सौजन्य- मनोहर कहानियां
इस गलती का अहसास उन्हें तब हुआ, जब डिंपल और उस के गैंग के सदस्यों ने उन से करीब 60 लाख रुपए ऐंठ लिए. यह शातिर गैंग डिंपल के सहारे मोटी आसामी को इस तरह फांसता था कि…
गुजरात के जिला ऊंझा की गंजबाजार की एक कंपनी में मेहता (मुनीम) की नौकरी करने वाले मेहताजी आ कर अभी गद्दी पर बैठे ही थे कि उन के
फोन की घंटी बजी. उन्होंने फोन उठा कर स्क्रीन देखी तो पता चला फोन किसी अंजान का है, क्योंकि स्क्रीन पर नाम के बजाए नंबर आ रहा था.
किसी व्यापारी का नया नंबर होगा, यह सोच कर मेहताजी ने फोन उठा लिया. उन्होंने फोन उठा कर जैसे ही ‘हैलो’ कहा, दूसरी ओर से शहद में घुली आवाज आई, ‘‘हैलो मेहताजी, मैं डिंपल बोल रही हूं.’’
हैरान हो कर मेहताजी ने पूछा, ‘‘कौन डिंपल, मैं तो किसी डिंपल को नहीं जानता?’’
‘‘नहीं जानते तो अब जान जाएंगे. मैं तो आप को खूब अच्छी तरह जानती हूं मेहताजी.’’ दूसरी ओर से फिर उसी खनकती आवाज में कहा गया.
‘‘आप भले मुझे जानती हैं, पर मैं तो आप को बिलकुल नहीं जानता. खैर, छोड़ो यह सब. यह बताइए कि आप ने फोन क्यों किया है?’’ मेहताजी ने पूछा.
‘‘दोस्ती करने के लिए,’’ डिंपल ने कहा.
‘‘दोस्तीऽऽ आप मुझ से क्यों दोस्ती करना चाहती हैं?’’ मेहताजी ने हैरानी से पूछा जरूर, पर एक लड़की द्वारा दोस्ती करने की बात सुन कर उन के मन में लड्डू फूटने लगे थे. एक लड़की ने खुद ही दोस्ती का औफर जो किया था. लेकिन उसी समय औफिस में कस्टम आ गए तो उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा है डिंपलजी, अब औफिस में लोग आ गए हैं, इसलिए इस तरह की बातें नहीं हो सकतीं. दोपहर को लंचटाइम में मैं आप को फोन करता हूं.’’
‘‘कितने बजे होता है आप का लंच?’’ डिंपल ने पूछा.
‘‘एक बजे.’’
‘‘तब तक मुझे इंतजार करना होगा? इतनी देर तक कैसे इंतजार करूंगी मैं?’’ वह बोली.
ये भी पढ़ें- Crime: नशे पत्ते की दुनिया में महिलाएं
‘‘जैसे अब तक किया है. आज से पहले जिस तरह आप का काम चल रहा था, उसी तरह चलाइए,’’ मेहता ने कहा.
‘‘मेहताजी, तब की बात और थी. तब आप से दोस्ती कहां हुई थी. अब दोस्ती हो गई है तो इंतजार करना बहुत मुश्किल लग रहा है.’’
‘‘ऐसा है, अब काम करने दो. दोपहर को एक बजे मैं फोन करता हूं. बाय…’’
‘‘बाय करने का मन तो नहीं कर रहा है, पर आप को काम करना है न, इसलिए बेमन से बाय कह रही हूं.’’ डिंपल बोली.
डिंपल ने जैसे ही बाय कहा, मेहताजी ने काल डिसकनेक्ट कर दी और डिंपल का नंबर अपने फोन में सेव कर लिया.
मेहताजी की भी मजबूरी थी, इसलिए न चाहते हुए उन्होंने फोन तो काट दिया था, पर उन का मन यही कर रहा था कि वह काम छोड़ कर बाहर निकल जाएं और डिंपल को फोन लगा कर आराम से बैठ जाएं और खूब बातें करें.
