नरेंद्र ने विजय के सामने ससुर की सारी संपत्ति की पोल खोल दी, जिस से उस के मन में भी लालच पैदा हो गया. नरेंद्र के इशारे पर उस ने हीरालाल की मंझली बेटी पार्वती पर निगाहें गड़ा दीं. लेकिन पार्वती समझदार थी. विजय के लाख कोशिश करने के बाद भी वह उस के प्रेम जाल में नहीं फंसी. यह बात नरेंद्र को पता चली तो उस के मन में हीरालाल की पूरी संपत्ति हड़पने का लालच आ गया.
संपत्ति के लालच में वह ससुर के साथसाथ बाकी लोगों को भी मौत के घाट उतारने के लिए षडयंत्र रचने लगा. लेकिन वह अपनी योजना में सफल नहीं हो पा रहा था. उसे पता लग गया था कि विजय पार्वती को पटाने में असफल रहा. इस पर उस ने विजय से कहा कि पार्वती ने यह बात अपने पापा को बता दी तो वह मोहल्ले में नहीं रह पाएगा.
नरेंद्र की बात सुन विजय घबरा गया. इस के बाद विजय नरेंद्र की हां में हां मिलाने लगा. अपना अगला दांव चलते हुए नरेंद्र अपने घर पर विजय की दावत करने लगा. खातेपीते एक दिन नरेंद्र ने लालच दे कर विजय को अपनी योजना बता दी.
नरेंद्र ने विजय के साथ मिल कर 17 अप्रैल, 2019 को अपने ससुराल वालों की हत्या की योजना को अंतिम रूप दे दिया. योजना बन गई तो नरेंद्र बीवीबच्चों को अपने फूफा के घर देवरनियां, बरेली में छोड़ आया ताकि उन्हें उस की साजिश का पता न चल सके.
बीवीबच्चों को बरेली भेजने के बाद नरेंद्र अपनी योजना को अंजाम देने के लिए मौके की तलाश में लग गया. लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था. नरेंद्र और विजय को यह भी डर था कि अगर किसी वजह से वह इस योजना में फेल हो गए तो न घर के रहेंगे न घाट के.
नरेंद्र को पता था कि उस की सास सुबहसुबह दूध लेने जाती है. उस वक्त ससुर और दोनों सालियां सोई रहती हैं. घर का गेट खुला रहता है. पड़ोसी भी सोए होते हैं. घटना को अंजाम देने के लिए नरेंद्र को यह समय ठीक लगा.
20 अप्रैल, 2019 को नरेंद्र गंगवार और विजय गंगवार सुबह जल्दी उठ गए और हेमवती के जाने का इंतजार करने लगे. उस दिन हेमवती सुबह के साढ़े 5 बजे बेटी पार्वती को साथ ले कर दूध लेने के लिए निकली. उन के घर से निकलते ही नरेंद्र विजय को साथ ले कर हीरालाल के घर में घुस गया.
लेकिन तब तक हीरालाल सो कर उठ चुके थे. सुबहसुबह उन दोनों को अपने घर में देख हीरालाल ने आने का कारण पूछा तो नरेंद्र ने कहा कि आज मैं आखिरी बार आप से पूछने आया हूं कि मेरे हिस्से की संपत्ति मुझे देते हो या नहीं.
सुबहसुबह दामाद के मुंह से ऐसी बात सुन कर हीरालाल का पारा चढ़ गया. दोनों के बीच विवाद बढ़ा तो योजनानुसार नरेंद्र ने वहीं रखी लकड़ी की फंटी से पीटपीट कर हीरालाल की हत्या कर दी. पिता के चीखने की आवाज सुन कर बेटी दुर्गा उन के बचाव में आई तो दोनों ने उसे भी फंटी से पीटपीट कर मार डाला.
दोनों को मौत की नींद सुलाने के बाद नरेंद्र और विजय हेमवती और पार्वती के आने का इंतजार करने लगे. जैसे ही उन दोनों ने घर में प्रवेश किया, दरवाजे के पीछे खड़े नरेंद्र और विजय ने उन्हें भी पीटपीट कर मार डाला.
सासससुर और दोनों सालियों की हत्या करने के बाद नरेंद्र और विजय ने चारों को घसीट कर एक कमरे में ले जा कर डाल दिया. कहीं कोई जिंदा तो नहीं रह गया, जानने के लिए दोनों ने एकएक कर सब की नब्ज चैक की.
जब उन्हें पूरा यकीन हो गया कि चारों की मौत हो चुकी है, तो दोनों ने मकान में फैले खून को धो कर साफ किया और घर के बाहर ताला डाल कर घर लौट आए. नरेंद्र और विजय ने चारों की हत्या तो कर दी, लेकिन समस्या थी लाशों को ठिकाने लगाने की. नरेंद्र जानता था कि लाशों को घर से बाहर ले जाना खतरे से खाली नहीं है.
सोचविचार कर दोनों ने तय किया कि बाजार से प्लास्टिक बैग ला कर लाशों को उस में लपेटा जाए और घर में गड्ढा खोद कर दफना दिया जाए. संभावना थी कि पौलीथिन में लिपटी होने से लाशों के सड़ने की बदबू बाहर नहीं आ पाएगी.
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20 अप्रैल, 2019 को ही नरेंद्र बाजार से पौलीथिन खरीद कर लाया. उसी रात दोनों ने हीरालाल के मकान में जा कर चारों लाशों को पैक कर दिया. अगले दिन 21 अप्रैल, 2019 को सुबह नरेंद्र विजय को साथ ले कर ससुर के घर गया. फिर अपनी योजना के मुताबिक दोनों ने जीने के नीचे गड्ढा खोदना शुरू किया.
कुछ पड़ोसियों ने नरेंद्र से हीरालाल के घर में अचानक काम कराने के बारे में पूछा तो नरेंद्र ने कहा कि ससुर मकान बेच कर कहीं दूसरी जगह चले गए. घर में रिपेयरिंग का काम चल रहा है. वैसे उस मोहल्ले में नरेंद्र से कोई ज्यादा मतलब नहीं रखता था.
नरेंद्र ने विजय के साथ मिल कर लगभग 6 घंटे में गहरा गड्ढा खोदा. उस के बाद दोनों ने प्लास्टिक की शीट में पैक चारों लाशें गड्ढे में डाल दीं. लाशों को गड्ढे में दफन कर दोनों ने वहां पर पक्का फर्श बना दिया. नरेंद्र ने हीरालाल के घर के मुख्य दरवाजे पर ताला डाल दिया.
हीरालाल के घर पर अचानक ताला पड़ा देख लोगों को हैरत जरूर हुई. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि हीरालाल रात ही रात में अपने परिवार को ले कर अचानक कहां गायब हो गए. लेकिन नरेंद्र से किसी ने भी पूछने की हिम्मत नहीं की थी.
अपने सासससुर और सालियों को ठिकाने लगा कर नरेंद्र अपने बीवीबच्चों को भी घर ले आया. घर आते ही लीलावती की नजर पिता के मकान की ओर गई, जहां पर ताला पड़ा था. लीलावती ने नरेंद्र से उन के बारे में पूछा, तो उस ने बताया कि उस के पिता अपना मकान बेच कर हल्द्वानी चले गए हैं. उन्होंने वहां पर अपना प्रौपर्टी का काम शुरू कर दिया है.
यह सुन कर लीलावती चुप हो गई. मातापिता के बारे में नरेंद्र से ज्यादा पूछने की हिम्मत उस में नहीं थी. अगर नरेंद्र संपत्ति हड़पने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में जल्दबाजी न करता तो यह राज शायद राज ही बन कर रह जाता.
इस केस के खुलते ही पुलिस ने आरोपी नरेंद्र गंगवार और विजय गंगवार को भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया था.
चारों शव पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने उन के रिश्तेदार दुर्गा प्रसाद को सौंप दिए. उन का दाह संस्कार बरेली के गांव पैगानगरी के पास भाखड़ा नदी किनारे किया गया.
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नरेंद्र गंगवार इतना शातिर दिमाग इंसान था कि इस केस में उस ने दुर्गा प्रसाद को भी फंसाने की कोशिश की. लेकिन सच्चाई सामने आते ही पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. हालांकि इस केस की रिपोर्ट दुर्गा प्रसाद की ओर से ही दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने लीलावती से पूछताछ करने के बाद उसे छोड़ दिया. वह नरेंद्र के फूफा के साथ बहेड़ी चली गई थी.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित



