सौजन्य- मनोहर कहानियां
‘‘खबर एकदम पक्की है न.’’ एएसआई अशोक ने फोन डिसकनेक्ट करने से पहले अपनी
तसल्ली के लिए उस शख्स से एक बार फिर सवाल किया, जिस से वह फोन पर करीब पौने घंटे से बात कर रहे थे.
‘‘जनाब एकदम सोलह आने पक्की खबर है... आज तक कभी ऐसा हुआ है क्या कि मेरी कोई खबर झूठी निकली हो.’’ दूसरी तरह से सवाल के बदले मिले इस जवाब के बाद अशोक ने ‘‘चल ठीक है... जरूरत पड़ी तो तुझ से फिर बात करूंगा.’’ कहते हुए फोन डिसकनेक्ट कर दिया.
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के एसटीएफ दस्ते में तैनात सहायक सबइंसपेक्टर अशोक कुमार की अपने सब से खास मुखबिर से एक खास खबर मिली थी. वह कुरसी से खड़े हुए और कमरे से बाहर निकल गए.
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की स्पैशल टास्क फोर्स यूनिट में तैनात एएसआई अशोक कुमार दिल्ली पुलिस में अकेले ऐसे पुलिस अफसर हैं, जिन का बंगलादेशी अपराधियों को पकड़ने का अनोखा रिकौर्ड है. बंगलादेशी अपराधियों के खिलाफ अशोक कुमार का मुखबिर व सूचना तंत्र देश में ही नहीं, बल्कि बंगलादेश तक में फैला है.
बंगलादेश तक फैले मुखबिरों का नेटवर्क अशोक को फोन या वाट्सऐप से जानकारी दे कर बताता है कि किस बंगलादेशी अपराधी ने किस वारदात को अंजाम दिया है.
अशोक कुमार को जो सूचना मिली थी, वह बंगलादेश में उन के एक भरोसेमंद मुखबिर से मिली थी. सूचना यह थी कि बंगलादेश का एक अपराधी, जिस का नाम मासूम है, को हत्या के एक मामले में बंगलादेश की अदालत से फांसी की सजा मिली थी, लेकिन वह भारत भाग आया था.
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