Hindi Story : हमारे देश में कई तरह की पत्नियां पाई जाती हैं. जैसे जरूरत से ज्यादा बोलने वाली पत्नी, पति पर हमेशा शक करने वाली पत्नी, पूरे महल्ले के हर घर के अंदर की खबर रखने वाली पत्नी और पति के हर काम में कोई न कोई कमी निकालने वाली पत्नी. आज हम पति के हर काम में कमी निकालने वाली पत्नी पर रिसर्च करेंगे.

इस तरह की पत्नियां हर देश में सभी जगह मिलती हैं. ऐसी पत्नियों में यह खास गुण होता है कि उन्हें अपने पतियों द्वारा किए गए हर काम में कमी पहले ही दिख जाती है. उन के पास जैसे कोई दिव्यदृष्टि होती है. घर में घुसते ही उन्हें पता चल जाता है कि पति ने कौनकौन से काम बिगाड़े हैं. पति द्वारा किए गए अच्छे कामों पर पत्नी की नजर नहीं पड़ पाती है.

एक बार पत्नी ने मुझ से कहा, ‘‘आप बैंक से लौटते समय सब्जी मंडी से बढि़या सी लौकी ले कर आइएगा. लौकी के कोफ्ते बनाने हैं.’’ मैं बैंक से थकाहारा पत्नी के आदेश को मानते हुए सब्जी मंडी में अच्छी

तरह देखभाल कर ताजा लौकी ले कर घर आया. उम्मीद थी कि बढि़या लौकी देख कर पत्नी खुश हो जाएगी. मगर अफसोस, ऐसा नहीं हुआ.

पत्नी रसोईघर से आगबबूला हो कर बाहर आई, क्योंकि लौकी अंदर से खराब थी. ‘‘आप को तो सब्जी खरीदने की भी अक्ल नहीं है,’’ पत्नी का गुस्सा सातवें आसमान पर था.

अब आप ही बताइए कि जब लौकी देखने में ताजा हो, फिर उस के अंदर का हाल कैसे कोई देख सकता है. सब्जी मंडी अल्ट्रासाउंड या एक्सरे मशीन ले कर तो कोई जाता नहीं है. यह बात पत्नी को कौन समझाए. मेरे एक दोस्त हैं प्रदीपजी. वे संस्कृत के विद्वान हैं. उन्होंने भारतीय औरतों पर रिसर्च कर रखी है. मगर वे भी औरतों के मन की बात को समझने में नाकाम रहे हैं. उन्होंने अपना दुखड़ा इस तरह सुनाया.

प्रदीपजी अपने दफ्तर के एक काम से लखनऊ आए थे. एक दिन उन्हें पत्नी प्रेम जागा. उन्होंने पत्नी के लिए साड़ी खरीदने का विचार किया. सोचा कि पत्नी खुश हो जाएगी. प्यार की बरसात होगी. वे लखनऊ के अमीनाबाद बाजार गए. पूरे बाजार में घूम कर अच्छी सी साड़ी खरीदी. घर आते ही साड़ी का डब्बा पत्नी को दिया.

पत्नी ने भी खुशीखुशी डब्बा खोला. लेकिन एक पल में ही पत्नी के चेहरे से खुशी गायब हो गई. वे प्रदीपजी से गुस्से में बोलीं, ‘‘क्या आप को पता नहीं है कि इस रंग की 3 साडि़यां मेरे पास पहले से ही हैं, फिर उसी रंग की साड़ी उठा लाए. मुझे नहीं चाहिए यह साड़ी,’’ कह कर वे साड़ी प्रदीपजी पर फेंक कर चली गईं. बेचारे प्रदीपजी आसमान से जैसे धरती पर आ गिरे. अपनी हर गलती का ठीकरा भी पति पर फोड़ना हर पत्नी का जन्मसिद्ध अधिकार होता है. हमारे एक और दोस्त प्रकाशजी हैं. एक दिन वे मिले, तो बड़े उदास लग रहे थे. पूछने पर उन्होंने बताया, ‘‘मेरी पत्नी की आदत हो गई है कि वह अपनी हर गलती का कुसूर मेरे सिर मढ़ देती है. आज सुबह से मैं भूखा हूं. पत्नी ने गुस्से में खाना नहीं बनाया.’’

मैं ने वजह पूछी, तो वे बोले, ‘‘खुद चूल्हे पर दूध उबलने के लिए चढ़ा कर पड़ोसन से गपें मारती रही. दूध जल कर राख हो गया, तो सारा कुसूर मेरे ऊपर लगा दिया कि आप चूल्हे से दूध उतार नहीं सकते थे. बताइए भाई साहब, मेरी क्या गलती है?’’ मैं बेबस था. क्या जवाब देता. मैं खुद दूध का जला था.

महल्ले की सारी पत्नियां जब एकसाथ अपनेअपने पतियों की कमियों का पिटारा खोलती हैं, तो गलती से उन के पति उन की बातें सुन लें, तो वे यकीनन कोमा में चले जाएंगे.

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