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(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

इसी किरकिरी से बचने के लिए थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने मासूम बालक मृत्युंजय के अपहरण को बेहद गंभीरता से लिया और पुलिस अधिकारियों को अवगत कराते हुए आननफानन में दुर्गेश कुमार की तहरीर पर भादंवि की धारा 364 के तहत मंशा पत्नी प्रह्लाद, निवासी बस्ती, बर्रा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी.

चूंकि मामला मासूम बच्चे के अपहरण का था, अत: रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा सीओ विकास पांडेय बर्रा आ गए. उन्होंने बच्चे के मातापिता से जानकारी हासिल की फिर बच्चे को बरामद करने के लिए पुलिस टीम का गठन किया.

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इस टीम में थानाप्रभारी हरमीत सिंह, एसआई सतीश कुमार, आदेश कुमार, महिला एसआई छवि, महिला सिपाही संगीता यादव, कांस्टेबल कृष्णकांत, देवेंद्र सिंह, विनोद गर्ग तथा सर्विलांस टीम को सम्मिलित किया गया. टीम की कमान सीओ विकास पांडेय को सौंपी गई.

गठित विशेष पुलिस टीम ने मृत्युंजय की खोज शुरू की. टीम ने सब से पहले मृत्युंजय की मां शिवानी तथा पिता दुर्गेश से अपहरण के संबंध में पूरी जानकारी हासिल की. शिवानी ने बताया कि मंशा उस का मोबाइल फोन भी अपने साथ ले गई है. उसी नंबर से उस ने दुर्गेश के फोन पर बच्चे के अपहरण की जानकारी दी थी. फिर उस ने मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया था.

यह जानकारी मिलते ही टीम ने शिवानी का मोबाइल फोन नंबर जो मंशा के पास था, सर्विलांस पर लगा दिया. उस की लोकेशन उन्नाव बाईपास की मिली. पता चला उन्नाव में मंशा का मायका है.

मंशा को पकड़ने तथा मासूम मृत्युंजय को सहीसलामत बरामद करने के मकसद से पुलिस टीम उन्नाव पहुंच गई. पर मंशा को पकड़ नहीं पाई. कारण मंशा ने फोन बंद कर दिया था, जिस से पुलिस भटक गई थी.

शाम 5 बजे पुलिस टीम वापस कानपुर रवाना लौटने वाली थी, तभी सर्विलांस टीम से जानकारी मिली कि मंशा की लोकेशन रायबरेली शहर की मिल रही है.

इस सूचना पर पुलिस टीम रायबरेली पहुंच गई. लेकिन रायबरेली पहुंचने पर पुलिस टीम को पता चला कि मंशा कानपुर की ओर लौट रही है और उस की लोकेशन जायस व तकिया के बीच की मिल रही है. लोकेशन का पीछा करते हुए पुलिस टीम भी मंशा के पीछे लगी रही.

कानपुर गंगापुल तक मंशा की लोकेशन मिलती रही, उस के बाद बंद हो गई. शायद उस ने मोबाइल फोन बंद कर लिया था. लेकिन इतना तय था कि मंशा कानपुर शहर में ही है.

30 जुलाई, 2020 की सुबह बर्रा थानाप्रभारी हरमीत सिंह को किसी ने फोन पर सूचना दी कि एक महिला दामोदर नगर नहरिया पर मौजूद है. उस के साथ एक मासूम बच्चा भी है, जो रो रहा है. महिला हावभाव से संदिग्ध लग रही है.

सूचना अतिमहत्त्वपूर्ण थी, थानाप्रभारी हरमीत सिंह पुलिस टीम के साथ दामोदर नगर नहरिया पहुंचे और उस महिला को हिरासत में ले कर थाना बर्रा लौट आए.

