तकरीबन हर साल जूनजुलाई महीने में बिहार के गांवों में कोई न कोई अफवाह फैलती है. किसी साल कोई ‘लकड़सुंघवा’ बच्चों को लकड़ी सुंघा कर बेहोश कर के चुराता है, तो किसी साल कोई ‘मुंहनोचवा’ छत पर या बाहर सोए लोगों का रात में आ कर मुंह नोच लेता है, तो किसी साल ‘चोटीकटवा’ का हल्ला होता है, जिस में सोई हुई लड़कियों के रात में बाल कट जाते हैं और लड़की बेहोश हो जाती है.
इस साल ‘कोरोना माई’ के बिगड़ने की अफवाह उतरी, बिहार के छपरा, गोपालगंज और सिवान जिले में यह अफवाह फैलाई गई. इस सिलसिले में वीडियो बना कर एंड्रायड मोबाइल फोन से वायरल किया गया. नतीजतन, दलित और निचले तबके की औरतें ‘कोरोना माई’ की पूजा कर रही हैं. लोगों को यकीन है कि इस से बिगड़ी ‘कोरोना माई’ का गुस्सा शांत होगा और इस बीमारी में कमी आएगी.
इस संबंध में एक औरत वीडियो के जरीए एक कहानी बताती है कि एक खेत में 2 औरतें घास काट रही थीं. वहीं बगल में एक गाय घास चर रही थी. कुछ देर के बाद वह गाय एक औरत बन गई. इस के बाद घास काट रही औरतें डर कर भागने लगीं.
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तब गाय से औरत ने कहा, ‘तुम लोग डरो नहीं. हम कोरोना माता हैं. अभी हम नाराज हैं, जिस का ही प्रकोप आजकल कोरोना के रूप में देखा जा रहा है. देश में मेरा प्रचारप्रसार करो और सोमवार और शुक्रवार को मेरी पूजा करो. इस से हम खुश हो जाएंगे. अगर इसे कोई मजाक में लेता है या हंसता है, तो इस का अंजाम बहुत ही बुरा होगा…’
वीडियो में पूजा करने की पूरी विधि भी बताई गई. इस वीडियो के वायरल होते ही कई गांवों में औरतें पूजा करते देखी गईं.
एक तरफ कोरोना के इस संकट से निकलने के लिए पूरी दुनिया में इस का इलाज ढूंढ़ने के लिए वैज्ञानिक रातदिन लगे हुए हैं, वहीं बिहार के गांवों में ‘कोरोना माई’ की पूजा की जा रही है और इस तबके को विश्वास है कि इस से कोरोना जरूर खत्म हो जाएगा. इस दौरान सोशल डिस्टैंसिंग का भी खयाल नहीं रखा जा रहा है. मास्क का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिस में एक औरत बता रही है कि कोरोना कोई वायरस नहीं, बल्कि देवी का एक रूप है. रजंती देवी, मालती देवी, संगीता देवी जैसी औरतें बताती हैं कि अगर ‘कोरोना माई’ की पूजा की जाएगी तो इन का प्रकोप कम हो जाएगा और देवी खुश हो कर लौट जाएंगी. इस अफवाह ने इतना जोर पकड़ा कि छपरा, गोपालगंज और सिवान से औरतों की पूजा करने की खबरें आने लगीं. ऐसी औरतें 9 लड्डू, उड़हुल के 9 फूल और 9 लौंग से ‘कोरोना माई’ की पूजा कर रही हैं. औरतें पहले एक फुट गड्ढा खोद रही हैं और उस में 9 जगह सिंदूर लगाया जा रहा है और फिर 9 लड्डू, 9 लौंग और उड़हुल के 9 फूल उस में डाल कर मिट्टी से भर दिया जा रहा है.अगरबती जलाई जा रही है. कहींकहीं तो लड्डू की माँग इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि दुकान में लड्डू तक नहीं मिल रहे हैं.
पहले अफवाह एकदूसरे से बातचीत के जरीए फैलती थी, पर आजकल अफवाहें सोशल मीडिया के जरीए फैलाई जा रही हैं. डिजिटल इंडिया का इस्तेमाल इन अफवाहों को फैलाने में किया जा रहा है. डिजिटल इंडिया पर हम गर्व तो नहीं पर इस तरह की घटनाओं से शर्म ही कर सकते हैं. सरकार और हुक्मरान चाहते तो वीडियो बनाने वाली औरत को गिरफ्तार किया जा सकता था. अफवाह फैलाने के जुर्म में उसे सजा दी जा सकती थी, लेकिन सरकार भी यही चाहती है कि इस देश का निचला तबका इन्हीं चीजों में उलझा रहे, दूसरी समस्याओं की तरफ उस का ध्यान नहीं जाए. पढ़ेलिखे लोग भी इन औरतों को समझा नहीं रहे हैं. इस की वजह से इस अंधविश्वास का रूप और बढ़ता जा रहा है.
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सरकार विज्ञान को बढ़ावा देने का झूठा राग जितना भी अलाप ले, उस का अंतिम हश्र यही होता है कि जनता झाड़फूंक और अंधविश्वास में ही लिप्त हो जाती है. इस कोरोना काल में इन देवीदेवताओं और मंदिरमसजिद से बहुत लोगों का विश्वास जब उठने लगा तो सरकार की तरफ से तत्काल मंदिरों को खोलने का आदेश जारी किया गया. पूरे देश के कई हिस्सों में कोरोना से नजात पाने के लिए हवन और पूजा करने की भी खबरें आ रही हैं. मौलाना लोग नमाज पढ़ कर कोरोना के खत्म होने की दुआ मांग रहे हैं. और ये लोग ही बोलते हैं कि जब पूजापाठ और हवन से ही इस बीमारी से मुक्ति मिल सकती है तो दवा की बात क्यों करते हो? इस देश में लोगों को अंधविश्वास और धार्मिक जाल में उलझा कर देश के हुक्मरान अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में कामयाब हो रहे हैं.
सामाजिक सरोकारों से जुड़े गालिब साहब ने कहा कि हम जैसा समाज बनाएंगे, वैसा ही उस का नतीजा भी सामने आएगा. वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की तो बात छोड़ ही दीजिए. सरकार द्वारा अंधविश्वास और धार्मिक नफरत फैलाने की साजिश बड़े पैमाने पर लगातार जारी है.