“हैलो, कैन आई टौक टू रवनीत मैम?’’ मोबाइल फोन पर किसी पुरुष की रौबदार आवाज उभरी. ‘‘यस, आफकोर्स.’’ दूसरी ओर से किसी युवती ने खनकती आवाज में पूछा.

‘‘मैम, मैं जयपुर से आया हूं, मेरा नाम करण है… करण शर्मा…’’ उसी रौबदार आवाज में पुरुष ने कहा, ‘‘दरअसल, मैं जयपुर में एक मीडिया हाउस में काम करता हूं. मेरे दोस्त ने रवनीत मैम का नंबर दिया था, इसीलिए फोन किया है.’’

‘‘यस, आई एम रवनीत स्पीकिंग.’’ उसी खनकती आवाज में युवती ने कहा.

‘‘मैम, मैं आप के कोचिंग सैंटर में अपने बेटे का एडमिशन कराना चाहता हूं, इसलिए आप से मिलना चाहता हूं.’’ करण ने फोन करने का मकसद बताया.

‘‘यस, आप कोटा आएं तो सीधे कोचिंग सैंटर आ जाएं, मुलाकात हो जाएगी.’’ युवती ने कहा.

‘‘मैम, मैं आज जयपुर से इसी काम के लिए कोटा आया हूं, आप कहें तो मैं आ जाऊं?’’ करण ने गुजारिश करने वाले अंदाज में कहा.

‘‘ठीक है, अभी एक बजा है, आप ऐसा कीजिए, 2 बजे तक आ जाइए. इतनी देर में मैं लंच कर लेती हूं.’’ रवनीत ने कहा.

‘‘ओके मैम.’’ करण ने कहा.

यह 4 जनवरी, 2017 की बात है. रवनीत कोटा के एक नामी कोचिंग इंस्टीट्यूट में पब्लिक रिलेशन (पीआर) का काम करती थी. इस इंस्टीट्यूट में आईआईटी-जेईई आदि परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती थी.

इस कोचिंग इंस्टीट्यूट में काम करते उसे अभी कुछ ही महीने हुए थे, लेकिन अपनी खूबसूरती और अच्छी अंगरेजी में लच्छेदार बातें करने की वजह से वह इतने कम समय में ही कोचिंग संस्थान के कामकाज से अच्छी तरह वाकिफ ही नहीं हो गई थी, बल्कि पब्लिक रिलेशन की जिम्मेदारी संभालने की वजह से कोचिंग इंस्टीट्यूट में अपने बच्चों का एडमिशन दिलाने के लिए तमाम प्रभावशाली लोग उस की मदद ले रहे थे. क्योंकि कोचिंग इस्टीट्यूट की मोटी फीस में वह कुछ रियायत भी करवा देती थी.

करण जैसे मीडियापर्सन का फोन आना रवनीत के लिए रोजाना की तरह सामान्य बात थी. उस समय दोपहर का एक बज चुका था. उस के पेट में चूहे कूद रहे थे. वह घर से लंचबौक्स लाई थी.

लंचबौक्स खोल कर सुकून से लंच करने के साथ वह अपने मोबाइल फोन पर वाट्सएप पर आ रहे वीडियो, फोटो व मैसेज भी देख रही थी. इस बीच एकदो फोन आए तो रवनीत ने उन्हें इग्नोर क र दिया.

रवनीत लंच खत्म कर के बैठी ही थी कि उस के केबिन में एक हैंडसम आदमी दाखिल हुआ. उस के साथ एक युवती भी थी. अंदर आते ही उस आदमी ने कहा, ‘‘हैलो रवनीत मैम, माईसेल्फ करण.’’

‘‘ओ यस, करण फ्रौम जयपुर?’’ रवनीत ने सवाल किया. लेकिन जवाब मिलने से पहले ही बोली, ‘‘प्लीज सिट.’’

‘‘रवनीतजी, मैं आप के कोचिंग में अपने बेटे के एडमिशन के लिए आया हूं.’’ करण ने अपने आने का मकसद बताते हुए कहा, ‘‘वैसे मैं जयपुर के एक मीडिया हाउस में काम करता हूं. पीआर में आप जैसे स्मार्ट चेहरे कम ही होते हैं. आप का चेहरा देख कर मुझे याद आ रहा है कि मैं ने आप को जयपुर में कहीं देखा है.’’

