Superstitious Crime: राजस्थान के अलवर जिले के एक गांव सरायकला से 19 जुलाई, 2025 को 6 साल के बच्चे लोकेश के गायब होने की सूचना पुलिस को मिली. पुलिस अगलबगल के गांवों से लोकेश को खोजते हुए उसी के गांव में बने एक खंडहरनुमा मकान में पहुंची, जहां चारे के ढेर में उस की लाश बरामद हुई.
पुलिस ने शक जाहिर किया कि लोकेश की हत्या तंत्रमंत्र के नाम पर बलि दे कर की गई है, क्योंकि उस का गला काटा गया था और शरीर पर सिरिंज के कई निशान थे. पुलिस का कहना था कि हत्यारों ने खून निकाल कर काला जादू करना चाहा होगा.
पुलिस ने जब लोकेश के घर वालों से किसी पर शक होने की बात पूछी, तो लोकेश की मां ने उस के चाचा मनोज कुमार पर शक जाहिर किया, क्योंकि उस की बीवी कुछ समय पहले झगड़े के बाद मायके चली गई थी. उसे वापस लाने के लिए सुनील कुमार नाम के एक तांत्रिक के पास मनोज जाता था.
मुंडावर के थाना प्रभारी महावीर सिंह ने बताया कि मनोज कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. पहले तो वह अपने बयान में कई झूठ बोला, लेकिन आखिरकार उस ने सच उगल दिया.
मनोज कुमार ने बताया कि उस ने पत्नी को वापस लाने के लिए तांत्रिक सुनील कुमार से मदद मांगी थी. तांत्रिक के कहे मुताबिक मनोज अपने भतीजे लोकेश को टौफी दिलाने के बहाने घर से ले गया, फिर उसे गांव की एक टूटीफूटी इमारत में ले जा कर गला घोंट दिया. उस ने सिरिंज से बच्चे का खून निकालने
की कोशिश की और लाश को भूसे में छिपा दिया, ताकि बाद में कलेजा निकाल सके.
पुलिसिया जांच के दौरान मनोज कुमार ने बताया कि इस के लिए तांत्रिक सुनील कुमार ने 12,000 रुपए और एक बच्चे का खून और कलेजा मांगा था, ताकि जादूटोना कर के बीवी को काबू में किया जा सके.
इसी तरह की एक वारदात उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भलुअनी थाना क्षेत्र में पटखौली गांव से सामने आई, जहां तंत्रमंत्र के चक्कर में 9 साल के एक बच्चे आरुष का अपहरण कर हत्या करने का पुलिस ने खुलासा किया.
इस घटना में पुलिस की छानबीन में जो बात सामने आई, उस में यह पता चला कि 17 अप्रैल, 2025 को आरुष के लापता होने की सूचना पुलिस को दी गई थी. घर वालों ने बताया कि आरुष 16 अप्रैल, 2025 की शाम को घर के बाहर खेल रहा था, तब से वह गायब है.
पुलिस ने इस मामले में छानबीन शुरू की, लेकिन धीरेधीरे आरुष को गायब हुए 3 महीने बीत गए. तभी पुलिस को किसी ने सूचना दी कि आरुष का सगा फूफा इंद्रजीत अकसर तांत्रिकों के पास जाया करता था.
इस सूचना के बाद पुलिस ने आयुष के फूफा इंद्रजीत समेत 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया. जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, तो उस ने बच्चे की हत्या करने की बात कबूल कर ली.
इंद्रजीत ने पुलिस को बताया कि उस की शादी दिसंबर, 2024 में आरुष की बूआ से हुई थी. शादी के बाद ससुराल पक्ष ने उस पर देवी का साया बता कर झाड़फूंक कराना शुरू किया.
झाड़फूंक करने वाले इंद्रजीत के मामा जयप्रकाश ने देवी को शांत कराने के लिए नरबलि की सलाह दी थी. इस के बाद इंद्रजीत ने गोरखपुर के बड़हलगंज क्षेत्र के सिधुआपार के रहने वाले अपने साढ़ू रमाशंकर उर्फ शंकर से बलि की खातिर बच्चे का इंतजाम करने के लिए 50,000 रुपए में सौदा किया.
इंद्रजीत और रमाशंकर ने जयप्रकाश के साथ मिल कर अगवा किए गए आरुष को 19 अप्रैल, 2025 को कोतवाली क्षेत्र के पिपरा चंद्रभान गांव के एक बगीचे में ले जा कर चाकू से गला रेत कर मार डाला और लाश को दफना दिया. लेकिन बाद में लाश निकाल कर उसे बोरे में भर कर सरयू नदी में फेंक दिया.
इसी तरह की एक घटना बीते साल 27 नवंबर को भी हुई थी. उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भटनी थाना क्षेत्र के बेहरा डाबर गांव में अनुष्का अपनी दादी के साथ एक शादी समारोह में शामिल होने आई थी. लेकिन वह वहीं से गायब हो गई.
छानबीन के दौरान पुलिस को गांव के बाहर अनुष्का की अधनंगी लाश मिली. हत्यारों ने न केवल अनुष्का का गला काट दिया था, बल्कि उस के शरीर में 5 जगह और भी कट के निशान थे.
