पूरे देश और दुनिया में फैली कोरोना वायरस की दहशत पर देश भर में काटने बालों ने तबीयत से चांदी काटी और खूब अंधविश्वास भी फैलाये किसी ने गौ मूत्र को इसका बेहतर इलाज बताया तो कई तुलसी ,कपूर , लहसुन बगैरह के सेवन की सलाह देते रहे लेकिन इन गीदड़ भभकियों से कोरोना को नहीं डरना था सो वह नहीं डरा . गलती इन ठगों के साथ साथ हर आपदा और मर्ज का इलाज धार्मिक पाखंडों में ढूँढने बालों की भी है जिनके दिलो दिमाग में अंधविश्वासों और चमत्कारों के किस्से कहानियाँ इतने ठूंस ठूंस कर भर दिये गए हैं कि वे भेड़चाल चलते इन्हें ही सच मानते रहते हैं .

लोगों के डर और दिमागी दिवलियेपन का फायदा उठाने बालों में एक नाम लखनऊ के डालीगंज के बाबा अहमद सिद्दीकी का भी है जो महज 11 रु में एक ताबीज बेचते कोरोना वायरस दूर होने का दावा कर रहा था . इस बाबा ने बाकायदा अपनी दुकान के बाहर एक बोर्ड भी लगा रखा था जिस पर मोटे मोटे अक्षरों में लिखा कि,  कोरोना से बचने के लिए सिद्ध किया हुआ ताबीज यहाँ मिलता है . बक़ौल बाबा सिद्दीकी जो लोग मास्क नहीं पहन सकते वे इस ताबीज को पहन लें तो कोरोना उनके पास फटकेगा भी नहीं.

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दुकान चल निकली लेकिन बात पुलिस तक पहुंची तो उसने इस बाबा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया . बक़ौल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विकास त्रिपाठी आरोपी खुद को कोरोना बाले बाबा बताता था और मासूम लोगों को धोखा दे रहा था उसे धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

बाबा तो छोटी मछली था इसलिए धरा गया लेकिन उन लोगों पर पुलिस कोई काररवाई नहीं कर पा रही जो समारोहपूर्वक कोरोना वायरस से बचने गौ मूत्र पार्टियां तक आयोजित कर रहे हैं . विज्ञान या कानून की किसी किताब में नहीं लिखा कि गौ मूत्र कोरोना वायरस का इलाज है फिर घेरे में ताबीज बेचने बाला बाबा ही क्यों , वे हिन्दूवादी क्यों नहीं जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तक को कोरोना से बचने गौ मूत्र पीने की न केवल सलाह दे रहे थे बल्कि भेजने की भी पेशकश भी कर रहे थे मानों अमेरिका की गायों की पेशाव में वो दम नहीं रहता जो भारतीय गायों के मूत्र में रहता है . बात साफ है कि सरकार हिंदुवादियों की है जो कुछ भी करें उनके गुनाह माफ हैं लेकिन मुस्लिम बाबा की दुकान नहीं चलने दी जाएगी जो रिश्ते में लगता तो इनका मौसेरा भाई ही है.

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