प्यार कभी भी हो सकता है, टैंशन नहीं लेने का

गीतकार संतोष आनंद ने साल 1982 में आई एक सामाजिक फिल्म ‘प्रेम रोग’ में एक गाने से सवाल उठाया था कि ‘मोहब्बत है क्या चीज हम को बताओ. ये किस ने शुरू की हमें भी सुनाओ…’ पर आज तक इस सवाल का जवाब किसी को नहीं मिला, तभी तो कई बार शादी के बाद भी इनसान किसी तीसरे के प्यार में पड़ जाता है. यह प्यार अचानक या किसी मकसद से या सोच समझ कर नहीं होता. आज की मसरूफ लाइफ में वैसे भी इस तरह किसी तीसरे का मिलना आसान नहीं. मगर जब अनजाने ही कोई आंखों को भाने लगे तो दिल में कुछ उथलपुथल होने लग जाती है. इनसान धीरेधीरे अपनी जिंदगी में उस तीसरे का भी आदी होने लगता है. मगर जब यह हकीकत जीवनसाथी के सामने आए तो मामला उलझ सकता है.

तभी तो 18वीं सदी के मशहूर शायर मीर तकी मीर ने फ़रमाया था कि ‘इश्क इक ‘मीर’ भारी पत्थर है…’

मीर ने इश्क को भारी पत्थर कहा तो 20वीं सदी के एक और शायर अकबर इलाहाबादी ने इसे कुछ ऐसे बयां किया… ‘इश्क नाजुक मिजाज है बेहद, अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता…’

जाहिर है कि यह प्यार किसी को भारी पत्थर लगा तो किसी को नाजुक मिजाज, किसी ने मोहब्बत में खुदा देखा, तो किसी को दुश्मन नजर आया. मगर प्यार की हकीकत केवल शायराना अंदाज से नहीं समझी जा सकती. इस प्यार या इश्क के जज्बातों के पीछे कहीं न कहीं साइंस काम कर रहा है.

दरअसल, किसी के प्रति यह आकर्षण आप के दिमाग का कैमिकल लोचा भर है, इसलिए इसे ले कर ज्यादा तनाव नहीं लेना चाहिए. मोहब्बत होती है तो खुद से हो जाती है और न होनी हो तो लाख कोशिशें करते रहिए छू कर भी न गुजरेगी आप को. तभी तो चचा गालिब कह गए हैं कि ‘इश्क पर जोर नहीं है, ये वो आतिश ‘गालिब’ के लगाए न लगे और बुझाए न बुझे.’

जब होता है प्यार

जब आप किसी के प्यार में पड़ते हैं तो दिमाग न्यूरो कैमिकल प्रोसैस से गुजरता हुआ शरीर में एड्रेनल, डोपामाइन, सैरोटोनिन, टैस्टोस्टैरोन और एस्ट्रोजन रिलीज करता है. प्यार में पड़ने पर इन की रिलीजिंग स्पीड बढ़ जाती है. यही वजह है कि जब इनसान अपने किसी प्यारे के साथ हो तो वह अलग तरह का माहौल महसूस करता है.

इस मामले में न्यूरोपेप्टाइड औक्सीटोसिन नाम का कैमिकल भी प्यार का एहसास कराने में अहम साबित होता है, क्योंकि इस को बॉन्डिंग हार्मोन कहा जाता है. यह आप के मन में दूसरों से जुड़ाव पैदा करता है.

सताती है उस की याद

ऐसा कोई भी शख्स नहीं होगा जिसे कभी किसी इनसान की याद ने सताया न हो. भले ही वह इनसान शादीशुदा ही क्यों न हो, मगर इस के बावजूद वह किसी तीसरे से दिल से जुड़ जाता है. ऐसे में उस शख्स के दूर होने पर उसे मिसिंग की फीलिंग आती है और इस से वह दुखी महसूस करता है. यह बात वह संकोच के चलते किसी से शेयर भी नहीं कर पाता, जबकि दूर होने की वजह से उस का दुख बढ़ जाता है.

वैसे भी आप जिस की तरफ खिंचते हैं जब वह दूर होता है तो हैपी हार्मोन को तेजी से रिलीज करने वाला प्रोसैस धीमा हो जाता है. इस वजह से आप दुख, स्ट्रेस, एंग्जायटी और इनसिक्योर फील करने लगते हैं. यह बौडी का कैमिकल फ्लो में आए बदलाव पर रिएक्शन होता है.

इस की वजह से आप अपने जीवनसाथी के प्रति उदासीन से हो जाते हैं और उसे इस बात का अहसास होने लगता है कि आप की जिंदगी में कोई और भी है. ऐसे में हालात मुश्किल होने लगते हैं मगर फिर भी आप उस तीसरे का मोह नहीं त्याग पाते, क्योंकि वह तीसरा इनसान आप की जिंदगी में एक अलग तरह का रोमांच और खुशियां ले कर आता है. उस की कुछ खासीयतें आप को अपनी तरफ खींचती हैं. आप अपने जीवनसाथी को धोखा देना नहीं चाहते, मगर फिर भी उस तीसरे की यादों से अलग भी नहीं हो पाते. आप यह जुगत भिड़ाने में लगे रहते हैं कि उस तीसरे से बारबार आप का सामना हो.

नई रिलेशनशिप में आती है ज्यादा मुश्किल

एक स्टडी में यह भी सामने आया है कि पुरानी रिलेशनशिप में किसी से दूरी उतनी इफैक्ट नहीं करती मगर किसी नए रिश्ते में दूरी बढ़ने पर उदासी काफी प्रबल होती है. मतलब यह कि शादीशुदा इनसान जब अपने पार्टनर से कुछ समय के लिए दूर होता है, तो उस के मन पर खास असर नहीं होता मगर जिस से हालफिलहाल रिश्ता जुड़ा है उस का दूर जाना आप को ज्यादा इफैक्ट करता है. यह आप के चेहरे से नजर आने लगता है. आप परेशान रहने लगते हैं. वहीं जब रिश्ता पुराना हो यानी पतिपत्नी का हो तो उस में एक मजबूती और हिफाजत का भाव होता है.

इस जुनून से बचें

जब प्यार का जुनून ‘मानसिक बीमारी’ बन जाए तो ऐसा प्यार जानलेवा होता है. जैसा कि फिल्म ‘डर’ में शाहरुख खान का किरदार था. इस में हीरोइन पर जबरदस्ती का प्यार थोपा जा रहा था, ‘तू हां कर या न कर तू है मेरी किरन’. ऐसे प्यार को आप ‘इश्किया बीमारी’ कह सकते हैं.

अमेरिकी हैल्थ वैबसाइट ‘हैल्थलाइन’ के मुताबिक, ‘औब्सैसिव लव डिसऔर्डर एक तरह की ‘साइकोलौजिकल कंडीशन’ है जिस में लोग किसी एक शख्स पर असामान्य रूप से मुग्ध हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि वे उस से प्यार करते हैं. उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उस शख्स पर सिर्फ़ उन का हक है और उसे भी बदले में उन से प्यार करना चाहिए. अगर दूसरा शख्स शादीशुदा है या उन से प्यार नहीं करता तो वे इसे स्वीकार नहीं कर पाते. वे दूसरे शख्स और उस की भावनाओं पर पूरी तरह काबू पाना चाहते हैं.’

असल जिंदगी में भी ऐसे लोग प्यार में ठुकराया जाना स्वीकार नहीं कर पाते और न कहे जाने के बाद अजीबोगरीब हरकतें करने लगते हैं. बहुत से जुनूनी आशिक तथाकथित प्रेमिका को यह कह कर धमकाते हैं कि ‘ठुकरा के मेरा प्यार तू मेरी मोहब्बत का इंतकाम देखेगी’. किसी शादीशुदा से इस तरह जुनून भरा प्यार करने का नतीजा हिंसा, हत्या या आत्महत्या के रूप में नजर आता है. इसे औब्सैसिव लव डिसऔर्डर कहते हैं. ऐसे प्यार करने वाले शख्स से हमेशा बच कर रहें, क्योंकि ऐसा प्यार न सिर्फ आप की शादीशुदा जिंदगी बरबाद करेगा, बल्कि आप की जिंदगी भी जा सकती है.

