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सौजन्य- मनोहर कहानियां

कमरे में बैठी प्रिया फोटो एलबम पलट कर उसे बड़े ध्यान से देख रही थीं. एलबम देखतेदेखते उन की नजर एक फोटो पर ठहर गई. वह फैमिली फोटो था, जिस में वह खुद, उन के पति नवीन और इकलौती बेटी निधि थी. निधि का एक हाथ मां के और दूसरा पिता के गले में था.

वह खुल कर मुसकरा रही थी. उसे देख कर प्रिया यादों में कहीं खो सी गईं. उन्हें एहसास ही नहीं हुआ कि उन के पति कब उन के पास आ कर बैठ गए. उन्होंने प्रिया के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘क्या सोच रही हो?’’

‘‘सोच रही हूं कि समय कितना बदल जाता है. कभी कितनी अच्छी थी हमारी बेटी, हमें कितना प्यार करती थी और अब लगता है, न जाने कितनी दूर हो गई.’’ प्रिया ने आंखों में उमड़ आए अपने आंसुओं को पल्लू से साफ करते हुए अफसोसजनक लहजे में कहा तो पति ने उन्हें समझाया, ‘‘यूं परेशान होने से भी बात नहीं बनेगी, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. मुझे पक्का भरोसा है कि वह ठीक हो कर ही जल्द घर आएगी.’’

‘‘आप नहीं जानते, मुझे बेटी की बहुत फिक्र रहती है. जवान लड़की को हम ने घर से बाहर छोड़ा हुआ है. मजबूरी न होती तो मैं ऐसा कभी नहीं करती. कहीं वहां उस के साथ कुछ गलत न हो. एक बार उस ने मुझ से कहा था…’’ प्रिया बोलते हुए रुक गईं तो नवीन ने पूछा, ‘‘क्या कहा था?’’

‘‘वह बता रही थी कि वहां सब कुछ ठीक नहीं है.’’

‘‘मुझे तो ऐसा नहीं लगता, क्योंकि वहां और भी लड़कियां रहती हैं और फिर वह लोग इतना बड़ा सेंटर बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए ही तो चला रहे हैं. निधि का विश्वास तो मैं कर नहीं सकता, क्योंकि वह नशे के लिए हम से कितना झूठ बोलती रही है, यह तो तुम भी जानती हो.’’ नवीन ने कहा.

‘‘आप की बात भी ठीक है, लेकिन…’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, उस की फिक्र करनी बंद करो, क्या पता निधि वहां से छुटकारा पाने के लिए उल्टीसीधी बातें करती हो,’’ नवीन ने पत्नी को समझाया.

‘‘आप भी सही कहते हैं, हमारा विश्वास तो वह खो चुकी है. अगर वह गलत संगत में न पड़ती, तो ऐसी नौबत ही नहीं आती. हम ने कभी उस के लिए किसी चीज की कमी नहीं छोड़ी, फिर भी हमें बुरे दिन देखने पड़े.’’

‘‘एक बात बताऊं प्रिया,’’ नवीन ने कहा.

‘‘क्या?’’

‘‘हमारी दी गई आजादी का भी उस ने गलत फायदा उठाया, हमें भी उस पर शुरू से ही नजर रखनी चाहिए थी.’’

‘‘सही कहा आप ने.’’ प्रिया बोली.

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किस की हंसतीखेलती जिंदगी में कब क्या हो जाए, इस को कोई नहीं जानता. प्रिया और नवीन के साथ भी ऐसा हुआ था. निधि उन की इकलौती बेटी थी. वह प्राइवेट नौकरी करते थे और जिंदगी में खुशियां थीं.

यह दंपति उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहता था. हर मातापिता अपने बच्चों के अच्छे भविष्य की कल्पना करते हैं. प्रिया और नवीन के साथ भी ऐसा ही था. निधि राजधानी के ही एक नामी इंस्टीट्यूट से ग्रैजुएशन कर रही थी.

हमारे सभ्य समाज का यह एक कड़वा सच है कि बड़े शहरों में नशे का कारोबार अपनी जड़ें जमा चुका है. युवा बुरी संगत के चलते इस का शिकार हो जाते हैं. शुरू में वे मजे के लिए नशा करते हैं और बाद में इस के आदी हो जाते हैं.

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निधि भी ऐसी संगत में पड़ कर नशे की लत का शिकार हो चुकी थी. घर से पौकेटमनी के नाम पर पैसे लेना और नशे में उड़ाना, सहेलियों के साथ घूमनाफिरना, बहाने से उन के घर जाना उस की आदत बन चुकी थी.

मातापिता को पता भी नहीं था कि उन की बेटी किस डगर पर चल रही है. संगत और बुरी आदतों का असर इंसान पर वक्त के साथ दिखने लगता है.

निधि की पैसे की डिमांड बढ़ती गई और वह बारबार तरहतरह के बहानों से घर से ज्यादा बाहर जाने लगी तो मातापिता को शक होने लगा. एक दिन प्रिया ने देर रात निधि को उस के कमरे में ड्रग्स लेते पकड़ा तो उन का शक विश्वास में बदल गया.

अगले भाग में पढ़ें- निधि को लग गई ड्रग की लत

छाया : विनोद पुंडीर

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