सौजन्य- सत्यकथा
पहले दोनों के मन में विचार आया कि घर से भाग कर शादी कर लें और सुकून से अपनी जिंदगी गुजारें, मगर मासूम बेटियों की खातिर नीतू कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई. राजू का भी जबलपुर शहर में कामधंधा ठीकठाक चल रहा था. उसे पता था कि नई जगह कामधंधा जमाने में कितनी मुश्किल होती है. वह अपने गांव भी नहीं लौटना चाहता था, क्योंकि उसे पता था घर वाले बालबच्चों वाली विवाहिता नीतू को इतनी आसानी से नहीं अपनाएंगे.
जैसेजैसे रविवार का दिन नजदीक आ रहा था, नीतू और राजू की चिंता बढ़ती जा रही थी. राजू को पता था कि रविवार के पहले यदि इस समस्या का कोई हल नहीं निकला तो सोनू नीतू को ले कर अपने गांव चला जाएगा. अंतत: दोनों ने सोनू को अपने प्यार की राह से दूर करने का निर्णय ले लिया था.
राजू और नीतू ने सोनू को हमेशा के लिए उन की जिंदगी से दूर करने का खौफनाक प्लान तैयार कर लिया. उन्होंने सोच लिया लिया था कि किसी भी तरह सोनू को जान से मार कर सदासदा के लिए एकदूसरे के हो जाएंगे.
घटना के दिन राजू दिन भर घर से बाहर नहीं निकला. वह सोनू की हत्या कर लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाता रहा. नीतू पूरे दिन सब्जी काटने वाले चाकू की धार तेज करने में लगी रही. नीतू ने तेज धार वाले चाकू को अपने तकिए के नीचे छिपा कर रख लिया था .
28 नवंबर, 2020 की रात रोज की तरह सोनू अपने घर आया तो उस ने नीतू से दूसरे दिन बस से अपने गांव वापस लौटने की चर्चा की तो नीतू ने भी हामी भर दी. यह देख कर सोनू खुश हो गया. खाना खाने के कुछ देर बाद वह अपनी बेटियों को दुलारता रहा और फिर टहलने के लिए घर से बाहर आ गया.
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