थाने में जब उस महिला से पूछताछ की गई तो उस ने अपना नाम मंशा गुप्ता पति का नाम प्रह्लाद निवासी बस्ती बर्रा बताया. उस ने यह भी बताया कि उस के साथ जो बच्चा है, वह शिवानी का है. शिवानी कर्रही में रहती है. उस ने ही बच्चे का अपहरण किया था. वह शिवानी को सबक सिखाना चाहती थी.

थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने मासूम मृत्युंजय को सहीसलामत बरामद करने तथा अपहर्त्ता मंशा गुप्ता को गिरफ्तार करने की सूचना अधिकारियों तथा बच्चे के मातापिता को दे दी.

सूचना पाते ही एसपी (साउथ) दीपक भूकर, सीओ विकास पांडेय तथा बच्चे के मातापिता थाना बर्रा आ गए. महिला एसआई छवि कुमारी ने जब मासूम मृत्युंजय को उस की मां की गोद में दिया तो शिवानी की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े.

पुलिस अधिकारियों ने अपहर्त्ता मंशा गुप्ता से बच्चे के अपहरण के संबंध में विस्तृत पूछताछ की. साथ ही अपहरण का मकसद भी पूछा. जवाब में मंशा गुप्ता ने बताया कि मृत्युंजय के अपहरण का उद्देश्य फिरौती नहीं था, बल्कि वह अपने पति की रिहाई चाहती थी. जिसे शिवानी ने अपने प्यार के जाल में फंसा लिया था. वह शिवानी को सबक सिखाना चाहती थी कि किसी का प्यार छीनने का दर्द कितना गहरा होता है.

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चूंकि मंशा ने बच्चे के अपहरण करने का जुर्म स्वीकार लिया था और उस के खिलाफ पहले से अपहरण की रिपोर्ट भी दर्ज थी, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने उसे विधिसम्मत गिरफ्तरी की लिया. पुलिस पूछताछ में मंशा गुप्ता ने दिल को झकझोर देने वाली अपहरण की कहानी बताई.

मंशा गुप्ता मूलरूप से उन्नाव की रहने वाली थी. उस के पिता रामऔतार गुप्ता उन्नाव स्थिति टेनरी में काम करते थे और उन्नाव बाईपास पर किराए के मकान में रहते थे. परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां थीं, जिस में मंशा गुप्ता सब से बड़ी थी. टेनरी में मिलने वाले वेतन से ही वह घर खर्च चलाते थे.

लगभग 10 साल पहले रामऔतार ने मंशा का विवाह सूरज के साथ किया था. सूरज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का रहने वाला था और भाईबहनों में सब से बड़ा था. कानपुर शहर में वह संजय नगर में रहता था और दादा नगर स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करता था.

शादी के बाद कुछ दिनों तक सूरज ने मंशा को शाहजहापुर में रखा फिर अपने साथ कानपुर ले आया. विवाह के साल भर बाद ही मंशा गुप्ता ने बेटे मोहित को जन्म दिया और उस के 3 साल बाद वह बेटी मोहिनी की मां बन गई. 2 बच्चों के जन्म के बाद सूरज ने अपने पतिधर्म की इतिश्री मान ली.

उस का विचार था कि पत्नी को जब मातृत्व की प्राप्ति हो जाती है, तब उस का पूरा ध्यान बच्चों पर रहता है. संजनेसंवरने और पति की संगत की लालसा नहीं रह जाती. मंशा का मन भी भोगविलास में नहीं रह गया होगा.

सूरज का ऐसा सोचना गलत था. पति की उपेक्षा मंशा का जी जलाती थी वह मन मसोस कर दिन गुजारती रही. पति से थोड़ाबहुत प्यार मिलता था, उस से ही वह संतोष करती रही.

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मंशा गुप्ता संजय नगर स्थित जिस मकान में किराए पर रहती थी. हाल ही में वहां एक नया किराएदार रहने आया. उस का नाम था प्रह्लाद. मंशा गुप्ता ने प्रह्लाद को देखा तो देखती ही रह गई.

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