करण की इस बात पर रवनीत एकदम से हड़बड़ा उठी. फिर खुद को संभाल कर बोली, ‘‘जयपुर में… हां, दरअसल मैं ने जयपुर में पढ़ाई की थी न. शायद तभी कभी देखा होगा.’’

रवनीत की हड़बड़ाहट देख कर करण समझ गया कि वह सही ठिकाने पर पहुंच गया है. जिस रवनीत की तलाश में वह 10 दिनों से भटक रहा था, वह यही रवनीत है. करण ने उस की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘मेरा नाम करण शर्मा नहीं, मैं एसओजी का पुलिस इंसपेक्टर हूं. मेरे साथ यह महिला भी पुलिस इंसपेक्टर हैं. रवनीत, अब तुम्हारा भांडा फूट चुका है. तुम ने बहुत लोगों को अपनी सुंदरता के जाल में फांसा और उन्हें ब्लैकमेल कर के उन से करोड़ों रुपए वसूले. हम तुम्हें गिरफ्तार करने आए हैं.’’

इसंपेक्टर की बात सुन कर रवनीत के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. वह चेहरा छिपा कर फूटफूट कर रोने लगी. थोड़ा रो लेने के बाद उस ने हिचकियां लेते हुए कहा, ‘‘सर, मैं ने अब वह सब छोड़ दिया है. उन बदमाशों ने मुझ से चीटिंग की थी. इसलिए मैं ने उन का साथ छोड़ दिया है. इन बातों को काफी समय हो गया है. अब मैं शांति की जिंदगी जी रही हूं. प्लीज, मुझे शांति से जीने दीजिए.’’

‘‘तुम्हें जो कुछ भी कहना है, पुलिस स्टेशन चल कर कहना.’’ कह कर दोनों पुलिस अधिकारी रवनीत को हिरासत में ले कर कोचिंग इस्टीट्यूट से बाहर ले आए और वहां खड़ी गाड़ी में बैठा कर अपनी टीम के साथ सीधे जयपुर के लिए चल पड़े.

कोटा से जयपुर तक के लंबे सफर में रवनीत गुमसुम बैठी रही. जयपुर पहुंचतेपहुंचते रात हो गई थी. इसलिए रवनीत से उस दिन पूछताछ नहीं की जा सकी. अगले दिन सुबह एसओजी के अधिकारियों ने रवनीत से पूछताछ शुरू की. अधिकारियों ने उस से कहा कि वह इस बात को ठीक से जान ले कि पुलिस को उस के पूरे गिरोह का पता चल चुका है. कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है. इसलिए वह खुद ही बता दे कि उस ने किनकिन लोगों को अपने हुस्न के जाल में फांस कर उन से कितनी रकम ऐंठी है? इस काम में उस के साथ कौनकौन लोग शामिल थे?

रवनीत की कहानी जानने से पहले आइए यह जान लेते हैं कि पुलिस को उस के बारे में कैसे पता चला?

12 मई, 2015 को जयपुर के विद्याधरनगर इलाके में सैंट्रल स्पाइन स्थित अलंकार प्लाजा के सामने दिनदहाड़े 34 साल के हिम्मत सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. हमलावर 2 थे और मोटरसाइकिल से आए थे. हिम्मत सिंह हरमाड़ा थाने का हिस्ट्रीशीटर था. वह प्रौपर्टी का कारोबार करता था और जयपुर के राजपुरा हरमाड़ा के लक्ष्मीनगर में परिवार के साथ रहता था. जबकि वह मूलरूप से सीकर के राजपुरा गांव का रहने वाला था. बैनाड़ रोड पर मां भगवती प्रौपर्टीज के नाम से उस ने अपना औफिस बना रखा था.

