच में किसानों को दिख ही जाते हैं. आमतौर पर किसान उन की अनदेखी कर देते हैं और घरों में भी लोग उन्हें मारने का पाप अपने सिर नहीं लेने देना चाहते हैं. पर ज्यादा परेशान होने पर वे ‘सर्प मित्र’ को बुला लेते हैं, जो पेशेवर होते हैं और सांप पकड़ कर उन्हें जंगल में छोड़ देते हैं.

ये ‘सर्प मित्र’ अपने काम में माहिर होते हैं और जहरीले से जहरीले सांप को पकड़ने का हुनर रखते हैं. पर पिछले कुछ समय से सांप पकड़ने के दौरान ऐसे ‘सर्प मित्रों’ की सांप के काटने से हुई मौतों की खबरें बहुत आने लगी हैं.

बिहार के वैशाली जिले में सांपों की जिंदगी बचाने वाले ‘सर्प मित्र’ के रूप में मशहूर जेपी यादव की मौत हो गई. जेपी यादव को 6 जुलाई, 2025 को एक जहरीले सांप ने डंस लिया था.

बताया जाता है कि जेपी यादव सांपों को बचाने का काम लंबे समय से कर रहे थे. जहां भी सांप निकलता, तो लोग उन्हें फोन कर के बुला लेते थे. वे सांप को पकड़ कर जंगल में ले जा कर छोड़ देते थे.

इस से पहले बिहार में ही समस्तीपुर जिले की हरपुर भिंडी पंचायत के बाशिंदे जय कुमार सहनी की भी सांप के काटने से मौत हो गई थी. उन्हें ‘स्नेकमैन’ के नाम से जाना जाता था. उन्होंने तकरीबन 2,000 सांपों की जान बचाई थी.

सांपों को अपना दोस्त मानने वाले जय कुमार सहनी बिना डंडे के ही उन्हें पकड़ते और कई बार चूमते भी थे.

भारत में सांप के डंसने से होनी वाली मौत के आंकड़े बेहद डरावने हैं. हर साल तकरीबन 60,000 लोग सांप के डंसने की वजह से अपनी जान गंवा बैठते हैं. दुनिया के लिहाज से बात करें, तो यह तादाद 50 लाख से भी ज्यादा है.

किसी आम आदमी को सांप काट ले और वह डाक्टरी इलाज मिलने से पहले ही दम तोड़ दे, यह बात तो समझ में आती है, पर जब कोई सांप पकड़ने में माहिर ‘सर्प मित्र’ ही सांप का शिकार हो जाता है, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्यों ‘सर्प मित्र’ मौत के मुंह में जा रहे हैं?

इस की जड़ में सोशल मीडिया पर फेमस होने की हुड़क ज्यादा लगती है. ऐसा नहीं है कि पहले जब कोई ‘सर्प मित्र’ किसी सांप को पकड़ने जाता था, तब वहां मजमा नहीं लगता था. लोग कौतूहलवश देखते थे कि कोई सांप को अपने बस में कैसे करता है. पर तब ‘सर्प मित्र’ अपने काम को ले कर बड़े फोकस होते थे. वे लोगों की भीड़ को नजरअंदाज कर के अपने काम पर ध्यान देते थे.

पर अब जब से रील बनने लगी हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट हो जाती हैं, तब से खतरनाक काम करने वाले लोग जैसे अपना फोकस खोने लगे हैं. उन का सांप पकड़ने से ज्यादा इस बात पर ध्यान रहता है कि वे ऐसा क्या करें, जो एकदम से सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए.

उत्तर प्रदेश में ‘मुरली वाले हौसला’ नाम के एक यूट्यूबर ‘सर्प मित्र’ को भी हाल ही में एक कोबरा ने काटा था. हालांकि, इलाज के बाद उन की जान बच गई. ‘मुरली वाले हौसला’ हर सांप के रैस्क्यू का वीडियो भी रिकौर्ड करते हैं और उसे अपने यूट्यूबर चैनल पर अपलोड करते हैं.

इसी तरह जय कुमार सहनी सांपों को अपना दोस्त मानते थे. उन का आत्मविश्वास इस कदर बढ़ गया था कि वे बिना किसी सिक्योरिटी के सांपों को न सिर्फ हाथों से पकड़ते थे, बल्कि उन्हें चूमते भी थे.

सवाल उठता है कि इस तरह करतब दिखाने की जरूरत ही क्या है? सांप पकड़ना कोई बच्चों का खेल नहीं है. इस में जान जाने का जोखिम होता है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर वाहवाही लूटने के जोश में बहुत से ‘सर्प मित्र’ सांप के सामने होश खोने की हिमाकत कर देते हैं और यही गलती उन के लिए जानलेवा साबित होती है. Snake Rescuers

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