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Writer- शाहनवाज 

सौजन्य- मनोहर कहानियां

आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए सीओ श्वेताभ पांडेय ने कई टीमों का गठन कर लिया. टैक्निकल टीम की मदद से पुलिस ने इलाके के सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की.

इलाके में हत्या के दिन की फुटेज पर कई घंटों की मेहनत के बाद पुलिस को अरुण के घर के सामने 3 संदिग्ध लोगों के भटकने की फुटेज मिल गई. फुटेज में उन तीनों संदिग्धों के साथ अरुण भी मिलते हुए नजर आ रहा था.

यह पता चलने के बाद पुलिस ने जल्द काररवाई करते हुए अरुण को ढूंढने की प्रक्रिया और तेज कर दी. सीओ श्वेताभ पांडेय ने मामले के मुख्य आरोपी अरुण अग्रवाल को पकड़ने के लिए अलीगढ़ में 2 स्वाट टीमों की सहायता भी ली. एसआई संजीव कुमार और एसआई संदीप कुमार के नेतृत्व में स्वाट टीमें पूरे अलीगढ़ में अरुण को ढूंढने में जुट गईं.

अरुण को ढूंढने के पुलिस के सारे तरीके फेल साबित हो रहे थे, क्योंकि अरुण का फोन बंद आ रहा था. लगातार प्रयास करने के बाद पुलिस को तब सफलता हासिल हुई, जब अरुण का फोन अचानक से 17 अक्तूबर की रात को औन हुआ.

अरुण का फोन औन होते ही पुलिस की टैक्निकल टीम को उस की लोकेशन का पता चल गया. वह अलीगढ़ के कासिमपुर क्षेत्र की थी. पता चला कि वहां उस का औक्सीजन प्लांट था.

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सूचना मिलते ही पुलिस जल्द ही वहां पहुंच गई और 18 अक्तूबर की सुबहसुबह अरुण को उस की फैक्ट्री इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के बाद अरुण ने पुलिस पूछताछ में आस्था की हत्या की जो वजह पुलिस को बताई, हैरान करने वाली थी.

आखिर अरुण ने अपनी डाक्टर पत्नी को क्यों मारा

आज से लगभग 13 साल पहले सन 2007 में आस्था की शादी अरुण अग्रवाल से हुई थी. इन की अरेंज मैरिज नहीं बल्कि लवमैरिज थी. वे दोनों एकदूसरे को अपने कालेज के दिनों से ही जानते थे.

कालेज में मुलाकात हुई, दोनों के बीच दोस्ती हुई, कुछ समय साथ रहने के बाद दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और उस के बाद दोनों की शादी भी हो गई. उन की शादी पर दोनों के ही परिवारों में से किसी को भी कोई आपत्ति नहीं हुई थी.

अरुण का परिवार सुखीसंपन्न था. अरुण के परिवार की ओर से शादी के समय भी किसी तरह की कोई मांग (दहेज) नहीं थी. दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे.

मैडिकल परीक्षा पास करने के बाद आस्था ने डाक्टरी की पढ़ाई की और शादी के बाद ही आस्था की गवर्नमेंट जौब भी लगी थी. वह स्वास्थ्य विभाग में संविदा (कौन्ट्रैक्ट) पर मैडिकल औफिसर के रूप में नियुक्त हो गई. डा. आस्था की इस कामयाबी पर दोनों परिवार बहुत खुश हुए.

आस्था की इस नियुक्ति के बाद अरुण ने भी अलीगढ़ के कासिमपुर में राधिका नाम से औक्सीजन प्लांट खोल लिया था और इस काम के लिए डा. आस्था ने अपने पति अरुण का पूरा सहयोग भी किया था.

समय के साथ आस्था के 2 बच्चे हुए. 10 वर्षीय बेटा अर्नव और 8 वर्षीय बेटी आन्या उन के जीवन में नई खुशियां ले कर आई. लेकिन उन दोनों के जीवन में खुशियां ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाईं.

अरुण ने पुलिस की पूछताछ के दौरान बताया कि 2 साल पहले जब उन के जीवन में सब कुछ सही चल रहा था, उस समय आस्था के जीवन में एक और व्यक्ति ने कदम रखा. उस के आने के बाद से ही उन के संबंधों में दरार पैदा होना शुरू हो गई.

डा. आस्था के जीवन में इस नए व्यक्ति के आने के बाद से वह हर समय खोईखोई सी नजर आया करती थी. वह अकसर रात को घंटों तक फोन पर किसी युवक से बात किया करती थी. यदि आस्था से पूछा जाता कि वह किस से बात कर रही है तो उस के जवाब में वह कहती कि अपने कालेज की फ्रैंड्स से बात कर रही है.

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डा. आस्था की बदल गईं एक्टिविटीज

डा. आस्था अपने घर से निकलती तो काम के लिए ही थी, लेकिन वह अकसर अपने अस्पताल में पहुंचती ही नहीं थी. समय के साथसाथ उस का काम से घर पर आने के नियत टाइम में इजाफा होने लगा था.

जो आस्था पहले अपने परिवार के साथ, अपने बच्चों के साथ समय गुजारने में विश्वास किया करती थी, उस का हर दिन काम पर जाना, छुट्टी न लेना, वीकेंड और हौलिडे वाले दिन भी काम पर जाना इत्यादि की वजह से आस्था पर अरुण का शक बढ़ने लगा था. यहां तक कि आस्था उस नए युवक को अपने घर पर भी बुलाया करती थी, जब अरुण घर पर नहीं होता था.

अरुण को यह बात तब पता चली जब पड़ोस के एक दोस्त ने फोन कर के इस बात की सूचना उसे दी थी. शक बढ़ने के साथसाथ इन दोनों के बीच प्यार की जगह झगड़े ने ले ली थी.

वह लगभग हर दिन एकदूसरे के साथ इसी बात को ले कर झगड़ते थे. उन के आपस का यह झगड़ा बच्चों से भी नहीं छिपा था. बच्चों पर उन के झगड़े का बहुत असर पड़ने लगा था. अर्नव और आन्या दोनों अकसर एक साथ ही कमरे में खेलते थे, उन का अपने मांबाप से मिलनाजुलना, खेलना, बातें करना इत्यादि लगभग खत्म ही हो गया था.

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समय के साथसाथ इस दंपति के बीच होने वाला जुबानी झगड़ा मारपीट में तब्दील होने लगा था. झगड़े के बाद अरुण अकसर रात को अपनी फैक्ट्री में सोने के लिए चला जाया करता था. वह लगभग हर दिन ही अपनी फैक्ट्री में सोता था.

उन के बीच इस झगड़े की खबर फैक्ट्री में सिक्युरिटी गार्ड विकास को भी थी. क्योंकि झगड़ा करने के बाद विकास हर रात दारू की बोतल ले कर आता था, अपने गार्ड के साथ बैठ कर दारू पीतेपीते अपने दुखदर्द को बयान करता था और वहीं सो जाता था.

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