Winter Romance Special: जातिधर्म नहीं प्यार की खुमारी देखें

ये मुहब्ब्त में हादसे अकसर दिलों को तोड़ देते हैं,तुम मंजिल की बात करते हो लोग राहों में ही साथ छोड़ देते हैं इश्क की खुमारी में लोग इन बातों को गलत भी ठहरा रहे हैं. यह बात और है कि ‘ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है’.

प्यार को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं. कुछ लोग मानते हैं कि प्यार अंधा होता है. जहां दिल लग जाता है वहीं प्यार हो जाता है. बहुत से दूसरे लोग यह मानते हैं कि प्यार अंधा नहीं होता, बल्कि सूरत और शक्ल देख कर होता है.

असल में प्यार की खुमारी में जाति और धर्म देखने की जरूरत नहीं होती है. जो दिल को अच्छा लगे, जहां दिल मिले वहां प्यार करना चाहिए. प्यार जबरदस्ती का सौदा नहीं होता है. यह बात सच है कि प्यार जब शादी में बदलने वाला होता है, तब बहुत सारी दीवारें आज भी खड़ी हो जाती हैं.

समय के साथसाथ समाज और घरपरिवार ने कुछ समझते किए हैं, पर आज भी कई बातें ऐसी हैं, जिन को ले कर घरपरिवार और समाज तमाम तरह की रूढि़यों और कुरीतियों में फंसे हैं.

शेखर ने दिव्या के साथ 12 साल प्यार में गुजार दिए थे. जब वे 10वीं क्लास में थे, तभी से एकदूसरे को बखूबी जानतेपहचानते थे. शुरू से ही दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे. एक ही गांव में रहते थे.

उन दोनों के घरपरिवार वाले भी एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे. इन सब से बड़ी बात यह थी कि दोनों एक ही जाति के थे. ऐसे में उन की शादी में कोई अड़चन नहीं थी. इस के बावजूद भी वे 12 साल बाद शादी कर सके.

दरअसल, स्कूल की पढ़ाई के बाद वे दोनों नौकरी करने लगे. गांव से दूर एक बड़े शहर में रहने लगे. उन के परिवार के लोग भी गांव छोड़ कर शहर में बस गए थे. इस के बाद भी शेखर और दिव्या एकदूसरे से दूर नहीं हुए.

उन दोनों के लिए अपने घर वालों को राजी करने में समय लगा. घर वाले इसलिए राजी नहीं हो रहे थे कि जाति में भी गोत्र का बंधन होता है. एक ही गोत्र में लड़कालड़की की शादी नहीं हो सकती. लिहाजा, गांव के रिश्ते में दोनों भाईबहन लगते थे.

किसी तरह जब घर वाले राजी हुए, तो उन की शर्त थी कि किसी को यह नहीं बताना कि यह शादी उन दोनों की मरजी से हुई है. शेखर और दिव्या ने इस बात के लिए हामी भर ली कि वे किसी को कुछ नहीं बताएंगे.

शादी से पहले सगाई हुई. सबकुछ ठीक था. शेखर और दिव्या ने अपने 12 साल के सबंधों को यादगार बनाने के लिए केक काटने का इंतजाम किया, जिस पर लिखा था ‘12 साल एकदूजे के साथ’.

रिश्तेदारी में कुछ लोगों की निगाह केक पर पड़ गई. वह इस का मतलब निकालने लगे. आखिर में सब को इस बात का पता चल गया कि यह शादी शेखर और दिव्या की मरजी से हो रही है. इस बात की काफी बुराई हुई. घरपरिवार के लोग अलग से नाराज हुए कि केक पर यह सब क्यों लिखा था.

पर अब कुछ हो नहीं सकता था. शेखर और दिव्या की शादी हो गई. अब वे दोनों हंसीखुशी एकदूसरे के साथ रहते हैं. इस से सबक मिलता है कि आप जिस से प्यार करें, उसे जिंदगीभर निभाएं. यही इश्क की असली खुमारी है. कई ऐसे उदहारण हैं, जो इश्क में जातिधर्म जैसी बंदिशों को स्वीकार नहीं करते हैं.

गांवों में नहीं सुधरे हालात

प्यारमुहब्बत को ले कर शहरों में तो हालात बदल गए हैं, पर गांवदेहात में अभी भी प्यार बंदिशों में रहता है. वहां नौजवानों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. कई नौजवान इस की कोशिश भी करते हैं. ऐसे में वे औनर किलिंग जैसी वारदातों के शिकार हो जाते हैं.

दरअसल, आजकल गांवदेहात में रहने वाली मुसलिम, एससीएसटी और ओबीसी जातियों की लड़कियां भी पढ़ने के लिए स्कूल जाने लगी हैं. वहां उन्हें अलगअलग लड़कों का साथ मिलता है. ये लड़कियां सुंदर और आकर्षक होती हैं. ऐसे में इन के साथ इश्क करने वाले कम नहीं होते हैं.

कई बार बहुत सी लड़कियां इश्क में पड़ भी जाती हैं, पर जब बात शादी की आती है, तो तमाम तरह की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. पर जो लड़केलड़कियां अपने पैरों पर खड़े होते हैं, वे अपने हक में फैसले कर लेते हैं.

निशा ओबीसी समाज से थी. गैरधर्म के अकील के साथ उस का इश्क हुआ. दोनों 12वीं क्लास के बाद आगे की पढ़ाई के लिए शहर चले गए. वहां उन को अच्छी नौकरी मिल गई. 2 साल के बाद उन दोनों ने शादी करने का फैसला लिया.

उन दोनों के घर वालों को जब इस बात का पता चला, तो वहां विरोध शुरू हो गया. निशा और अकील ने अपनेअपने घर वालों को समझने की लाख कोशिश की, पर कोई भी तैयार नहीं हुआ. लिहाजा, उन्होंने स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत कोर्ट में शादी कर ली.

जो प्यार करने वाले जाति और धर्म को छोड़ कर इश्क की खुमारी देखते हैं, वे कामयाब होते हैं. कानून ने इस तरह के लोगों को सुरक्षा दे रखी है. जरूरत इस बात की है कि प्यार करने वाले अपने इश्क की खुमारी को पहचानें और एकदूसरे पर भरोसा रखें.

हां, यह बात जरूर है कि जब लड़कालड़की दोनों अपने पैरों पर खड़े होते हैं, तो किसी भी तरह की लड़ाई लड़ने में कामयाब हो जाते हैं. पर जब वे घरपरिवार के भरोसे रहते हैं, तो उन की शादी मुश्किल हो जाती है. लिहाजा, जाति और धर्म का कट्टरपन खत्म करने के लिए इश्क की खुमारी जरूरी है.

Winter Romance Special: सर्दी में रात का इश्क

राज और मोहिनी की हाल ही में शादी हुई थी. पर जब से जाड़े ने जोर पकड़ना शुरू किया था, इन दोनों की सैक्स लाइफ ठंडी पड़ने लगी थी. राज को लगता था कि मोहिनी बिस्तर पर बर्फ की सिल्ली की तरह पड़ जाती है और कितना ही जोर लगा लो, गरम ही नहीं हो पाती है. उसे बड़ी कोफ्त होती थी.

उधर मोहिनी की दिक्कत यह है कि उसे ठंड बहुत ज्यादा लगती है और वह बिस्तर पर बिना गरम कपड़ों के नहीं रह सकती है. ठंड में सैक्स करने के नाम से ही उसे कंपकंपी छूट जाती है.

उत्तर भारत में जब गुलाबी जाड़े की दस्तक होती है, तभी शादियों का सीजन भी शुरू हो जाता है. गुलाबी जाड़े में गुलाबी इश्क, यह मेल कमाल का होता है. पर एक सच यह भी है कि सर्दी में हमारी सैक्स की इच्छा भी कम हो जाती है. यह सुन कर हैरानी होती है न? बिस्तर पर रजाई हो और पहलू में सैक्स पार्टनर, तो फिर यह इच्छा अचानक क्यों सिकुड़ जाती है?

दरअसल, मोहिनी की तरह बहुत से जोड़ों की यह शिकायत रहती है कि सर्दी के मौसम में वे काफी रूखे और सूखे हो जाते हैं. साथ ही, सर्दी में विटामिन डी का लैवल भी कम होता है, जो शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होता है. इस की कमी के चलते लोग अपने मूड में सब से खराब बदलाव महसूस करते हैं. दिन छोटे और रातें बड़ी हो जाती हैं. जल्दी अंधेरा होने की वजह से लोग और भी ज्यादा बुरा महसूस करते हैं. पर साथ ही यह भी याद रखिए कि भले ही सर्दी में सैक्स के प्रति दिलचस्पी कम हो जाती है, लेकिन इस मौसम में मर्दों में टैस्टोस्टैरोन का लैवल हाई होता है, जिस में स्पर्म की तादाद ज्यादा होती है. वहीं, औरतों में भी ज्यादा फर्टिलिटी होती है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. सर्दी में रात का इश्क भी गरमागरम हो सकता है, बस थोड़े से सब्र और नए उपाय करने की जरूरत होती है.

सर्दी में इश्क का मजा लेना हो, तो अपने काम से कुछ दिन की छुट्टी ले लें और अपने पार्टनर के साथ कहीं घूमने चले जाएं. दिन में बाइक पर सट कर बैठते हुए एकदूसरे के अंगों की गरमाहट लें और रात को कमरे में बेबाक हो कर एकदूसरे में समा जाएं.

यकीन मानिए, काम के बोझ से हलका आप का मन तन को इतनी ज्यादा गरमाहट से भर देगा कि बिस्तर पर आप दोनों बिना कपड़ों के भी हीटर की तरह सुलग रहे होंगे.

एक काम और जरूर करें. बिस्तर पर अपनी सैक्स पोजीशन और किस अंग को छूने से आप की गरमाहट बढ़ती है, इस पर खुल कर बात करें. एकदूसरे के शरीर को बेशर्म हो कर देखें, चूमें और सहलाएं. रात के कालेपन और सर्दी की ठिठुरन को भूल कर एकदूसरे के शरीर की गरमी को महसूस करें.

अगर कमरे के अंधेरे से दिक्कत है, तो बल्ब की रोशनी के बजाय मोमबत्ती की हलकी रोशनी कर लें. जलते मोम की गंध आप के शरीर के पसीने की गंध को और ज्यादा महका देगी और आप दोनों के रिश्ते में एक अलग तरह की रोमानियत ले आएगी.

सर्दी में कमरे के भीतर आप अपने पार्टनर की मालिश कर सकते हैं. यह नुसखा प्यार बढ़ाने के लिए अचूक माना जाता है. इस से शरीर की गरमी तो बढ़ती ही है, साथ ही खून का दौरा भी तेज हो जाता है.

मालिश करते हुए एकदूसरे के नाजुक अंगों से भी खूब खेलें और जोश को बढ़ा दें. यह एक तरह का फोरप्ले होता है, जो दोनों पार्टनर को जिस्मानी रिश्ता बनाने के लिए तैयार कर देता है. पर इस के लिए जरूरी है कि आप साफसुथरे हों, इत्र वगैरह लगाया हो, ब्रश किया हो और नाखून भी ट्रिम किए हुए हों, ताकि मालिश के दौरान जोश में शरीर नोचने पर चोट न लगे.

अगर इस सब के बावजूद जाड़े में रात को कमरा ठंडा लगता है, तो ब्लोअर या हीटर ले आएं और उस की आंच पर अपने इश्क की खीर पकाएं.

Winter Romance Special: शरीर खुशबूदार तो गहरा प्यार

आजकल आशिक और माशूक एकदूसरे को तोहफे में जो सब से ज्यादा आइटम देते हैं, वह परफ्यूम या डिओ होता है. तय है कि इस के पीछे मंशा यह रहती है कि हमारा प्यार हमेशा यों ही महकता रहे. इस सोच को एक शायर ने अपने एक शेर में कुछ ऐसे कहा है :

‘सुबह उठते ही तेरे जिस्म की खुशबू आई, शायद रातभर तू ने मुझे ख्वाब में देखा है.’

परफ्यूम या डिओ ऐसा गिफ्ट है, जो सभी के बजट में रहता है और इसे सहूलियत से रखा जा सकता है. आजकल हर कोई परफ्यूम और डिओ का इस्तेमाल करता है और प्यार करने वाले तो कुछ ज्यादा ही करते हैं, खासतौर से डेट पर जाते वक्त. अगर उन के पास एक से ज्यादा खुशबू वाले परफ्यूम हों, तो वे बहुत सारा समय यही सोचने में लगा देते हैं कि आज कौन सा परफ्यूम लगाया जाए कि पार्टनर उस के लिए और दीवाना हो जाए.

एक इश्तिहार में बड़े दिलचस्प तरीके से इसे दिखाया भी गया है कि कोई जवां मर्द एक खास किस्म का परफ्यूम लगा कर निकलता है, तो लड़की उस की खुशबू सूंघते हुए उस के पीछेपीछे पतंग सी खिंची चली आती है.

प्यार में खुशबू की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि ज्यादातर फिल्मों में जब आशिक और माशूक एकदूसरे से लिपटते हैं, तो आशिक माशूका के बालों और गरदन को सूंघता दिखता है.

हकीकत इस से जुदा नहीं होती. आशिक और माशूक एकदूसरे के गले लगें या न लगें, लेकिन नजदीक होने पर ही बदन से उठती खुशबू में डूबने और इतराने से खुद को रोक नहीं पाते हैं और फिर जुदा होने के बाद तनहाई में गुनगुनाते हैं :

‘खुशबू तेरे जिस्म की मेरे इत्र की किताब है, वफा न सही मुझ को दर्द ए हिज्र का खिताब है.’

खुशबू से महकता प्यार

कुदरती तौर पर हरेक जिस्म की अपनी एक अलग गंध होती है. वैज्ञानिक और माहिर भले ही इसे हार्मोन से जोड़ते रहें, लेकिन एक दफा जो इस गंध में बंध गया, वह फिर खुद इस से आजाद नहीं होना चाहता. इसी गंध में जब चंदन, केसर, गुलाब, मोगरा या कोई दूसरी परंपरागत या फिर नई खुशबू मिला ली जाती है, तो चाहने वालों के लिए तो वह जायदाद जैसी हो जाती है.

पार्टनर के शरीर से उठती खुशबू कब प्यार की पहचान बन जाती है, इस का तो सालोंसाल पता ही नहीं चलता. इसी खुशबू में डूबतेइतराते प्यार इतना गहराता जाता है कि एकदूसरे के बगैर रहना और जीना भी सजा लगने लगता है.

विदिशा के नजदीक एक गांव का नौजवान अमित (बदला नाम) अग्निवीर बन कर सेना में शामिल हुआ, तो उसे पहली तैनाती जम्मूकश्मीर में मिली. नौकरी पर जाने से पहले उस की माशूका सीमा (बदला नाम) ने उसे एक महंगा परफ्यूम तोहफे में यह कहते हुए दिया था कि ‘इस की खुशबू तुम्हें मेरी याद दिलाती रहेगी’.

ट्रेनिंग के दौरान अमित ने जब भी वह परफ्यूम लगाया, तो सचमुच उसे लगता था कि सीमा आसपास ही कहीं है और इसी खुशबू के साथ महक रही है.

सीमा चोरीछिपे अमित से मोबाइल के जरीए बात करती थी, तो अमित उसे बताता था कि ‘तुम्हारी दी गई खुशबू दिनरात महकती रहती है. सुहागरात में भी तुम मुझे यही परफ्यूम गिफ्ट में देना’.

इन दोनों का शादी करने का सपना पूरा होने में अब कोई अड़ंगा नहीं है, बस इन्हें पूरे दमखम और भरोसे के साथ घर वालों को अपनी इच्छा बताना भर है. वे मान जाएं तो ठीक, नहीं तो किसी के रोकने से अब ये रुकने वाले भी नहीं.

सीमा की मुहब्बत में डूबे अमित को भी एक दिन शायरी का रोग लग ही गया, तो उस ने माशूका को ह्वाट्सएप पर दिल से निकला यह मैसेज भेजा :

‘कभी आग तो कभी शोला बन कर दहकती है, तेरे प्यार की खुशबू सरहद पर यों महकती है.’

