Hindi Story: आज जब मैं पलट कर पीछे देखता हूं तो पाता हूं कि क्याकुछ नहीं था मेरे पास. दादादादी, मम्मीपापा और इन सब के बीच में सब से छोटा मैं. मतलब, आप में से कुछ लोगों का पसंदीदा फिल्म स्टार चकमक. दादाजी बिजनैस करते थे और उस समय के लखपति थे. पिताजी ने इस कारोबार को दो कदम आगे बढ़ाया और करोड़पति कहलाने लगे.

दादाजी तो शुरू से ही प्रगतिशील विचारधारा के रहे हैं. इसी वजह से उस दौर में जब लोगों के यहां 4-5 बच्चे होते थे, तब सिर्फ 2 बच्चे मतलब पापा और बूआजी को पैदा कर दादाजी ने एक अलग हो मिसाल पेश की थी.

समय के साथ पापा ने भी देशहित में फैसला लेते हुए अपने परिवार को मेरे जन्म तक ही सीमित रखा.

17 साल का होतेहोते मुझ पर फिल्मों का भूत सवार हो गया. तकरीबन हर फिल्म पहले ही दिन मैं देखता था. धीरेधीरे यह जुनून सिर्फ देखने तक ही सीमित न हो कर फिल्मों में काम करने में बदल गया.

आखिरकार एक दिन पापा व दादाजी के सामने मैं ने अपनी मंशा जाहिर कर ही दी.

‘‘क्या...? पागल हो गया है क्या? इतना अच्छा जमाजमाया कारोबार छोड़ कर भांड़गीरी करेगा?’’ पापाजी चिल्लाए थे.

‘‘पापा, यह भी कला का एक रूप है. इस में नाम, पैसा, शोहरत, रुतबा सबकुछ है,’’ मैं ने कहा.

‘‘तुम्हें जो दिखाई दे रहा है, वह बरसाती बिजली के जैसी पलभर की चमक है. इस के पीछे एक बड़ा गहरा तिलिस्म है, जिस को तोड़ना सब के लिए मुमकिन नहीं है,’’ पापा ने कहा.

‘‘आप ने और दादाजी ने अपनी मेहनत से यह मुकाम पाया है, मैं भी अपनी मेहनत से कुछ कर दिखाना चाहता हूं,’’ मैं ने कुछ मजबूत आवाज में कहा.

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