सौजन्य- सत्यकथा
लेखक- शाहनवाज
सुबहसुबह साढ़े 7 बजे के करीब गुरुग्राम के राजेंद्र पार्क इलाके में जब सायरन बजाती पुलिस की गाडि़यां आईं, तब अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते हुए लोग चौंक पड़े. कोई बाथरूम में फ्रैश हो रहा था, तो कोई अपनी बालकनी में ब्रश कर रहा था तो कोई अपने फूलों के गमलों की देखरेख में लगा हुआ था.
कई घरों के किचन से कुकर की सीटियां बजने लगी थीं. कोई अपने पालतू कुत्ते के साथ सैर पर था, जबकि कुछ लोग वहीं छोटे से पार्क में जौगिंग और एक्सरसाइज कर रहे थे. हर दिन की तरह ही 24 अगस्त को साफ आसमान और सूरज की चमकदार किरणों वाले दिन की शुरुआत हो चुकी थी.
सायरन की आवाज सुन कर अचानक सभी लोगों का ध्यान उस ओर चला गया. उस वक्त गली में भी कुछ लोगों का आनाजाना शुरू हो चुका था. गाडि़यां उन के बीच से गुजरती हुई एक घर के आगे रुकीं. गाडि़यों से पुलिसकर्मियों को उतरते देख आसपास के लोग धीमी आवाज में बातें करने लगे थे. कुछ लोग अपनीअपनी छतों पर या बालकनी में भी आ गए थे.
पुलिसकर्मी जब एक घर के आगे खड़े हो कर अपने हाथों में रबर के ग्लव्स पहनने शुरू किए, तब वहां मौजूद लोगों के मन में जानने की उत्सुकता बढ़ गई. जिस घर के आगे इकट्ठे हुए थे, वह घर रिटायर्ड फौजी राव राय सिंह का था.
गुरुग्राम थाने के थानाप्रभारी इंसपेक्टर सुरेंदर गाड़ी से उतरे. उन्होंने भी अपने हाथों में रबर का ग्लव्स पहन लिया और 10-12 पुलिसकर्मियों का नेतृत्व करते हुए सब से पहले मकान में प्रवेश किया.
पुलिस की टीम मकान में जा कर 2 हिस्सों में बंट गई. एक ऊपर की मंजिलों पर चली गई, जबकि दूसरी इंसपेक्टर सुरेंदर के साथ ग्राउंड फ्लोर पर बनी रही. वहां कई कमरे थे, पुलिस ने सभी का एकएक कर दरवाजा खटखटाया.
अधिकतर कमरों के दरवाजे बाहर से ही बंद या भिड़े हुए थे. कहीं किसी कमरे में कुछ नहीं मिला. बस एक में बुजुर्ग महिला कुरसी पर बैठी दिखी. पास ही एक लड़की पलंग पर सोई हुई थी.
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पुलिस ने उस बुजुर्ग महिला को बाहर निकलने का इशारा किया. वह सो रही लड़की को जगा कर कुछ मिनट बाद कमरे से बाहर आई. लड़की उस की पोती थी और उस ने खुद को राव राय सिंह की पत्नी विमलेश यादव बताया.
ग्राउंड फ्लोर के साथसाथ पहली मंजिल पर भी सूचना के मुताबिक गहन छानबीन जारी थी. कुछ सेकेंड बाद टीम के एक सदस्य ने आवाज लगा कर थानाप्रभारी को पुकारा. वह तुरंत भागते हुए सीढि़यों से पहली मंजिल पर जा पहुंचे. उस कमरे में घुसे जहां से उन्हें आवाज लगाई गई थी.
कमरे में घुसते ही थानाप्रभारी कमरे का दृश्य देख कर अवाक रह गए. कमरे के फर्श पर एक महिला का शव पड़ा था. पूरे कमरे के फर्श पर खून फैल चुका था. शव पर गहरे जख्म का निशान था, उस में से खून रिस रहा था.
थानाप्रभारी अभी वहां का मुआयना कर ही रहे थे कि दूसरी मंजिल से एक अन्य पुलिसकर्मी ने चीखने जैसी आवाज लगाई. थानाप्रभारी तुरंत भागेभागे दूसरी मंजिल के उसी कमरे में जा पहुंचे, जहां से उन्हें आवाज दी गई थी.
कमरे में पहुंचते ही थानाप्रभारी हक्केबक्के रह गए. कमरे के फर्श पर एकदो नहीं, बल्कि 4 लाशें पड़ी हुई थीं. वहां का दृश्य देख कर पुलिसकर्मियों के माथे से पसीना छूटने लगा था. उन 4 लाशों में 2 छोटीछोटी बच्चियां थीं.