दूसरी ओर वह यह भी सोच रहे थे कि यह डिंपल कौन है, उन्हें कैसे जानती है, उन से क्यों दोस्ती करना चाहती है. यह सब उन की समझ में नहीं आ रहा था. इसी सोच में डूबे होने की वजह से उस दिन काम में उन का मन नहीं लग रहा था. उन का पैसों के हिसाबकिताब का काम था, अगर कुछ गड़बड़ होती तो उन की साख खराब हो सकती थी.
बहरहाल, किसी तरह उन्होंने दोपहर तक का समय बिताया. लंच होते ही लंच बौक्स खोलने के साथ ही उन्होंने डिंपल को फोन लगा दिया.
दूसरी ओर डिंपल जैसे उन्हीं के फोन का इंतजार ही कर रही थी. क्योंकि मेहताजी का फोन लगते ही दूसरी ओर से फोन रिसीव कर लिया गया था.
मायावी प्यार में फंस गए मेहताजी
फोन रसीव होते ही मेहताजी के कानों में घुंघरू जैसी खनकती आवाज आई, ‘‘हैलो मेहताजी, कैसे हैं आप? लगता है, आप भी मेरी तरह मुझ से बात करने के लिए बेचैन थे. इसीलिए लंच होते ही, लगता है टिफिन भी नहीं खोला और फोन लगा दिया.’’
‘‘सही कह रही हो डिंपलजी, अभी लंच बौक्स नहीं खोला है. सोचा कि फोन लगा लूं, आप से बात भी होती रहेगी और लंच भी होता रहेगा. आप से बात करते हुए लंच करने में आज कुछ ही ज्यादा मजा आएगा. शायद खाने का स्वाद भी बढ़ जाएगा.’’ मेहताजी ने मक्खन लगाते हुए कहा.
मेहताजी कुछ और कहते, डिंपल बीच में ही बोल पड़ी, ‘‘अब बस कीजिए मेहताजी, इतना ज्यादा भी मत चढ़ा दीजिए कि नीचे न आ पाऊं. एक बात और, आप यह जो बारबार आप और डिंपलजी कह रहे हैं, दोस्ती में यह अच्छा नहीं लगता. जो प्यार और अपनापन तुम कहने और नाम लेने में झलकता है, वह आप और डिंपलजी में बिलकुल नहीं. इसलिए अब मैं भी तुम्हें आप नहीं तुम कहूंगी. ठीक कहा न?’’ डिंपल बोली.
‘‘ठीक है, मैं वही कहूंगा, जो तुम्हें अच्छा लगेगा.’’
‘‘मैं तुम से बात कर के ही खुश थी. लेकिन अब लगा कि तुम प्यार भी करने लगे हो. अब तो मेरी खुशी की कोई सीमा ही नहीं है. इसलिए अब तो तुम से मिलने का मन हो रहा है.’’ डिंपल ने हंसते हुए कहा, ‘‘मिलोगे मुझ से?’’
‘‘क्यों नहीं. तुम मिलना चाहोगी तो मैं जरूर मिलूंगा. अरे हां, तुम ने अभी तक अपनी कोई फोटो तो भेजी नहीं. जरा देखूं तो मेरी दोस्त कितनी खूबसूरत है.’’
ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग
‘‘मेहताजी, मैं अब केवल तुम्हारी दोस्त ही नहीं रही. बात आगे बढ़ गई है. तुम्हारे दिल का तो पता नहीं, पर मेरे दिल में तो अब कुछकुछ होने लगा है.’’ डिंपल ने कहा, ‘‘मैं अपना फोटो भेज रही हूं. और हां, मेरा फोटो देखते हुए अपना दिल थामे रखना, क्योंकि धड़कन तो बढ़ेगी ही, पर कहीं इतनी न बढ़ जाए कि…’’
मेहताजी को लगा कि डिंपल यह बात कहते हुए मुसकरा रही थी. फोटो भेजने की बात सुन कर ही मेहताजी की धड़कनें बढ़ गई थीं. बात करते हुए ही उन्होंने वाट्सऐप खोल कर देखा तो डिंपल का फोटो आया हुआ था.
