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सौजन्य- मनोहर कहानियां

पुलिस अफसरों ने मौकामुआयना किया. रूपा ने फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी. अफसरों ने कमरे की तलाशी ली. चीजों को उलटपुलट कर देखा, ताकि कुछ पता चल सके कि रूपा ने यह कदम क्यों उठाया, लेकिन न तो कोई सुसाइड नोट मिला और न ही ऐसी कोई बात पता चली, जिस से रूपा के आत्महत्या करने के कारणों पर कोई रोशनी पड़ती. पुलिस अफसर समझ नहीं पाए कि ऐसा क्या कारण रहा कि रूपा ने खुदकुशी कर ली? अविवाहित रूपा 2018 बैच की तेजतर्रार महिला सबइंसपेक्टर थी.

अफसरों ने रूपा के परिवार वालों को फोन कर के इस घटना की सूचना दी. रूपा के परिजन झारखंड की राजधानी रांची के पास रातू गांव के कांटीटांड में रहते थे. रूपा के फांसी लगाने की बात सुन कर उस के मातापिता अवाक रह गए.

रात ज्यादा हो गई थी. पुलिस ने रूपा का शव फांसी के फंदे से उतरवा कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भिजवा दिया.

दूसरे दिन 4 मई को रूपा के परिवार वाले साहिबगंज पहुंच गए. रूपा की मां पद्मावती उराइन ने पुलिस को बताया कि 3 मई को दोपहर करीब 3 बजे रूपा से उन की बात हुई थी. तब रूपा ने कहा था कि वह जो पानी पी रही है, वह दवा जैसा कड़वा लग रहा है. बेटी की इस बात पर मां ने उस से तबीयत के बारे में पूछा. रूपा ने मां को बताया कि उस की तबीयत ठीक है. इस पर मां ने उसे आराम करने की सलाह दी थी.

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महिला थानाप्रभारी बनने पर रूपा को जब पुलिस की सरकारी गाड़ी मिली तो दोनों उसे ज्यादा टार्चर करने लगी थीं. दोनों ने कुछ दिन पहले रूपा को किसी हाईप्रोफाइल केस को मैनेज करने के लिए एक नेता पंकज मिश्रा के पास भी भेजा था. पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नजदीकी रहा है.

परिवार वालों ने कहा कि रूपा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई है. मां ने बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए साहिबगंज एसपी को तहरीर दी. उन्होंने इस मामले में कमेटी गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि उस की बेटी के क्वार्टर के सामने रहने वाली एसआई मनीषा कुमारी और ज्योत्सना महतो हमेशा रूपा को टार्चर करती थीं. वे उस से जलती थीं और हमेशा उसे नीचा दिखाने की कोशिश करती थीं.

एक तेजतर्रार पुलिस अफसर के तथाकथित रूप से आत्महत्या करने की बात रूपा के गांव में किसी के गले नहीं उतर रही थी. उस के पिता सीआईएसएफ जवान देवानंद उरांव और मां पद्मावती सहित सभी घर वालों का आरोप था कि रूपा की हत्या किसी साजिश के तहत की गई है और इसे आत्महत्या का नाम दिया जा रहा है.

रूपा 2018 में पुलिस एसआई बनने से पहले बैंक औफ इंडिया में काम करती थी. उस ने रांची के सेंट जेवियर कालेज से पढ़ाई पूरी की थी. उसे नवंबर 2020 में ही साहिबगंज में महिला थानाप्रभारी बनाया गया था. उस ने यह जिम्मेदारी संभालने के बाद महिला उत्पीड़न रोकने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए थे.

मामला गंभीर था. रूपा की 2 बैचमेट महिला सबइंसपेक्टरों और मुख्यमंत्री के करीबी नेता पंकज मिश्रा पर आरोप लग रहे थे. रूपा की मौत को हत्या मानते हुए लोगों ने सोशल मीडिया पर ‘जस्टिस फौर रूपा’ शुरू कर दिया.

रूपा के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए झारखंड के कई प्रमुख नेता भी आगे आ गए. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रूपा की मौत को मर्डर मिस्ट्री बताते हुए इस की सीबीआई से जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि रूपा के परिवार वालों के आरोप से यह मामला संदेहास्पद है. मरांडी ने कहा कि ऐसे राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्ति पर आरोप लगे हैं, जो मौजूदा सरकार में कुख्यात रहा है.

प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा ने भी सीबीआई जांच की मांग करते हुए राज्यपाल को औनलाइन ज्ञापन भेजा. मांडर के विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा कि रूपा किसी बड़ी साजिश की शिकार हुई है. इसलिए इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए.

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बोरियो से सत्तारूढ़ गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम ने भी इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग उठाई. राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि मामले में आरोपी पंकज मिश्रा पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हाथ है. मिश्रा साहिबगंज में सब तरह के वैधअवैध काम करता है.

एसआईटी को सौंपी जांच

मामला तूल पकड़ता जा रहा था. जिस पंकज मिश्रा पर आरोप लगाए गए, वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साहिबगंज में प्रतिनिधि है. आरोपों से घिरने पर सफाई देते हुए मिश्रा ने कहा कि वह पिछले महीने मधुपुर चुनाव में व्यस्त था. इस के बाद कोरोना पौजिटिव होने पर रांची के मेदांता अस्पताल में भरती थे.

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