थाना पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर पाई तो इस मामले की जांच एसओजी को सौंप दी गई. हिम्मत सिंह की हत्या के आरोप में करीब डेढ़ साल बाद दिसंबर, 2016 के दूसरे सप्ताह में एसओजी ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया. इन में एक जयपुर के तिलकनगर का रहने वाला आनंद शांडिल्य था और दूसरा उत्तर प्रदेश के बिजनौर का रहने वाला अनुराग चौधरी उर्फ रानू.

अनुराग चौधरी जयपुर के विद्युतनगर में रहता था. दोनों से पूछताछ में पता चला कि हिम्मत सिंह की हत्या राजस्थान के कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह ने कराई थी. आनंदपाल अदालत से जेल जाते समय पुलिस पर गोलियां चला कर फरार हो गया था. वह अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है.

आनंद और अनुराग आनंदपाल के सहयोगी थे. हिम्मत सिंह की हत्या जयपुर में हरमाड़ा के पीछे माचड़ा में एक जमीन पर कब्जे को ले कर की गई थी. इस जमीन पर हिम्मत सिंह की नजर थी, जबकि आनंदपाल की नजर पहले से ही उस जमीन पर थी. आनंदपाल के इशारे पर ही उस के गिरोह के लोगों ने हिम्मत सिंह की गोली मार कर हत्या की थी.

पुलिस आनंद और अनुराग से आनंदपाल और उस के गिरोह के बारे में पूछताछ कर रही थी. इसी पूछताछ में पुलिस के सामने एक नया खुलासा हुआ. आनंद शांडिल्य ने पुलिस को बताया कि जयपुर में एक ऐसा भी गिरोह सक्रिय है, जो हाईप्रोफाइल लोगों के साथ ब्लैकमेलिंग करता है.

इस काले धंधे में सारे बड़े लोग शामिल हैं. बड़े लोगों से मतलब वे लोग हैं, जो समाज में प्रतिष्ठा की नजर से देखे जाते हैं. इस गिरोह में कुछ वकील, पुलिस वाले, प्रौपर्टी व्यवसाई और फरजी पत्रकार भी शामिल हैं.

यह गिरोह खूबसूरत लड़कियों की मदद से रईस लोगों को ब्लैकमेल करता है. इस गिरोह के लोग पहले तो रईस लोगों की पहचान करते हैं, उस के बाद उन्हें फंसाने के लिए उन की दोस्ती गिरोह की खूबसूरत लड़कियों से करा देते हैं. दोस्ती के लिए वे फार्महाउसों पर सेलिबे्रट पार्टियां आयोजित करते हैं. इन पार्टियों में पीनेपिलाने का दौर चलता है.

उसी बीच लड़कियां शिकार को अपने मोबाइल नंबर दे देती हैं और उन के नंबर ले लेती हैं. इस के बाद पहले बातचीत और उस के बाद मुलाकातों का दौर शुरू हो जाता है. कुछ ही मुलाकातों में लड़कियां अपने शिकार को अपनी सुंदरता के मोहपाश में इस कदर बांध लेती हैं कि वे उन के साथ हमबिस्तर होने के लिए बेचैन हो उठते हैं.

शिकार को तड़पा कर लड़कियां हमबिस्तर होने का प्रोग्राम बनाती हैं. इस के लिए वे कई बार जयपुर से बाहर भी चली जाती हैं. रईसों के साथ उन के हमबिस्तर होने के समय गिरोह के सदस्य लड़की की मदद से गुप्त कैमरे से वीडियो क्लिपिंग बना लेते हैं. अगर इस में वे सफल नहीं हो पाते तो लड़कियां हमबिस्तर होने के बाद अपने अंतर्वस्त्र सुरक्षित रख लेती हैं.

इस के बाद उस रईस को धमकाने का काम शुरू होता है. लड़की अपने रईस शिकार को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी देती है. ज्यादातर मामलों में लड़कियां पुलिस में शिकायत कर भी देती हैं. इस के बाद फरजी पत्रकार और वकील का काम शुरू होता है. वे उस रईस को बदनामी का डर दिखा कर समझौता कराने की बात करते हैं. जरूरत पड़ने पर बीच में पुलिस वाले भी आ जाते हैं.

