संविधान भले ही धर्म की राजनीति को गलत माने. धर्म को राजनीति से अलग करके नहीं देखा जा सकता. अयोध्या में अब उत्तर प्रदेश की सरकार राम मंदिर के बजाये ‘राम की मूर्ति’ लगाने की योजना बना रही है. इसको अयोध्या के पर्यटन से जोड़ कर योजना तैयार की जा रही है. पर्यटन विभाग अयोध्या में सरयू नदी के किनारे 100 मीटर ऊंची राम की मूर्ति लगायेगा. इस मूर्ति का जो डिजाइन पर्यटन विभाग तैयार कर रहा है वह दूसरी राम के मूर्तियों से अलग होगा.

इस मूर्ति में राम को धनुष लिये दिखाया जायेगा. अगर सबकुछ ठीक रहा तो दीवाली तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरयू किनारे उस जगह पर भूमिपूजन कर सकते हैं. भाजपा के रणनीतिकार अब इस बात पर चर्चा कर रहे है कि ‘राम की मूर्ति’ की ऊंचाई क्या होनी चाहिये. पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि यह मूर्ति भारत में सबसे बड़ी होनी चाहिये.

देश में सबसे ऊंची मूर्तियों में अभी तक सरदार पटेल की बनने वाली थी. इसकी ऊंचाई 182 मीटर रखी जानी है. इसके साथ महाराष्ट्र में 210 मीटर ऊंची शिवाजी की मूर्ति लगाई जानी है. इन दोनों का ही भूमि पूजन हो चुका है. राम की मूर्ति को अगर इन से छोटा रखा गया तो इससे राम का अनादर होगा. 2014 के लोकसभा चुनाव में सरदार पटेल की मूर्ति बड़ा मुद्दा था. इसको बनाने के लिये गांव गांव में हर घर से लोहा दान मांगा गया था. अभी तक यह मूर्ति बन कर तैयार नहीं हुई है. गुजरात सरकार इस मूर्ति को लगा रही है. गुजरात सरकार के बाद महाराष्ट्र सरकार ने शिवाजी की मूर्ति लगाने की पहल शुरू कर दी. इसका भूमि पूजन हो चुका है.

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