पूछताछ में पता चला कि नावीद खान, इरफान व आसिफ को सुरक्षित जम्मू पहुंचाने के लिए देविंदर सिंह ने उन से 12 लाख रुपए की रकम ली थी. दरअसल, नावीद बाबू की मां और उस का भाई फिलहाल जम्मू में हैं और वह शायद जवाहर टनल के जरिए सुरक्षित जम्मू जाने और वहां कुछ दिन बिताने के लिए सिंह को पैसे देता था. नावीद ने पुलिस को बताया कि उस का एक दूसरा भाई पंजाब में पढ़ाई करता है.
पैसे ले कर डीएसपी आतंकियों को देता था संरक्षण
देविंदर सिंह ने यह भी कबूल कर लिया कि पिछले साल भी इन आतंकियों को ले कर जम्मू गया था. इसीलिए वे एकदूसरे पर भरोसा करते थे. पिछले साल की घटना के बारे में संभवत: किसी को भनक नहीं लग पाई. मीर नाम का व्यक्ति इस डील में बिचौलिए के तौर पर उन से जुड़ा था. पूछताछ में खुलासा हुआ कि देविंदर सिंह इस से पहले पुलवामा में तैनात था, जहां नावीद और वह एकदूसरे के संपर्क में आए थे.
इसी के बाद से समयसमय पर डीएसपी देविंदर सिंह उसे व उस के साथियों को पैसा ले कर सरंक्षण देने लगा. पुलिस के लिए देविंदर सिंह से जुड़ा यह खुलासा इसलिए चौंकाने वाला था क्योंकि उस के पकड़े जाने से एक सप्ताह पहले ही केंद्रशासित प्रदेश जम्मूकश्मीर के दौरे पर कुछ विदेशी राजदूतों का एक डेलीगेशन आया था. उन्हें रिसीव करने वाले पुलिस अधिकारियों के समूह में देविंदर सिंह भी शामिल था.
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एक डीएसपी के आतंकी कनेक्शन की भनक जैसे ही मीडिया को लगी तो पूरे देश में हंगामा मच गया. आईबी, रा और एनआईए के अधिकारी उस से अलगअलग पूछताछ करने में जुट गए. देविंदर सिंह की अब तक की तमाम नियुक्तियों और उस के गुडवर्क की फाइलों से धूल हटा कर उन्हें दोबारा खंगाला जाने लगा तो देविंदर सिंह का संसद हमले में आतंकी अफजल गुरु से भी कनेक्शन सामने आया.
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