रईस अपनी इज्जत बचाने के लिए उन से सौदा करता है. रईस की हैसियत देख कर 10-12 लाख रुपए से ले कर एक करोड़ रुपए तक मांगे जाते हैं. गिरोह के लोग शिकार पर दबाव बनाए रखते हैं. आखिर रईस को सौदा करना पड़ता है. उस से पैसे लाने का काम अलग लोग करते हैं.

आनंद शांडिल्य ने पुलिस को बताया था कि यह गिरोह जयपुर सहित राजस्थान के बड़े शहरों के नामचीन प्रौपर्टी व्यवसायियों, बिल्डरों, मोटा पैसा कमाने वाले डाक्टरों, ज्वैलर्स, होटल रिसौर्ट संचालक और ठेकेदार आदि को अपना शिकार बनाता. इस काले धंधे में एक एनआरआई युवती भी शामिल है.

गिरोह के लोग लड़की को प्लौट या फ्लैट खरीदने के बहाने प्रौपर्टी व्यवसाई अथवा बिल्डर के पास भेज कर उसे फांस लेते हैं. इसी तरह होटल रिसौर्ट संचालक के पास नौकरी के बहाने भेजा जाता है तो डाक्टर के पास इलाज के बहाने. सौदा होने के बाद युवती और उस के गिरोह के सदस्य स्टांप पर लिख कर देते हैं कि दुष्कर्म नहीं हुआ है.

इस के पहले जयपुर में कभी इस तरह का कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया था. इसलिए एसओजी के लिए हकीकत जानना अत्यंत महत्त्वपूर्ण था. अधिकारियों ने आपस में सलाहमशविरा कर के एसओजी के आईजी एम.एन. दिनेश के निर्देशन में हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग करने वाले गिरोह की खोजबीन शुरू कर दी.

उसी बीच इस गिरोह से पीडि़त जयपुर के वैशालीनगर निवासी डा. सुनीत सोनी ने एसओजी में शिकायत कराई कि उन का वैशालीनगर में हेयर ट्रांसप्लांट का क्लीनिक है. कुछ महीने पहले एक लड़की हेयर ट्रांसप्लांट कराने के लिए उन की क्लीनिक में आई. तभी उन का उस लड़की से संपर्क हुआ. लड़की ने जल्दी ही उन्हें प्रेमजाल में फांस लिया. इस के बाद दोनों पुष्कर गए और वहां एक रिसौर्ट में रुके. 2 दिनों बाद 2 लड़के मीडियाकर्मी बन कर आए और लड़की से दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे कर उन से एक करोड़ रुपए मांगे.

डाक्टर ने रुपए देने से मना किया तो लड़की ने उन के खिलाफ पुष्कर में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा दिया. जांच के बाद पुलिस ने डा. सुनीत सोनी को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. डाक्टर करीब ढाई महीने तक जेल में रहे. इस बीच डाक्टर से गिरोह के वकील सहित अलगअलग लोगों ने संपर्क किया.

गिरोह के सदस्यों ने अदालत में लड़की के बयान बदलवाने के लिए डाक्टर से डेढ़ करोड़ रुपए की मांग की. आखिर सौदा एक करोड़ रुपए में तय हो गया. पैसे लेने के बाद गिरोह के लोगों ने लड़की के बयान बदलवा दिए. उस समय डा. सुनीत सोनी ने जयपुर के थाना वैशालीनगर में इस मामले की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. लेकिन उस समय थाना पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की थी.

डा. सुनीत सोनी की शिकायत पर जांच करते हुए एसओजी ने 24 दिसंबर, 2016 को इस हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग करने वाले गिरोह का खुलासा किया. एसओजी ने गिरोह के 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ की गई तो गिरोह में शामिल लड़कियों के बारे में पता चल गया. इन्हीं लोगों से गिरोह की एनआरआई लड़की रवनीत कौर उर्फ रूबी के बारे में पता चला था. इस के अलावा एक लड़की कल्पना उत्तराखंड की थी.

इस के बाद एसओजी इस पूरे गिरोह को गिरफ्तार करने में जुट गई. धीरेधीरे लोग पकड़े भी जाने लगे. एसओजी उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर से कल्पना को गिरफ्तार कर के जयपुर ले आई. पूछताछ में कल्पना ने बताया कि गिरोह ने उस की मदद से कई लोगों को अपने जाल में फांस कर मोटी रकम ऐंठी थी.

