शिल्पी के आते ही राबिया अम्मी को सलाम कर उस की साइकिल पर पीछे बैठ कर स्कूल के लिए चल पड़ी थी. यह 5 सितंबर, 2016 की बात है. राबिया और शिल्पी उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया की खामपार के बहरोवां गांव की रहने वाली थीं. दोनों खामपार के बखरी चौराहा स्थित सर्वोदय इंटर कालेज में 11वीं में पढ़ती थीं. दोनों घर से कुछ दूर गई थीं कि एक मोटरसाइकिल उन का पीछा करने लगी. मोटरसाइकिल पर 3 लोग सवार थे. मोटरसाइकिल चलाने वाला हेलमेट लगाए था तो उस के पीछे बैठे लोग मुंह पर गमछा बांधे थे. जैसे ही दोनों लड़कियां सुनसान जगह पर पहुंचीं, पीछे चल रही मोटरसाइकिल उन की बराबर में आई. राबिया तथा शिल्पी कुछ समझ पातीं, मोटरसाइकिल पर सवार लोगों में पीछे बैठे आदमी ने राबिया को निशाना बना कर तेजाब फेंक दिया और तेज गति से मोटरसाइकिल चला कर वहां से फरार हो गए.
तेजाब पड़ते ही राबिया जलन से बुरी तरह बिलबिला उठी. उस का चेहरा, गरदन और पीठ बुरी तरह झुलस गई थी. तेजाब के कुछ छींटे शिल्पी के बाएं हाथ और जांघ पर पड़े थे. तेजाब की जलन से साइकिल का बैलेंस बिगड़ गया था, इसलिए दोनों साइकिल सहित गिर गईं. दोनों तेजाब की जलन से चीखनेचिल्लाने लगीं तो उधर से गुजर रहे लोग उन के पास जमा हो गए.
राबिया तो बेहोश हो गई थी. शिल्पी ने जब बताया कि मोटरसाइकिल पर सवार लोग उन पर तेजाब फेंक कर भाग गए हैं तो लोग राबिया को बांहों में उठा कर चौराहे पर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. राबिया बुरी तरह झुलसी हुई थी, इसलिए वहां के डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल भिजवाने के साथ घटना की सूचना थाना खामपार पुलिस को दे दी.
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सूचना मिलते ही थानाप्रभारी इंसपेक्टर राजेंद्र प्रताप सिंह पुलिस बल के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए. मामला गंभीर था, इसलिए उन्होंने इस घटना की सूचना एसपी मोहम्मद इमरान को भी दे दी थी. इस के बाद एसपी इमरान भी एसडीएम भाट पाररानी भी पहुंच गए थे. राबिया बयान देने लायक नहीं थी, इसलिए शिल्पी से पूछताछ कर पुलिस ने राबिया और शिल्पी के घर वालों को सूचना भी दे दी थी. सूचना मिलते ही दोनों के घर वाले रोतेबिलखते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए थे.
कुछ देर बाद जब राबिया थोड़ा सामान्य हुई तो उस ने पुलिस अधिकारियों और एसडीएम भाट पाररानी को जो बताया, वह चौंकाने वाला था. राबिया के बताए अनुसार, पिछले एक महीने से उस के मोबाइल पर किसी अंजान आदमी का लगातार फोन आ रहा था, जो उसे जान से मारने की धमकी दे रहा था. परेशान हो कर घर वालों ने नंबर बदल दिए, फिर भी न जाने कहां से उसे उस का नया नंबर मिल गया और वह उसे पहले से ज्यादा धमकाने और परेशान करने लगे.
राबिया के अब्बा मोहम्मद आलम अंसारी और भाई विदेश में थे. यहां घर में राबिया और उस की अम्मी ही थीं, इसलिए मिलने वाली धमकियों से दोनों बुरी तरह डर गई थीं. राबिया ने फोन कर के यह बात अब्बा को बताई तो उन्होंने पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी. लेकिन उस की अम्मी पुलिस के पास जाने से डर रही थीं.
राबिया के बयान से पुलिस को लगा कि इस घटना में कोई अपना शामिल है, जिस की उस के घर में अंदर तक पैठ थी. पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के मामले की जांच एसडीएम भाट पाररानी को सौंप दी, क्योंकि इस तरह के मामलों की जांच एसडीएम स्तर के अधिकारी करते हैं. घटना की मौनिटरिंग आईजी (जोन) मोहित अग्रवाल कर रहे थे.
पुलिस ने राबिया के दोनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो उस में एक नंबर ऐसा मिला, जो दोनों नंबरों की काल डिटेल्स में था. पुलिस को उसी नंबर पर शक हुआ. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर देवरिया के पूरब लार के रहने वाले इदरीस के बेटे आजाद उर्फ डब्लू का निकला.
