चंचल और हसीन सोनम को रोकनेटोकने वाला अब कोई नहीं था. पति के जाते ही वह बनसंवर कर घर के बाहर ताकझांक करने लगती. हालांकि वह 2 बेटियों की मां बन चुकी थी. लेकिन उस की उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था.
सोनम के घर कमलेश का आनाजाना था. वह सोनम की फुफेरी बहन दीपिका का पति था. कमलेश मूलरूप से महाराजगंज (रायबरेली) का रहने वाला था, लेकिन कानपुर शहर में रानीगंज (काकादेव) मोहल्ले में रहता था. वह शटरिंग का काम करता था.
कमलेश और सोनम का रिश्ता जीजासाली का था. इस नाते वह सोनम से हंसीमजाक व छेड़छाड़ भी कर लेता था. सोनम उस की हंसीमजाक का बुरा नहीं मानती थी, बल्कि वह खुद भी उस से छेड़छाड़ व मजाक करती थी.सोनम को कमलेश की लच्छेदार बातें भी बहुत पसंद आती थीं, इसलिए वह भी उस से खूब बतियाती थी. दरअसल, दोनों के दिलों में एकदूसरे के प्रति चाहत पैदा हो गई थी. कमलेश जब भी उस के रूपसौंदर्य की तारीफ करता था तो सोनम के शरीर में अलग तरह की तरंगे उठने लगती थीं.
2 बच्चों की मां बनने के बाद सोनम के रूपलावण्य में और भी निखार आ गया था. उस का गदराया यौवन और भी रसीला हो गया था. झील सी गहरी आंखों में मादकता छलकती थी. संतरे की फांकों जैसे अधरों में ‘शहद जैसा द्रव्य’ समा गया था. सुराहीदार गरदन के नीचे नुकीले शिखर किसी को भी आकर्षित करने के लिए पर्याप्त थे. उस की नागिन सी लहराती काली चोटी सदैव नितंबों को चूमती
रहती थी.
घर आतेजाते कमलेश अकसर सोनम के रूपलावण्य की तारीफ करता था. किसी मर्द के मुंह से अपनी तारीफ सुनना हर औरत की सब से बड़ी कमजोरी होती है. सोनम से भी रहा नहीं गया.
कमलेश ने एक रोज उस के हुस्न और जिस्म की तारीफ की तो वह फूल कर गदगद हो गई. फिर वह बुझे मन से बोली, ‘‘ऐसी खूबसूरती किस काम की, जिस की तरफ पति ध्यान ही न दे.’’
कमलेश को सोनम की किसी ऐसी ही कमजोर नस की तलाश थी. जैसे ही उस ने अपने पति की बेरुखी का बखान किया, कमलेश ने उस का हाथ थाम लिया, ‘‘तुम चिंता क्यों करती हो, हीरे की परख जौहरी ही करता है. आज से तुम्हारे दुख मेरे हैं और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी.’’
कमलेश की लच्छेदार बातों ने सोनम का मन मोह लिया. वह उस की बातों और उस के व्यक्तित्व की पूरी तरह कायल हो गई. अंदर ही अंदर उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. आखिर में मन बेकाबू होने लगा तो सोनम ने कांपते होंठों से कहा, ‘‘अब तुम जाओ, उस के आने का समय हो गया है. कल दोपहर में आना. मैं इंतजार करूंगी.’’
कमलेश ने वह रात करवटें बदलते काटी. सारी रात वह सोनम के खयालों में डूबा रहा. सुबह वह देर से जागा. दोपहर होतेहोते वह सजसंवर कर सोनम के घर जा पहुंचा. सोनम उसी का इंतजार कर रही थी. उस ने उस दिन खुद को कुछ विशेष ढंग से सजायासंवारा था. कमलेश ने पहुंचते ही सोनम को अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘आज तो तुम इंद्र की परी लग रही हो, जी चाहता है नजर न हटाऊं.’’
‘‘थोड़ा सब्र से काम लो जीजाजी. इतनी बेसब्री ठीक नहीं होती,’’ सोनम ने मुसकरा कर कहा, ‘‘कम से कम दरवाजा भीतर से बंद कर लो, वरना किसी आनेजाने वाले की नजर पड़ गई तो हंगामा बरप जाएगा.’’
कमलेश ने फौरन घर का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया. फिर बेकरार कमलेश ने सोनम को गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया. सोनम ने भी कस कर उसे जकड़ लिया. कमलेश की गर्म बांहों में गजब का जोश था. आनंद का मोती पाने के लिए वह सोनम के शबाब के सागर में गहरे उतरता चला गया.
जीजा के जोश से सोनम निहाल हो गई. उस ने भी जीजा का उत्साह बढ़ाते हुए अपना बदन उस से रगड़ना शुरू कर दिया. कमलेश का तूफान जब थमा तो सोनम के चेहरे पर असीम तृप्ति थी. सोनम ने कभी पति से ऐसी संतुष्टि नहीं पाई थी, जैसी जीजा से पाई.
सोनम से नशीला सुख पा कर कमलेश फूला नहीं समा रहा था. सोनम भी सैक्स का साथी पा कर खुश थी. बस, उस रोज से दोनों के बीच वासना का खेल अकसर खेला जाने लगा. अब कमलेश अकसर सोनम से मिलन करने आने लगा. सोनम के लिए अब पति का कोई महत्त्व नहीं
रह गया, क्योंकि सैक्स का साथी जीजा बन गया.
सोनम के पति सर्वेश और कमलेश में खूब पटती थी. रविवार के दिन जब सर्वेश की दुकान बंद रहती तो कमलेश शराब की बोतल ले कर सर्वेश के घर आ जाता फिर दोनों की महफिल जमती. सोनम भी उन का साथ देती.
कमलेश सोनम से खुल कर हंसीमजाक करता. जीजासाली का रिश्ता था, अत: सर्वेश ने कभी आपत्ति नहीं की. मजाकमजाक में कमलेश रिश्ते की हद भी पार कर जाता, लेकिन सर्वेश खुल कर उस का विरोध नहीं कर सका.
साढ़ू के नाजुक रिश्ते की उस ने हमेशा मर्यादा बनाए रखने की कोशिश की थी. लेकिन सोनम थी कि उसे जरा भी इस की परवाह नहीं थी. वह खुल कर कमलेश के उल्टेसीधे मजाकों के जवाब देती और उस से घुलमिल कर तरहतरह की बातें करती.सर्वेश ने कई बार सोनम को उस की हरकतों के लिए आगाह किया, लेकिन वह हर बार सर्वेश को अपनी लागीलिपटी बातों से फुसला लेती.