सौजन्य- मनोहर कहानियां
इस के बाद शोभना और काव्या की लाशों को कब्जे में ले कर घटनास्थल की सारी काररवाई पूरी कर दोनों ही लाशों को बड़ौदा के सयाजीराव गायकवाड़ अस्पताल भिजवा दिया गया, जहां अगले दिन यानी सोमवार को दोनों लाशों का पोस्टमार्टम डा. आर.वी. पटेल ने अपने 2 सहयोगियों के साथ किया.
जहर से मौत की हुई पुष्टि
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि मांबेटी की मौत जहर से हुई थी, गला दबाने से नहीं. पर जहर देने के बाद दोनों का गला दबाया गया था, जिस का निशान शोभना के गले पर पाया गया था.
दोनों की मौत जहर से ही हुई थी, इस की सहीसही जानकारी के लिए दोनों के विसरा जांच के लिए भेज दिए गए थे. पोस्टमार्टम होने के बाद मृतका के घर वालों ने दोनों लाशों को पंचमहल स्थित गांव ले जा कर अंतिम संस्कार कर दिया.
पुलिस ने उसी दिन तेजस के घर जा कर तलाशी ली तो घर से चूहा मारने वाली दवा मिली. इस के अलावा डस्टबीन से कोन आइसक्रीम के रैपर, फ्रिज में आधी चौकलेट तथा आइसक्रीम मिली थी.
पुलिस ने पड़ोसियों से पूछा कि यहां चूहे बहुत हैं क्या? पड़ोसियों ने बताया कि यहां चूहे बिलकुल नहीं हैं. तब पुलिस यह सोचने पर मजबूर हो गई कि जब यहां चूहे नहीं हैं तो तेजस के घर चूहा मारने की दवा कहां से और क्यों आई? कहीं यह दवा उस ने पत्नी और बेटी को तो नहीं खिलाई थी?
अब तक मिले तथ्यों से पूरी तरह साफ हो गया था कि शोभना और काव्या की हत्या की गई थी और यह हत्या किसी और ने नहीं शोभना के पति और काव्या के पिता तेजस पटेल ने ही की थी.
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शक के आधार पर पुलिस ने तेजस को हिरासत में ले लिया. तेजस को थाने ला कर थानाप्रभारी ने जोन-4 के डीसीपी लखधीर सिंह की मौजूदगी में पूछताछ शुरू की.
तेजस ने बहाने तो बहुत बनाए, पर पुलिस के आगे उस की एक नहीं चली. क्योंकि सारे सबूत उस के खिलाफ थे. आखिर रोते हुए उस ने पत्नी और बेटी की हत्या का अपराध स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘क्या करता सर, मैं बहुत परेशान हो गया था अपनी इस पत्नी से. उस ने मेरा जीना हराम कर दिया था. इसलिए मजबूर हो कर मैं ने उस की हत्या की है.’’
इस के बाद तेजस पटेल ने पत्नी और बेटी की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.गुजरात के जिला पंचमहल के गांव एरडी में अपने परिवार के साथ रहते थे चंद्रकांत बारिया. उन के परिवार में पत्नी बिमलाबेन के अलावा बेटा जितेंद्र बारिया तथा एक बेटी शोभना थी. चंद्रकांत बड़ौदा में नौकरीकरते थे. इसलिए उन का परिवार बड़ौदा में ही रहता था.
पहले वह बड़ौदा शहर में किराए के मकान में रहते थे. लेकिन जब उन का बेटा भी कमाने लगा तो उन्होंने बड़ौदा शहर से बाहर न्यू समा रोड पर स्थित चंदन पार्क सोसायटी में अपना मकान खरीद लिया. इस के बाद उन्होंने अपने बेटे की शादी कर दी.
बापबेटे मिल कर ठीकठाक कमा रहे थे. इसलिए उन्होंने जो मकान खरीदा था, उस में दो मंजिल और बनवा कर किराए पर उठा दिया था.
उन की बेटी शोभना ने बीए पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. पढ़ाई छोड़ कर वह घर में ही रहती थी. जब वह शादी लायक हुई तो चंद्रकांत ने सन 2012 में उस की शादी पंचमहल में ही अपने पुश्तैनी गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर नांदरवा गांव में तेजस पटेल के साथ कर दी थी. 12वीं पास कर के तेजस गांव में खेती करता था. शोभना उम्र में तेजस से 6 साल बड़ी थी.
तेजस की क्रोमा स्टोर में लगी नौकरी
शोभना शहर में रह कर पलीबढ़ी थी. भला वह गांव में कैसे रह सकती थी. उस ने यह बात अपने भाई और पिता से कही तो उस के भाई जितेंद्र बारिया ने तेजस को शादी के लगभग साल भर बाद यानी 2013 में बड़ौदा बुला लिया और यहां गेंडा सर्कल के पास स्थित क्रोमा स्टोर में सेल्समैन की नौकरी लगवा दी.
बड़ौदा में नौकरी लग जाने के बाद तेजस बड़ौदा में किराए का मकान ले कर पत्नी शोभना के साथ रहने लगा. बड़ौदा आने के लगभग डेढ़ साल बाद उन के घर एक बेटी पैदा हुई, जिस का नाम उन्होंने काव्या रखा.
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तेजस को उस स्टोर से जितना वेतन मिलता था, उस से उस का खर्च किसी तरह चलता था. जबकि शोभना की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा थीं. उस में कभी तेजस के घर से कोई आ जाता तो उस का बजट गड़बड़ा जाता. जिसे ठीक करने में उसे कई महीने लग जाते.
