चुनाव के समय भले ही फिल्मी सितारों के नखरे उतर जाते हो पर चुनाव जीतने के बाद यह जनता से और भी दूर हो जाते है. यह राजनीति को नाटक ही समझते है. यही वजह है कि लंबे समय से राजनीति में रहने के बाद भी फिल्मी सितारें राजनीति में अपना प्रभाव छोडने में पफेल रहे है. इस कारण ही बहुत सारे नखरे दिखाने के बाद भी चुनाव के परिणाम इनके खिलापफ ही रहते है. फिल्मी सितारों के नखरों को लेकर मिसाले दी जाती है. फिल्मी शूटिंग के समय इनके नखरे देखने वाले होते है. खाना, पानी, ध्ूप, रहना, सभी कुछ यह अपने हिसाब से चाहते है. समय पर शूंिटग में ना आने की शिकायतें तो आम रहती है. हीरो हो या हीरोइन सभी एक से बढकर एक होते है. इनके नखरे फिल्मों को प्रचार करते समय भी कम नहीं होते.

कई बार फोटो खीचतें समय पब्लिक के बीच सेल्पफी लेते समय झगडा तक हो चुका है. यह जहां जाते है वहां पहले से ही सुरक्षा की ऐसी व्यवस्था रहती है कि पब्लिक का वहां पहंुचना मुश्किल हो जाता है. कहावत कही जाती है कि ‘बडे हीरो बन रहे है’. नखरा दिखाने वाले इन हीरो हीरोइन के नखरे चुनाव प्रचार करते समय उतर जाते है.

चुनाव में खुद का प्रचार कर रहे पिफल्मों के यह सितारे तरह तरह के काम करते नजर आने लगते है. खेत में पफसल काटने से लेकर गांव गरीब के घर खाना खाने, पानी पीने और उनके ध्ूल में सने गंदे दिख रहे बच्चो को गोद में उठाने तक का काम करना पडता है. सेल्पफी के जमाने में हर कोई फिल्मी सितारों के संग सेल्पफी लेने से चूकना नहीं चाहता है. चुनाव प्रचार में यह सितारें अपने नखरे नहीं दिखा पाते है.

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