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पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- पिता के प्यार पर भारी मां की ममता – भाग 1

सीमा ने बेटे को बाप से मिलने से रोकने की कोशिश की, लेकिन मानव बाप को छोड़ने को तैयार नहीं था. क्योंकि राजेश उस की वह हर इच्छा पूरी करते थे, जो उस उम्र के बच्चे चाहते हैं. मानव के हाईस्कूल पास करते ही राजेश ने उसे बुलेट मोटरसाइकिल खरीद दी थी. उस के इंटर पास करते ही राजेश ने उस के लिए फोर्ड फिगो कार खरीद दी थी.

मानव देता था बाप से ज्यादा अहमियत मां को

मानव एलएलबी कर के बड़ा वकील बनना चाहता था, इसलिए वह किसी अच्छे और बड़े कालेज से एलएलबी की पढ़ाई करना चाहता था. उस ने कई बार यह बात राजेश से कही भी. लेकिन राजेश उसे अब कहीं दूर नहीं भेजना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उस का दाखिला रुद्रपुर के किच्छा रोड स्थित चाणक्य कालेज में करा दिया.

राजेश मानव को बहुत प्यार करते थे. लेकिन वह मां को और उस के द्वारा सिखाई बातों को ज्यादा अहमियत देता था. यही वजह थी कि राजेश के इतना प्यार करने के बावजूद उस के अंदर भरी नफरत कम नहीं हुई. एलएलबी की पढ़ाई के दौरान उस की मुलाकात अशहर उर्फ आशू से हुई.

सितारगंज का रहने वाला आशू राजनीति में सक्रिय था. वह युवा कांग्रेस से जुड़ा था, जिस की वजह से उस के कई नेताओं से अच्छे संबंध थे. आशू की वजह से मानव भी कांग्रेस से जुड़ गया और मानव सेवा दल औफ इंडिया का गठन किया.

इसी संगठन के बैनर तले उस ने कई बार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का सम्मान किया. राजनीति में आने के बाद मानव के हौसले बुलंदियों को छूने लगे थे. उस ने आशू को अपने घरपरिवार के बारे में सब बता दिया था. आशू कई बार हल्द्वानी स्थित मानव के घर भी गया था. इस से सीमा भी उसे पहचानने लगी थी.

अकसर साथ रहने की वजह से आशू को भी पता चल गया था कि मानव अपने पिता से बहुत नफरत करता है. वह उस की मां के साथ न रह कर रुद्रपुर में अलग रहते हैं. इस के बावजूद वह उस का सारा खर्चा उठाते हैं. उसे इस बात की हैरानी भी हो रही थी कि इतना सब कुछ करने के बाद भी मानव पिता से इतनी नफरत क्यों करता है.

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आशू ने जब इस की वजह जानने की कोशिश की तो मानव ने बताया कि उस के पिता के पास बेशुमार दौलत है, जिसे वह किसी लड़की के नाम करना चाहते हैं, जबकि उन की संपत्ति का असली हकदार वह है. इसलिए पिता की संपत्ति पाने के लिए वह कुछ भी कर सकता है. अगर जरूरत पड़ी तो वह उन की हत्या भी कर सकता है.

पिता की संपत्ति मिलते ही वह काफी अमीर हो जाएगा. अगर इस काम में वह उस की मदद करता है तो पिता की संपत्ति मिलते ही वह उसे एक कार दिला देगा. कार के लालच में आशू उस का हर तरह से साथ देने को तैयार हो गया.

मानव ने योजना में शामिल किया दोस्त को

मानव ने आशू से कहा था कि उसे इस मामले में कुछ करना नहीं है, सिर्फ उस के साथ रहना है. जो भी करेगा, वह खुद करेगा. इस के बाद मानव पिता को कैसे ठिकाने लगाए कि पकड़ा न जाए? इस के लिए वह आपराधिक धारावाहिक देखने लगा.

काफी सोचविचार कर और पूरी योजना बना कर 29 अगस्त, 2016 की सुबह मानव आशू के साथ आरटीओ औफिस पहुंचा. वहीं उस ने पिता को भी बुला लिया. वहां थोड़ा काम था, जिसे निपटा कर वह पिता को कार में बैठा कर चल पड़ा. राजेश और मानव पिछली सीट पर बैठे थे, जबकि आशू कार चला रहा था.

