Honour Killing: आंचल सक्षम की लाश के पास जा बैठी और और उस के खून से अपनी मांग भर ली. शरीर पर हलदी लगाई, दुलहन की तरह घूंघट किया और ऐलान कर दिया कि ‘आज से मैं इस घर की बहू हूं’.

20 साला सांवलीसलोनी आंचल मामिलवाड निहायत ही नाजुक, मासूम और खूबसूरत लड़की थी, जिसे देख कर लगता है कि खुद एआई ने फुरसत में उसे अपने टूल्स से गढ़ा है. महाराष्ट्र के नांदेड़ की रहने वाली आंचल का गुनाह इतना भर था कि हिंदू होते हुए भी उसे एक ऐसे 21 साला लड़के सक्षम ताते से इश्क हो गया था, जो बौद्ध धर्म को मानने वाला था.

बौद्ध धर्म यानी वह धर्म जो हिंदू धर्म में पसरे जातपांत, जातिगत भेदभाव, ब्राह्मणों के कर्मकांडों, धर्म की बिना पर शोषण और खासतौर से छुआछूत के खिलाफ गौतम बुद्ध ने खड़ा किया था, जिस के मानने वालों की तादाद आज करोड़ों में है.

इन करोड़ों में ज्यादातर एससी जातियों के लोग हैं, जिन्होंने धार्मिक घुटन और शोषण से छुटकारा पाने के लिए बौद्ध धर्म की राह पकड़ी.

इन्हीं करोड़ों में से एक था नांदेड़ का ही रहने वाला नौजवान सक्षम ताते जो उन वंचितों में से एक था, जिन के घर राम, कृष्ण या शंकर की नहीं, बल्कि बुद्ध, भीमराव अंबेडकर और ज्योतिबा फुले जैसी हस्तियों की तसवीरें टंगी रहती थीं.

जिन के घर रामायण या गीता नहीं, बल्कि संविधान नाम की वह किताब रहती थी, जिस ने पहली दफा आदमी को आदमी होने का कानूनी हक दिया था और धार्मिक जकड़न से आजादी दिलाई थी. लेकिन आजादी के इतने सालों बाद भी समाज कितनी शिद्दत से धार्मिक बंदिशों में जकड़ा हुआ है, यह आंचल और सक्षम की लव स्टोरी से पता चलता है.

2022 ए लव स्टोरी

आंचल और सक्षम दोनों मामूली खातेपीते घरों के थे, जिन्हें कोई 3 साल पहले इश्क हो गया था. अपने प्यार को उन्होंने जितना मुमकिन हो सका छिपा कर रखा, क्योंकि दोनों को इस बात का एहसास था कि आंचल के घर वाले आसानी से तो क्या मुश्किल से भी उन की शादी के लिए तैयार नहीं होंगे, इसलिए वे समझदार और जागरूक प्रेमियों की तरह पहले अपना कैरियर बनाने की सोच रहे थे.

आंचल बीएससी फर्स्ट ईयर की स्टूडैंट थी, जिस का सपना आईएएस अफसर बन जाने का था. इस काम में सक्षम उस की पूरी मदद भी कर रहा था और उस का उत्साह भी बढ़ाता रहता था.

हालांकि, सक्षम खुद ज्यादा पढ़लिख नहीं पाया था. वजह थी बुरी संगत. पैसा कमाने के लिए वह छोटेमोटे जुर्म करने लगा था और इस काम में उस के सहयोगी आंचल के दोनों भाई और पिता थे. इस नाते उसे आंचल के घर आनेजाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती थी.

लेकिन घर वालों के सामने मिलते वक्त वे दोनों यह एहतियात बरतते थे कि जबान पर दिल की बात न आने पाए. अपनी फीलिंग्स शेयर करने के लिए दोनों दुनियाभर के प्रेमियों की तरह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते थे.

गलत नहीं कहा जाता कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. यही इन दोनों के साथ हुआ.