मेहताजी ने झट से फोटो डाउनलोड किया. फोटो देख कर वह उसे देखते ही रह गए. डिंपल की खूबसूरती में वह इस तरह खो गए कि उन्हें खयाल ही नहीं रहा कि वह इतनी खूबसूरत लड़की से बात कर रहे हैं.
दूसरी ओर से डिंपल चिल्लाई, ‘अरे, कहां चले गए तुम,’ तब मेहताजी को खयाल आया.
उन्होंने कहा, ‘‘अरे भाई, मैं तुम्हारा फोटो देख रहा था. सचमुच तुम बहुत खूबसूरत हो. मैं तुम्हें देख कर भूल ही गया कि तुम से बात भी कर रहा हूं.’’
‘‘तुम मजाक बहुत अच्छा कर लेते हो. मैं इतनी खूबसूरत तो नहीं हूं कि तुम बात करना ही भूल गए.’’ डिंपल ने कहा.
‘‘कोेई खुद को सुंदर थोड़े ही कहता है. सुंदर तो वही कहेगा, जिसे लगेगा. तुम सुंदर लग रही हो, इसलिए मैं कह रहा हूं. मन करता है कि बस, तुम्हें ही देखता रहूं.’’
‘‘फोटो देखने से क्या होगा?’’
‘‘अब तो तुम से मिलने का मन हो रहा है.’’ मेहताजी ने कहा, ‘‘मैं ने भी अपनी फोटो भेज दी है.’’
‘‘तो आ जाओ. मैं ने कहां मना किया है. रही बात आप के फोटो की तो मैं ने आप से पहले ही कहा था कि मैं आप को जानती हूं.’’
‘‘खैर, उसे छोड़ो, तुम यह बताओ कि तुम से मिलने के लिए कहां आना होगा?’’ मेहताजी ने पूछा.
‘‘ऐसा करो, तुम ऐठोर चौराहे पर आ कर फोन करो. मैं तुम्हें वहीं मिल जाऊंगी.’’ डिंपल ने कहा.
‘‘अभी तो मैं औफिस में हूं. शाम 6 बजे के बाद ही आ सकता हूं.’’ मेहताजी ने कहा.
‘‘कोई बात नहीं, शाम 6 बजे के बाद ही आना. मैं कहीं जा थोड़े ही रही हूं. पर अब मैं भी आप से मिलने के लिए बेकरार हूं. आप की बातों ने मुझे बेचैन कर दिया है.’’ डिंपल ने थोड़ा नशीले अंदाज में कहा. अब तक लंचटाइम खत्म हो चुका था, इसलिए मेहताजी को न चाहते हुए भी फोन काटना पड़ा.
मेहताजी का वह पूरा दिन डिंपल के खयालों में ही बीता. वह बस यही सोचते रहे कि डिंपल से मिल कर क्या बातें करेंगे? क्या कहेंगे? संयोग देखो, उन्होंने शाम को डिंपल से मिलने का वादा कर लिया था, पर वह उस शाम डिंपल से मिलने जा नहीं पाए.
हुआ यह कि उन की कंपनी के डायरेक्टर ने उन्हें किसी व्यापारी को पैसे देने के लिए भेज दिया था. बड़े दुखी मन से उन्होंने डिंपल से माफी मांग ली थी.
उस रात उन्हें नींद नहीं आई. वह डिंपल को ले कर तरहतरह की बातें सोचते रहे कि मिलेंगे तो क्या बातें करेंगे? वह उन से क्या कहेगी? देर रात नींद आई तो उस ने सपने में भी उसे ही देखा. सपने में वह उन से कह रही थी, ‘‘अब मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकती.’’