मानव किसी ऐसे स्थान की तलाश में था, जहां वह आसानी से अपना काम कर सके और किसी को पता न चल सके. संयोग से उस दिन बरसात हो रही थी, जिस से सड़कें खाली पड़ी थीं. आरटीओ औफिस से निकल कर रामपुर रोड पर बीकानेर स्वीट के सामने मौका मिलते ही मानव ने अपनी लाइसैंसी रिवौल्वर पिता की कनपटी से सटा कर 2 गोलियां दाग दीं.

गोलियां लगते ही राजेश तड़प कर हमेशा के लिए शांत हो गए. इस के बाद मानव ने उन्हें उठा कर इस तरह बैठा दिया, जैसे वह गहरी नींद में सो रहे हों. इस तरह मानव ने अपने पिता राजेश मान की हत्या कर दी. अब वह अपनी योजना के अनुसार, खटीमा की ओर चल पड़ा. क्योंकि अब उसे पिता की लाश को ठिकाने लगाना था. वह लाश को शारदा नहर में फेंकना चाहता था.

इस के लिए एक दिन पहले यानी 28 अगस्त, 2016 को ही मानव आशू को साथ ले कर पूरा रास्ता देख आया था. बरसात की वजह से नहर भी सूनी पड़ी थी. इस का लाभ उठाते हुए घटनास्थल से करीब 80 किलोमीटर दूर जा कर मानव ने कार से पिता की लाश निकाली और साथ लाई चादर में कुछ पत्थरों के साथ बांध कर नहर में फेंक दी.

मानव ने कैसे छिपाए हत्या के तथ्य

कार में खून लगा था, जिसे उस ने लौटते समय चलती कार में बरसात का फायदा उठाते हुए साफ कर दिया. कार तो साफ हो गई, लेकिन उसे इस बात का डर सता रहा था कि उस के रिवौल्वर की गोली से कार के शीशे में 2 छेद हो गए थे. लौटते समय उस ने रास्ता बदल दिया था. वह सितारगंज से चोरगलिया होते हुए हल्द्वानी पहुंचा.

हल्द्वानी पहुंच कर प्रेम टाकीज के पास उस ने कार की 2 बार सफाई कराई. सफाई के दौरान कार मैकेनिक ने कार में लगे खून के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि रास्ते में एक राहगीर का एक्सीडेंट हो गया था, जिसे उस ने इसी कार से अस्पताल पहुंचाया था. कार में यह उसी का खून लगा है.

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कार धुलवा कर उस ने उस के कवर भी बदलवा दिए. गाड़ी साफ करवा कर वह आशू के साथ घर पहुंचा और मां को बताया कि उस ने पिता को ठिकाने लगा दिया है. बेटे की बात सुन कर सीमा ने बेटे को कुछ कहने के बजाय उस की पीठ थपथपाते हुए कहा, ‘‘बेटे, तुम ने बहुत अच्छा किया. तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. आगे मैं सब संभाल लूंगी. नाक में दम कर के रख दिया था उस इंसान ने.’’

सीमा ने राजेश की हत्या का सबूत मिटाने के लिए उन का मोबाइल फोन घर में ही जला दिया. मानव के खून सने कपड़े पास में बह रहे नाले में फेंकवा दिए. कार में गोली चलने से शीशे में जो छेद हो गए थे, मानव ने उसे भी बदलवा दिया. उस ने आशू को चुप रहने के लिए तो कहा ही था, साथ ही चेताया भी था कि अगर उस ने यह राज किसी पर खोला तो वह उस का भी वही हाल करेगा, जो अपने पिता का किया है.

पुलिस पूछताछ में सीमा ने बताया था कि राजेश मान ने न उसे कभी पत्नी का दर्जा दिया और न ही मानव को कभी अपना बेटा माना. जबकि वह करोड़ों का मालिक था. इस के बावजूद उसे और बेटे को तंगहाली का जीवन जीना पड़ रहा था. जिन पैसों पर उसे और उस के बेटे को मौज करनी चाहिए थी, उस पर कोई और मौज कर रहा था. अपना हक पाने के लिए उस ने और बेटे ने जो किया, वह गलत नहीं है.