पुलिस ने जब अगलबगल छानबीन की तो थोड़ी दूर पर उन्हें खून से सना एक बनियान, शाल और गमछा मिला.
पुलिस ने मौके पर मिले सुबूतों को गांव वालों को दिखा कर अपराधियों की पहचान करने की कोशिश की तो गांव वालों में से कुछ लोगों ने बताया कि ये कपड़े मारी गई बच्ची के पिता के मामा के हैं.
इन सुबूतों के आधार पर पुलिस ने हत्या के आरोपी शेषनाथ और उस की पत्नी सविता को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो दोनों आरोपी टूट गए. उन्होंने बताया कि उन के 22 साल के बेटे संजय की दिमागी हालत बहुत ही खराब थी.
एक दिन सविता को सपने में देवी मां ने बताया कि अगर वे लोग एक नाबालिग बच्ची के शरीर से 5 जगह से खून निकाल कर तंत्र साधना से पूजापाठ करेंगे तो संजय ठीक हो जाएगा. यानी एक इनसान को ठीक करने के लिए दूसरे इनसान की बलि देनी पड़ेगी.
इस मामले में भटनी पुलिस ने मारी गई बच्ची के पिता के मामामामी को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. दोनों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल चाकू और खून से सने हुए कपड़े को भी बरामद कर लिया गया.
वजह जान कर हो जाएंगे हैरान
अंधविश्वास के खात्मे को ले कर मुहिम चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता विशाल पांडेय का कहना है कि तंत्रमंत्र और भूतप्रेत में विश्वास करने वाले ज्यादातर मानसिक रोगी होते हैं. इस के अलावा कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बच्चा न होना, नौकरी न लगना, प्रेमीप्रेमिका का रूठ जाना, गड़े हुए धन को पाने का सपने देखना, पतिपत्नी में अनबन का शिकार होने जैसी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं.
ढोंगी तांत्रिक इसी का फायदा उठा कर मानसिक रूप से परेशान लोगों के दिमाग में यह भर देते हैं कि यह सब ऊपरी साए का कियाकराया है. जब लोग पूरी तरह से उस ढोंगी तांत्रिक के वश में हो जाते हैं तब वे बलि और हत्या जैसे अपराधों के लिए उकसाते हैं.
कौन होते हैं तांत्रिक
अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक कर रहे डाक्टर नवीन सिंह का कहना है कि जो लोग खुद के चमत्कारी होने का दावा करते हैं, वे या तो बेहद शातिर किस्म के होते हैं या अपराधी और नशेड़ी.
ये लोग पुलिस से बचने और अपने नशे की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह का रास्ता अख्तियार करते हैं, पढ़ेलिखे भी अंधविश्वासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत द्विवेदी का कहना है कि झाड़फूंक और तंत्रमंत्र की शिकार केवल कम पढ़ीलिखी आबादी ही नहीं है, बल्कि ऊंची पढ़ाई करने वाले लोग भी इस की जंजीरों से जकड़े हुए हैं.
देश का सब से साक्षर माना जाने वाला राज्य है केरल. यहीं के पथानामथिट्टा जिले से साल 2022 में नरबलि का एक मामला सामने आया था. मिली जानकारी के मुताबिक पथानामथिट्टा के तिरुवल्ला में रहने वाले डाक्टर दंपती ने 2 औरतों की बलि इसलिए दे दी थी कि इस के बाद घर में पैसों की बारिश होगी.
पद्मा और रोजली नाम की 2 औरतें 2 दिन के अंतराल में लापता हुई थीं. जब पुलिस ने छानबीन शुरू की तो नरबलि की बात सामने आई.
पुलिस ने शक के आधार पर डाक्टर दंपती भगवल सिंह और उन की पत्नी लैला समेत सहयोगी मोहम्मद शफी उर्फ रशीद को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की.
पहले तो वे अनजान बनते रहे, लेकिन बाद में वह टूट गए और उन्होंने दोनों औरतों की बलि चढ़ाए जाने की बात मान ली.
इन आरोपियों नें बताया कि उन्होंने दोनों औरतों को मारने के बाद उन का मांस खाया, पूरे घर में खून छिड़का. उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उन्हें यकीन था कि ऐसा करने से उन के घर पैसे की बरसात होगी और वे जवान और सुंदर दिखेंगे.
इस के बाद बचे हुए शरीर को घर के बगीचे में गाड़ दिया गया. पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर उन औरतों की लाश के 61 हिस्से बरामद किए.
बेअसर है कानून
कानूनी मामलों के जानकार राममूर्ति मिश्र का कहना है कि भारत के इन राज्यों बिहार, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, असम, छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने अंधविश्वास और जादूटोने से संबंधित मामलों से निबटने के लिए कानून बनाए हैं.
इन सभी राज्यों में अलगअलग सजा का प्रावधान किया गया है, पर खास बात यह है कि इन राज्यों के कानून में काला जादू या अंधविश्वास का मतलब परिभाषित नहीं किया गया है, इसीलिए इन राज्यों में पाखंड और अंधविश्वास के चलते मासूमों की बलि चढ़ती रहती है. Superstitious Crime