कामकाजी महिलाएं दफ्तरों में लिपीपुती हों या सुबह मुंह धोया, बाल बनाए और पुरुषों की तरह दफ्तरों में जा पहुंचीं, सवाल काफी दिनों से चर्चा में है. कुछ का कहना है कि महिलाओं को दफ्तरों, कारखानों, व्यवसायों में पुरुषों की तरह सधे कपड़ों में पर बिना मेकअप के आना चाहिए, तो कुछ का कहना है कि उन्हें भरसक आकर्षक बन कर रहना चाहिए. असल में यह विवाद वृद्ध होती कामकाजी महिलाओं और युवा महिलाओं के बीच है. पुरुषों को इस से क्या फर्क पड़ता है कि कामकाजी महिला कैसी दिख रही है. 2 नजर उठा कर देख लेने के बाद यह बेमानी हो जाता है और आदमी को काम से मतलब रह जाता है.

दूसरी साथी औरतें जरूर जलभुन जाती हैं. अनुभवी, होशियार पर शरीर पर कम ध्यान देने वाली औरतों को तब बुरा लगता है जब उन्हें लगे कि उन की प्रतियोगिता केवल काम में ही नहीं दिखने में भी है, वे इस बात पर सख्त एतराज करती हैं कि कामकाजी औरतें मेकअप कर के आएं.

बड़ी उम्र के पुरुष बौसों को रिझाने में अकसर मेकअप की हुई औरतें सफल हो जाती हैं और अपनी व्यावसायिक योग्यता में कमी को छिपा जाती हैं. इस का बहुतों को मलाल रहता है.

जिन क्षेत्रों में पर्सनैलिटी की खास जरूरत न हो वहां तो मेकअप विवाद का मामला बन जाता है. दरअसल, मेकअप करना हर औरत का प्राकृतिक अधिकार होना चाहिए. यह उस के व्यक्तित्व का हिस्सा है. जैसे बढ़ी हुई दाढ़ी, बिखरे बाल, फटी कमीज वाले पुरुष किसी भी क्षेत्र में स्वीकार्य नहीं हैं, वैसे ही बिना स्मार्ट बने औरतें किसी भी क्षेत्र में स्वीकार्य नहीं रहतीं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
₹ 399₹ 299
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
₹ 480₹ 349
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...