मेहताजी अभी कुंवारे ही थे. डिंपल पहली लड़की थी, जो उन के जीवन में आई थी. इस के पहले किसी लड़की से इस तरह की बातें करने की कौन कहे, उन की दोस्ती तक नहीं हुई थी. इसीलिए तो उस की रसीली बातों ने उन्हें पागल कर दिया था. जब भी उन्हें मौका मिलता, वह फोन में आई डिंपल की फोटो देख लेते थे. वह उस से मिलने के लिए बेचैन थे. सुबह वह उस से मिल नहीं सकते थे. क्योंकि सुबह मिलने से डिंपल ने मना कर दिया था. उस ने कहा था कि 11 बजे से पहले वह घर से नहीं निकल पाएगी.
जबकि साढ़े 9 बजे मेहताजी को औफिस पहुंचना होता था. वह छुट्टी भी नहीं ले सकते थे. उस दिन औफिस में डायरेक्टर से उन की जरूरी मीटिंग थी. आखिर मन मार कर वह औफिस पहुंच गए.
उस दिन जरूरी काम की बात कह कर वह घर से आधा घंटा पहले निकल गए थे. औफिस पहुंचते ही उन्होंने डिंपल को फोन मिला दिया. बातचीत शुरू हुई तो मेहताजी ने कहा, ‘‘आज लंचटाइम से मैं छुट्टी ले लूंगा. तुम 2 बजे मिलने के लिए तैयार रहना. औफिस से निकलते ही मैं तुम्हें फोन करूंगा.’’
डिंपल तो उन से मिलने के लिए तैयार ही थी. उस ने हामी भर दी. औफिस से निकल कर मेहताजी ने फोन किया तो डिंपल ऐठोर चौराहे पर आ कर खड़ी हो गई.
दोनों ने एकदूसरे के फोटो देखे ही थे, इसलिए एकदूसरे को पहचानने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई. मेहताजी ने डिंपल को देखा तो देखते ही रह गए. इस समय वह फोटो से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी. जवानी में तो वैसे भी हर लड़की खूबसूरत लगती है. जबकि डिंपल तो वैसे भी खूबसूरत थी.
मेहताजी खूबसूरत डिंपल को पा कर निहाल हो गए थे. कुछ पल तक वह उसे निहारते रहे. चौराहे पर खड़े हो कर किसी लड़की से बात करना ठीक नहीं था, इसलिए मेहताजी ने डिंपल से कहीं एकांत में चलने को कहा तो डिंपल बोली, ‘‘कहीं ऐसी जगह ले चलो, जहां तुम्हारे और मेरे अलावा और कोई न हो.’’
मेहताजी ने सोचा था कि डिंपल किसी रेस्टोरेंट में चल कर फैमिली बौक्स में बैठने की बात कहेगी. पर जब उस ने कहीं ऐसी जगह चलने की बात कही कि जहां उन दोनों के अलावा कोई और न हो तो वह असमंजस में पड़ गए. वह इस तरह की जगह के बारे में सोचने लगे. काफी सोचनेविचारने के बावजूद कोई ऐसी एकांत जगह उन की नजर में नहीं आई, जहां उसे ले कर जाते. क्योंकि वह समझ गए थे कि डिंपल इस तरह की जगह पर चलने के लिए क्यों कह रही है.
पहली मुलाकात में ही हो गईं हसरतें पूरी
आखिर वह उसे ले कर अपने एक दोस्त के औफिस पहुंच गए. तब डिंपल खीझ कर बोली, ‘‘तुम्हें यही एकांत जगह मिली थी? औफिस में क्या होगा?’’
मेहताजी सोच में पड़ गए. जब कुछ देर तक वह कुछ नहीं बोले तो डिंपल ने कहा, ‘‘क्या सोच रहे हो? तुम्हारे पास कोई ऐसी जगह नहीं है क्या, जहां मेरे और तुम्हारे अलावा और कोई न हो?’’
थोड़ा सकुचाते हुए मेहताजी ने कहा, ‘‘हां, मेरे पास ऐसी कोई जगह नहीं है. कहो तो किसी होटल में कमरा ले लेते हैं. पर इस तरह किसी होटल में जाएंगे तो होटल वाला भी हमारे बारे में अच्छा नहीं सोचेगा.’’
