क्या पुरुषों को भी होता है मोनोपौज?

मेनोपोज, यानी एक उम्र के बाद शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंज और कुछ शारीरिक क्रियाओं में आने वाली कमी. अधेड़ावस्था की शुरुआत है मेनोपोज. मेनोपोजसे उत्पन्न कुछ शारीरिक समस्याओं की चर्चा अब तक स्त्रियों के सम्बन्ध में ही की जाती रही हैं, लेकिन यह चर्चा बहुत कम होती है कि मेनोपोज की स्थिति और इससे उत्पन्न समस्याओं से पुरुष भी जूझते हैं.

45 से 50 साल की उम्र में पहुंचने पर महिलाओं में मेनोपोज का समय शुरू होता है, जब धीरे धीरे करके पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं. ऐसा शरीर में स्त्री हॉर्मोन बनना बंद होने के कारण होता है. यह दौर महिलाओं के लिए मुश्किल भरा होता है. मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, कमजोरी, हड्डियों का भुरभुराना, बालों का झड़ना जैसी अनेक परेशानियों से महिलायें इस दौर में गुज़रती हैं, लेकिन ऐसा सिर्फ महिलाओं के साथ ही नहीं होता, बल्कि पुरुष भी इस उम्र में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण काफी समस्याओं का सामना करते हैं, जिनका ज़्यादा जिक्र नहीं होता है.

50-55 की उम्र में होने वाले मेनोपोज की अवस्था में सीधेतौर पर पुरुषों की सेहत और मनोदशा प्रभावित होती है. पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नाम का हार्मोन होता है, जिससे उनकी सेक्स लाइफ संचालित होती है. 50 की उम्र के बाद इसमें बदलाव आने लगता है, और इसका बनना कम होने लगता है, जिससे पुरुषों की मानसिक और शारीरिक सेहत प्रभावित होती है. पुरुषों में इस दौर को एंट्रोजेन डिफिसिएंसी ऑफ दी एजिंग मेल कहते हैं. टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटने से पुरुषों को मानसिक समस्याओं के साथ ऊर्जा में कमी, डिप्रेशन या उदासी, जीवन में अचानक मोटिवेशन की कमी लगना, सेल्फ कॉन्फ‍िडेंस में कमी, किसी चीज़ में ध्यान केंद्रित करने में मुश्क‍िल आना, नींद न आना, मोटापा बढ़ना, शारीरिक तौर पर कमजोरी महसूस करना जैसी समस्याएं पैदा होने लगती हैं.

हेल्थ एक्सपर्ट- श्री नियाज़ अहमद

पुरुषों में मेनोपोज की स्थिति 50 से 60 साल की उम्र में आती है. महिलाओं की तरह पुरुषों को भी इस दौरान अपनी मेंटल और फिजिकल हेल्थ का ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योंकि इस दौरान उनका शरीर अनेक बदलावों से गुजर रहा होता है. इनमें भावनात्मक और शारीरिक दोनों तरह के बदलाव शामिल हैं.

पुरुषों में 50 की उम्र के बाद कार्डियोवस्कुलर प्रॉब्लम्स होने का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है क्योंकि इस उम्र तक पहुंने पर बॉडी वेन्स में लचक कम होने लगती है और ब्लड वेसल्स पहले की तुलना में काफी कमजोर हो जाते हैं. इस कारण हार्ट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं अचानक से हावी हो जाती हैं. इनमें हार्ट अटैक भी शामिल है.

मेनोपौज के कारण पुरुषों के शरीर में ऐस्ट्रोजन हौर्मोन का बनना भी कम होने लगता है और इसका सीधा असर मानसिक सेहत पर पड़ता है.इस कारण पुरुषों में बहुत तेजी से मूड स्विंग्स देखने को मिलता ही. वे चिड़चिड़े से रहने लगते हैं. आमतौर पर इस उम्र में पुरुष खुद को बहुत अकेला और भावनात्मक रूप से कमजोर भी महसूस करने लगता है.

हेल्थ एक्सपर्ट- श्री नियाज़ अहमद

मेल हॉर्मोन्स की कमी से सेहत पर कई अन्य बीमारियों का खतरा भी मंडराने लगता है. जिसमे हृदय से जुडी कई बीमारियां सिर उठाने लगती हैं. कार्डियोवस्कुलर डिजीज के दौरान पुरुषों को कमर में तेज दर्द, मितली आना, सीने पर जलन होना, भूख ना लगना या बहुत कम लगना, खांसी आना और कफ निकलना, हर समय थकान रहना और धड़कन बढ़ने जैसी समस्याएं होने लगती हैं.  इस दौर से गुजरते हुए कई लोगों में प्रॉस्टेट ग्रंथि का साइज़ भी बड़ा होने लगता है जो कि टेस्टोस्टेरोन लेवल के कम होने का प्रमुख लक्षण है. प्रॉस्टेट ग्रंथि बड़ी और कठोर हो जाती है. हालांकि यह बात अलग अलग व्यक्तियों पर अलग तरह से निर्भर करता है. टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होना और प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना दोनों ही समस्याओं का इलाज दवाइयों से संभव है. इसलिए ऐसे कोई भी लक्षण दिखने पर नजदीकी डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें.

मेनोपोज  के कारण पुरुषों को इस उम्र में न्यूरॉलजिकल दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं. इनमें ऐंग्जाइटी, टेंशन और अपने काम पर फोकस ना कर पाने जैसी समस्याएं शामिल हैं. कुछ पुरुषों को तो इस दौरान मेमोरी लॉस जैसी परेशानियां भी हो जाती हैं. इन सबकी वजह एस्ट्रोजन हॉर्मोन यानी मेल हॉर्मोन्स की कमी ही होती है.

55 से 65 की उम्र के बीच हड्डियां तेजी से कमजोर होती हैं क्योंकि इस दौरान पुरुषों में बोन टिश्यूज तेजी से डिजनरेट होते हैं. इससे हड्डियां कमजोर और सॉफ्ट हो जाती हैं. इसलिए जरूरी है कि इस उम्र में पुरुष अपनी डायट में कैल्शियम, आयरन और विटमिन्स की मात्रा बढ़ा दें. साथ ही फास्ट फूड से जितना हो सके दूर रहें. कैल्शियम जहाँ हड्डियों को मजबूत बनाए रखने का काम करता है तो वहीं आयरन शरीर में ब्लड का फ्लो बनाए रखता है. इसके साथ ही यह हमारी ब्लड वेसल्स का वॉल्यूम बनाए रखने में मदद करता है. यानी रक्त धमनियों को संकरी होने से रोकता है. इससे कॉर्डियोवस्कुलर डिजीज यानी दिल की बीमारी होने का खतरा कम होता है.