ऐसे करें इस्तेमाल

वह खुशबू ही है, जो प्रेमियों को नजदीक लाती है. अहम बात यह कि इस का सलीके से इस्तेमाल करना है. जब अपने पार्टनर से मिलें, तो ध्यान रखें कि खुशबू बहुत तीखी न हो. भीनीभीनी खुशबू हर किसी को भाती है. बालों को शैंपू करने के बाद बहुत सारा तेल सिर में उड़ेलना कतई जरूरी नहीं. किसी अच्छे तेल को बालों में कम से कम लगाना ही काफी रहता है. चेहरे और गरदन पर ब्रांडेड कोल्ड क्रीम सर्दियों में अच्छी रहती है और उस के ऊपर हलका सा कोई टैलकम पाउडर लगा लें, तो चेहरा खिल उठता है.

अब बारी आती है परफ्यूम या डिओ की, तो वह अपने पार्टनर की पसंद का स्प्रे करें. अगर उस की कोई खास पसंद न हो तो लड़कियों के लिए चंदन, मोगरा और गुलाब की खुशबू वाले परफ्यूम अच्छे रहते हैं.

इस के उलट लड़कों को चौकलेट फ्लेवर के परफ्यूम ज्यादा पसंद आते हैं. पहली डेट पर ज्यादातर लड़के चौकलेट खुशबू का परफ्यूम लगा कर जाते हैं. इस के पीछे माहिरों का कहना है कि लड़कियां चौकलेट पसंद करती हैं और इस की तरफ जल्दी खिंचती भी हैं.

भोपाल की मनीषा मार्केट के एक कैमिस्ट अनिल ललवानी बताते हैं, ‘‘परफ्यूम तो परफ्यूम लड़के डेट पर जाने के लिए कंडोम भी चौकलेट फ्लेवर का ज्यादा लेते हैं. चौकलेट के बाद लड़कों की दूसरी पसंद फूलों की खुशबू वाले परफ्यूम होते हैं.

‘‘आजकल अलकोहल की गंध वाले परफ्यूम भी लड़के पसंद कर रहे हैं. लड़कियों को इंप्रैस करने के लिए चौथे नंबर पर फलों की खुशबू वाले परफ्यूम लड़के ज्यादा लगाते हैं.’’

डेट पर जाने से पहले खुशबूदार साबुन से नहाना चाहिए, ताकि शरीर की बदबू भाग जाए. इस के बाद पूरे शरीर पर टैलकम पाउडर लगाना चाहिए. आजकल सभी कंपनियां तकरीबन सभी खुशबुओं वाले टैलकम पाउडर बना रही हैं. सर्दियों में यों तो कोई भी खुशबू चल जाती है, क्योंकि पसीना कम आता है. थोड़ा सा चंदन वाला पाउडर लंबे समय तक महकता रहता है.

प्यार में हों, डेट पर हों या उस से भी ज्यादा कुछ होना हो, जरूरी है कि पूरा शरीर महकता रहे. एक अहम बात जिस पर अकसर प्यार करने वाले ध्यान नहीं दे पाते, वह मुंह से आती बदबू है, जिसे दूर करने के लिए ब्रश करने के बाद इलायची या माउथ फ्रैशनर जरूर इस्तेमाल करना चाहिए.

पूरा शरीर खुशबू से तर हो, लेकिन जैसे ही किस करने की बारी आए, तो मुंह की बदबू मामला खराब कर देती है, इसलिए इस का भी ध्यान रखना चाहिए, तभी तो प्यार की गहराइयों में उतरने का सही लुत्फ आएगा और जेहन में तकरीबन 45 साल पहले आई फिल्म ‘बदलते रिश्ते’ का ऋषि कपूर, जितेंद्र और रीना राय पर फिल्माया गया यह रोमांटिक गाना गूंज उठेगा :

‘मेरी सांसों को जो महका रही है ये पहले प्यार की खुशबू तेरी सांसों से शायद आ रही है.’

Winter Romance Special: इश्क दोगुना करे एक चाय दो जोड़े होंठ

गांवदेहात में सर्दियों के बारे में एक कहावत बहुत ही मशहूर है कि ‘जाड़ा जाए रूई या दुई’. इस का मतलब है कि सर्दियों को भगाने में 2 चीजें ही काम आती हैं, एक रूई यानी रजाई और दूसरी दुई यानी 2 लोग. जब यही 2 लोग रजाई में बैठ कर गरमागरम चाय की चुसकी लेंगे, तो सर्दियां छूमंतर हो जाएंगी. कई बार प्यार करने वाले 2 लोग एक ही कप में जब चाय पीते हैं, तो चाय के स्वाद के साथसाथ एकदूसरे के होंठों की तपिश का भी अहसास होता है.

आज गांवदेहात में भी जिंदगी जीने का ढर्रा बदल रहा है. अब वह जमाना नहीं है, जैसे पहले पति अपनी पत्नी के कमरे में सोने के लिए रात को चोरीछिपे जाता था कि घर के बड़ेबूढ़े देख न लें. गांवदेहात में भी एकल परिवार हो रहे हैं. पतिपत्नी आजादी के साथ अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. ऐसे में रोमांस करने का समय और जगह दोनों ही उन के पास होते हैं.

गांवदेहात में पहले पतिपत्नी की जिंदगी में रोमांस की ज्यादा जगह नहीं होती थी. वे केवल सैक्स करते थे, जिस से बच्चे पैदा हों और घरपरिवार व वंश आगे बढ़ सके.

अब तो गांवदेहात में भी पतिपत्नी रोमांस कर रहे हैं. वे ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं, जहां रोमांस किया जा सके. घरों में टैलीविजन और हाथ में मोबाइल फोन है, जिस में वे रोमांस करने के तरीके देखते रहते हैं खासकर जब से सोशल मीडिया पर रील बनाने का शौक चढ़ा है, तब से गांव में रहने वाले जोड़ों का रोमांस सिर चढ़ कर बोल रहा है.

अब बात ‘एक चाय दो जोड़े होंठ’ से आगे तक पहुंच गई है. इस बार नया ट्रैंड देखने को मिल सकता है. इस में और मजा लेने की चाह में चाय एक पीता है. वह चाय को अपने मुंह में भर लेता है. इस के बाद वह अपने पार्टनर को किस करते हुए उस के होंठों को अपने होंठों से खोलता है.

इस के बाद अपने मुंह में भरी चाय उस के मुंह में छोड़ता है. वह पार्टनर भी बड़ी आसानी से उस चाय को पी लेता है. इस तरह से देखें, तो होंठ एक, चाय एक और पीने वाले 2 हैं. आपस में प्यार बढ़ाने का यह अच्छा तरीका है.

अदरक वाली कड़क चाय

इस सर्दी में सोशल मीडिया पर रील में यह नया ट्रैंड हो सकता है. कई जोड़े जो पतिपत्नी नहीं हैं, वह इस का प्रयोग तो करते हैं, बस इस का प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं.

चाय सर्दियों लोग में सब से ज्यादा पीया जाने वाला पदार्थ है. अब गांवदेहात में भी दूध का इस्तेमाल उतना नहीं होता जितना चाय का होता है. कुछ लोग दूध वाली चाय पीते हैं, तो कुछ मलाई वाली चाय पीते हैं.

गांवदेहात में ग्रीन टी, काली चाय और नीबू वाली चाय का इस्तेमाल कम होता है. शहरों में भले ही गुड़ वाली चाय पीने का ट्रैंड हो, पर गांव में चीनी वाली चाय ही लोग पीते हैं.

सर्दियों में लोग अलगअलग जगहों पर अलगअलग तरह की चाय पीते हैं. मैदानी इलाकों में अदरक वाली चाय सब से ज्यादा पसंद की जाती है. कश्मीर में कहवा पीते हैं. चाय की मिठास तब और बढ़ जाती है, जब चाय के ऊपर भरपूर मलाई पड़ी हो.

सर्दियों में अदरक वाली चाय पीने का अलग ही मजा होता है. ठंड के मौसम में अदरक की चाय गले से नीचे उतरती है, तो सारी सर्दी दूर भाग जाती है. अदरक का सेवन करना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है.

सर्दियों में बाहर ठंडी हवा और हाथ में एक प्याली गरम चाय और साथ में चाय पीने वाली हो, तो मूड को बदलते देर नहीं लगती है.

भारतीय लोगों में चाय पीना एक परंपरा की तरह है. गांव से ले कर शहर तक में लोग तरहतरह की चाय पीना पसंद करते हैं. साधारण चाय के अलावा तुलसी, अदरक, इलायची, मसाला, लौंग, शहद, मुलेठी, सौंफ वाली चाय ज्यादा पसंद की जाती है.

