कोरोना वायरस से जहां पूरा विश्व परेशान है, वहीं सोशल मीडिया पर अंधविश्वास का बाजार गरम है. दूसरे बाहरी देशों की तरह भारत में भी कोरोना वायरस तेजी से पांव पसार रहा है, मगर दूसरी तरफ सुरक्षा के तमाम उपायों की अपील के बावजूद धर्म के ठेकेदारों द्वारा अंधविश्वास फैला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है.
इन दिनों कैसेकैसे अंधविश्वास फैला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, आप भी जानिए:
रामचरितमानस और कोरोना
सोशल मीडिया पर फैल रही इस अफवाह ने एक बार फिर 90 के दशक में फैली अफवाह की याद ताजा करा दी है, जिस में यह दावा किया गया था कि मंदिरों, घरों में रखी गणेश की मूर्ति दूध पीने लगी है. इस अफवाह की वजह से लोगों का हुजूम मंदिरों में उमड़ पड़ा था और हजारोंलाखों लिटर दूध नालियों में बहा दिया गया था.
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आज जहां कोरोना वायरस महामारी बन चुका है, इस के खतरों के बीच आजकल सोशल मीडिया पर एक अंधविश्वास खूब फैलाया जा रहा है, जिस में यह दावा किया जा रहा है कि रामचरितमानस के बालकांड के पन्नों को ध्यान से देखने पर उन में एक बाल दिख सकता है. यह बाल उसी को दिखेगा जो धर्म के रास्ते पर चलता है या भगवान की आराधना करता है.
लोगों को बताया जा रहा है कि गंगाजल या जिस के पास गंगाजल उपलब्ध नहीं है वह घर में एक साफ लोटे में पानी भर ले और इस बाल को उस में डाल कर पूरे परिवार को यह पानी पिला दे तो उसे और उस के परिवार का कोरोना वायरस कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.
दायां अंगूठा और हलदी
उत्तराखंड की रहने वाली रानी बिष्ट को किसी ने ह्वाट्सएप पर भेजा कि ग्राम नागेलाव, वाया पीसांगन, जिला अजमेर के एक अस्पताल में एक बालिका का जन्म हुआ. बालिका ने जन्म लेते ही बोला कि भारत में जो कोरोना वायरस संक्रमण फैला हुआ है, उस के बचाव के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर हलदी का लेप लगाना है. इस से कोरोना का संक्रमण खत्म हो जाएगा और सभी नागरिक सकुशल रहेंगे.
यह कह कर बालिका की उसी समय मौत हो गई. यह देख कर अस्पताल के डाक्टर भी हैरान रह गए. आप से निवेदन है कि आप भी तत्काल इस तरह का लेप अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर लगा कर कोरोना वायरस संक्रमण से अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बचाएं.
रानी बिष्ट ने फोन पर बताया कि कोरोना वायरस से हम लोग काफी डरे हुए हैं और इसी डर की वजह से हम ने सोचा कि चलो क्या हर्ज है इस में, सो खुद भी लेप लगाया और परिवार के दूसरे लोगों को भी लगा दिया.
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डर का माहौल
सोशल मीडिया पर आजकल शास्त्रों और ग्रंथों का हवाला दे कर यह दावा किया जा रहा है कि इस महामारी का उल्लेख सैकड़ों साल पहले साधुसंतों ने अपने लिखित ग्रंथों में किया था और यह दावा किया था कि पृथ्वी पर कलियुग का अंत महामारी और प्रलय से होगा. लाखोंकरोड़ जीवजंतु मारे जाएंगे, इसलिए अधिक से अधिक लोग धर्म के रास्ते पर चलें और देवीदेवताओं व गुरुओं की आराधना करें.
जाहिर है, यह डर भी धर्म के उन्हीं पाखंडियों की ओर से फैलाया जा रहा है जो चाहते हैं कि लोग विज्ञान का रास्ता छोड़ कर ऊपर वाले की आराधना में लगे रहें, पूजापाठ करें जिस से वे तो मजे में रहें, जनता लुटतीपिटती रहे.
सिलबट्टे का शोर
ग्रामीण क्षेत्रों में एक अंधविश्वास जोरों पर है. इस में एक सिलबट्टे पर किसी बरतन या बालटी को रख कर उसे गोबर से पाट दिया जाता है. कुछ देर बाद उस बरतन को पकड़ कर उठाने के लिए बोला जाता है.
अफवाह फैला दी गई है कि बरतन को पकड़ कर उठाने से अगर सिलबट्टा छूट कर नहीं गिरा तो समझो कि उस के घर कोरोना वायरस का असर नहीं होगा. जिस का सिलबट्टा हट कर गिर जाएगा उसे खतरा है और इस के लिए उसे हवन व पूजापाठ कराना होगा.
यह एक कोरा अंधविश्वास है जो भौतिकी के सिद्धांत पर आधारित है. विशेषज्ञ मानते हैं कि गोबर भारी होता है और सिलबट्टे और बालटी के बीच आने से वैक्यूम बन जाता है यानी इस में हवा का दबाव होता है जो सिलबट्टे और बालटी को मजबूती से जकड़ लेता है.
यह थ्योरी भी उसी सिद्धांत पर काम करती है जो एक गिलास में भरे हुए पानी पर कागज रख कर उलटा करने पर भी गिलास में से पानी के नहीं गिरने जैसी होती है. यह कोई चमत्कार नहीं है, बल्कि विज्ञान है.
ऐसे बचें कोरोना से
दुनियाभर के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जोर दे कर कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक इनसान से दूसरे इनसान में होता है. कोविड 19 नामक यह बीमारी संक्रमित आदमी के संपर्क में आने, खांसने और छूने के बाद उस वायरस के मानव शरीर में प्रवेश करने की वजह से होती है.
अभी तक इस की कोई वैक्सीन या दवा उपलब्ध नहीं है और जितना संभव हो लोगों से हाथ मिलाना, उन के करीब जाना, भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर रहना आदि से ही इस का बचाव संभव है.
विशेषज्ञों ने लोगों को इस दौरान धार्मिक जगहों पर भी जाने से मना किया है तो जाहिर है कि इस बीमारी का इलाज तथाकथित देवीदेवता आदि के हाथों में तो कतई नहीं है.
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बेहतर यही होगा कि सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझावों को मानें, तभी इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है. धार्मिक अंधविश्वास के चक्कर में तो कतई न पड़ें.
यह बीमारी पूरी दुनिया में अब भयंकर रूप ले चुकी है. हर देश के डाक्टर, नर्स और दूसरे मुलाजिम युद्ध स्तर पर इस बीमारी से जूझ रहे हैं. उन सब की यही अपील है कि घरों में रहें.