देश में कोरोना लाकडाउन के बीच इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) की तरफ से देश के लिए शर्मनाक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में लाकडाउन के दौरान देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी में अप्रत्याशित और खतरनाक वृद्धि बताई गई है. आईसीपीएफ ने कहा कि ऑनलाइन मोनिटरिंग डेटा वेबसाइट दिखा रही है कि लाकडाउन के बाद लोगों में ‘चाइल्ड पोर्न’, ‘सैक्सी चाइल्ड’ और ‘टीन सैक्सी वीडियो’ की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस के साथ ही दुनिया की सब से बड़ी पोर्न वेबसाइट पोर्नहब से यह भी पता चलता है कि लाकडाउन के बाद 24 से 26 मार्च तक देश में चाइल्ड पोर्न की मांग में 95 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड ने इसे ले कर एक रिपोर्ट जारी की, जो भारत के 100 मुख्य शहरों के हालिया शोध पर है. जिस में दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, कोलकता इत्यादि शहर शामिल हैं. इस रिपोर्ट का नाम ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल इन इंडिया’ है. इस के अनुसार दिसंबर 2019 के दौरान पब्लिक वेब पर 100 शहरों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री की कुल मांग 50 लाख प्रति माह थी जिस में अब अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट में हिंसक सामग्री की मांग में 200 प्रतिशत तक की वृद्धि का खुलासा किया गया है. यानी इन हिंसक सामग्री में जबरन सैक्स जैसे बच्चे का गला दबाना (चोपिंग), दर्दनाक सेक्स (ब्लीडिंग) और टॉर्चर इत्यादि आते हैं. इस रिपोर्ट में हिंसक सामग्री के बारे में बताने का मतलब भारतीय पुरुष की बच्चों के प्रति बढ़ती मानसिक दुराचार को दिखाती है साथ ही यह भी दिखाती है कि भारतीय पुरुष सामान्य पोर्नोग्राफी से संतुष्ट नहीं बल्कि हिंसक और बर्बर सामग्री की मांग करते है. यह कुरूप होती मानसिक सोच को दिखाती है.
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आईसीपीएफ ने अपनी इस रिपोर्ट में चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन की हालिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया जिस में पता चला कि लाकडाउन के 11 दिनों के भीतर देश भर से 92000 से अधिक इमरजेंसी कॉल आई. यह कॉल्स यौन दुर्व्यवहार और हिंसा से सुरक्षा को ले कर की गई थी. ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड’ की रिपोर्ट लाकडाउन अवधी के दौरान सामना किये जाने वाले अत्यधिक यौन खतरे की ओर इशारा करती है. साथ ही ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल इन इंडिया’ की रिपोर्ट में बाल यौन शोषण सामग्री की बढती मांग दर्शाती है कि बच्चे लाकडाउन में यौन उत्पीड़क के निशाने पर सब से ज्यादा है. जाहिर है संभावना यह है कि उत्पीड़क और पीड़ित दोनों ही घरों में बंद है.
इस रिपोर्ट में ‘ईसीपीएटी’, ‘यूनाइटेड नेशन’ और ‘यूरोपोल’ की हालिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया. जिस में चाइल्ड ऑनलाइन ग्रूमिंग का जिक्र किया गया. ऑनलाइन ग्रूमिंग का मतलब इन्टरनेट में बच्चों को सोशल मीडिया में अजनबियों या जानपहचान वालों द्वारा भावनात्मक रिश्ता बना विश्वास में ले कर निजी फोटो या वीडियो की मांग करना. सोशल मीडिया में टीनेजर और बच्चों के साथ इस तरह के अपराध में भारी वृद्धि हुई है. खासकर व्हाट्सएप, फेसबुक में इस का अत्यधिक उपयोग हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार चाइल्ड पोर्न में विशेष उम्र ढूंढी जाती है. ख़ासकर ‘स्कूल गर्ल’ के कंटेंट को खोजा जाता है. इस में उम्र, क्रियाएँ तथा लोकेशन की खोज विशेष तौर पर की जाती है. इस के इतर खासतौर पर हिंसक विडियो की खोज की जाती है.
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भारत इस समय पूरी दुनिया में सब से ज्यादा पोर्न उपभोगी देश है. भारत में सामान्य 70 प्रतिशत ब्राउज़िंग पोर्न कंटेंट के लिए होती है. देश की स्थिति यह है कि अगर देश में कोई सनसनीखेज बलात्कार हो जाए तो पीड़ित महिला के नाम से वीडियो पोर्नसाईट पर ट्रेंड करने लगती है. प्रियंका रेड्डी के मामला इस का ताजा उदाहरण है. साथ ही एक हालिया रिपोर्ट में इस का एक सब से बड़ा कारण स्मार्टफोन का बढ़ता चलन है. स्मार्टफोन के कारण भारत में लाकडाउन के 3 हफ़्तों के दोरान पोर्नोग्राफी देखने में 20 परसेंट की उछाल आई है. किन्तु यह सारी रिपोर्टस भारत के लिए चिंता का विषय हैं. जाहिर है पोर्नोग्राफी एक समय के लिए किसी के लिए यौनकुंठा को निकालने का जरिया हो लेकिन इस से तरह तरह की मानसिक समस्याएं पैदा होती हैं. अपने पार्टनर के साथ अधिक अपेक्षाएं जुड़ जाती हैं. अलगाव और अवसाद जन्म लेते हैं. यौन अपराधों में बढ़ोतरी होती है. खासकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का बनना और देखना मानसिक संकीर्णता को दर्शाता है.
चाइल्ड पोर्न से जुड़ी यह रिपोर्ट खतरनाक होती स्थिति को दर्शाती है. भारत में फरवरी 2009 चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ संसद में विधेयक सफलतापूर्वक पास हुआ था. यानी चाइल्ड पोर्न को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित किया गया. इस में बच्चों से जुड़े पोर्न वीडियो को प्रसारित और प्रचारित करने वाले को दंड का भी प्रावधान है. जिस में चाइल्ड पोर्न ब्राउज़िंग करने पर 10 लाख तक जुर्माना और 5 साल की सजा मिल सकती है. किंतु ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड’ की रिपोर्ट भारत के कमजोर आईटी एक्ट की कलह भी खोल रही है कि सब कुछ पता होते हुए भी इस में सरकार मजबूत कदम नहीं उठा पा रही.