चाय को ले कर रोमांस भी फिल्मी गानों में दिखता है. इन में से एक गाना बहुत मशहूर हुआ था ‘गरम चाय की प्याली हो, उस को पिलाने वाली हो. चाहे गोरी हो या काली हो…’ मतलब, चाय के साथ सर्दियों का रोमांस और भी परवान चढ़ता है.

सेहत के लिए फायदेमंद

सर्दियों में चाय का पीना अच्छा होता है. सुबह दूध और पत्ती वाली चाय की जगह अगर मसाले वाली चाय पी जाए, तो सेहत को फायदा मिलता है. सर्दी से मुकाबले के लिए चाय की चुसकी जरूरी होती है. मसाले और जड़ीबूटियां मिलाने से काफी फायदा पहुंच सकता है.

दूध वाली चाय की जगह अगर आप सुबह एक कप गरम मसालेदार चाय पीएंगे, तो हड्डियों को जकड़ने वाली ठंड में आप के शरीर को गरमाहट मिल सकती है.

इस के लिए पानी में दालचीनी, लौंग, इलायची, जायफल, केसर, अदरक जैसे मसाले मिला कर उसे उबालना और पीना चाहिए. मिठास के लिए चीनी की जगह शहद भी मिला सकते हैं. मसाले शरीर को अच्छी गरमी देते हैं.

चाय में जायफल, दालचीनी, इलायची या सोंठ जैसे मसाले और जड़ीबूटियां मिलाने से शरीर को ताकत मिलती है. फ्लू, बुखार, मौसमी एलर्जी के खिलाफ लड़ने की ताकत मिलती है. मसालों में एंटीऔक्सीडैंट्स की मौजूदगी बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ाने में मदद करती है.

चाय में मसाले मिला कर पीने से न सिर्फ इस की मोहक सुगंध से ऊर्जा मिलती है, बल्कि साथ ही बिना चाय पत्ती की इस चाय में कैफीन नहीं होता, जो इसे पाचन के लिए बहुत अच्छा बनाता है. सौंफ, लौंग, दालचीनी और जायफल जैसे मसाले वजन घटाने में तेजी ला सकते हैं.

इस के अलावा मसाले और कई तरह की जड़ीबूटियां भी दिल की सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं. हलदी और लौंग जैसे मसाले एंटीइंफ्लेमैटरी गुणों से भरपूर होते हैं, जो शरीर में सूजन से लड़ते हैं, घाव और चोट को भरते हैं.

इस तरह से देखें, तो चाय बहुत ही गुणकारी है. जब 2 लोग एकसाथ रोमांस करते हुए चाय पीते हैं, तो डिप्रैशन जैसी चीजों की जगह प्यार, रोमांस और सैक्स की भावना बढ़ती है, जिस से मन खुश और तन दुरुस्त रहता है.

सुरक्षित सेक्स के इन खतरों के बारे में भी जानिए

हम सभी की तरह मार्केटिंग प्रोफैशनल प्रिया चौहान को भी पूरा भरोसा था कि कंडोम का इस्तेमाल उन्हें हर तरह की सैक्स से फैलनेवाली बीमारियों (एसटीडीज) से महफूज रखेगा. आखिरकार इस बात को लगभग सभी स्वीकार करने लगे हैं. वे तब अचरज से भर गईं, जब उन्हें वैजाइनल हिस्से में लाली और जलन की वजह से डाक्टर के पास जाना पड़ा.

‘‘डाक्टर ने मुझे बताया कि मुझे सिफलिस का संक्रमण हुआ है, जो एक तरह की एसटीडी है.’’

गायत्री आगे बताती हैं, ‘‘मुझे लगता था कि कंडोम मुझे इस तरह की बीमारियों से सुरक्षित रखता है और जलन की वजह के बारे में मैं सोचती थी कि शायद मैं सही मात्रा में पानी नहीं पी रही हूं.’’

ये चुंबन से भी हो सकता है

गायत्री और उन के बौयफ्रैंड को कुछ ब्लड टैस्ट कराने कहा गया और ऐंटीबायोटिक्स दिए गए, ताकि सिफलिस के वायरस को फैलने से रोका जा सके. ये वह सब से आम एसटीडी है, जिसे रोकने में कंडोम कारगर नहीं है.

सैक्सोलौजिस्ट डा. राजीव आनंद, जो कई जोड़ों को कंडोम और एसटीडीज से जुड़े इस मिथक की सच्चाई बता चुके हैं, कहते हैं, “ज्यादातर लोग कंडोम को एसटीडीज से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका मानते हैं, लेकिन कुछ इंफैक्शंस ऐसे हैं, जो ओरल सैक्स या चुंबन के जरिए भी फैल सकते हैं.

‘‘ये भ्रांति शायद इसलिए है कि एड्स से जुड़ी जानकारी के केंद्र में कंडोम ही है. हालांकि यह एड्स की रोकथाम में कारगर है, लेकिन यह कुछ एसटीडीज की रोकथाम में कारगर नहीं है,’’

वे आगे कहते हैं, ‘‘कंडोम प्रेगनेंसी और कुछ एसटीडीज से बचाव करता है, लेकिन हरपीज वायरस के इंफैक्शन से बचाने में यह कारगर नहीं है. यह एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) और कुछ फंगल इंफैक्शंस, जो त्वचा के उन हिस्सों के संपर्क के कारण फैलते हैं, जो कंडोम से नहीं ढके हैं, से भी बचाव नहीं कर पाता.’’

कंडोम के इस्तेमाल से शारीरिक स्राव का विनिमय तो रुक जाता है, लेकिन हरपीज, एचपीवी और गोनोरिया आदि होने की संभावना बनी रहती है.

इस खतरे को कम करें

अपने साथी को अच्छी तरह जानना तो जरूरी है ही, पर ऐसे लोगों की संख्या को सीमित रखें, जिन से आप सैक्शुअल संबंध रखती हैं, ताकि आप एसटीडीज के खतरे से बच सकें. यदि आप किसी नए साथी के साथ संबंध बना रही हैं तो उस का चैकअप जरूर कराएं.

“यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने साथी से चैकअप कराने को कहें और उस की रिपोर्ट्स देखें. मुझे पता है कि यह थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन हमें समय के साथ चलना होगा,’’ यह कहती हैं रश्मि बंसल, जो 2 साल तक लिवइन रिश्तों में थीं.

‘‘यदि वह आप को सच में पसंद करता है तो ऐसा करने में उसे कोई समस्या नहीं होगी.’’

इसके अलावा हेपेटाइटिस बी और एचपीवी के लिए वैक्सीन लेना भी अच्छा रहता है.

क्या है जेंडर इक्वैलिटी और ज्यादा सेक्स का संबंध

औस्टेलियाई महिलाओं के औसतन 11 सेक्स पार्टनर्स होते हैं और अमेरिकी महिलाओं के 4. भारतीय महिलाओं का एक ही सेक्स पार्टनर होता है. ये आंकड़े फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के रौय बौमीस्टर के अध्ययन को सही साबित करते हैं. उनका अध्ययन, सेक्शुअल इकोनौमिक्स : ए रिसर्च बेस्ड थ्योरी औफ सेक्शुअल इंटरैक्शन और व्हाय दि मैन बायज डिनर, कहता है कि ऐसे देश, जहां लैंगिक समानता (जेंडर इक्वैलिटी) का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाओं के एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर्स बनते हैं.

वे जनरल औफ सोशल साइकोलौजी सर्वेइंग में प्रकाशित उस रिसर्च की ओर ध्यान दिलाते हैं, जिसमें 37 देशों के 3 लाख लोगों पर सर्वे करने के बाद पाया गया था कि जिन देशों में लैंगिक समानता का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाएं कैशुअल सेक्स में ज्यादा लिप्त थीं. हमने जानने की कोशिश की कि भारतीय महिलाओं के संदर्भ में इसका क्या औचित्य है?

