राजस्थान सहित कुछ राज्यों के ग्रामीण अंचल में सदियों से ‘नथ उतराई’प्रथा चलती आ रही है.यह प्रथा हर लड़की व औरत के मान सम्मान पर चोट के साथ ही उनकी आजादी का भी हनन करती है.हम 21वीं सदी में पहुंच गए हैं,मगर यह प्रथा पूरी तरह से बंद नही हुई है.
यह कुप्रथा अभी भी चल रही है.इस कुप्रथा के अनुसार गाॅंव के गरीब परिवार की कुंवारी लड़की को शादी से पहले ठाकुर परिवार के पुरूष के साथ सोना पड़ता था,जिसके एवज में उसे अच्छी खासी रकम मिलती है. यह रकम उस लड़की के गरीब परिवार के लिए मदद के स्वरुप होती है.इसी प्रथा को ‘नथ उतराई’कह जाता है.
नथ यानी कि नथुनी वह जेवर है, जिसे हर औरत अपनी नाक में पहनती है.इसी पर चोट करने के साथ ही लोगों के बीच जागरूकता लाने के मकसद से ‘‘दंगल ’’टीवी चैनल 23 अगस्त से एक विचारोत्तेजक सीरियल ‘‘नथः जेवर या जंजीर’’का प्रसारण शुरू करने जा रहा है. यह ‘दंगल’टीवी की उसी नीति का हिस्सा है,जिसके चलते उसने दर्शकों को मनोरंजन के साथ नए काॅन्सेप्ट वाले रोचक सीरियल प्रसारित करना शुरू किया है.
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यह कहानी है एक गांव की जहां अक्सर पैसों की तंगी से मजबूर होकर लोग समाज के ठेकेदारों से कर्ज लेते हैं और बदले में उनके घर की कुंवारी बेटियां ‘नथ उतराई’ कुप्रथा का शिकार बनती हैं. ऐसे ही एक गरीब व मजबूर परिवार की लड़की है महुआ(चाहत पांडेय). जहां उसके पैदा होते ही उसकी जिंदगी का सौदा गांव के आर्थिक व हर तरह से संपन्न ठाकुर परिवार से कर दिया जाता है.
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