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उस दिन मार्च 2020 की 6 तारीख थी. सुबह के 9 बज चुके थे. अड़गोड़वां गांव का रहने वाला सुरेंद्र प्रताप सिंह ओलावृष्टि से फसल को हुए नुकसान का आकलन करने अपने खेत पर पहुंचा. पहले उस ने गेहूं की बरबाद हुई फसल को देख कर माथा पीटा फिर अरहर के खेत पर पहुंचा. जब वह अरहर के खेत में घुसा तो उस के मुंह से चीख निकल गई.

खेत के अंदर एक महिला की सिर कटी लाश पड़़ी थी. सिर विहीन लाश देख कर सुरेंद्र प्रताप नुकसान का आंकलन करना भूल गया. वह बदहवास हालत में गांव की ओर भागा. गांव पहुंच कर उस ने लोगों को लाश के बारे में जानकारी दी. 8-10 लोग उस के साथ खेत पर पहुंचे.

लाश की हालत देख कर सब की आंखें फटी रह गईं. गांव के चौकीदार जिमींदार को सिर विहीन महिला की लाश पाए जाने की खबर लगी तो वह भी वहां पहुंच गया. उस ने वहां मौजूद खेत मालिक सुरेंद्र प्रताप सिंह तथा अन्य लोगों से जानकारी हासिल की.

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उस ने सिर विहीन महिला की लाश को गौर से देखा, फिर कर्तव्य का पालन करते हुए सूचना देने थाना रूपईडीहा जा पहुंचा.

जिस समय जिमींदार थाने पहुंचा उस वक्त सुबह के 11 बज रहे थे. जिला बहराइच के थाना रूपईडीहा के प्रभारी निरीक्षक मनीष कुमार पांडेय थाने में ही मौजूद थे. पहरे पर तैनात सिपाही ने उन के कक्ष में आ कर खबर दी, ‘सर अड़गोड़वां गांव का चौकीदार आया है. आप से मिलना चाहता हैं.’

‘‘ठीक है, उसे भेज दो’’ मनीष कुमार पांडेय ने कहा, वह चौकीदार से परिचित थे.

जिमींदार ने थाना प्रभारी के कक्ष में पहुंच कर सलाम किया. पांडेय ने उसे गौर से देखा फिर पूछा, ‘‘चौकीदार कोई खास बात है क्या साफसाफ बताओ.’’

‘‘हां, साहब, खास बात है, तभी भाग कर थाने आया हूं. हमारे गांव अड़गोड़वा में सुरेंद्र प्रताप सिंह के अरहर के खेत में एक महिला की सिर विहीन लाश पड़ी हैं. महिला हमारे गांव या आसपास के गांवों की नहीं है.

भीड़ जुटी है, लेकिन कोई उसे पहचान नही पा रहा है.’’

महिला की सिर विहीन लाश पड़ी होने की सूचना से मनीष कुमार पांडेय विचलित हो उठे. उन्होंने चौकीदार की सूचना से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सिपाहियों और एक सब इंस्पेक्टर को साथ ले कर घटना स्थल की ओर रवाना हो गए. चौकीदार जिमींदार भी उन के साथ था.

पुलिस जब घटना स्थल पर पहुंची तो वहां भीड़ जुटी थी. थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय भीड़ को परे हटा कर अरहर के खेत में पहुंचे, जहां महिला की सिर कटी लाश पडं़ी थी. लाश देख कर पांडेय सिहर उठे. हत्यारों ने महिला का कत्ल बड़ी बेरहमी से किया था. हत्या से पूर्व उन्होंने महिला के हाथपैर रस्सी से बांधें थे. फिर पूरी बरबरता के साथ किसी तेज धारदार हथियार से सिर को धड़ से अलग कर दिया था. सिर को काट कर वह अपने साथ ले गए थे.

मृतका के हाथों में हरे रंग की चूडि़यां और लाल रंग के कंगन थे. वह हरा सलवार जंफर पहने थी और उस का काले रंग का नकाब वहीं पड़ा था. लग रहा था कि मृतका मुस्लिम है. सिर न होने से उस की उम्र का सही अंदाजा लगाना तो कठिन था, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह विवाहित थी और उस की उम्र 30 वर्ष से कम थी.

मृतक मुस्लिम समाज की थी

थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा, ए.एस.पी. रविंद्र सिंह और सी.ओ. जंगबहादुर सिंह आ गए. पुलिस अधिकारियों ने भी युवती के शव को हर नजरिए से देखा.

पुलिस ने मृतका के कटे सिर की तलाश अरहर, गेहूं व लाही के खेतों में कराई पर सिर नहीं मिला. पहनावे और काले नकाब से पुलिस अधिकारियों का मानना था कि मृतका  मुस्लिम समुदाय की है. वह खूबसूरत और जवान थी. पानी और ओला वृष्टि के कारण खेत के बाहर चक रोड की मिट्टी गीली थी, जिस पर किसी 2 पहिया वाहन के पहियों के निशान थे.