उस का बजट ठीक होतेहोते फिर कोई आ जाता, जिस की वजह से वह हमेशा परेशान ही रहता था. इस का असर शोभना पर भी पड़ता. बजट गड़बड़ होने की वजह से तेजस उस की अपेक्षाएं पूरी नहीं कर पाता था, जिस की वजह से उस की तेजस से लड़ाई होती रहती थी.
बेटी होने पर घर का खर्च और बढ़ गया. तेजस का वेतन उतना नहीं बढ़ा था, जितना खर्च बढ़ गया था. खर्च को ले कर तेजस तो परेशान रहता ही था, साथ ही शोभना भी परेशान रहती थी. उस ने यह बात अपने पिता चंद्रकांत बारिया से कही तो वह भी बेटी की परेशानी से परेशान हो गए.
अब तक उन्होंने अपने मकान पर एक मंजिल और बनवा ली थी, जिसे अभी उन्होंने किराए पर नहीं दिया था. बेटीदामाद को परेशान देख कर उन्होंने बेटी से कहा, ‘‘बेटा, तुम ऐसा करो, अपना किराए का मकान छोड़ कर यहीं मेरे मकान में आ जाओ. वहां जो किराया दे रही हो, वह बचेगा, जो तुम्हारे अन्य खर्च में काम आएगा.’’
‘‘पर तेजस यहां आने को तैयार नहीं होगा.’’ शोभना ने कहा.
‘‘क्यों?’’ चंद्रकांत ने पूछा.
‘‘ससुराल में रहना उसे पसंद नहीं है. यहां रहना वह अपनी बेइज्जती समझता है.’’
‘‘इस में बेइज्जती की क्या बात है बेटा. अरे, जैसे मेरे लिए जितेंद्र है, उसी तरह तेजस है. इसलिए उसे यहां रहने में क्या परेशानी है.’’ चंद्रकांत ने कहा.
‘‘पापा, मैं तो इस बारे में तेजस से कुछ बात कर नहीं सकती. क्योंकि मैं कहूंगी तो मेरी बात वह मानेगा नहीं. इसलिए जो कुछ भी कहना है, आप ही कहिए. आप कहेंगे तो आप की बात वह टालेगा नहीं.’’ शोभना बोली.
इस के बाद ससुर के कहने पर तेजस पत्नी और बेटी के साथ ससुर के चंदन पार्क सोसायटी स्थित मकान में रहने आ गया. उस मकान में पहली मंजिल पर उस के सासससुर और दूसरी मंजिल पर साला जितेंद्र अपनी पत्नी के साथ रहता था. तीसरी मंजिल खाली थी, जिस में तेजस शोभना बेटी काव्या के साथ रहने लगा.
अब शोभना अपने मायके में थी. घर उस के बाप का था. मांबाप और भाई साथ ही रहते थे, इसलिए वह पति पर हावी होने लगी. वहां तेजस की बिलकुल नहीं चलती थी. जब तक तेजस बड़ौदा में किराए के मकान में रहा, वहां उस के मांबाप और भाईबहन भी कभीकभार मिलने आ जाते थे. लेकिन जब से वह ससुराल में रहने आया, शोभना उन के आने पर रोक लगाने लगी.
वह तेजस से साफ कहती, ‘‘यह घर मेरे बाप का है, तुम्हारे बाप का नहीं. इसलिए यहां वही आएगा, जिसे मैं चाहूंगी. ये जो तुम्हारे घर वाले हमें लूटने आते हैं न, इन से साफसाफ कह दो, अब तक उन्होंने बहुत लूट लिया. यहां हमारा ही खर्च नहीं पूरा होता, उसी में वे लोग भी भीख मांगने आ जाते हैं.’’
पति पर शोभना हो गई हावी
तेजस पत्नी की इन बातों का जवाब तो देना चाहता, पर अब उस में हिम्मत नहीं रह गई थी और न ही उस की कोई सुनता था.
ऐसा नहीं है कि उस ने जवाब नहीं दिया. शुरूशुरू में उस ने शोभना को जवाब दिया था. पर उस के जवाब देने पर शोभना ने उस की शिकायत अपने मांबाप और भाई से कर दी थी.
उस के बाद तो सासससुर ने ही नहीं, साले ने भी उस की ऐसी बेइज्जती की थी कि उस के बाद उस ने यही तय कर लिया कि अब सासससुर और साले की बातें सुनने से अच्छा है कि बीवी की ही 4 बातें सुन ले. इसलिए शोभना जो कुछ भी उस से कहती, वह चुपचाप सुन लेता.
शोभना की बातें तेजस सुन जरूर लेता था, पर था तो वह भी मर्द. पत्नी 4 अच्छी बातें कहे, जो मन को सुकून पहुंचाएं तो अच्छी लगती हैं. पर दिल को जलाने वाली बातें कहे तो सभी का खून खौल उठता है.
वह कैसा भी मर्द क्यों न हो. पत्नी की हों या किसी की भी हों, मजबूरी में ही आदमी किसी की जलीकटी सुनता है. तेजस भी मजबूरी में ही पत्नी की जलीकटी सुन रहा था. पर अंदर ही अंदर वह सुलग रहा था. अब उसे बीवी से यानी शोभना से नफरत होने लगी थी.
अगले भाग में पढ़ें- अपमान का घूंट पी कर रह जाता तेजस