कल्पना से पूछताछ के बाद राजस्थान सशस्त्र पुलिस बल (आरएसी) के कांस्टेबल हरिकिशन को गिरफ्तार किया गया. उस ने गिरोह के लिए उत्तराखंड से अन्य कई लड़कियों को बुलाया था. कल्पना को भी वही लाया था.

गिरोह ने कल्पना को इस काम के लिए जो रकम देने का वादा किया था, वह रकम उसे नहीं मिली थी. इस के बाद उस ने गिरोह के सदस्य एक वकील को दुष्कर्म का केस दर्ज कराने की धमकी दी थी. इस से घबराए वकील ने कल्पना से सन 2015 में आमेर के एक मंदिर में शादी कर ली थी. वकील से शादी के बाद भी गिरोह कल्पना से हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग की वारदातों का काम लेता रहा.

कल्पना की गिरफ्तारी के बाद एसओजी का दल एनआरआई लड़की रवनीत कौर की तलाश में जुट गया. लेकिन समस्या यह थी कि अब तक रवनीत का गिरोह से पैसों के लेनदेन को ले कर विवाद हो गया था, जिस से वह गिरोह  से अलग हो गई थी. एसओजी को कहीं से जानकारी मिली कि रवनीत कोटा में है. जांच अधिकारियों को उस के फेसबुक एकाउंट का भी पता चल गया था.

इस के बाद एसओजी ने रवनीत के मोबाइल नंबर हासिल कर लिए. उस का नंबर मिल गया तो एसओजी की टीम कोटा पहुंच गई और एक पुलिस इंसपेक्टर ने रवनीत को जयपुर के मीडियाकर्मी करण के नाम से फोन किया. इस के बाद उसे किस तरह पकड़ा गया, आप शुरू में पढ़ चुके हैं. रवनीत कौर उर्फ रूबी से पूछताछ में उस की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

27 साल की रवनीत कौर उर्फ रूबी हांगकांग में पैदा हुई थी. उस के पिता पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले थे. वह कारोबार के सिलसिले में हांगकांग गए थे. वहां उन का कामधाम जम गया तो वहीं उन्होंने भारतीय मूल की महिला से शादी कर ली.

रवनीत सन 2008 में ओवरसीज कार्ड पर अपनी दादी के पास जालंधर रहने आई. जालंधर से वह सन 2012 में जयपुर आ गई और एक यूनिवर्सिटी से उस ने 3 साल के बीबीए कोर्स में एडमिशन ले लिया. उसी यूनिवर्सिटी में एमबीए कर रहे कोटा निवासी रोहित से उस की दोस्ती हो गई. रवनीत कौर को बीबीए की पढ़ाई रास नहीं आई तो उस ने 2 साल बाद पढ़ाई छोड़ दी.

इस बीच रवनीत बीचबीच में अपने मातापिता के पास हांगकांग भी जाती रही. सन 2013 के अंत में उस के मातापिता ने कनाडा के एक एनआरआई बिजनैसमैन से उस की शादी तय कर दी. रवनीत भी उस से शादी करने को तैयार थी. इस का कारण यह था कि उस समय तक रवनीत की कोटा के रहने वाले रोहित से केवल दोस्ती थी.

दोस्ती इतनी आगे नहीं बढ़ी थी कि वह उस से शादी के बारे में सोचती. उस ने मातापिता से कहा कि शादी में वह जयपुर का लहंगा पहनेगी और वहीं से शादी के अन्य कपड़े और ज्वैलरी ले कर आएगी.

मातापिता ने उसे जयपुर से लहंगा और अन्य सामान लाने के लिए 8 लाख रुपए दे दिए. जयपुर आ कर रवनीत के 8 लाख रुपए खर्च हो गए मातापिता से शादी के सामान के लिए लाए पैसे खर्च हो गए तो रवनीत परेशान हो उठी. इस बीच उस की शादी भी टूट गई तो वह जयपुर में ही नौकरी की तलाश करने लगी. तभी वह इस गिरोह के संपर्क में आई. यह सन 2014 की बात है. गिरोह के इशारे पर रवनीत ने 6-7 लोगों को अपनी सुंदरता के जाल में फांस कर करोड़ों की वसूली की. सब से पहले उस ने एक बिल्डर को अपने हुस्न का जलवा दिखा कर उस से एक गोल्फ क्लब में मीटिंग तय की.