मेनोपॉज की स्थिति से गुजर रहे पुरुषों को तनाव से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए. नहीं तो डिप्रेशन में जा सकते हैं. आमतौर पर पुरुष अपना दुःख-तकलीफ जल्दी किसी से शेयर नहीं करते, लिहाज़ा मेनोपोज से पुरुषों में उत्पन्न समस्याओं के बारे में ना ज़्यादा बात होती है और ना वे इन समस्याओं को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं. ‘बुढ़ापे में तो सब चलता है’ ऐसा कह कर तकलीफ को नज़रअंदाज़ करने का चलन भारतीय समाज में है. लेकिन 55 से 65 की उम्र ऐसी होती है, जब पुरुष खुद को सबसे अधिक असहाय और कमजोर महसूस करने लगते हैं. यदि परिवार उनकी मानसिक स्थिति को समझकर उनका सपोर्ट ना करे तो हालात ज़्यादा खराब हो सकते हैं.

लखनऊ के हेल्थ एक्सपर्ट्स नियाज़ अहमद का कहना है कि सेहत से जुड़ी इन समस्याओं से बचने के लिए पुरुषों को अपनी मानसिक, शारीरिक और सामाजिक सेहत पर ध्यान देना चाहिए। खासतौर पर सामाजिक सेहत पर… जी हाँ, सामाजिक सेहत, जिसका मतलब है 50 की उम्र के बाद आप अकेले उदास ना रहें, बल्कि अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाएं. सामाजिक सेहत ठीक होने से आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत भी अच्छी रहेगी. इनडोर और आउटडोर गेम्स में हिस्सा लें. चौकड़ी जमाएं, बातचीत, हंसी-ठिठोली, हल्ला-गुल्ला करें. बागबानी या अन्य कार्यों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके थोड़ा शारीरिक श्रम करें और अधिक से अधिक खुश रहने का प्रयास करें.

नियाज़ अहमद कहते हैं आमतौर पर पुरुष अपनी युवावस्था के दौरान खुद को करियर और नौकरी के बीच इनता उलझा लेते हैं कि उनकी सोशल लाइफ बहुत सीमित हो जाती है. ऐसे में 55 की उम्र के बाद जब उन्हें कुछ समय मिलना शुरू होता है तो वे यह सोचकर परेशान होने लगते हैं कि उनके पास तो कोई है ही नहीं, जिसके साथ वे अपनी बातें शेयर कर सकें, जिसकी कंपनी को इंजॉय कर सकें. इसलिए अगर आप बुढ़ापे में सठियाना नहीं चाहते हैं तो पुराने दोस्तों का संग-साथ हमेशा बनाये रखिये. पुराने दोस्त दूर हों तो नए दोस्त बनाइए और उनसे अपनी बातें, शौक, विचार, पसंद शेयर करिए. जो लोग अपनी युवावस्था में खेल के शौक़ीन होते हैं और खेलों में भाग लेते रहते हैं, वो 50-55 की उम्र में भी खेलों में भाग लेने से कतराते नहीं हैं. उनके दोस्तों का दायरा भी लंबा-चौड़ा होता है. ऐसे में खेलना-खिलाना चलता रहता है, फिर चाहे मोहल्ले के बच्चों के साथ खेलना हो, या नए-पुराने दोस्तों के साथ पार्क में मैच खेलना हो, खेल प्रेमी तो कहीं भी रंग जमाने पहुंच जाते हैं. खेल बहुत हद तक पुरुषों की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक हेल्थ को संतुलित रखते हैं. जो लोग खुद को व्यस्त रखते हैं, वे तनाव और एकाकीपन से दूर रहते हैं, और मीनोपोज़ की स्टेज को आसानी से पार कर लेते हैं.

अगर आप भी हैं इरेक्टाइल डिसफंक्शन के शिकार तो अपनाएं ये 4 तरीके

सर्वे रिपोर्टस की मानें तो लगभग 40 वर्ष की आयु तक आते-आते ज्यादातर पुरूष इरेक्टाइल डिसफंक्शन का शिकार हो जाते हैं. आसान शब्दों में कहें तो इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मतलब है सेक्स करते टाइम अपने गुप्तांग में प्रोपर इरेक्शन न ला पाना या यूं कहें कि अपने साथी को संतुष्ट ना कर पाना. अक्सर देखने को मिलता है कि ज्यादातर पुरूष तनाव के कारण भी इस बिमारी का शिकार हो जाते हैं और फिर वे इसका या तो घरेलु इलाज करते हैं या फिर किसी गुप्त रोग वाले डौक्टर्स से सलाह या दवा लेते हैं. पर इन सब कोशिशों के बाद भी कई पुरूष ठीक नहीं हो पाते और ज्यादा मात्रा में दवाइयां लेने लग जाते हैं जो कि उनकी सेहत को और ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं. अगर आप भी एसी किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो हम आपको बताते हैं कि इसका कैसे इलाज करें.

  1. स्मोकिंग को कहें अल्विदा…

अगर आप बीड़ी या सिगरेट पीने के आदी हैं तो आपको सेक्स करते वक्त स्टेमिना की कमी महसूस होने लगेगी और साथ ही इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी हो सकता है. बीड़ी या सिगरेट का सीधा असर हमारे कई अंगों पर पड़ता है जिससे कई सारी बिमारियां हो सकती हैं. तो अगर आप अपनी सेक्स लाइफ बहतर करना चाहते हैं तो आपको बीड़ी और सिगरेट जैसे पदार्थों से दूर रहना होगा.

  1. डेली वर्क-आउट है जरूरी…

हम अपने पूरे दिन के कामों में अपने शरीर को थोड़ा भी समय नहीं दे पाते जिससे कि हमारा शरीर समय से पहले ही जवाब देने लगता है. अगर हम पूरे दिन में 1 घंटा भी अपने शरीर को देते हैं तो इससे हमारी सेक्स लाइफ पर काफी असर पड़ सकता है क्यूंकि डेली वर्क-आउट से हमारा शरीर बिल्कुल फिट रहता है और बेहतरीन सेक्स लाइफ में फिट एंड हैल्दी शरीर काफी मायने रखता है.

  1. ज़रूरत है कोलेस्ट्रोल कम करने की…

कोलेस्ट्रोल हमारे शरीर में खून का बहाव कम कर देता है जिससे की प्रोपर इरेक्शन होने के चांसेस बहुत कम हो जाते हैं. बौडी को फिट रखने के लिए हेल्दी खाना जैसे हरी सब्जियां, कम फाइड खाना, फूट्स आदि बेहद जरूरी है. हाई कोलेस्ट्रोल के कारण इरेक्शन होना मुश्किल हो जाता है जिस वजह से सेक्स के समय अपने पार्टनर को संतुष्ट करना मुश्किल हो सकता है.

  1. ब्लड प्रेशर पर दें ध्यान…

ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है क्यूंकि प्रोपर इरेक्शन ना होने का एक मुख्य कारण यह है कि, जब खून का बहाव आपके लिंग तक नहीं पहुंच पाता तो इससे आपकी सेक्स करने की अवधि कम हो जाती है और सेक्स लाइफ में काफी बुरा असर पड़ता है. ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखने के लिए सबसे जरूरी है टाइम-टू-टाइम अपना ब्लड प्रेशर चैक करवाना और इसके लिए डौक्टर से सलाह लेना.