अपराध स्वीकार करने के बाद दर्ज हुआ हत्या का मुकदमा

आशू और सीमा के बयान के आधार पर पुलिस ने राजेश मान की गुमशुदगी हत्या में तब्दील कर दी. मानव, आशू और सीमा के खिलाफ भादंवि की धारा 304, 302, 120बी, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. फिर पुलिस ने आशू और सीमा को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

पुलिस टीम ने राजेश मान की लाश बरामद करने के लिए आशू की निशानदेही पर उस स्थान पर गोताखोरों से तलाश कराई थी, जहां उस ने लाश फेंकी थी. लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा था. लगता भी कहां से, राजेश की हत्या हुए पूरा एक साल बीत चुका था. अब पुलिस को मानव को गिरफ्तार करना था. वह उस के पीछे हाथ धो कर पड़ गई. वह अपनी कार हीरानगर की पार्किंग में खड़ी कर के फरार था.

पुलिस ने उस की कार बरामद कर ली थी. मानव को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने उस का मोबाइल सर्विलांस पर लगवा दिया. उसी की लोकेशन के आधार पर पुलिस उस का पीछा करती रही. मानव हल्द्वानी से मेरठ अपने मामा के यहां गया और अपना मोबाइल वहीं छोड़ कर हल्द्वानी आ गया.

पुलिस जिस तरह मानव के पीछे पड़ी थी, उस का बचना आसान नहीं था. लेकिन वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर इधरउधर भागता रहा. वह अकसर पुलिस को चकमा दे कर निकल जाता था.

पुलिस पूरे एक महीने उस के पीछे लगी रही. उस के बचने की वजह यह थी कि सीमा ने गली में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए थे, जिस से पुलिस के आने का उसे पता चल जाता था.

कैसे आया मानव चौधरी पुलिस की गिरफ्त में

पुलिस उस की तलाश में मेरठ में भटकती रही. पुलिस को कहीं से पता चला कि मानव दुबई जा सकता है. पुलिस ने उस के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करवा दिया. पुलिस ने उस के खिलाफ कुर्की का आदेश जारी कराया. लेकिन जब पुलिस उस के घर कुर्की करने पहुंची तो नानी ने कहा कि यह मकान उन का है, इसलिए वे इस की कुर्की नहीं कर सकते.

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पुलिस निराश हो कर लौट आई. आखिर पुलिस ने 27 अगस्त, 2017 को मानव को गिरफ्तार कर ही लिया. पुलिस उसे थाना किच्छा ले आई, जहां उस से विस्तार से पूछताछ की गई. उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया था.

उस का कहना था कि अकसर उस की मम्मी कहा करती थीं कि उस के पिता की वजह से उन की जिंदगी बरबाद हुई है. घर से बेघर हो कर वह मां के यहां रहती हैं. उन की प्रौपर्टी पर उस का हक है, जबकि वह उसे बेदखल कर के अपनी सारी प्रौपर्टी किराएदार की बेटी को देना चाहते हैं.

इसी बात से उसे गुस्सा आ गया था और उस ने कसम खा ली थी कि वह अपनी प्रौपर्टी किसी भी कीमत पर अपने हाथ से नहीं जाने देगा. मानव पिता की कमजोरी जानता ही था, उसी का लाभ उठाते हुए उस ने पिता से कह कर अपनी जरूरत की सारी चीजें जुटा ली थीं.

राजेश ने ही उसे वह लाइसैंसी रिवौल्वर खरीदवाई थी, जिस से उस ने उन की हत्या की थी. मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने मानव की कार की फोरैंसिक जांच कराई. इस तरह राजेश मान की हत्या को सुलझाने में पुलिस को एक साल लग गया. पूछताछ के बाद पुलिस ने मानव को भी अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया.    लेकिन पुलिस अभी उसे एक बार रिमांड पर ले कर राजेश की लाश तलाशने पर विचार कर रही है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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