कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सौजन्य-मनोहर कहानियां

शुभम हंसा, ‘‘नाम जानना क्या मुश्किल है, मैं तो यह भी जानता हूं कि तुम अपनी बहन के घर में रहती हो.’’ इस के बाद शुभम ने शिवांगी को अपना नाम बताया और उस की बहन के घर के पास ही खुद के रहने की बात बताई और इसे अपने यहां एक कप चाय पीने का निमंत्रण दिया.

शुभम का व्यवहार शिवांगी को काफी दिलचस्प लगा. उस ने शुभम का निमंत्रण स्वीकार कर लिया. उस के बाद दोनों एक रेस्टोरेंट में आ गए और चाय की चुस्कियों के बीच बात शुरू हुई. अचानक शुभम ने पूछा, ‘‘शिवांगी, मैं तुम्हें कैसा लगता हूं?’’

शिवांगी ने हैरानी से शुभम को देखा, ‘‘क्या मतलब, मैं समझी नहीं कि तुम कहना क्या चाहते हो?’’

शुभम गंभीर हो गया. उस ने शिवांगी से कहा, ‘‘जब से मैं ने तुम्हें देखा है, मेरा मन बेचैन है. दिल में एक बात है जो मैं तुम से कहना चाहता हूं. पता नहीं तुम क्या सोचोगी, पर यह सच है कि मैं तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

शिवांगी ने स्वीकार किया प्यार

शुभम की बात से शिवांगी घबरा गई. उस ने ऐसा कुछ सोचा भी नहीं था. वह उठ खड़ी हुई और बोली, ‘‘चलो, अब चलते हैं.’’

शुभम को अपनी बात का कोई जवाब नहीं मिला था. शिवांगी सड़क पर आ गई और एक आटो में बैठ कर चली गई.

शुभम को लगा जैसे उस के हाथ से कुछ छूट गया था. पता नहीं उस की बात की शिवांगी पर क्या प्रतिक्रिया हुई थी. वह मन ही मन डर गया.

तनाव और विषाद में डूबे शुभम ने सोचा तक न था कि शिवांगी उस की मोहब्बत को कुबूल कर लेगी. अचानक उस के मोबाइल की घंटी बजी तो उधर से एक सुरीली आवाज आई, ‘‘मैं शिवांगी बोल रही हूं, शुभम.’’

शिवांगी के नाम से उस की धड़कनें तेज हो गईं. शिवांगी ने उसे बुलाया था. शुभम कुछ ही देर में शिवांगी के बताए स्थान पर पहुंच गया. शिवांगी उस का इंतजार कर रही थी. वह उसे देख कर मुसकराई. शुभम ने राहत की सांस ली.

वे दोनों एकांत में आ कर बैठ गए. शिवांगी काफी गंभीर थी. उस ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘शुभम, तुम जानते हो कि जिस रास्ते पर तुम मुझे ले जाना चाहते हो, वह कितना कांटों भरा है. क्या तुम परिवार और समाज के विरोध का मतलब समझते हो? कहीं प्यारमोहब्बत तुम्हारे लिए खेल तो नहीं है?’’

शुभम ने गौर से शिवांगी को देखा और उस का हाथ पकड़ लिया. उस ने शिवांगी को आश्वस्त किया कि वह उसे दिलोजान से चाहता है और हर बाधा को पार करने का साहस रखता है. शिवांगी ने अपना हाथ उस के हाथ में हमेशा के लिए थमा दिया.

ये भी पढ़ें- अपनों ने दिया धोखा : भाग 2

उस दिन के बाद दोनों की दुनिया ही बदल गई. उन की आंखों में सतरंगी सपने समा गए. उन के दिल मिले तो एक दिन खुशी के मौके पर तन भी मिल गए. उन का प्यार पूर्ण हो गया.

शिवांगी शुभम से 10 साल बड़ी थी और उस की जाति की भी नहीं थी. फिर भी शुभम ने उस से अंतरजातीय विवाह करने का फैसला कर लिया.

गाजियाबाद में ही एक कमरा ले कर दोनों लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे. 2016 में दोनों ने मंदिर में विवाह कर लिया. शिवांगी ने विवाह की बात अपनी बहन रेखा को बता दी.

2017 की शुरुआत में ही एक दिन शिवांगी की बहन रेखा ने अपने मातापिता को शिवांगी द्वारा विवाह कर लेने की बात बता दी. यह सुन कर वे चुप हो गए. बेटी की खुशी में ही उन्होंने अपनी खुशी देखी और रस्म के नाम पर एक स्विफ्ट कार नंबर यूपी14डीएच 6794 गिफ्ट में दे दी. कार शिवांगी के नाम पर रजिस्टर थी.

विवाह का एक साल पूरा होतेहोते शिवांगी एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम युवराज रखा गया. इसी दौरान शिवांगी की बहन रेखा की मृत्यु हो गई.

2018 में शुभम के बड़े भाई शशांक का विवाह हुआ. तब शुभम ने अपने घर वालों को बताया कि उस ने शिवांगी से विवाह कर लिया है. यह सुन कर सभी दंग रह गए. जब यह पता चला कि शिवांगी शुभम से 10 साल बड़ी है और उन की जाति की नहीं है तो घर में कोहराम मच गया. लेकिन जो हो गया सो हो गया, की बात सोच कर शुभम के घर वाले शिवांगी को घर में रखने को तैयार हो गए.

शुभम गया जर्मनी

दोनों घर आ कर रहने लगे. इसी बीच शुभम का स्टडी वीजा बन कर आ गया. वह जर्मनी चला गया. वहां वह होटलों में काम के तौरतरीके सीखने गया था. उस के जाते ही घर में रोज छोटीबड़ी बात को ले कर कलह होने लगी.

शिवांगी की सास गीता बातबात में उसे ताने मारती और घर के काम को ले कर भी उन में बहस हो जाती. गीता अपने बेटे शुभम को शिवांगी के बारे में गलतसलत बातें बोलने लगी.

रोज घर के कलह की बातें मां के मुंह से सुन कर शुभम का मन भी शिवांगी की तरफ से पलटने लगा. गीता अच्छी तरह जानती थी कि बेटा उस का कहा ही सुनेगा और उस की ही बात मानेगा. वही हो रहा था.

ये भी पढ़ें- “तीन गुना रुपया” मिलने का लालच में…

गीता चाहती थी कि किसी तरह शिवांगी उस के बेटे की जिंदगी से निकल जाए तो वह उस का विवाह अपनी ही जाति की किसी लड़की से करा देगी. इसीलिए वह शिवांगी को चैन नहीं लेने देती थी.

शुभम जर्मनी से लौट आया. गीता और शशांक दोनों ने शुभम को काफी समझाया, जिस से शुभम भी उन की तरफ हो गया. शिवांगी ताने सुनसुन कर पक गई थी. इसलिए पलट कर जवाब दे देती थी और जो मन होता वह काम करती, वरना नहीं करती.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...