सौजन्य- सत्यकथा
एक दिन महेश ने अपने दिल की बात शशि से कह दी. दूसरी तरफ शशि के दिल में भी वासना की आग सुलग रही थी.
अकसर शशि दोपहर को पिता के लिए खाना ले कर खेत पर आती थी. वहीं महेश चंद्र भी टकरा जाते थे. उस के द्वारा खूबसूरती की तारीफ सुन कर शशि शर्म से गड़ जाती थी, बाद में बारबार महेश की बातें उस के जेहन में उमड़नेघुमड़ने लगी थीं. नतीजा यह हुआ कि एक दिन शशि ने खुद को महेश के आगे स्वेच्छा से समर्पित कर दिया.
उम्र के अंतर के बावजूद उन के बीच एकदूसरे की तन्हाई दूर करने का रिश्ता तो बन गया था, लेकिन वह अनैतिक ही था. इस की भनक महेश के बेटे और शशि के पिता को भी लग चुकी थी, किंतु उन्होंने समाज में बात फैलने के चलते आंखें मूंद ली थीं.
इस का एक कारण और भी था कि उन का अनैतिक संबंध रामदास और शशि के लिए अर्थिक मदद का आधार बन चुका था.
महेश और शशि के रिश्ते बहुत दिनों तक गांव में छिप नहीं सके. इसे देखते हुए महेश चंद्र ने शशि का गांव से बाहर रहने का इंतजाम करवा दिया.
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गांव में उस ने शशि के बच्चों की परवरिश का जिम्मा भी उठा कर रामदास के मुंह पर ताला जड़ दिया. शशि जो भी डिमांड करती, महेश उसे पूरा कर देता.
इसी क्रम में महेश चंद्र ने सन 2017 में कानपुर सीमा से सटे मकसूदाबाद में प्लौट खरीद कर 7 लाख रुपए में उसे मकान बनवा दिया. शशि वहीं ठाट से रहने लगी.
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