वैसे तो इंटरनेट के जमाने मे पोर्नोग्राफी की डिमांस सबसे ज़्यादा होती है. 21 दिन के लौक डाउन के दौर में पोर्नोग्राफी के साथ ही साथ लोग सेक्स की भवनाओ को उभारने वाली मस्त मस्त कहानियां लोग सबसे ज्यादा पढ़ रहे है. इसकी दो सबसे बड़ी वजह है एक तो पोर्नोग्राफी की तमाम साइड बंद हो चुकी है दूसरे वीडियो और फोटो डाउन लोड करने के लिए ज्यादा इंटरनेट स्पीड चाहिए होती है. लोगो का डेटा जल्दी खत्म हो जाता है.

एक सबसे बड़ी परेशानी यह है कि फोटो और वीडियो देखने के लिए  एकांत का समय होना जरूरी होता है. इससे बचने के लिए लोग अब फोटो या वीडियो की जगह पर सेक्स की कहानियां पढ़ना पंसद करते है. इसको पढ़ते समय किसी के द्वारा देखे जाने का खतरा कम होता है.

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कुछ लोगो को सेक्स का जो आंनद किसी कहानी को पढ़ने में आता है वो फोटो देंखने और वीडियो देखने मे कम आता है. इस लिए लॉक डाउन के इस दौर में लोगो ने विडियो और फोटो से अधिक कहानी पढ़ने में जोर दिया.

सेक्सी स्टोरीज का बिजनेस :

इस तरह की कहानियां हिंदी सेक्स स्टोरी के रूप में सर्च की जाती है. वैसे यह कहानियां पूरी तरह से मनगठन्त होती हैं पर इनका प्रस्तुतिकरण सच्ची कहानियों जैसा होता हैं. कुछ कहानियां एक बार मे खत्म हो जाती हैं. कुछ कहानियां एक दो सीरीज में लिखी होती हैं. इस तरह की सेक्सी कहानियों का अपना पूरा बाज़ार होता हैं.

बहुत पहले ऐसी किताबे पीली पन्नी में पैक हो कर बिकती थी. इनमे 64 पेज होते थे तो इनको “चोसठिया” भी कहते थे. यह किताबे बहुत अच्छी प्रिंट नही होती थी और इनमे बहुत गलतियां भी होती थी. इनके लेखक के नाम पर मस्तराम लिखा होता था.

समय के साथ बदले रंग

1990 के बाद जब कलर प्रिंटिंग का दौर आया तो इस तरह की किताबें पीली पन्नी से बाहर आ गई. इस दौर में यह “मन मंथन” और ऐसे ही कई अलग अलग नामो से बिकने लगी. इस दौर में ही “मस्तराम की कहानियां” नाम से भी कुछ प्रकाशन शुरू हुए. थोक के भाव छपने वाली यह किताबे खुद को कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए “सेक्स समस्याओ” के नाम इनका प्रकाशन होता था. समस्या के प्रश्न कहानी की तरह से लंबी होती थी. इनका समाधान कुछ लाइनों में ही खत्म हो जाता था. कुछ सालों में इनकी शिकायत शुरू हुई तो इनको छपना बन्द हो गया चोरी छिपे ही बिकती थी. पर इनका बाजार बंद हो गया. इसके बाद ज़ब इंटरनेट और और वेबसाइट का चलन शुरू हुआ तो नेट पर ऐसी कहानियां लोग लिखने और पढ़ने लगे.

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सविता भाभी डौटकौम

इंटरनेट के दौर में “सविता भाभी डॉटकॉम” से यह शुरू हुआ. इसमे कहानी के साथ कॉमिक टाइप के किरदारों से कहानी पढ़ाई जाती थी. पोर्नोग्राफी साइटों पर रोक से “सविता भाभी डॉटकॉम” बन्द हो गया. अब सीधी कहानियों को लिखा जाने लगा.

यह कहानियां आपबीती के रूप में लिखी जाती हैं. यह कहानी कम अश्लील अधिक होती है. यह  आमतौर पर देवर भाभी, जीजा साली, औफिस सहयोगी, दोस्त और दूसरे तमाम रिश्तों के बीच की होती है.

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