मौनसून में फौलो करें ये डाइटचार्ट

बारिश का मौसम आते ही खाने के स्वाद मे भी बदलाव जरुरी होता होतो है. गरमा गरम खाने का मन सभी को करता है पर खाने में थोड़ी सी लापरवाही आपकी हेल्थ के लिए काफी परेशानी पैदा कर सकती है. बारिश में बाजार में मिलने वाली चटपटी चीजें आपको ज्यादा आकर्षित करती हैं. मौनसून में खानपान में थोड़ी सी लापरवाही आपको फूड पौयजनिंग, पेट के इंफेक्शन और कालरा, डायरिया जैसी बीमारियां दिला सकती है इसलिए आज हम लेकर आए है सेहतमंद और हेल्दी फूड टीप्स जिसे आपको जरुर ट्राय करना चाहिए.

बारिश के मौसम की स्पेशल डाईट

  • इस मौसम में दाल, सब्जि़यां व कम फैट वाला खाना खाएं.
  • बारिश में शरीर में वायु की वृद्धि होती है, इसलिए हल्के व शीघ्र पचने वाले खाने को ही खाएं
  • बरसात के मौसम में वातावरण में काफी नमी रहती है. जिसके कारण प्यास कम लगती है। लेकिन फिर भी पानी जरूर पीयें.
  • बरसात में नींबू की शिकंजी पीयें.
  • फलों को साबुत खाने के बजाय सलाद के रूप में लें. क्योंकि इस मौसम में फलों में कीड़ा होने की संभावना काफी अधिक रहती है और अगर आप उन्हें सलाद के रूप में काटकर खाएंगे तो आप यह देख सकेंगे कि कहीं फल भीतर से खराब तो नहीं है.
  • ब्रेकफास्ट में ब्लैक टी के साथ पोहा, उपमा, इडली, सूखे टोस्ट या परांठे ले सकते है.
  • लंच में तले-भुने खाने की बजाय दाल व सब्जी के साथ सलाद और रोटी लें.
  • डिनर में वेजीटेबल, चपाती और सब्जी लें.
  • इस मौसम में गरमागरम सूप काफी फायदेमंद रहता है.
  • दूध में रोजाना रात को हल्दी मिलाकर पीने से पेट और त्वचा दोनों स्वस्थ्य रहेंगे.

बारिश के मौसम मे इसे खाने से बचे

  • बरसात में गर्मागरम पकौड़े और समोसा खाने को मन जरूर ललचाता है. लेकिन बात अगर सेहत की हो तो इनसे दूर रहने में ही आपकी भलाई है.
  • गरिष्ठ भोजन, उड़द, अरहर, चौला आदि दालें कम खाएं.
  • दही से बनी चीजों का सेवन इस मौसम में कम करें.
  • इस मौसम में फलों के जूस का सेवन सोच-समझकर करें. बारिश में फल पानी में भीगते रहते हैं इससे फलों में रस की तुलना में पानी ज्यादा भर जाता है.

क्या स्पर्म से पुरुषों में ताकत बढ़ती है, पढ़ें पूरी खबर

लेखक- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

आलोक के सासससुर व मातापिता परेशान हो गए. आलोक की बीवी उस के घर आने को तैयार नहीं थी. उसे बहुत समझाया, मगर वह मानी नहीं. इस की पूरी पड़ताल की गई. तब सचाई का पता चला कि आलोक अपनी बीवी के साथ हमबिस्तरी करने से दूर भागता था, इस कारण उस की बीवी उस के पास रहना नहीं चाहती थी.

आलोक के दोस्तों से बात करने पर पता चला कि आलोक अपनी ताकत नहीं खोना चाहता था. इस कारण वह अपनी बीवी से दूर भागता था.

उस का कहना था, ‘‘वीर्य बहुत कीमती होता है. उसे नष्ट नहीं करना चाहिए. इस के संग्रह से ताकत बढ़ती है.’’ यह जान कर आलोक के मातापिता ने अपना सिर पीट लिया.

ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिन में हमें इस बात का पता चलता है कि यह भ्रम कितनी व्यापकता से फैला हुआ है, इस भ्रम की वजह से कई खुशहाल परिवार उजड़ जाते हैं. इन उजड़े हुए अधिकांश परिवारों के व्यक्तियों का मानना होता है कि वीर्य संगृहीत किया जा सकता है. क्या इस के संग्रह से ताकत आती है? क्या वाकई यह भ्रम है या यह हकीकत है. हम यहां इस को समझने का प्रयास करते हैं.

आलोक के मातापिता समझदार थे. वे आलोक को डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर यह सुन कर मुसकराया. उन्होंने आलोक से कहा, ‘‘तुम्हारी तरह यह भ्रम कइयों को होता है.’’

डाक्टर ने आलोक को कई उदाहरण दे कर समझाया तब उस की समझ में आया कि उस ने वास्तव में एक भ्रम पाल रखा था, जिस के कारण उस का परिवार टूटने की कगार पर पहुंच गया था. उस के परिवार और उस की खुशहाल जिंदगी को डाक्टर साहब और उस के मातापिता ने अपनी सूझबूझ से बचा लिया. नतीजतन, वह आज अपनी बीवी और 2 बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा है.

शरीर विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान के अपने नियम हैं. उन के अपने सिद्धांत हैं. वे उन्हीं का पालन करते हैं. नियम कहता है कि वीर्य को संगृहीत नहीं किया जा सकता है. जिस तरह एक भरे हुए गिलास में और पानी नहीं भरा जा सकता है वैसे ही वीर्यग्रंथि में एक सीमा के बाद और वीर्य नहीं भरा जा सकता है. यदि शरीर में वीर्य बनना जारी रहा तो वह किसी न किसी तरह शरीर से बाहर निकल जाता है.

वीर्य का गुणधर्म है बहना

वीर्य शरीर से बहने और बाहर निकलने के लिए शरीर में बनता है. वह किसी न किसी तरह बहेगा ही. यदि आप हमबिस्तरी कर के पत्नी के साथ आनंददायक तरीके से बहा दें तो ठीक से बह जाएगा, यदि ऐसा नहीं करोगे तो वह स्वप्नदोष के जरिए बह कर निकल जाएगा.

वीर्य का कार्य प्रजनन चक्र को पूरा करना होता है. बस, वहीं उस का कार्य और वही उस की उम्र होती है. उस में उपस्थित शुक्राणु औरत के शरीर में जाने और वहां अंडाणु से मिल कर शिशु उत्पन्न करने के लिए ही बनते हैं. उन की उम्र 2 से 3 दिन के लगभग होती है. यदि उस दौरान उन का उपयोग कर लिया जाए तो वे अपना कार्य कर लेते हैं अन्यथा वे मृत हो जाते हैं.

मृत शुक्राणु अन्य शुक्राणु को मारने का काम भी करते हैं. इसलिए इस को जितना बहाया जाए, शरीर में उतने स्वस्थ शुक्राणु पैदा होते हैं. शरीर मृत शुक्राणुओं को शरीर से बाहर निकालता रहता है. इस से शरीर की क्रिया बाधित नहीं होती है.