पुलिस ने जब राबिया की मां से आजाद के बारे में पूछा तो उस का नाम सुन कर वह हैरानी से पुलिस का मुंह ताकती रह गईं. क्योंकि वह उस का दूर का रिश्तेदार था, जिस की वजह से वह उस के घर भी आताजाता था.
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पुलिस के लिए इतनी जानकारी काफी थी. पूछताछ के लिए उसे थाने लाया गया. थाने आते ही वह इतना घबरा गया कि खुद ही अपना अपराध स्वीकार कर के शुरू से ले कर अंत तक पूरी कहानी सुना दी. उसी ने अपने साथियों के साथ राबिया पर तेजाब फेंका था. इस की वजह यह थी कि वही नहीं, उस के दोनों साथी भी राबिया से प्रेम करते थे. लेकिन राबिया ने उन्हें भाव नहीं दिया तो उन्होंने बदला लेने के लिए उस की दुर्गति कर दी थी.
आजाद की निशानदेही पर पुलिस ने उस के दोनों साथियों रति तिवारी और आनंद कुशवाहा को भी उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया. आजाद को पुलिस हिरासत में देख कर रति तिवारी और आनंद कुशवाहा ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.
इस के बाद एसपी मोहम्मद इमरान की उपस्थिति में पुलिस लाइन के सभागार में पत्रकारवार्ता के दौरान तीनों गिरफ्तार आरोपियों आजाद उर्फ डब्लू, रति तिवारी और अरविंद कुशवाहा ने राबिया के ऊपर तेजाब फेंकने की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—
22 साल का आजाद उर्फ डब्लू देवरिया जिले की लार के पूरब लार मोहल्ले का रहने वाला था. उस के पिता इदरीस सरकारी नौकरी में थे. नौकरी की वजह से वह परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पाए, जिस की वजह से आजाद इंटरमीडिएट से आगे नहीं पढ़ सका. पढ़ाई छोड़ कर वह आवारागर्दी करने लगा था.
रति तिवारी और अरविंद कुशवाहा उस के पक्के दोस्त थे. ये दोनों भी उसी की तरह आवारागर्दी करते थे. रति तिवारी के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी. उस के पास मोटरसाइकिल थी. उसी से तीनों दिन भर बरखी चौराहे पर घूमते रहते थे और आतीजाती लड़कियों पर फब्तियां कसते रहते थे.
रिश्तेदार होने की वजह से आजाद राबिया के घर आताजाता रहता था. राबिया काफी खूबसूरत थी. घर आनेजाने में आजाद राबिया की सुंदरता पर मर मिटा. उस ने अपने दिल की बात दोनों दोस्तों को बताई तो उन का दिल भी राबिया को देखने के लिए मचल उठा. उन्होंने आजाद से राबिया से मिलवाने को कहा तो एक दिन वह दोनों को ले कर राबिया के घर पहुंच गया. घर पर राबिया और उस की अम्मी ही थीं. उस के अब्बा और भाई विदेश में रहते थे.
जब रति और अरविंद ने भी राबिया को देखा तो उन का भी दिल उस पर आ गया. वे आजाद के साथ लौट तो आए लेकिन दिल का चैन वहीं छोड़ आए. इस तरह राबिया के दीवानों की लिस्ट में 2 नाम और शामिल हो गए थे. आजाद दिल की बात राबिया से कहना चाहता, लेकिन उसे मौका नहीं मिल रहा था. संयोग से एक दिन दोपहर को राबिया के घर पहुंचा तो वह घर में अकेली थी. उस की अम्मी पड़ोस में गई थीं.
राबिया ने आजाद के लिए चाय बनाई और नमकीन के साथ सैंट्रल टेबल पर रख कर उस से बातें करने के लिए बगल वाले सोफे पर बैठ गई. इस मौके का फायदा उठाते हुए आजाद ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘राबिया, मैं तुम से प्यार करता हूं.’’
‘‘अरे, यह क्या, यह गलतफहमी तुम ने कब से पाल ली छोड़ो मेरा हाथ, आज के बाद इस तरह की हरकत फिर कभी की तो ठीक नहीं होगा.’’
‘‘प्लीज राबिया, ऐसा मत कहो. मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा. कसम से मैं तुम से बेपनाह मोहब्बत करता हूं.’’ आजाद ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.
‘‘बस आजाद, अब कुछ मत कहना. अगर इस तरह की बातें किसी ने सुन लीं तो मैं बदनाम हो जाऊंगी. मैं नहीं चाहती कि मेरे घर वालों की बदनामी हो. मैं प्यारव्यार में जरा भी यकीन नहीं करती. इसलिए इस तरह की बात तुम दिमाग से निकाल दो. और तुरंत यहां से चले जाओ वरना मैं तुम्हें धक्के दे कर निकाल दूंगी.’’ राबिया ने तैश में आ कर कहा.