जब आंचल के घर वालों को इस का पता चला तो उन्होंने धूर्तता से काम लेते हुए आंचल को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वह सक्षम के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखा दे.

आंचल चूंकि उस वक्त नाबालिग थी, इसलिए वह पिता और भाइयों की जज्बाती बातों, जो एक तरह से इमोशनल ब्लैकमेलिंग थी, में आ कर तैयार हो गई.

मामला थाने से होता हुआ कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन इस दौरान आंचल बालिग हो गई और उसे इस बात का भी एहसास हो गया कि वह वाकई में सक्षम से सच्चा प्यार करने लगी है, इसलिए उस ने अदालत में बयान बदल दिए, जिस से सक्षम बरी हो गया.

लेकिन जाति, समाज और धर्म की अदालत के कहर से तो अच्छेअच्छे नहीं बच सके, तो इन दोनों की बिसात क्या थी, जिन्हें यह तो एहसास था कि ये दुनिया उन्हें मिलने नहीं देगी, लेकिन इस हकीकत से वे मुंह मोड़े रहते हैं कि इस के लिए वह ऐसेऐसे हथकंडे अपनाती है कि खुद को स्मार्ट समझने वाले प्रेमी अगर सीधे तरीके से रास्ते पर न आएं, तो उन्हें या उन में से किसी एक को ऊपर का टिकट कटा देने से भी नहीं हिचकते.

ये वे लोग हैं जिन्हें अपनी औलाद से ज्यादा प्यारे वे उसूल होते हैं, जिन्हें अपनी आजादी और इच्छाओं से ज्यादा आजिज धार्मिक गुलामी होती है और जिन की बुनियाद ही इस शर्त पर रखी गई है कि कोई अपनी मरजी से प्यार और शादी न करे, नहीं तो इन की तो दुकानें ही बंद हो जाएंगी.

तो एक दिन 27 नवंबर, 2025 की शाम सक्षम की हत्या हो गई यानी एक और औनर किलिंग हो गई (इस विषय पर सरस सलिल के नवंबर, द्वितीय अंक में एक कवर स्टोरी औनर किलिंग पर प्रकाशित की गई है, जिस में औनर किलिंग से ताल्लुक रखते तमाम पहलुओं पर बारीकी से जानकारी दी गई है. यह अंक सभी को खासतौर से नौजवानों को तो जरूर पढ़ना चाहिए कि इस पत्रिका ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ आवाज उठाई है).

हत्यारे भी कोई और नहीं, बल्कि आंचल के भाई हिमेश, साहिल और पिता गजानन मामिलवाड और उन के गिरोह के कुछ सदस्य थे. 27 नवंबर को इन्होंने रेकी करते हुए सक्षम का रास्ता रोका और और उसे गोली मार दी. कहीं गोली खा कर भी वह जिंदा न बच जाए, इस तसल्ली के लिए उस के सिर पर भारी पत्थर पटक दिया.

हल्ला मचा तो पुलिस हरकत में आई और चंद घंटों में ही आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन बकौल आंचल इन्हीं पुलिस वालों में से 2 ने उस के भाइयों को यह कहा था कि बारबार रिपोर्ट लिखाने से तो अच्छा है कि तुम सक्षम को मार ही डालो.

दरअसल, में हत्या वाले दिन ही दोनों भाई आंचल को थाने ले गए थे और उस पर दबाव बना रहे थे कि वह सक्षम के खिलाफ एक बार और रिपोर्ट लिखा दे, लेकिन प्यार में पड़ी आंचल ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था.

तय है कि तब आंचल को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि ये लोग उस के आशिक का काम ही तमाम कर देंगे.

आशिक की लाश से शादी

जैसे ही औनर किलिंग की इस घटना की खबर आम हुई, तो नांदेड़ समेत पूरे महाराष्ट्र में इस का हल्ला मच गया. आंचल पर तो मानो पहाड़ टूट पड़ा था, जो एक तरह से शादी के पहले ही भाइयों और पिता द्वारा विधवा बना दी गई थी.

काफी देर सकते की सी हालत में रहने के बाद उस ने जो फैसला लिया, उस ने वाकई प्यार करने वालों और प्यार की राह में अड़ंगा डालने वालों के सामने एक मिसाल कायम कर दी. लव स्टोरी का ऐसा क्लाइमैक्स किसी ने न तो देखा था और न ही सुना था.

आंचल सीधे सक्षम के घर गई और उस की लाश देख कर फूटफूट कर रो पड़ी. यह उस के प्रेमी की ही नहीं, बल्कि सपनों और अरमानों की भी लाश थी.

जितने सपने उस ने आने वाली जिंदगी, घरगृहस्थी और कैरियर को ले कर सजाए थे, वे सब एक झटके में इज्जत के पैरोकारों ने अपनी झूठी शान के लिए खाक में मिला दिए थे.

उसे अब याद आ रहा था कि जब पिता के यह कहने पर कि सक्षम छोटी जाति का है उस से तुम्हारी शादी नहीं हो सकती तो वह चौंक गई थी कि हमारे सपनों और जिंदगी का जाति और धर्म से क्या ताल्लुक?

सक्षम ‘जय रामजी’ की बजाय ‘जय भीम’ बोलता है, तो इस से घर वालों और दूसरे हिंदुओं को दिक्कत क्या और फिर खुद वह और उस के घर वाले ओबीसी कैटेगिरी में आते हैं, उन्हें भी ऊंची जाति वाले हिंदू हिकारत से ही देखते हैं. इस के बाद भी उस के और अपने प्यार की खातिर सक्षम बौद्ध धर्म छोड़ कर हिंदू धर्म अपनाने के लिए राजी हो गया था, लेकिन इन दरिंदों को कोई रहम नहीं आया.

ऐसी कई बातें सोचतेसोचते आंचल सक्षम की लाश के पास जा बैठी और और उस के खून से अपनी मांग भर ली. शरीर पर हलदी लगाई, दुलहन की तरह घूंघट किया और ऐलान कर दिया कि ‘आज से मैं इस घर की बहू हूं और जिंदगीभर यहीं रहूंगी. अब बाकी जिंदगी मैं सक्षम के सपने पूरे करूंगी जो उस ने मेरे लिए देखे थे’.

यह नजारा देख कर वहां मौजूद लोग सदमे की सी हालत में आ गए और भावुक भी हो उठे, क्योंकि प्यार का ऐसा रूप वे सभी पहली दफा देख रहे थे.

जब पुलिस आई तो आंचल ने काफी सारी बातें उसे बताईं और हत्यारे पिता और भाइयों के लिए फांसी की सजा की मांग की.

सजा तो उन्हें होगी लेकिन जो सजा वे आंचल को दे गए हैं उस की भरपाई अब नामुमकिन है.

ऐसे मामले देशभर में रोजाना होते हैं, जिन में धर्म, जाति और सामाजिक इज्जत के नाम पर किसी आंचल और किसी सक्षम के ख्वाव फना हो रहे होते हैं.

ऐसे जोड़ों को चाहिए कि वे बिना किसी की परवाह किए स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954 के तहत शादी कर लें जो हर जाति और धर्म के लोगों को आपस में शादी करने की सहूलियत देता है.

मैरिज अफसर के यहां से निकलने के बाद ऐसे जोड़ों को तुरंत ही पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा की भी गुहार लगानी चाहिए और शादी में मीडिया वालों को भी बुलाना चाहिए.

इस पर भी अगर खतरा लगे, तो अपनीअपनी जाति के सामाजिक संगठन वालों को बुलाना चाहिए, जो आधुनिक हों, रूढि़यों से लड़ सकते हों और दबंगों का खौफ न खाते हों. Honour Killing

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