सेक्स, आपूर्ति व मांग से अछूता नहीं है

इस असमानता के पीछे कई सांस्कृतिक और आर्थिक कारण हैं. रौय की थ्योरी कहती है कि (औसतन) महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सेक्स की चाहत ज्यादा होती है और रिश्तों में सेक्स तभी संभव है, जब महिला यह चाहे. यहां भी आपूर्ति और मांग का नियम लागू होता है. जिस लिंग का अभाव होता है, उसके पास शक्ति होती है. ‘‘यदि महिलाओं के पास खुद पैसे कमाने के ज्यादा अवसर नहीं हैं तो वे सेक्स को बहुत मूल्यवान बनाए रखना चाहेंगी, क्योंकि सेक्स ही वह मुख्य चीज है, जो वे किसी पुरुष को दे सकती हैं,’’ रौय कहते हैं.

पुरुषों के लिए महिलाओं की सेक्शुएलिटी की बहुत अहमियत होती है; एक पुरुष जिसे किसी महिला से सेक्स की जरूरत है, उसे इसके बदले में उस महिला को कोई मूल्यवान चीज देनी होगी, जैसे-विवाह का प्रस्ताव. ‘‘ऐसे देश, जहां महिलाओं की दशा अच्छी नहीं है, महिलाएं सेक्स पर अंकुश रखती हैं, ताकि इसका मूल्य ऊंचा रहे और पुरुष सेक्स पाने के लिए ताउम्र प्रतिबद्घता का वचन दें,’’ रौय कहते हैं. ‘‘और पुरुष सेक्स के लिए कुछ भी कर सकते हैं.’’

साइकोलौजिस्ट की राय में

साइकोलौजिस्ट डा. छवि खन्ना रौय के निष्कर्षों से पूरी तरह सहमत हैं. ‘‘अध्ययन बताते हैं कि जहां लैंगिक समानता का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाएं वर्जनाओं को तोड़ती हैं और वहां के सामाजिक नियम भी सेक्शुअल गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं करते. ऐसे समाज में महिलाएं कैशुअल सेक्स में लिप्त भी रहती हैं और उन्हें सेक्स संबंधों का पहला अनुभव भी अपेक्षाकृत कम उम्र में हो जाता है,’’ यह बताते हुए वे कहती हैं, ‘‘लैंगिक समानता से महिलाओं को अपनी सेक्शुएलिटी को अपनी इच्छा के अनुसार व्यक्त करने का अवसर मिलता है.’’

आम लोगों की राय में

इन्वेस्टमेंट बैंकर, प्रिया नायर, 28, कहती हैं कि मेरी परवरिश ऐसे परिवार में हुई है, जहां महिलाओं को बिल्कुल बराबरी के अधिकार मिलते हैं. उन्हें हमेशा से पता था कि उनकी इच्छाओं को उतना ही महत्व मिलेगा, जितना किसी पुरुष की इच्छा को मिलता. ‘‘इस अध्ययन के बारे में जानकर मुझे लगता है कि, क्योंकि मैं आत्मनिर्भर और बुद्घिमान हूं इसलिए मेरे पास पुरुष को देने के लिए सेक्स के अलावा भी बहुत कुछ है,’’ वे कहती हैं. ‘‘इसका ये भी मतलब है कि मैं इतनी आत्मविश्वासी और खुले विचारों की हूं कि किसी पुरुष को ये बता सकती हूं कि मैं क्या चाहती हूं.’’

वहीं मीडिया कंसल्टेंट, पुरंजय मेहता, 26, का मानना है कि भारत के संदर्भ में ये अध्ययन केवल शहरों के लिए सही है. ‘‘जब महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपनी सेक्शुएलिटी का अन्वेषण करती हैं, तब उनके ज्यादा सेक्शुअल पार्टनर्स बनते हैं. ऐसा छोटे कस्बों की युवतियों के साथ नहीं होता, क्योंकि उन्हें अब भी पारंपरिक, लैंगिक असमानता वाले मूल्यों के साथ परवरिश मिलती है.’’

वहीं साइकोलौजिस्ट डा. सोनाली गुप्ता रोहित की बातों से सहमत हैं. ‘‘यह सच है कि शहरों में लैंगिक समानता ज्यादा होती है और महिलाएं जो पाना चाहती हैं, खुलकर उसे पाने का प्रयास करती हैं,’’ वे कहती हैं. ‘‘मैं उनके एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर्स होने के बारे में तो नहीं कह सकती, पर ये जरूर कह सकती हूं कि ऐसी महिलाओं के साथ सेक्स एक आनंददायक प्रक्रिया होती है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उन्हें क्या चाहिए.’’

क्या आप जानते हैं कि लोग Kiss क्यों करते हैं?

Kiss एक सबसे आम रोमांटिक बर्ताव है. दरअसल एक रिसर्च के अनुसार यह दुनिया भर की 90 प्रतिशत संस्कृतियों का हिस्सा है. इसलिए आप शोधकर्ताओं से अपेक्षा कर सकते हैं कि वो इससे जुड़े तथ्यों का गहन अध्ययन करें कि आखिर क्यों सभी मनुष्य Kiss करते हैं. लेकिन है इसका उलटा, चुंबनों के बारे में ऐसा बहुत कुछ है जिसके बारे में हम अभी भी अनिभज्ञ हैं.

अमेरिका के एक शोधकर्ता समूह ने तय किया कि अब यह जानने का समय आ गया गई कि क्यों इंसान एक दुसरे के मुंह में मुंह डाल कर ये अजीब सी क्रिया करते हैं. वो इसके पीछे की वजह और जरूरत जानना चाहते थे. वो ये भी जानना चाहते थे कि Kiss के मामले में महिला और पुरुष एक दूसरे से किस तरह अलग हैं, और क्या उम्र, आपके व्यक्तित्व और रिश्ते में होने न होने का इस रूमानी बर्ताव पर कोई प्रभाव पड़ता है.

मैं खुद को नहीं रोक सका

अंततः उन्होंने 18 से 74 वर्ष की उम्र के 461 लोगों को एक प्रश्नावली भरने को कहा जिसका नाम था ‘वाई किस’? कारणों की सूची को दो भागों में विभाजित किया गया. पहले वो लोग थे, जिनके लिए ये एक महत्वकांशा का मुद्दा था और इसका रोमांस से कोई लेना देना नहीं था.

‘इनके कारण कुछ ऐसे थे, ‘मुझे ऑफिस में प्रमोशन चाहिए था’ या ‘मुझे अपने मां बाप के आदेश की अवहेलना करनी थी’. ये वो श्रेणी थी जिसमे Kiss के पीछे कोई खास वजह या महत्वकांक्षा थी, जो कि सकारात्मक नहीं थी जैसे कि, “मुझे उसको मज़ा चखाना है”.

दूसरी श्रेणी ‘शारीरिक संबंध’ वाली थी. इनमे ‘मूड बनाने के लिए’ से लेकर ‘उसे निर्वस्त्र देख कर मुझसे काबू नहीं हुआ जैसे कारण थे.

मजा और लगाव

हिस्सा लेने वाले अधिकतर लोगों ने 16 की उम्र से पहले अपनी पहली रोमांटिक किस अनुभव कर ली थी. वयस्क उम्र आने तक वो लगभग 20 लोगों के साथ Kiss कर चुके थे. पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें Kiss ‘बहुत’ पसंद है.

तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि Kiss का सबसे लोकप्रिय और आम कारण ‘शारीरिक संबंध’ वाली श्रेणी था. और इस कारण में महिला और पुरुष, दोनों का पहलू एक जैसा था.

मनचाही ची

वो कौन है जो Kiss रोमांटिक कारण के लिए नहीं बल्कि कुछ पाने के लिए करते हैं, महिला या पुरुष? पुरुष! उन्होंने Kiss के ऐसे कारणों के बारे में बताया जिनका रोमांस से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था. जैसे कि,’ मैं चाहता था कि मेरा इस व्यक्ति से पीछा छूट जाये’ या ‘मैं अपनी धाक जमाना चाहता था’.

पुरुष इस तरह के कारणों को लेकर Kiss के प्रति उत्साहित क्यों रहते हैं? यदि अंदाजा लगाया जाये तो शायद इसका संबां पुरुषों के इस बात को समाज के सामने सिद्ध करने से हो सकता है कि वो शारीरिक संबंधों की शुरुआत को नियंत्रित करते हैं.

Kiss के पांच मुख्य शारीरिक संबंध कारण

  1. मैं इस व्यक्ति को उसके प्रति, अपना लगाव दिखाना चाहता था.
  2. इससे अच्छा महसूस होता है
  3. मैं प्रेम प्रदर्शित करना चाहता था.
  4. वो बेहद आकर्षक था.
  5. मैं उस व्यक्ति के साथ जुड़ाव रखना चाहता था.

Kiss के पांच मुख्य उपलब्धि सम्बंधित कारण

  1. मैं चाहता था कि लोग मुझ पर ध्यान दें
  2. मैं अपने बारे में बेहतर महसूस करना चाहता था
  3. मुझे यह करने के लिए बाध्य महसूस हुआ
  4. मैं शक्तिशाली महसूस करना चाहता था
  5. मैं अपनी Kiss क्षमताओं के बारे में उत्सुक था

जब बहन लगे बहकने तो क्या करें

बहन जब मरजी से किसी से प्यार करने लगती है, तो ज्यादातर भाई हैवान बन जाते हैं. विरले ही भाई ऐसे होंगे, जिन्होंने अपनी बहन के जज्बात समझते हुए उस की मुहब्बत को शादी में तबदील करने की पहल की होगी…

बि हार में पटना सिटी का गायघाट आएदिन होने वाली आपराधिक वारदात के लिए बदनाम है. ऐसी ही एक वारदात ज्यूडिशियल एकेडमी के नजदीक

26 अप्रैल, 2023 की रात को हुई, जिस में उस वक्त सनाका खिंच गया था, जब फिल्मी स्टाइल में एक नौजवान ने दूसरे नौजवान पर कट्टे से गोली दागते हुए उस की हत्या कर दी. जब तक लोग समझ पाते कि आखिर हुआ क्या है, तब तक अपराधी हवा में फायर करते हुए भाग खड़े हुए.

अफरातफरी मची और कुछ लोग हिम्मत करते हुए उस घायल नौजवान के पास पहुंचे और उसे नजदीक के एनएमसीएच अस्पताल पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान नौजवान ने दम तोड़ दिया.

पुलिस आई और जांच शुरू हुई, तो मामला इश्कबाजी का निकला. बाद में यह कहानी सामने आई : मरने वाले 22 साला नौजवान का नाम राजा कुमार था, जो गुड़ की मंडी मालसलामी का रहने वाला था और मारने वाले का नाम अभिषेक कुमार था. वे दोनों दोस्त तो नहीं थे, लेकिन एकदूसरे को जानते जरूर थे.

कुछ दिन पहले ही अभिषेक को भनक लगी थी कि राजा का चक्कर उस की बहन से चल रहा है. इस बाबत उस ने कई बार राजा को समझाया भी था कि वह उस की बहन से मिलनाजुलना छोड़ दे, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.

समझाया तो अभिषेक ने अपनी बहन अर्चना (बदला हुआ नाम) को भी था, लेकिन राजा से उस का मिलनाजुलना बंद नहीं हो रहा था, इसलिए वह कुसूरवार राजा को ही मानता था और चाहता था कि वही मान जाए, फिर चाहे इस के लिए उंगली टेढ़ी भी करनी पड़े, तो बात हर्ज की नहीं, क्योंकि सवाल आखिर घर की इज्जत का था.

लेकिन राजा कहां मानने वाला था, जिसे यह एहसास था कि जब प्यार किया है, तो हजार रुकावटें भी आएंगी, जिन से डरने या भागने के बजाय उन का मुकाबला करना है.

मालसलामी का ही रहने वाला अभिषेक और राजा हमउम्र थे. लिहाजा, राजा को उम्मीद थी कि कभी आमनेसामने बैठ कर बात होगी, तो अभिषेक उस के जज्बात समझते हुए राजी हो जाएगा, क्योंकि अर्चना भी उसे चाहती थी.

वारदात के दिन अभिषेक ने राजा को चाय पीने के लिए ज्यूडिशियल अकेडमी के नजदीक के होटल पर बुलाया, तो

वह झट से राजी हो गया. उसे उम्मीद थी कि वह गुस्साए अभिषेक को मनाने में कामयाब हो जाएगा. लेकिन उसे क्या मालूम था कि अभिषेक कुछ और ही ठाने बैठा था.

रात को राजा अपने एक दोस्त सरवन को साथ ले कर होटल पर पहुंचा तो वहां मौत उस का इंतजार कर रही थी. अभिषेक ने कब कहां से आ कर उस पर गोलियां दागते हुए अपने घर की इज्जत का बदला ले लिया, यह उसे पता भी नहीं चला.

सरवन ने एक पहचान वाले संजीव कुमार की मदद से राजा को अस्पताल पहुंचाया और फिर पुलिस को राजा और अर्चना की लवस्टोरी के बारे में बताया, तो पुलिस ने अभिषेक को हिरासत में ले लिया, जिस ने अपना जुर्म कबूल करते हुए हत्या करने की वजह बता दी. विलेन बनते भाई यह कोई पहला या आखिरी मामला नहीं था, जिस में किसी भाई ने बहन के प्यार का खात्मा यों जानलेवा तरीके से न किया हो. यह रोग हर धर्म, जाति और तबके में बराबरी से है.

इसी साल फरवरी के महीने में मेरठ, उत्तर प्रदेश के लिसाड़ी इलाके में मैडिकल स्टोर चलाने वाले 24 साला साजिद सैफी की दिनदहाड़े हत्या उस की माशूका आयशा के भाइयों ने कर दी थी. साजिद और आयशा पड़ोसी थे और एकदूसरे से बेपनाह मुहब्बत करने लगे थे. यह मामला किसी से छिपा भी नहीं रह गया था. साजिद के घर वाले तो उस की जिद देखते हुए आयशा को घर की बहू बनाने को तैयार हो गए थे, लेकिन आयशा के घर वालों को किसी गैरजाति के नौजवान को दामाद बनाना गवारा न था.

साजिद ने कुछ महीने पहले ही बीफार्मा का कोर्स कर के अपना मैडिकल स्टोर खोला था और आयशा के साथ शादी कर अपने प्यार का जहां बनाने के सपने देखता था. वह दिनरात मेहनत भी कर रहा था.

जब लाख कोशिशों के बाद भी आयशा के घर वाले तैयार नहीं हुए, तो साजिद के घर वालों ने उस की शादी की बात दूसरी जगहों पर चलानी शुरू कर दी थी. वे अपने बेटे को उदास और परेशान नहीं देख पा रहे थे. हालांकि, इस से साजिद टैंशन में था, क्योंकि उस के दिलोदिमाग में तो आयशा गहरे तक बस चुकी थी.

11 फरवरी, 2023 की रात साजिद दुकान बंद करने की सोच ही रहा था कि तभी मोटरसाइकिल से 3 लोग नीचे उतरे. सभी के चेहरे कपड़े से ढके हुए थे. उन्होंने उस पर ताबड़तोड़ 5 गोलियां दाग दीं. साजिद गिर पड़ा, तो उन में से 2 नकाबपोशों ने उसे हिलाडुला कर उस के मरने की तसल्ली भी की. आसपास के लोग कुछ समझ पाते, इस के पहले ही वे तीनों लोग हवा में हथियार लहराते हुए भाग निकले. फिर वही हुआ, जो राजा के मामले में हुआ था कि तरहतरह की बातें, कानून व्यवस्था को कोसना, पोस्टमार्टम, पुलिस में रिपोर्ट, जांच और गवाही, लेकिन मुद्दे की बात हमेशा की तरह गायब है कि क्यों भाइयों से अपनी बहनों का प्यार करना बरदाश्त नहीं होता?

साजिद की मौत के बाद मेरठ में खूब हंगामा हुआ, लेकिन वह सियासी ज्यादा था सामाजिक कम. सैफी परिवार से हर किसी को हमदर्दी थी, क्योंकि साजिद बहुत होनहार और लायक होने के साथसाथ हंसमुख और हैंडसम भी था, जिस की मुहब्बत माशूका के भाइयों रिजवान और फुरकान को रास नहीं आई, तो उन्होंने उस का कत्ल ही कर दिया. इन लोगों ने पहले आयशा को भी

खूब समझायाबुझाया और मारापीटा भी था, लेकिन वह भी झुकने को तैयार नहीं हुई थी. बराबरी का दर्जा क्यों नहीं इन दोनों ही मामलों के आरोपियों की तकलीफ यह थी कि वे अपनी बहनों को नादान समझ रहे थे, साथ ही इस बात पर भी तिलमिलाए हुए थे कि आखिर उस की जुर्रत कैसे हुई किसी से प्यार करने की, जिस से इज्जत पर आंच आती है यानी दिक्कत यह मान लेने की है कि बहनें घर के कामकाज करें, पक्षी की तरह घर के पिंजरे में बंद रहें और हर सहीगलत फैसले को सिर झुका कर मान लें, तो ही सही माने में अच्छी लड़की हैं.

बहनों को अपनी मरजी से जीने और रहने देने का हक हमारे समाज में कभी नहीं मिला. उन की आजादी पर अंकुश लगाने को मर्द शान की बात समझते हैं. यह बात बुनियादी तौर पर सिखाई धर्म ने ही है कि औरत को बचपन में पिता और भाई के, जवानी में पति के और बुढ़ापे में बेटे के कंट्रोल में रहना चाहिए.

बहनभाई के रिश्ते को सब से प्यारा रिश्ता माना गया है. दोनों साथ हंसतेखेलते एकदूसरे का दुखदर्द समझते हुए बड़े होते हैं और जिंदगीभर इन खट्टीमीठी यादों को सीने से लगाए हुए जीते हैं.

शादी के बाद बहन अपनी ससुराल चली जाती है, तो उस की सब से ज्यादा फिक्र भाई ही करता है, लेकिन बहन जब मरजी से किसी से प्यार करने लगती है, तो यही भाई हैवान बन जाते हैं.

बिरले ही भाई ऐसे होंगे, जिन्होंने अपनी बहन के जज्बात समझते हुए उस की मुहब्बत को शादी में तबदील करने की पहल की होगी, क्योंकि उन के लिए जाति, समाज और धर्म से ज्यादा अहम बहन थी.

जिस तरह लड़कों को न केवल प्यार, बल्कि एक उम्र के बाद अपनी जिंदगी से जुड़े तमाम फैसले लेने का हक मिल जाता है, वैसा ही हक लड़कियों को भी मिलना चाहिए, नहीं तो साजिद और राजा जैसे बेकुसूर नौजवान मारे जाते रहेंगे और आयशा और अर्चना जैसी लड़कियां जिंदगीभर अपने भाइयों को कोसती रहेंगी, जो अब जेल में पड़े सड़ रहे हैं. मिला उन्हें भी कुछ नहीं है, सिवा इस झूठी शान और तसल्ली के कि उन्होंने घर की इज्जत बचा ली.

पर अगर यह इज्जत बहन के अरमानों की कब्र है तो यह इज्जत नहीं, बल्कि मर्दों के दबदबे वाले समाज की खोखली बुनियाद है, जिस का दरकना शुरू हो गया है. लेकिन यह बहुत ही छोटे पैमाने पर है.

जिस दिन लोग बेटियों को बेटों के बराबर का दर्जा और हक देने लगेंगे, उस दिन बेटियों को भी अपने इनसान होने का एहसास होगा और वे घर, समाज और देश की तरक्की में अहम रोल निभाएंगी, पर इस के लिए खुले दिल से पहल भाइयों को भी करनी पड़ेगी. उन्हें यह समझना होगा कि बहन को भी अपनी मरजी से रहने, खानेपीने, पहनने और प्यार करने का हक है.

मैं अपनी बहन की बेटी से प्यार करता हूं. अब उस की शादी की बात चल रही है, हमें क्या करना चाहिए?

सवाल
मैं 25 साल का हूं और 21 साल की लड़की से 9 सालों से प्यार करता हूं. वह लड़की मेरी फुफेरी बहन की बेटी है. अब उस की शादी की बात चल रही है. समाज के डर से हम लोग किसी से कुछ बता भी नहीं सकते. हमें क्या करना चाहिए?

जवाब
रिश्ते में वह लड़की आप की भांजी हुई. लिहाजा, आप को भी मामा का ही रिश्ता निभाना चाहिए. बात चूंकि गलत है, इसीलिए आप को समाज का डर लगता है. अब आप भांजी की शादी होने दें और अपनी गलत भावनाओं को कुचल दें. वक्त आने पर आप को बाहर की सही लड़की जरूर मिलेगी.

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एक ओर जहां दुनिया को कामसूत्र जैसा कामशास्त्र ग्रंथ देने वाले भारत में वर्तमान में प्यार करने वालों पर पाबंदी लगाने के प्रयास शुरू हो गए हैं, वहीं न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी में प्यार की क्लास लगाई जा रही है और यह क्लास एक अंडरग्रैजुएट कोर्स के अंतर्गत होती है. डाक्टर मेगन पाई प्यार की इस क्लास का संचालन करती हैं. डाक्टर मेगन ने ही प्यार के इस कोर्स को तैयार किया है. आप को जान कर हैरानी होगी कि कोर्स शुरू होने के साथसाथ बेहद लोकप्रिय भी हो रहा है और सिर्फ पिछले 2 साल में ही इस कोर्स में छात्रों की संख्या तीनगुना हो गई है.

प्यार की इस क्लास का नाम लव ऐक्चुअली रखा गया है जिस में पहला सैमेस्टर मुख्य रूप से लोगों के प्यार के साथ कैसे अनुभव रहे हैं, इस के आधार पर होता है. कोर्स 2 डायरैक्शन में आगे बढ़ता है, हौरिजैंटल और वर्टिकल. हौरिजैंटल ट्रैजेक्ट्री में जहां कोर्स आप की पूरी लाइफ के दौरान होने वाले अलगअलग तरह के प्यार के रिश्तों पर बात करता है वहीं वर्टिकल ट्रैजेक्ट्री स्टूडैंट से शुरू हो कर फैमिली लव के बारे में बात करता है. कोर्स न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी के चाइल्ड ऐंड ऐडोलोसैंट मैंटल हैल्थ स्टडी डिपार्टमैंट के तहत चलाया जाता है. इस डिपार्टमैंट के तहत इस तरह के और भी कई कोर्स चलाए जाते हैं, जिन में हैप्पीनैस और स्लीप से जुड़े कोर्स भी शामिल हैं.

प्यार के अलगअलग प्रकारों के बारे में  मेगन का कहना है कि इस कोर्स के अंतर्गत हम मातापिता और नवजात के प्यार, दोस्ती, खुद से प्यार, अपने पैशन के प्रति प्यार, मैटर और स्टूडैंट के बीच प्यार के बारे में बात करते हैं.

प्यार की इस क्लास का एक बड़ा हिस्सा स्टूडैंट्स को विस्तार से बताता  है कि आखिर लव यानी प्यार का आइडिया क्या है और इस कौंसैप्ट के अंदर क्या छिपा है. यहां रोमांटिक लव को भी समय दिया जाता है.

प्यार और रोमांस की एक ऐसी ही अन्य क्लास चीन की तियानजिन यूनिवर्सिटी में भी लगती है जहां बाकायदा थ्योरी के साथ रोमांस की प्रैक्टिकल तकनीक भी बताई जाती है. थ्योरी इन लव ऐंड डेटिंग नाम से चलने वाले इस कोर्स का मकसद स्टूडैंट्स को रिलेशनशिप में स्ट्रौंग करना है. इस यूनिवर्सिटी में विषय कोई और नहीं सिर्फ और सिर्फ प्यार और रोमांस का होता है. यहां युवकों को पर्सनैलिटी अपग्रेड, युवतियों से बात करने का तरीका, रोमांस करने और क्लास में स्टूडैंट्स को अपोजिट रोमांस को अपनी तरफ आकर्षित करने और अपोजिट सैक्स के साथ कम्युनिकेशन बिल्ड करने के तरीके भी बताए जाते हैं.

प्यार और रोमांस की इस क्लास में यह भी सिखाया जाता है कि प्रपोजल ठुकराए जाने पर किस तरह का व्यवहार किया जाए. साथ ही रोमांटिक रिलेशनशिप से जुड़ी कुछ लीगल प्रौब्लम्स के बारे में जानकारी दी जाती है.

प्यार और रोमांस के इस कोर्स में इंसान को दूसरों से प्यार करने से पहले खुद से प्यार करना भी सिखाया जाता है. हिंसा और नफरत के इस दौर में प्यार पर आधारित इस क्लास की दरअसल पूरे विश्व को जरूरत है.

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