फ्लैट का सौदा करने दोनों में ही दोस्ती हो गई तो जल्दी ही दोनों में अनैतिक संबंध भी बन गए. बिल्डर के खिलाफ वकील ने इस्तगासा पेश करने की धमकी दी तो मीडियाकर्मी ने खबर चलाने की धमकी दी. गिरोह के इशारे पर रवनीत ने उस से एक करोड़ रुपए मांगे.

अंत में उस से 35 लाख रुपए वसूले गए. इस के बाद रवनीत को मोहरा बना कर गिरोह ने एक बिल्डर से 50 लाख, एक एक्सपोर्टर से 23 लाख, एक डाक्टर से एक करोड़ 5 लाख, प्रौपर्टी व्यवसाई से 80 लाख और रिसौर्ट मालिक के बेटे से 45 लाख रुपए वसूले.

ब्लैकमेलिंग से मोटी रकम मिली तो रवनीत ने हांगकांग जा कर अपने मातापिता को उन से लिए 8 लाख रुपए लौटा दिए. उस ने अपने घर वालों को बताया कि वह जयपुर में नौकरी करती है. उस ने उन से कोटा के अपने प्रेमी के बारे में भी बता दिया था.

उसी बीच रवनीत कौर उर्फ रूबी का गिरोह के लोगों से पैसों के बंटवारे को ले कर विवाद हो गया. इस की वजह यह थी कि गिरोह के सदस्य शिकार से तो मोटी रकम ऐंठते थे, लेकिन रवनीत को काफी कम पैसे देते थे. इसी बात को ले कर दिसंबर, 2015 के आखिर में रवनीत ने गिरोह छोड़ दिया.

इस के बाद रवनीत ने सन 2016 के शुरू में कोटा निवासी अपने प्रेमी रोहित से शादी कर ली. शादी के बाद वह कोटा चली गई, जहां वह महावीरनगर तृतीय में ससुराल वालों के साथ रहने लगी. बाद में उस ने कोटा की एक कोचिंग इस्टीट्यूट में नौकरी कर ली. उस इंस्टीट्यूट को छोड़ कर उस ने दूसरे कोचिंग इंस्टीट्यूट में करीब 4 महीने ही नौकरी की थी कि एसओजी ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. रवनीत की गिरफ्तारी तक उस की ससुराल वालों को उस के कारनामों का पता नहीं था.

एसओजी ने उसे अदालत में पेश कर सुबूत जुटाने के लिए रिमांड पर लिया. उस की हैंडराइटिंग और हस्ताक्षरों के नमूने लिए, ताकि उस का शिकार बने लोगों को लिखित में दिए गए स्टांप पेपरों की लिखावट से मिलान किया जा सके.

स्टांप पर रवनीत कौर अपने हाथों से लिख कर हस्ताक्षर करती थी. स्टांप पर लिखे समझौतों और हस्ताक्षरों की मिलान के लिए अदालत में रवनीत कौर से लिखवा कर हस्ताक्षर कराए गए. इस के बाद इन्हें जांच के लिए विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया.

इस गिरोह की दूसरी हसीना रीना शुक्ला और उस के सहयोगियों ने एक चार्टर्ड एकाउंटैंट से 70 लाख रुपए ऐंठे थे. हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह का खुलासा होने पर एसओजी में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है. इसी के बाद एसओजी ने रीना शुक्ला, शंभू सिंह और किशोरीलाल को गिरफ्तार किया था.