लगता था युवती को हत्या के इरादे से मोटर साइकिल पर बिठा कर खेत तक लाया गया था. पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा ने घटना स्थल का निरीक्षण करने के बाद मृतका के रस्सी से बंधे हाथ पैर खुलवाए, फिर विभिन्न कोणों सें उस के फोटो खिचवाए. युवती की शिनाख्त के लिए उन्होंने घटना स्थल पर मौजूद महिलाओं और युवकों को बुला कर उस की पहचान करवाने की कोशिश की, लेकिन उस की पहचान नहीं हो सकी. घटनास्थल की कार्रवाई पूरी कर के शव पोस्टमार्टम के लिए बहराइच के जिला अस्पताल भेज दिया गया.

अगले दिन 7 मार्च, 2020 को सभी समाचार पत्रो में रूपईडीहा थाना क्षेत्र में युवती का सिर विहीन शव मिलने का समाचार सुर्खियों में प्रकाशित हुआ. इस समाचार को जब राजदा खातून ने पढ़ा तो उस का माथा ठनका. राजदा खातून बहराइच जिले के फरवरपुर थाना क्षेत्र के औसान पुरवां गांव की रहने वाली थी.

उस की बड़ी बहन का नाम नसरीन था. 5 मार्च को नसरीन का देवर मेराज उसे यह कह कर विदा करा कर ले गया था कि उस के अब्बू बीमार हैं. लेकिन वह अपनी सुसराल इटकौरी नहीं पहुंची थी. समाचारपत्रों में शव की जो पहचान छपी थी. हरी चूडियां, लाल कंगन , हरा सलवार जंफर, काला नकाब. यही सब पहनओढ़ कर उस की बहन ससुराल रवाना हुई थी.

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राजदा खातून ज्यादा पढ़ीलिखी तो नहीं थी, लेकिन थी तेज तर्रार और व होशियार. उस ने समाचार पत्र में छपी खबर कई बार पढ़ी और सिर विहीन छपी फोटो देखी तो उसे लगा फोटो उस की बहन नसरीन की ही है. उस ने यह सारी जानकारी अपने पिता इशहाक व परिवार के अन्य लोगों को दी, फिर शिनाख्त के लिए थाना रूपईडीहा जाने का निश्चय कर लिया.

होली के एक दिन पहले 8 मार्च को राजदा खातून अपने पिता इशहाक व परिवार के अन्य लोगों के साथ थाना रूपईडीहा जा पहुंची. थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय उस वक्त थाने में थे.

उन्होंने इशहाक से थाने आने का कारण पूछा तो इशहाक ने बताया, ‘‘मेरी बेटी नसरीन 5 मार्च से लापता है. मैं बेहद परेशान हूं. हर जगह उस की खोज की, लेकिन कुछ पता न चला. उसे उस का देवर मेराज अपने वालिद की तबियत खराब बता कर साथ ले गया था.

उस के बाद उन दोनों का पता नहीं है. कल अखबार में मेरी छोटी बेटी ने खबर पढ़ी तब हम शव के बारे में जानकारी लेने आए हैं.

इशहाक के बगल में ही राजदा खातून खड़ी थी. थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय उस की और मुखातिब हुए, ‘‘राजदा खातून, तुम यह यकीन के साथ कैसे कह सकती हो कि अखबार में छपी  फोटो तुम्हारी बहन नसरीन की है?’’

‘‘हुजूर, अखबार में शव का जो हुलिया, पहनावा, वेशभूषा छपा है, वह सब मेरी बहन नसरीन से मेल खाता है. दूसरी बात ससुराल विदाई से पहले मैं ने ही उस का साजश्रृंगार किया था. मैं ने ही हरी चूडि़या, लाल कंगन उस की कलाई में पहनाए थे. हरा सलवार और जंफर भी उस ने मेरी ही पसंद का पहना था. इसलिए मैं यकीन के साथ कह सकती हूं कि अखबार में छपी शव की तस्वीर नसरीन की ही है.

हो गई शिनाख्त

थाना प्रभारी मनीष कुमार को लगा कि शायद अज्ञात शव की पहचान हो जाएगी. अत: वह इशहाक तथा उस की बेटी राजदा खातून को साथ ले कर पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए.

युवती के शव के करीब पहुंचते ही इशहाक थोड़ा सहम गया. मृतका के शरीर पर हरे रंग का सलवार जंफर देख कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने तेजी से युवती के शव पर ढकी चादर हटाई तो सिर विहीन बेटी का शव देख उन के मुंह से चीख निकल गई.

वह उन की बेटी नसरीन ही थी. इशहाक फफक कर रो पड़े. बहन के शव की शिनाख्त राजदा खातून ने भी की. वह भी दहाड़ मार कर रो पड़ी. परिवार के अन्य लोगों ने भी शव की पहचान नसरीन के रूप में की. परिवार के लोग अपने आंसू नही रोक पा रहे थे. जैसेतैसे मनीष कुमार पांडेय ने उन लोगों को धैर्य बंधाया फिर शिनाख्त करवा कर इशहाक को पुलिस अधीक्षक कार्यालय ले गए, जहां उस से एस.पी. विपिन कुमार मिश्रा ने पूछताछ की. जो भी जानकारी इशहाक को थी, वह उस ने एस.पी. के सामने बयां कर दी.

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