सभी लाशों के बारे में प्राथमिक जानकारी जुटाई गई. उस के मुताबिक पहली मंजिल के कमरे से बरामद लाश सुनीता यादव की थी. वह राव राय सिंह की बहू थी. इसी तरह दूसरी मंजिल के कमरे से मिली लाशों में एक लाश वहां रहने वाले किराएदार कृष्णकांत तिवारी (40), दूसरी तिवारी की पत्नी अनामिका तिवारी (32) और बाकी दोनों लाशें उन की बेटियों सुरभि तिवारी (9) और विधि तिवारी (6) की थी. सभी के शरीर पर एक जैसे गहरे जख्म के निशान थे.
मकान में मौजूद पुलिस की टीम ने लाशों को निकालने का काम शुरू किया. इसी क्रम में पता चला कि 6 साल की विधि की सांसें चल रही हैं. पुलिस टीम तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल ले गई.
राव राय सिंह के घर के बाहर लाशों को देख कर लोग हैरान थे. वे समझ नहीं पर रहे थे कि आखिर इतनी लाशें कैसे और क्यों? साथ ही सभी की आंखें राव राय सिंह को भी तलाश रही थीं. वह नजर नहीं आ रहा था.
इलाके के लोगों को पता था कि पहली मंजिल पर राय सिंह की बहू सुनीता यादव और दूसरी मंजिल पर किराएदार कृष्णकांत तिवारी अपने परिवार के साथ रहते थे. सभी लाशों को देख कर यह तो स्पष्ट हो गया था कि उन की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.
उन की हत्या कैसे और किस ने की होगी, इन सवालों के साथसाथ एक सवाल और था कि आखिर राव राय सिंह कहां है?
उसी दोरान जांच में पता चला कि इस जघन्य हत्याकांड की नींव में एक मकान मालिक और उस के किराएदार के बीच आपसी रिश्ते के मिठास और खटास के साथ उस में भर चुकी कड़वाहट की कहानी शामिल है, जो वीभत्स हत्या का मुख्य कारण बन गई.
बिहार में सीवान के रहने वाले कृष्णकांत तिवारी ने करीब ढाई साल पहले राव राय सिंह के मकान में दूसरी मंजिल पर किराए का कमरा लिया था. वह गुरुग्राम की एक कंपनी में काम करते थे.
उस से पहले वह पास में ही लक्ष्मण विहार में किराए के कमरे में रहते थे. उन्होंने बिहार से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और दिल्ली आने पर शुरुआत से ही गुरुग्राम में अपने परिवार के साथ रहते थे.
कृष्णकांत जब राव राय सिंह के मकान में आए, तब वहां बहुत जल्द मकान मालिक के सभी सदस्यों के प्रिय बन गए. इस कारण उन्हें काफी अपनापन सा महसूस होता था. उन के बच्चे छोटे थे और पत्नी अनामिका की राय सिंह की बहू सुनीता यादव के साथ अच्छी पटती थी.
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राय सिंह के एकलौते बेटे आनंद यादव, जो गुड़गांव की जिला अदालत में वकील थे, की पत्नी सुनीता यादव अलग मिजाज की औरत थी. वह अपनी ही दुनिया में मस्त रहती थी.
अपनी मरजी से अकसर मायके चली जाती थी. उस की इन्हीं आदतों से न केवल पति, बल्कि ससुर राय सिंह और सास तक परेशान रहते थे.
सुनीता और अनामिका हमउम्र होने के चलते आपस में अपनी बातें शेयर करती थीं. उन के बीच हंसीमजाक चलता रहता था. वह अनामिका के कमरे में बेधड़क आयाजाया करती थी.
इसी क्रम में वह कृष्णकांत से भी बातचीत करने में काफी खुली हुई थी.
राय सिंह की पहचान इलाके में सब से शांत व्यवहार रखने वाले लोगों में थी.
फौज से रिटायर हो जाने के बाद उन्होंने प्रौपर्टी का काम कर रखा था. उस के लिए अपने घर के नीचे ही औफिस बना लिया था.
जब एकएक कर 5 लाशें उन के घर से निकल रही थीं, उस वक्त राय सिंह दिखाई नहीं दिया. लोग सोच रहे थे कि वह अचानक कहां चला गया, जबकि उन्हें बीते दिन की शाम को लोगों ने देखा था. यहां तक कि कुछ लोगों ने उसे सुबह पार्क में भी मौर्निंग वाक करते देखा था.
दूसरी तरफ गुरुग्राम थाने की पुलिस 24 अगस्त की सुबह अलसाई हुई बैठी थी. थानाप्रभारी इस बात से निश्चिंत थे कि रात शांति से गुजरी. इलाके में किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. उन्होंने एक कांस्टेबल को चाय लाने के लिए कहा और खुद फ्रैश होने चले गए.
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