शरीर को ताकत यानी ऊर्जा वसा और कार्बोहाइड्रेट से मिलती है. हम शरीर की मांसपेशियों को जितना मजबूत करेंगे, हम उतने ताकतवर होते जाएंगे. यही शरीर का गुणधर्म है. इसी वजह से शारीरिक मेहनत करने वाला 40 किलो का एक हम्माल 100 किलोग्राम की बोरी उठा लेता है जबकि 100 किलोग्राम का एक व्यक्ति 40 किलोग्राम की बोरी नहीं उठा पाता. इसलिए यह सोचना कि वीर्य संग्रह से ताकत आती है, कोरा भ्रम है.

सेक्स पावर बढ़ाना चाहते हैं तो डाइट में शामिल करें ये चीजें

29 वर्षीय प्रिया तंदुरुस्त शरीर की आकर्षक युवती है. उस की शादी हुए 3 साल हो चुके हैं, लेकिन 3 साल में उसे एक भी रात वह यौनसुख प्राप्त नहीं हो पाया, जिस की हर युवती को चाह होती है. दूसरी ओर 28 वर्षीय कामकाजी रत्ना सिंह है जिस की शादी को 2 वर्ष हुए हैं. वह अपने पति की कामुकता से परेशान है. रत्ना थकीहारी अपने काम से आती है तो रात को पति कामवर्धक औषधियों का सेवन कर उस के साथ भी नएनए प्रयोग करता है. दोनों ही स्थितियों में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिलता, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने यौन जीवन में संतुलन बनाएं. अगर किसी में यौन उत्तेजना सामान्य है तो उसे अतिरिक्त दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की यौन उत्तेजना में कमी है तो वह निम्न लवफूड्स का प्रयोग कर वैवाहिक सुख का आनंद ले सकता है.

एफ्रोडाइस संज्ञा एक ऐसा द्रव्य है जो समुद्र से निकली विशाल घोंघा मछली एफ्रौडाइट से प्राप्त होता है. एफ्रोडाइट को कामुकता का प्रतीक माना जाता है. इस के द्रव्य को एफ्रोडाइस कहते हैं. एफ्रोडाइस, यौनशक्तिवर्द्धक द्रव्य है जिस से स्त्रीपुरुष में यौनशक्ति या यौन अभिरुचि उत्पन्न होती है. प्राकृतिक रूप से हम ऐसे कुछ खाद्य पदार्थों से पहले ही परिचित हैं, जो यौन क्षमता बढ़ाते हैं, जिन में ऐसे फल व सब्जियां प्रमुख हैं जिन का आकार स्त्री व पुरुष के गुप्तांगों से मिलताजुलता है. इन फल व सब्जियों के अंदर कुछ ऐसे गुण छिपे होते हैं जो मानव की यौन क्षमता को बढ़ाने में कारगर हैं. ये सभी फल पुरुष की कामुकता से जुड़े हैं, जबकि स्त्री की कामुकता बढ़ाने के लिए चैरी, खजूर, अंजीर, खास प्रकार की मछली और सीप जैसे खाद्य पदार्थ प्रमुख हैं.

केला एक ऐसा फल है, जिस में खनिज द्रव्य और ब्रोमेलिन प्रचुर में उपलब्ध है, जो पुरुष क्षमता को बढ़ाता है और यह फल सर्वसुलभ और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सस्ता होने के कारण इस का प्रयोग आम लोग भी आसानी से कर सकते हैं. प्राचीन यूनान में जब अंजीर की फसल की कटाई शुरू होती थी तो रीतिरिवाज के अनुसार रतिक्रीड़ा की जाती थी. क्लियोपेट्रा को भी अंजीर बहुत पसंद थे जिन्हें वह चाव से खाती थी. सब फलों में प्राचीनतम माने गए फल द्राक्ष का संबंध भी कामोत्तेजक गतिविधि से जोड़ा जाता है. वैसे द्राक्ष का फल काफी उत्तेजक है और स्वादिष्ठ होता है.

19वीं शाताब्दी में फ्रांस में सुहागरात से पहले दूल्हे को जो भोजन दिया जाता था उस में शतावरी को विशेष स्थान दिया जाता था, जबकि काफी समय पहले एशिया के मध्यपूर्व देशों के सुलतान व अमीर उमरा गाजर को स्त्रियों की उत्तेजना बढ़ाने में सहायक मानते थे. कुछ व्यंजनों को भी उत्तेजना बढ़ाने में सहायक माना गया है. उदाहरणस्वरूप चौकलेट. चौकलेट को परंपरागत रूप से उत्तेजक माना गया है. इसलिए सदियों पहले ईसाई पादरियों और ननों को चौकलेट खाने की सख्त मनाही थी. कच्चे घोंघों में प्रचुर मात्रा में जस्ता होता है जिस के सेवन से लंबे समय तक संभोगरत रहने की शक्ति बढ़ सकती है. भूमिगत गुच्छी यानी ट्रफल भी ऐसा ही महंगा व सुगंधित पदार्थ है. शैंपेन को भी लंबे अरसे से प्यार का पेय माना गया है, जो शादी के अवसर पर या विजयोत्सव मनाते समय भी ऐयाश लोगों में पानी की तरह बहाया जाता है. कहा जाता है कि व्हिस्की पिलाने से औरत बहस करना बंद करती है. बियर से उसे यौन आनंद मिलता है. रम से वह सहयोग करने लगती है. शैंपेन से होश खो बैठने पर कामुक हो उठती है. केवियर एक ऐसी मछली है जो मनुष्य के शरीर में उत्तेजना बढ़ाती है. यद्यपि निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि ऐसा क्यों माना जाता है.

साधारणातया हम कह सकते हैं कि अधिक शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थ दुर्लभ हैं और इन का मूल्य भी काफी है, इसी कारण लोग अधिक आनंद लेने के लिए इन के दीवाने हैं. डामैना को चाय की तरह उबाल कर नियमित एक कप पीने से हारमोंस नियंत्रण में रहते हैं और इस से शारीरिक शक्ति भी प्राप्त होती है. एक प्रकार के लालमिर्च के मसाले से एंडोर्फोंस हारमोंस भी बढ़ाता है. गरम सूप या सौस पर मिर्च छिड़क कर प्रतिदिन खाने से भी लाभ होता है. अगर युवक जिनसेंग का प्रयोग करते हैं तो कामोत्तेजना अधिक होती है. अगर युवतियां इस का प्रयोग करती हैं तो उन की भी पिपासा बढ़ जाती है. जिनसेंग प्रसिद्ध चीनी द्रव्य है जो अश्वगंधा जैसा प्रतीत होता है.