राबिया की खरीखोटी सुन कर आजाद हारे हुए जुआरी की तरह उस के घर से निकला. उसे राबिया के जवाब से गहरा आघात लगा था. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि राबिया उसे इस तरह का जवाब देगी. इसलिए उसे उस पर काफी गुस्सा आ रहा था. उस ने यह बात अपने दोस्तों रति और अरविंद को बताई तो ऊपर से तो दोनों ने दुख व्यक्त किया लेकिन मन ही मन दोनों बहुत खुश हुए.
इस की वजह यह थी कि राबिया आजाद से प्यार नहीं करती थी तो उन का दांव लग सकता था. लेकिन राबिया ने उन दोनों को भी उन की औकात बता दी थी. राबिया की बातों से उन के भी सिर से इश्क का भूत उतर गया था.
राबिया द्वारा किए अपमान से तिलमिलाए तीनों जख्मी शेर बन गए. अपमान की आग में जल रहे तीनों ने बातचीत कर के राबिया से बदला लेने का निर्णय लिया. उन्होंने उसे फोन पर धमकाने की योजना बनाई, ताकि डर कर वह हथियार डाल दे. आजाद राबिया के घर के कोनेकोने से वाकिफ था. घर में सिर्फ मांबेटी ही रहती थीं. इसी का फायदा उठा कर उसे लगा कि वह धमकी भरे फोन करेगा तो मांबेटी डर कर मदद के लिए उसी को बुलाएंगी. उस के बाद धीरेधीरे वह उस के करीब आ जाएगी.
योजना के अनुसार, आजाद ने राबिया के घर वाले मोबाइल पर फोन कर के उसे जान से मारने की धमकी दी. इस धमकी से मांबेटी डर तो गईं लेकिन उन्हें लगा कि कोई सिरफिरा सिर्फ फोन कर के डरा रहा है. इसलिए उन्होंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब उस ने दोबारा फोन कर के धमकी दी तो मांबेटी परेशान हो गईं.
आजाद बारबार फोन कर के धमकाने लगा तो राबिया की मां ने यह बात अपने पति मोहम्मद आलम अंसारी को फोन कर के बताई. उन्होंने पुलिस के पास जा कर शिकायत करने की सलाह दी, लेकिन राबिया की मां पुलिस के पास यह सोच कर नहीं गई कि इस से उन्हीं की बदनामी होगी. इस के अलावा राबिया पढ़ने जाती थी, कहीं उन बदमाशों ने कोई ऊंचनीच कर दी तो वे कहीं की नहीं रहेंगी. इसलिए पुलिस से शिकायत करने के बजाए उन्होंने फोन नंबर ही बदल दिए.
आजाद और उस के दोस्तों ने जो सोच कर यह खेल खेला था, वह पूरा नहीं हुआ. आजाद को राबिया का नया नंबर भी मिल गया, उस नंबर पर भी वह धमकियां देने लगा था. राबिया और उस की मां ने यह बात अपने तक ही सीमित रखी. मदद के लिए उन्होंने किसी को नहीं बुलाया.
बात बनती न देख आजाद और उस के दोस्तों ने दूसरे तरीके से राबिया से बदला लेने की योजना बनाई. इस बार की योजना पहले से काफी खतरनाक थी. तीनों ने राबिया पर तेजाब डाल कर उस की जिंदगी बरबाद करने की योजना बनाई. योजना बनाने के बाद आजाद ने बखरी चौक कस्बे से एक परिचित की दुकान से तेजाब की 1 लीटर की बोतल यह कह कर खरीदी कि उसे घर का शौचालय साफ करना है. दुकानदार परिचित था, इसलिए विश्वास कर के उस ने तेजाब दे दिया. तेजाब की व्यवस्था हो गई तो तीनों राबिया की दैनिक गतिविधियों पर नजर रखने लगे.
सारी जानकारी जुटा कर 5 दिसंबर, 2016 की सुबह जब राबिया शिल्पी के साथ उस की साइकिल से स्कूल जा रही थी तो तीनों ने मोटरसाइकिल से पीछा कर राबिया पर तेजाब फेंक दिया.
पूछताछ के बाद पुलिस ने आजाद, रति तिवारी और अरविंद को अदालत में पेश किया, जहां से सबूत जुटाने के लिए तीनों को पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने रति के घर से उस की मोटरसाइकिल तथा तेजाब की बोतल बरामद कर ली थी. रिमांड खत्म होने पर तीनों को दोबारा अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
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बेहतर इलाज से राबिया अब स्वस्थ हो चुकी है, लेकिन राबिया और शिल्पी काफी डरी हुई हैं. दोनों चाहती हैं कि इन आशिकों को ऐसी सजा मिले कि दोबारा कोई आशिक किसी लड़की के साथ ऐसी घिनौनी हरकत करने की हिम्मत न कर सके.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित