सौजन्य- मनोहर कहानियां
अधिकारियों के निर्देश पर जश्न व हरन की गुमशुदगी के मामले को गलत नीयत से हुए अपहरण की धारा में दर्ज कर लिया गया. मामले का खुलासा करने के लिए थाना खेड़ी गंडियां इंचार्ज कुलविंदर सिंह के नेतृत्व में थाने के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की टीम गठित कर दी गई.
जिस के बाद पुलिस ने दीदार सिंह के आसपड़ोस के दुकानदारों से पूछताछ तेज कर दी. पड़ोसियों से भी पूछताछ कर ली गई. लेकिन किसी ने भी इस बात की तस्दीक नहीं की कि दोनों बच्चे उन के यहां कोल्डड्रिंक लेने आए थे.
एक बच्चे की मिली लाश
पुलिस ने दीदार सिंह के परिवार की कुंडली भी खंगालनी शुरू कर दी. दीदार सिंह के पिता दर्शन सिंह के3 बच्चे हैं. सब से बड़ी बेटी है गुरमेज कौर जिस की शादी हो चुकी है. छोटा भाई जसंवत सिंह भी शादीशुदा है. जिस घर में दीदार अपनी पत्नी मंजीत कौर व दोनों बेटों हरन व जश्न के साथ रहता है वह उस का पैतृक मकान है.
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दोनों बेटों की शादी के बाद दर्शन सिंह ने मकान 2 हिस्सों में बांट दिया. दोनों भाई अपने परिवारों के साथ अपनेअपने हिस्सों में रहने लगे. दीदार सिंह और जसवंत सिंह दोनों ही पेशे से ड्राइवर थे.
दीदार पटियाला की एक बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनी में ड्राइवर था और ज्यादा समय घर के बाहर ही रहता था. वैसे दोनों भाइयों और उन के परिवार अलग जरूर रहते थे, लेकिन उन के बीच भाईचारे और प्यार की कोई कमी नहीं थी.
पुलिस को दुश्मनी के बिंदु पर जांच करने के बाद कोई सुराग नहीं मिला. जांच चल ही रही थी कि 27 जुलाई, 2019 को भाखड़ा नहर नरवाना ब्रांच में करीब 6-7 साल के एक बच्चे का शव सड़ीगली अवस्था में तैरते हुए पुलिस ने बरामद किया.
पुलिस ने जब आसपास के इलाकों में इस उम्र के लापता बच्चों के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि दीदार सिंह के छोटा बेटा हरनदीप सिंह भी इसी उम्र का था.
थानाप्रभारी कुलविंदर सिंह ने परिवार वालों को बुलवा कर जब शव की शिनाख्त का प्रयास किया तो उन्होंने शव को पहचानने से ही इनकार कर दिया.
दरअसल शव इतनी बुरी तरह सड़गल गया था कि उस में पहचान करने के लिए कोई चिह्न ही नहीं बचा था. बहरहाल पुलिस ने शव को बिना पहचान के ही डीएनए टेस्ट के लिए उस का सैंपल ले कर मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया.
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दरअसल, दीदार सिंह को यकीन ही नहीं था कि उस के बच्चे की कोई हत्या भी कर सकता है. इसीलिए उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि भाखड़ा नहर के नरवाना इलाके में जो शव बरामद हुआ है वह उन के बेटे का हो सकता है.
इधर खेड़ी प्रभारी कुलविंदर सिंह को लगने लगा कि अगर नहर से एक बच्चे का शव बरामद हो गया है तो निश्चित ही दूसरा शव भी नहर में ही मिलेगा.
लिहाजा उन्होंने उच्चाधिकारियों से अनुमति ले कर तैराक व गोताखोरों को बुला कर भाखड़ा नहर के खेड़ी गंडिया से लगे 5 किलोमीटर इलाके में दूसरे शव की तलाश शुरू कर दी.
आखिरकार 4 अगस्त, 2019 को भाखड़ा नहर से करीब 10 साल के एक और बच्चे का सड़ागला शव बरामद हुआ. उस की उम्र दीदार सिंह के बडे़ बेटे जशनदीप सिंह जितनी थी. लेकिन इस बार बच्चे के हेयरस्टाइल, काला धागा व कपड़ों को देख कर दीदार सिंह के पिता दर्शन सिंह ने उसकी पहचान अपने बडे़ पोते जश्न के रूप में कर दी.
अब दीदार सिंह की समझ में भी यह बात आ गई थी कि अगर बड़े बेटे का शव नहर में मिला है तो जाहिर है पहले जो शव मिला था वह छोटे बेटे का ही होगा.
आखिरकार 5 अगस्त को दीदार सिंह के परिवार ने दोनों बच्चों की लाश पहचानने व उन के शव अपनी सुपुर्दगी में लेने की काररवाई पूरी कर दी. उसी दिन दोनों बच्चों के शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
सवाल था कि दीदार के दोनों बच्चों की मौत नहर में डूबने से हुई थी या उन्हें किसी ने नहर में ले जा कर धकेल दिया था. दीदार का तो कोई ऐसा दुश्मन भी नहीं था जो ऐसा कर सके. आखिर कौन ऐसा शख्स हो सकता है.
बच्चों का अंतिम संस्कार होने के बाद पुलिस ने दीदार सिंह से एक बार फिर पूछताछ की और उस से ऐसे लोगों के बारे में जानकारी ली जो उस के बच्चों को अपहरण कर हत्या कर सकते थे.
लेकिन दिमाग पर पूरा जोर डालने के बाद भी दीदार सिंह या उन का परिवार किसी ऐसे शख्स के बारे में नहीं बता सका, जिस पर शक किया जा सके.
धीरेधीरे वक्त तेजी से गुजरने लगा. 17 अगस्त, 2019 को पटियाला के एसएसपी विक्रमजीत दुग्गल ने हत्या की आशंका को देखते हुए एक स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम गठित कर दी, जिस में डीएसपी (घनौर) जसविंदर सिंह टिवाणा, डीएसपी (हैडक्वार्टर) गुरदेव सिंह धालीवाल तथा थानाप्रभारी कुलविंदर सिंह को शामिल किया गया.
इस बीच अक्तूबर, 2019 को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई, जिस से साफ हो गया कि बच्चों की मौत डूबने से हुई थी.
इस मामले में दर्ज अपहरण के केस को दोनों बच्चों के शव मिलने के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया गया था. चूंकि इस मामले में कोई खास जानकारी मिल नहीं रही थी, लिहाजा पुलिस केवल धूल में लट्ठ मारती रही.
वक्त तेजी से गुजरता चला गया. पहले दिन बीते, फिर महीने बीतने लगे. दीदार सिंह थाने से ले कर एसआईटी के अफसरों और उच्चाधिकारियों के सामने अपने बच्चों के कातिलों का सुराग जल्द लगाने के लिए धक्के खाता रहा.
इधर इलाके के विधायक व सांसद भी पुलिस पर दबाव देते रहे. पुलिस अपने काम में कुछ कदम आगे बढ़ती, इस से पहले ही मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लौकडाउन लग गया.
5 महीने तक लौकडाउन लगा रहा, जिस कारण पुलिस की जांच जहां की तहां फाइलों में कैद हो कर रह गई. इस दौरान एक साल का वक्त गुजर चुका था. दिसंबर, 2020 में एसएसपी दुग्गल ने हरन व जश्न की जांच के मामले में गठित हुई एसआईटी के इंचार्ज डीएसपी घनौर जसविंदर सिंह टिवाणा को बुला कर जांच को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए.
अगले भाग में पढ़ें- घटनास्थल से पलटी हत्याकांड की थ्यौरी