भारत और मध्यपूर्व एशियाई देशों में लहसुन जोकि एक अच्छा विषाणुनाशक भी है, सदियों से युवकों की उत्तेजना बढ़ाने के लिए लोकप्रिय है. इस की अप्रिय दुर्गंध से बचाव के लिए खाने के बाद लौंग या छोटी इलायची का प्रयोग कर सकते हैं. प्याज और शहद का मिश्रण भी उपयोगी है. अदरक, लाल रास्फरी के पत्ते और गुड़हल या जाबा कुसुम कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए काफी प्रचलित रहे हैं. शहद से भी यह प्रकट होता है कि इस में भी कामवर्धक गुण हैं, लेकिन ध्यान रहे कि शहद शुद्ध हो. कुछ समाज आज भी  नवविवाहितों को शहद का पान कराते हैं. फिर चांदनी रात हो आशा और अरमानों की अंगड़ाइयां लेती हुई नववधु हो, तत्पश्चात लज्जा और मर्यादा का आवरण धीरेधीरे हट रहा हो और फिर काम और रति का युद्ध शुरू हो, कैसी रोमांटिक कल्पना है? यह भी बता दें कि शहद में विटामिन  ‘बी’ और एमिनो एसिड प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से कामोत्तेजक सिद्ध हुआ है.

मिस्र में हड्डियों का सूप यानी पाया का भी काफी चलन है. हलाल की गई भेड़ की टांग की हडिड्यों के साथ ताजा कटी प्याज, लहसुन, पुदीना, लालमिर्च आदि को एकसाथ डाल कर 2 घंटे तक मिश्रण कर जो लुगदी तैयार होती है उस का भक्षण कर न जाने कितने मध्य एशियाई तथा मिस्रवासियों ने महिलाओं पर जुल्म ढाए हैं. कामसूत्र में नीले सूखे कमल का चूर्ण, घी और शहद एकसाथ मिला कर खाने को कहा गया है, जिस से पुरुषों में खोई हुई शक्ति दोबारा लौट आती है. इसी प्रकार भेड़ा या बकरे के अंडकोश को उबाल कर चीनी डाल कर जो पेय बनता है, इसे पीने से भी अधिक शक्ति मिलती है.

इसी तरह इत्र या सुंगधित तेल की मालिश भी सुख के लिए लाभदायक है. ग्रीष्मऋतु की एक गरम शाम को ठंडी हवा का झोंका और प्रिया का उन्मुक्त्त स्पर्श इस से अधिक उत्तेजक और क्या हो सकता है.

एक कथानुसार साम्राज्ञी नूरजहां को पानी में गुलाब की पंखडि़या मिला कर स्नान करना पसंद था. एक दिन नहाने में देर हो गई तो उस ने देखा कि पानी के ऊपर एक तरल पदार्थ तैर रहा है. वह समझ गई कि यह गुलाब की पंखडि़यों से निकला इत्र है जो दालचीनी, तेल की तरह कामोत्तेजक है. इसी तरह वनिला, चमेली, धनिया और चंदन का लेप या इत्र लगाने से भी स्त्रीपुरुष उन्मुक्त होते हैं.

शराब और नशीले द्रव्यों से कुछ हद तक कामोत्तेजना बढ़ती है, लेकिन इन का नुकसान अधिक है. ये कामोत्तेजना द्रव्य नहीं हैं. इन की छोटी खुराक शुरू की शर्म व संकोच दूर करने में सहायक होती है, लेकिन यदि कोई स्त्री या पुरुष इन का अधिक मात्रा में लंबे समय तक सेवन करता है तो आगे चल कर युवक ढीला हो जाता है तथा युवती में चरमोत्कर्ष के आनंद को ले कर कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि इन से मस्तिष्क प्रभावित होता है.

इसी प्रकार मारीलुआना व वियाग्रा जैसे पदार्थ भी अस्थायीरूप से यौनसुख की इच्छा या संभोग सुख थोड़ाबहुत बढ़ाते हैं. पर बेहोशी की सी हालत में. आप को  वार्निंग दी जाती है कि कृपया ड्रग्स से दूर रहें, क्योंकि अगर एक बार आप इन के आदी हो गए तो इन से पीछा छुड़ाना मुश्किल है. वियाग्रा जैसी दवाएं डाक्टर के परामर्श के बाद ही प्रयोग करें. युवतियों में भी हारमोंस की कमी को डाक्टर की सहायता से पूरी करें.

फिर आखिरी सवाल यही है कि क्या सचमुच ऐसी दवा यौनशक्ति में वृद्धि करती है. ऐसी दवा केवल तब ही लाभप्रद होती है, जब आदमी का मन भी कामवासना की तृप्ति करने में सहयोग करे.

औषधि निर्माता व विक्रेता केवल जरूरतमंदों का मात्र आर्थिक शोषण करते हैं. अगर इंसान अपने खानपान व व्यायाम पर विशेष ध्यान देते हुए प्रकृति के नियमों का पालन करे तो उस की यौन क्षमता स्वत: ही बनी रहेगी.

क्या आप मन से भी नपुंसक हैं ?

चिकित्सा की भाषा में नपुंसकता यानी इंपोटैंस उस स्थिति को कहते हैं जिस में व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से यौन क्रिया का आनंद नहीं ले पाता है. जरूरी नहीं कि यह बीमारी अधिक उम्र के पुरुष में ही हो, बल्कि कुछ नौजवान भी इस के शिकार हो जाते हैं. यह बीमारी प्रजननहीनता यानी इंफर्टिलिटी से अलग है जिस में व्यक्ति के वीर्य में या तो शुक्राणु नहीं होते या बहुत ही कम मात्रा में होते हैं जिस के कारण वह व्यक्ति यौन क्रिया तो सफलतापूर्वक कर लेता है लेकिन संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होता है.

दरअसल, इस के पीछे शारीरिक व मानसिक दोनों कारण होते हैं. नए शोधों से पता चला है कि मधुमेह व हार्मोन के असंतुलन से नपुंसकता हो सकती है. शरीर में किसी प्रकार के संक्रमण के कारण व्यक्ति नपुंसकता का शिकार हो सकता है या फिर शरीर में चोट लगना, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान व मदिरापान जैसे अन्य शारीरिक कारण भी हो सकते हैं.

हमारे जीवन में हार्मोंस का बहुत महत्त्व है या कहें कि हमारी दिनचर्या इन हार्मोंस के कारण ही संभव है. यदि किसी पुरुष में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य हो तो उस के नपुंसक होने की संभावना काफी कम हो जाती है. दरअसल, सैक्स की इच्छा के लिए हार्मोन का शरीर में उचित अनुपात में बने रहना जरूरी है. आधुनिक अध्ययनों से साबित हो गया है कि नपुंसकता के 80 प्रतिशत मरीजों के पीछे मानसिक कारण होते हैं जबकि 20 प्रतिशत मरीज शारीरिक कारणों से जुड़े होते हैं. सही तरीके से खानपान व रहनसहन न होने से भी व्यक्ति नपुंसकता का शिकार हो सकता है.

आज की भागतीदौड़ती जिंदगी, बढ़ते तनाव, प्रदूषण और कई बुरी आदतों के साथ असमय खानपान व रहनसहन ने स्वास्थ्य की कई परेशानियों व बीमारियों को जन्म दिया है. इन में नपुंसकता भी है. हालांकि, यह कोई नई बीमारी नहीं है लेकिन आज यह आंकड़ा चौंकाने वाला है कि भारत में हर 10वां व्यक्ति यौनक्रिया में अक्षम है. मधुमेह जैसी कुछ बीमारियां भी नपुंसकता पैदा कर सकती हैं. चूंकि मधुमेह से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है इसलिए अगर व्यक्ति मधुमेह को नियंत्रित नहीं रखता तो उस में 5-10 साल बाद नपुंसकता आ सकती है. लिंग में रक्त बहाव में अंतर आने या लिंग में चोट आ जाने से भी नपुंसकता आ जाती है.