किशोरीलाल सीए का दोस्त था. शंभू सिंह जयपुर के मानसरोवर में प्रौपर्टी का कारोबार करता था, जबकि रीना शुक्ला गरीब बच्चों का एक एनजीओ चलाती थी. रीना ने एक मासिक अखबार का रजिस्ट्रेशन भी करा रखा था. आरोपियों ने इसी अखबार के प्रैस कार्ड भी बनवा रखे थे. इन लोगों से पूछताछ में पता चला कि शंभू सिंह के प्रौपर्टी के व्यवसाय को वही सीए संभालता था.

रीना सन 2008 से शंभू सिंह के संपर्क में थी. शंभू सिंह के मार्फत रीना की दोस्ती सीए से हुई. रीना की मौसी कोटा में रहती थी. उस के पड़ोस में अनीता रहती थी. रीना ने अनीता को नौकरी दिलाने के बहाने सन 2013 में जयपुर बुलाया और सीए के माध्यम से एक कंपनी में नौकरी दिलवा दी, साथ ही रहने के लिए जयपुर के प्रतापनगर में एक फ्लैट किराए पर दिलवा दिया.

नवंबर, 2013 में रीना के रिश्तेदार की शादी में शरीक होने के लिए शंभू सिंह और अनीता राजस्थान के प्रतापगढ़ शहर गए. वहीं पर सीए अनीता के बीच अनैतिक संबंध बन गए. इस के सबूत रीना और अनीता ने एकत्र कर लिए. उन्हीं सबूतों के आधार पर उन्होंने सीए को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.

रीना ने सीए से अनीता को एक लाख रुपए दिलवा कर कोटा भेज दिया. इस के बाद भी रीना और शंभू सिंह ने सीए को ब्लैकमेल करना जारी रखा. उन्होंने 6 महीने में उस से 10 लाख रुपए वसूल लिए.

किशोरीलाल को पता था कि रीना और शंभू सिंह सीए को ब्लैकमेल कर रहे हैं. उसी बीच सीए ने मानसरोवर स्थित अपना एक प्लौट सवा करोड़ रुपए में बेचा. किशोरीलाल ने सीए के प्लौट बेचने की बात रीना और शंभू सिंह को बता दी. सीए के पास मोटी रकम देख कर शंभू सिंह और रीना को लालच आ गया. उन्होंने सीए को धमकी दी कि अनीता कोर्ट में दुष्कर्म का इस्तगासा दर्ज करवा रही है. अगर समझौता करना हो तो वह एक करोड़ रुपए मांग रही है. उस ने मीडिया में भी मामला उजागर करने की धमकी दी.

इन धमकियों से सीए परेशान हो गया. वह आत्महत्या करने की सोचने लगा. इस के बाद शंभू सिंह के साथ मिल कर किशोरीलाल ने 70 लाख रुपए में सौदा करवा दिया. सीए ने अपने दोस्त किशोरीलाल को यह मामला निपटाने के लिए 70 लाख रुपए दे दिए. किशोरीलाल शंभू सिंह और रीना के साथ अनीता को यह रकम देने कोटा गया.

वहां उस ने 20 लाख रुपए खुद रखे और 50 लाख रुपए शंभू सिंह और रीना को दे दिए. रीना और शंभू सिंह ने अनीता को होटल में बुला कर एक समझौता पत्र तैयार किया. इस के बाद रीना ने समझौता पत्र और रुपए के साथ अनीता की एक फोटो ले ली.

शंभू सिंह और रीना ने अनीता को बताया कि सीए ने कोटा में कोई प्रौपर्टी खरीदी है, ये रुपए उन्हीं के हैं. वे प्रौपर्टी खरीदने के लिए सीए के दोस्त के साथ कोटा आए हैं. अनीता को बातों में उलझा कर रीना और शंभू सिंह ने उसे मात्र 10 हजार रुपए दे कर घर भेज दिया, बाकी रुपए दोनों ने अपने पास रख ली और सीए को समझौता पत्र और फोटो दे कर बता दिया कि समझौता हो गया.

एसओजी ने रीना और शंभू सिंह से अनीता के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि अनीता की 6 महीने पहले कैंसर से मौत हो गई है. एसओजी अधिकारियों को आशंका है कि कहीं मामले का खुलासा होने के डर से अनीता की हत्या तो नहीं कर दी गई. इस बात की जांच शुरू हुई. इस जांच में शंभू सिंह के बैंक लौकर से 15 से ज्यादा सीडियां मिली हैं, जिन्हें पुलिस ने देखा तो उन में तमाम लोगों की आपत्तिजनक फिल्में थीं. इस से स्पष्ट हो गया कि इन लोगों ने अन्य लोगों से भी पैसे ऐंठे हैं.

जांच में रीना और शंभू सिंह के उस झूठ का परदाफाश हो गया कि अनीता मर चुकी है. एसओजी ने कोटा निवासी अनीता चौहान को गुजरात के अहमदाबाद शहर से जीवित बरामद कर लिया.

पूछताछ में अनीता ने बताया कि वह अपने पति के साथ पिछले 3-4 महीने से अहमदाबाद में रह रही थी. उसे शंभू सिंह और रीना शुक्ला द्वारा उस के नाम पर सीए से 70 लाख रुपए ऐंठने की जानकारी नहीं थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने अनीता को छोड़ दिया था. वह इस मामले में गवाह बन गई है.

जयपुर में इस तरह की ब्लैकमेलिंग करने वाले नएनए गिरोह सामने आ रहे हैं. एक अन्य गिरोह में तो एक सरकारी वकील के साथ कई लड़कियां शामिल थीं. उन्होंने स्पा मसाज सैंटर के नाम पर रईसों से मोटी रकम ऐंठी. एसओजी ने इस गिरोह की 2 लड़कियों वंदना भट्ट और पूनम कंवर को 11 फरवरी को गिरफ्तार किया.

इन्होंने एक साल में 6 रईसों से 60 लाख रुपए वसूल करने की बात स्वीकार की है. ये लड़कियां रईसों को मसाज पार्लर में बुला कर फांसती थीं. अनैतिक संबंध बनने के बाद थाने में शिकायत दर्ज करा कर वकील और उस के साथी उस रईस को फोन कर धमकाते थे और समझौता कराने के नाम पर 10 से 15 लाख रुपए ऐंठ लेते थे.

सौदा होने के बाद ये लोग पीडि़त को स्टांप पर समझौता लिख कर देते थे. एसओजी की जांच में सामने आया है कि हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह ने ढाई साल में करीब 45 लोेगों से 20 करोड़ रुपए वसूले हैं.

इन में गिरोह के सरगना एक वकील और कुख्यात अपराधी आनंदपाल के साथी आनंद शांडिल्य के हिस्से में 2-2 करोड़ रुपए आए हैं. रवनीत कौर के हिस्से में डेढ़ करोड़ रुपए आए थे. बाकी रकम अन्य सदस्यों में बांटी गई थी. गिरोह के सरगना वकील ने 8 वारदातों के बाद आनंद शांडिल्य को अलग कर दिया था. इस का कारण यह था कि आनंद शांडिल्य ब्लैकमेलिंग की राशि लाता था तो उस में से 15-20 लाख रुपए पहले  ही खुद रख लेता था. इस के बाद लाई गई रकम में भी हिस्सा लेता था. इस बात का पता गिरोह के दूसरे सदस्य वकील को चल गया था.

इस हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह में 4 वकील, 2 फरजी पत्रकार एवं एनआरआई युवती सहित करीब 30 लोग शामिल थे. गिरोह के सरगना वकील को एसओजी ने 9 फरवरी को गोवा से गिरफ्तार किया था. वहां भी उस के साथ एक युवती थी. उस युवती के बारे में जांच की जा रही है.

एक वकील को जयपुर से एक दिन पहले ही एसओजी ने गिरफ्तार किया था. फरार आरोपियों की तलाश में एसओजी जुटी हुई है. जयपुर बार एसोसिएशन ने गिरोह में शामिल वकीलों की सदस्यता रद्द कर दी है. बार कौंसिल के चेयरमैन एम.एम. लोढा ने 12 फरवरी को कहा है कि दुष्कर्म के झूठे केस में फंसा कर रुपए ऐंठने वाले वकीलों की सदस्यता बार कौंसिल से भी समाप्त कर दी जाएगी.

– कथा पुलिस सूत्रों व अन्य रिपोर्ट्स पर आधारित

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