‘‘मैं होटल में वैसे भी नहीं जाऊंगी. आप के पास ऐसी कोई जगह नहीं है तो मेरे साथ चलो. मेरे पास है ऐसी जगह. मेरी सहेली का घर है. इस समय वह मायके गई हुई है. देखभाल के लिए घर की चाबी मुझे दे गई है. वहां किसी तरह का कोई डर नहीं है. आराम से बैठ कर जब तक मन होगा, तब तक बातें करेंगे. और हां, खानेपीने के लिए कुछ साथ लेते चलेंगे, जिस से अंदर जाने के बाद फिर किसी चीज के लिए बाहर निकलना न पड़े.’’
मेहताजी भी तो इसी तरह की जगह चाहते थे. डिंपल की सुंदरता और उस की बातों में वह कुछ इस तरह खो चुके थे कि यह भी नहीं सोच पा रहे थे कि डिंपल आखिर उस पर इतना क्यों मेहरबान है कि पहली ही मुलाकात में वह उसे ऐसी जगह ले जा रही है, जहां उन दोनों के अलावा और कोई न हो.
डिंपल के साथ ऐसी जगह जा कर क्या होगा, वह इस से भी अंजान नहीं थे. लेकिन जब आदमी की मति मारी जाती है तो वह अपना भलाबुरा नहीं सोच पाता.
ये भी पढ़ें- Crime: दोस्ती, अश्लील फोटो वाला ब्लैक मेलिंग!
यही हुआ मेहताजी के साथ. वह भी अपना भलाबुरा नहीं सोच पाए. रास्ते में एक रेस्टोरेंट से खानेपीने का अच्छाखासा सामान बंधवा कर वह डिंपल के साथ उस की सहेली के घर पहुंचे तो घर पर ताला लगा था.
ताला खोल कर दोनों अंदर पहुंचे तो घर एकदम साफसुथरा था. कहीं से ऐसा नहीं लग रहा था कि यह घर कई दिनों से बंद था. पर मेहताजी ने इस बात पर भी ध्यान ही नहीं दिया.
मेहताजी सोफे पर बैठे तो डिंपल भी उन से सट कर बैठी ही नहीं, बल्कि उन की गोद में लेट सी गई. मेहताजी भी डिंपल का इरादा भांप कर अपने काम में लग गए. उन्होंने उस के शरीर पर अपने हाथों से हरकत करनी शुरू कर दी. थोड़ी ही देर में वह सब हो गया,
जो एक मर्द और औरत के बीच में एकांत में होता है.
इस के बाद तो डिंपल और मेहताजी के बीच फोन पर खूब बातें तो होती ही थीं, जब देखो, तब मेहताजी डिंपल से मिलने भी लगे थे. मेहताजी को डिंपल से मिलने में मजा भी खूब आ रहा था.
पर एक दिन जब मेहताजी अपनी कार से डिंपल के कहने पर उसे विसपुर छोड़ने जा रहे थे तो रास्ते में एक युवक मिला जो उन से लड़नेझगड़ने लगा.
वह डिंपल को अपनी पत्नी बता कर मेहताजी पर आरोप लगाने लगा कि इस आदमी ने उस की पत्नी को बहलाफुसला कर अवैध संबंध बना लिए हैं. अब वह ऐसी औरत को कतई नहीं रखेगा, जिस के किसी अन्य पुरुष से संबंध हैं.
डिंपल भी रोने लगी कि अब वह कहां जाएगी. वह मेहताजी से कहने लगी कि अगर उस का पति उसे नहीं रख रहा है तो वह उसे अपने साथ रखें.
मेहताजी तो डिंपल के साथ सिर्फ मौजमजा करना चाहते थे. उन्होंने इस बारे में कभी सोचा ही नहीं था कि मौजमजा के चक्कर में बात यहां तक पहुंच जाएगी. डिंपल अब उन के गले की हड्डी बन गई थी. वह डिंपल के चक्कर में बुरी तरह फंस चुके थे.
अगले भाग में पढ़ें- 35 लाख में हुआ समझौता