इस के अलावा वीर्य का पतला या गाढ़ा होना निरंतर वीर्य स्खलन पर आधारित होता है और यह देखा जा सकता है कि कितने दिनों के बाद वीर्य स्खलित हुआ है. शीघ्रपतन में वीर्य स्खलन अगर स्त्री के चरमानंद के पूर्व या संभोग से पूर्व ही हो जाता है, तो यह यौन शक्ति की कमी का लक्षण है. जो लोग सहवास के समय अत्यधिक उत्तेजित हो जाते हैं और स्खलन को नियमित नहीं कर पाते हैं, इस समस्या से ग्रसित हो जाते हैं. इस समस्या के मुख्य कारण संभोग के समय अत्यधिक घबराहट, जल्दबाजी में यौन संबंध स्थापित करना है, लेकिन इस का नपुंसकता से कोई ताल्लुक नहीं है.

विभिन्न जांचों द्वारा थायराइड हार्मोन, प्रोलैक्टिन हार्मोन तथा टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है. सैक्सोलौजिस्ट सब से पहले यह पता लगाते हैं कि शरीर में किस हार्मोन की कमी है. उस के बाद उस हार्मोन को पूरा करने के लिए मरीज को हार्मोन दिए जाते हैं. मधुमेह के कुछ रोगियों या मानसिक रोगियों पर दवाएं प्रभावित नहीं होती हैं तो ऐसे मरीजों में सर्जरी की मदद से कभीकभी पेनाइल प्रोस्थेटिक डिवाइस के प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है. कुछ दवाएं भी इलाज के लिए सहायक होती हैं.

यह मरीज पर निर्भर करता है कि वह कितना जल्दी अपनेआप को मानसिक तौर पर तैयार कर लेता है. आजकल थोड़ी सी जागरूकता समाज में आई है, लेकिन लोग कई बार नीमहकीम के चक्कर में पड़ जाते हैं और अपनी जिंदगी से काफी हताश हो चुके होते हैं, इलाज करने पर वे ठीक हो जाते हैं. लेकिन रोग जितना पुराना हो जाता  है या मरीज स्वयं को जितना हताश कर लेता है, डाक्टर को रोग ठीक करने में उतनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जब भी किसी व्यक्ति को नपुंसकता की संभावना लगे, तुरंत किसी सैक्सोलौजिस्ट से उचित सलाह ले लेनी चाहिए.

संसार में धूम मचा देने वाली वियाग्रा को ले कर भी कई विरोधाभास हैं. वियाग्रा के सकारात्मक परिणाम कम नकारात्मक परिणाम ज्यादा आ रहे हैं क्योंकि जिस व्यक्ति की आयु 40 से कम है और नपुंसकता का शिकार है उसी व्यक्ति को वियाग्रा की गोली डाक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए. लेकिन आज 60 वर्ष से ऊपर के वृद्ध भी इस दवा को ले रहे हैं, चूंकि 60 वर्ष के बाद अकसर कामवासना क्षीण हो जाती है. ऐसे में अपनी सेहत के साथ जबरदस्ती करने से निश्चित तौर पर इस के दुष्परिणाम ही होंगे.

वैसे भी आजकल बाजार में नपुंसकता को ठीक करने के लिए ढेर सारी दवाएं मिल रही हैं. अगर व्यक्ति की समझ ठीक है तो दवा की कोई जरूरत नहीं है. यदि किसी व्यक्ति को कोई शंका हो तो डाक्टर की सलाह के बाद ही उसे किसी दवा का इस्तेमाल करना चाहिए.

आधुनिक लाइफस्टाइल के कारण?भी युवा पीढ़ी में नपुंसकता की समस्या बढ़ती जा रही है. युवा पीढ़ी में नपुंसकता होने का मूल कारण है सही जानकारी का न होना. मातापिता तथा बच्चों में सही तालमेल की कमी.

आजकल इलैक्ट्रौनिक मीडिया तरहतरह की तसवीरें दिखा कर नवयुवकों को उत्तेजित करता है. जहां तक यौन शिक्षा का प्रश्न है, इसे पाठ्यक्रम में जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि किशोरावस्था में शारीरिक विकास के साथसाथ मानसिक विकास भी होता है. युवाओं में जानकारी प्राप्त करने की जो इच्छा है वह सही रूप से, सही जगह से, सही तरीके से मिले.

आने वाली पीढ़ी को नपुंसकता की भयानक त्रासदी से बचाने के लिए बच्चों को सही जानकारी की शुरुआत मांबाप के द्वारा ही की जानी चाहिए. अगर बच्चा कोई गलत हरकत करता है तो मांबाप को उसे समझाना चाहिए. उसे यौन शिक्षा के बारे में जानकारी देनी चाहिए.

साथ ही स्कूल के अध्यापकों को यौन शिक्षा के बारे में बच्चों को बताना चाहिए. मीडिया अपना जितना समय सैक्स संबंधी प्रचार करने में बरबाद कर रहा है उस की जगह यदि अच्छी सेहत या स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम दिखाए तो लोगों में जागरूकता आ सकती है क्योंकि जनजागृति इस रोग का अहम निदान है.

गाइनिकोमेस्टिया: मैन बूब्स होने के क्या है कारण, जानें

मेन बुब्स या गाइनिकोमेस्टिया एक ऐसी समस्या है जो आज कल काफी पुरुषों में देखी जाने लगी हैं इस समस्या का मुख्य कारण एस्ट्रोजन और टेस्टासिटरौन हार्मोन के असन्तुलन से होता हैं. समय रहते अगर आप डाक्टर से सलाह ले लेते है तो इस समस्या से निजाद मिल जाता हैं. पुरुषों में स्तन के टिशु बहुत कम मात्रा में होते हैं, जबकि स्त्रियों में किशोरावस्था ये हार्मोन के प्रभाव से अच्छी तरह विकसित होते हैं. लोग इस समस्या को मेडिकली ना लेकर इसे किसी दूसरी चीजों से जोड़ देते हैं. जिससे ना चाहते हुए भी हम शर्मिंदगी महसूस करते हैं. हालांकि ये स्त्रियों जैसे बड़े नहीं होते नहीं होते लेकिन फिर भी आकार में परिवर्तन होने के कारण ये सभी की नजरों में आले लगते हैं. कुछ ऐसी चीजें जिसे आप अनुबव कर सकते है- छाती फूलना, स्तन ग्रन्थि के टिशुओं में सूजन, स्तन टिशू में चमड़ी फैलने से दर्द हो सकता है जोकि इंटर्नल इन्फेक्शन को भी दर्शाता हैं.

क्या है कारण गाइनिकोमेस्टिया के

स्त्री और पुरुषों में टेस्टोस्टिरोन और इस्ट्रोजन हार्मोन की वजह से ही यौनांगों का विकास और रखरखाव होता है. पुरुषों टेस्टास्टिरोन से पुरुषत्व जैसे, पेशिय घनता, शरीर के बालों और स्त्रियों में एस्ट्रोजन के अधीन स्त्रीत्व जैसे, स्तन विकास, होते हैं. पुरुषों में एस्ट्रोजन की अपेक्षा टेस्टास्टिरोन के स्तर में  कमी होने से गाइनिकोमेस्टिया होता है. हार्मोन का सन्तुलन कई कारणों से बिगड़ सकता है. ये कारण प्राकृतिक हार्मोन का परिवर्तन, औषधियां या कुछ शारीरिक अवस्थाएं हो सकते हैं. कुछ रोगियों में कई बार गाइनिकोमेस्टिया के कारण का पता नहीं भी लग पता है.

गाइनिकोमेस्टिया होने पर करें एक्सरसाइज

कुछ एक्सरसाइजों का नियमित अभ्यास करने से पुरुषों में बढ़े हुए स्तनों की समस्या से निपटा जा सकता है. ये एक्सरसाइज हैं सीने को हष्ट-पुष्ट आकार देने वाली पुश अप एक्सरसाइज, शरीर को ताकत देने वाली और सीने व कंधे को बेहतरीन शेप देने वाली चिन अप एक्सरसाइज, सीने की चौड़ाई को बढ़ा वाली डंबल फ्लाइज एक्सरसाइज और बेंच प्रेस एक्सरसाइज.

पुरुष स्तनों के लिए लिपोसक्शन 

सामान्य ग्रंथियों होने और फैट की वृद्धि ही गाइनिकोमेस्टिया होती है. लिपोसक्शन की मदद से स्तनों को पुरुषों जैसा सामान्य आकार दिया जा सकता है. ऐसे करने के लिये अतिरिक्त फैट को इस स्थान से निकाल दिया जाता है. ज्यादातर मामलों में लिपोसक्शन की मदद से परिवेश घेरे के रंजित (पिमेंटिड) भाग के किनारों पर चीरे लगाकर अतिरिक्त ग्रंथियों के ऊतकों को हटाने का काम किया जाता है. जब पुरुषों में स्तन वृद्धि के कारण त्वचा खींच जाती है तो अतिरिक्त त्वचा को हटाना जरूरी हो जाता है. इसके अलावा पुरुष स्तनों के आकार को कम करने के लिए तुमेसेन्ट (Tumescent) लिपोसक्शन को भी लोकल ऐनिस्थीश़िया की मदद से किया जाता है.

तो अगर आप भी इस समस्या से परेशान हो तो घवराईएं नहीं. शर्मिंदा होने के बजाएं आप डाक्टर से सलाह ले और अपना इलाज शुरु कराएं.

थकान को ना करें अनदेखा, हो सकती हैं ये 5 बीमारियां

थकान एक ऐसी समस्या है जो आज के समय में सभी उम्र के लोगों मे देखने को मिलती हैं. किसी काम में मन नही लगना या फिर शरीर में सुस्ती रहने से लाइफ में ज्यादा मजा नही रह जाता हैं. अधूरी नींद या तनाव से होने वाली थकान, पूरी नींद लेने से खत्म हो जाती है पर थकान अगर किसी बीमारी की वजह से है तो वो आसानी से ठीक नहीं होती. थकान को हमेशा ज्यादा काम करने या नींद ना पूरी होने से जोड़ कर हम ना तो  डाक्टर से सलाह लेते है और ना हि इसके बारे में विचार करते है बल्कि इसको अनदेखा कर देते है पर क्या आप जानते है की थकान होना किसी बीनारी का संकेत भी हो सकता हैं. आज हम आपको बताएंगे की थकान से जुड़ी कौन कौन सी समस्या हो सकती हैं.

थायराइड भी हो सकता है कारण

थायराइड हौर्मोन का स्तर कम होने पर भी शरीर की ऊर्जा का स्तर बिगड़ सकता है. सामान्य तौर पर थायराइड की समस्या औरतों को होती हैं, मगर कई बार ये दिक्कत पुरुषों को भी आ सकती है. पुरुषों में अगर ऐसी समस्या होती है तो समय पर ध्यान देना जरुरी है वरना ये गंभीर समस्या भी हो सकती है.

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टेस्टोस्टेरोन का रखे ध्यान

टेस्टोस्टेरोन नाम के हौर्मोन का स्तर पुरुषों में वयस्कता और किशोरवस्था के प्रारंभिक चरणों में सबसे अधिक सक्रिय होता है. जैसे-जैसे पुरूषों की उम्र बढ़ती है खासकर जब उनकी उम्र 40 के आसपास होती है तो, उनके टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रति वर्ष 1% कम होता जाता है. साफ तौर पर नही कहा जा सकता है की इस हौर्मोन के गिरने की वजह क्या है, उम्र बढ़ने की वजह से इसका स्तर गिर रहा है या ह्य्पोगोनाडिस्म जैसी बीमारी भी इसकी वजह हो सकती है.टेस्टोस्टेरोन में गिरावट से सेक्स ड्राइव यानि सेक्स में रुचि कम हो जाती है और नींद संबंधी विकार भी हो सकते हैं, जो थकान और कम ऊर्जा के  लिए भी जिम्मेदार होते हैं. इसलिआए अगर अपमें भी ऐसे कोई लक्षण दिख रहे है तो इसको अनदेखा ना करें.

कही डिप्रेशन ना हो इस समस्या का कारण

आज के दौर में किसी को भी डिप्रेशन हो सकता है. डिप्रेशन के लक्षण में उदासी ,सुस्त रहना, निराश रहना, नींद ना आना , किसी काम में मन न लगना और ऊर्जा स्तर भी कम हो सकता है. जिसे भी डिप्रेशन की समस्या हो उसे अपना इलाज़ जरूर कराना चाहिए वरना यह खतरनाक हो सकता है और यहां तक कि मरीज आत्महत्या की भी कोशिश कर सकता है.

नींद संबंधी बीमारी होना

नींद न आना या नींद की गुणवत्ता की कमी के कारण भी ऊर्जा के स्तर में कमी आती है. कम ऊर्जा के स्तर के लिए नींद भी जिम्मेदार होती है अगर आप नाईट शिफ्ट करते हैं,  देर रात तक जागते हैं तो भी ये दिक्कत आती है. ये एक समान्य बात है क्योंकि आज के इस व्यास्थ में समय में लोग काम में ज्यादा परेशान रहते हैं.

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अच्छा खाना और एक्सरसाइज ना करना

व्यायाम और सही खान-पान की कमी के कारण भी थकान और ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है. नियमित रूप से व्यायाम करने से अच्छी नींद आती है और जीवनशैली में भी सुधार आता है. सही और पौष्टिक आहार सबके लिए जरुरी है मगर इस समस्या में इसका खास ध्यान रखना चाहिए. आप इन बातों पर ध्यान रखें जिससे आप इन समस्या से परेशान ना हो.

तो ये है थकान के कुछ कारण किसे अनदेखा करना आपके लिए खतरनाक हो सकता हैं.

कई रोगों का आसान इलाज है पान के पत्ते का सेवन

पान का नाम जैसे ही आता है तो दादा के डब्बे से निकलता सरोता और साथ में चुना कथ्था याद आ ही जाता है. अंदर से दादी का पानी में भीगा हुआ पान का पत्ता लेकर हाजिर हो जाना उन कुछ यादों सा होता है जो रोजाना की बात होता हैं. पान का भारत में उन संस्कृति में शामिल है जो हर गली, मौहल्ले को एक धागे में बांधता हैं. हमारे देश में पान और सुपारी का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं में भी किया जाता है क्योंकि इसे शुभ माना जाता है. इसी में अगर हम आपसे कहे की पान खाना कई रोगों से निजाद दिलाता है तो क्यां आप मानेंगे. चलिए जानते है की पान कैसे आपनी सेहत के लिए फायदेमंद हैं…

विटामिन्स से भरपूर है पान

पान के पत्तियां विटामिन सी, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और कैरोटीन जैसे विटामिन से भरपूर होते हैं और इसे कैल्शियम का एक बड़ा स्त्रोत भी माना जाता हैं. हालांकि ये जरूर है कि पान के पत्ते को तंबाकू और अन्य कैंसर पैदा करने वाले सामग्रियों के साथ खाने से मुंह के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है. एक रिसर्च के अनुसार ये होंठ, मुंह, जीभ और ग्रसनी के कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं. केवल पान का पत्ता खाना स्वस्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.

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कैंसर और डायाबिटीज जैसे रोग के लिए फायदेमंद  

पान के पत्ते की बात करें तो इसमें फाइटोकेमिकल्स, फ्लेवोनोइड, टैनिन, अल्कलौइड, स्टेरौयड और क्विनोन जैसे शक्तिशाली एंटीऔक्सिडेंटस और एंटी इंफ्लेमेटरी यौगिक शामिल हैं. जो कैंसर और डायाबिटीज जैसे खतरनाक बामारियों को रोकने में आपकी मदद करता है. कुछ आयुर्वेदिक रिसर्च के अनुसार ये कार्डियोवस्कुलर रोग, उच्च कोलेस्ट्रौल और हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम में भी काफी मददगार होता है.

सर्दी जुखाम में पान के पत्ते का इस्तेमाल

लोग पान के पत्ते का उपयोग काफी लंबे समय से सर्दी और खांसी को दूर करने के लिए करते आ रहे हैं. पत्तियों को पहले सरसों के तेल में भिंगा कर गर्म किया जाता है और फिर उसे छाती पर लगाया जाता है इससे फेफड़ों में जमे कफ से काफी राहत मिलता है.

सूजन को करें कम

पान के पत्ते में एंटीऔक्सिडेंट्स और एंटी इंफ्लेमेटरी यौगिक (Compound) पाये जाते हैं जो आपके मसूड़े में गांठ या फिर सूजन हो जाने पर दर्द से राहत दिलाने में मददगार होते हैं. पान में ऐसे पोषक तत्व पाये जाते हैं जो सूजन को कम करने का काम करते हैं.

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थकान से दिलाए राहत

थकान, नींद न आना या फिर आंखों में किसी कारण से समस्या होने पर, जब आंखें लाल हो जाती है. तब आप पान के पत्ते को उबाल लें और उसे ठंडा करके, पानी के छींटे आंखों पर मारें इससे आपके आंखों को काफी राहत मिलती है और शरीर का थकान भी दूर हो जाता है.

तो ये है पान के पत्तों के कुछ फायदे जिसे जानना आपके लिए जरुरी था. तो आगे से अगर आप किसी को पान खाते देखे तो उनको सलाह दे की वो अकेला पान का पत्ता खाए ताकी उनका स्वस्थ अच्छा रहें.

इस घरेलू नूस्खे से दूर करें सांसों की बदबू

मुंह की बदबू एक ऐसी समस्या जो एक समस्या ना रहकर शर्मिंदगी का कारण बन जाती हैं जिसके चलते कौन्फिडेंस खत्म हो जाता हैं. मुंह से बदबू आने का सामान्य कारण तो पेट अच्छे से साफ ना होता हैं पर और भी कारण हैं जिसके चलते आपको ये समस्या हो सकती हैं.बहुत से लोगों के मुंह से आने वाली बदबूदार सांसो के कारण मुंह पर हाथ लगाकर हंसना बोलना पड़ता है. ऐसे में आप उससे बचने के लिए माउथवौश की मदद लेते हैं. लेकिन कई माउथवौश में एल्‍कोहल और कई और अप्राकृतिेक तत्‍व होते हैं, जो कि मुंह में प्राकृतिक पीएच लेवल पर बुरा प्रभाव डालते हैं. इस समस्या को लेकर बहुत कम लोग ही किसी डाक्टर से सलाह लेते हैं क्योंकि उनको शर्म आती हैं. इस लिए अगर घरेलू इलाज से कुछ हद तक फायदा पहुंचे तो बुरा नही होगा. आज हम लेकर आए है ऐसे ही कुछ घरेलू इलाज जिसको यूज करने से आप मुंह की बदबू से निजाद पा सकते हैं.

होममेड माउथवौश का करें यूज

बदबूदार सांसों से बचने के लिए सबसे बेहतर और सबसे अच्छा विकल्प है कि आप खुद घर पर अपना होममेड माउथवौश बनाएं. यह आपकी बदबूदार सांसो को दूर करने में आपकी मदद करेगा. इस माउथ वौश को बनाने के लिए आपको नारियल तेल, नमक और पुदीना की आवश्‍यकता पड़ेगी. यह माउथवौश आपके मुंह के लिए सुपर स्वस्थ है.

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कैसे बनाएं होममेड माउथवौश

पानी- 2 कप

नारियल का तेल – 2 बड़े चम्मच

हिमालयी गुलाबी नमक – 1 टी स्‍पून

पुदीने का तेल – 3-4 बड़े चम्मच

एक कांच के कंटेनर में 2 कप पानी, 2 बड़े चम्मच नारियल का तेल, 1 टी स्‍पून हिमालयी गुलाबी नमक, 3-4 बड़े चम्मच पुदीने का तेल डालें और इन सभी को मिलाएं. नमक अच्‍छी तरह से घुल जाना चाहिए. यदि नारियल का तेल जम जाता है, तो जार को गर्म पानी के ऊपर चलाएं.

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ऐसे करें यूज

होममेड माउथवौश को मुंह में डालने के बाद थूकने से पहले कम से कम 30 सेकंड के लिए रखें और इससे कुल्‍ला करें. सुबह या दिन जब भी आप अपनी सांस को तरोताजा करना चाहते हैं, इसका उपयोग करें. यह माउथवौश  एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, टौक्सिन-मुक्त होने के साथ सस्ता भी है, जो बिना किसी रसायन के आपके मुंह, दांतों और मसूड़ों को स्‍वस्‍थ व सुरक्षित रखने में मददगार है.

 

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