इस बार विनीता ससुराल आई तो उस के तेवर उग्र थे. बात व्यवहार करने का तरीका भी बदल गया था. शायद पति द्वारा किया गया अपमान उसे सता रहा था. जब वह बीते पलों के बारे में सोचती तो उस की आंखें में गुस्सा उतर आता. सास उस के काम में रोकाटोकी करती तो वह उस से झगड़ा कर बैठती. पति को भी वह करारा जवाब दे देती थी.
बहू के इस व्यवहार से दुखी हो कर खेमराज अहिरवार ने उसे संयुक्त परिवार में रखने के बजाय अलग कर दिया. उन्होंने उसे अजनारी रोड वाला मकान रहने को दे दिया. इस टिन शेड वाले मकान के पीछे वाले भाग में प्रमोद विनीता व बच्चों के साथ रहने लगा. मकान के अगले हिस्से में बने 3 कमरे किराए पर उठे थे.
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इस मकान में लगभग 6 माह तक विनीता और प्रमोद ठीक से रहे, उस के बाद दोनों में पुन: झगड़ा होने लगा. झगड़ा बेरोजगारी को ले कर होता था. मकान में आने वाले किराए से विनीता परिवार का खर्चा नहीं चला पा रही थी. उसे सदैव आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ता था.
वह प्रमोद से खर्चा मांगती तो वह कहता कि मायके से ले कर आओ. विनीता 2-4 बार तो मायके से खर्च के पैसे ले आई. लेकिन हर बार जाने से उस ने मना कर दिया. तब प्रमोद उस से झगड़े पर उतारू हो जाता. इस तरह उन में तकरार होने लगी.
साल 2018 की फरवरी माह की बात है. एक रोज खाना न बनाने को ले कर विनीता को प्रमोद ने पीट दिया तो विनीता महिला थाने पहुंच गई. वहां उस ने पति की शिकायत की तो प्रमोद को थाने बुलाया गया. वहां पुलिस ने प्रमोद को डरायाधमकाया और झगड़ा या मारपीट न करने की नसीहत दी. बाद में पुलिस ने इस मामले को जिला परिवार परामर्श केंद्र भेज दिया. परामर्श केंद्र से दोनों का समझौता हो गया.
विनीता और प्रमोद के बीच समझौता हो जरूर गया था, लेकिन उन के बीच तनाव कम नहीं हुआ था. किसी न किसी बात को ले कर उन में झगड़ा हो ही जाता था. प्रमोद के मन में अब विनीता के प्रति नफरत की आग सुलगने लगी थी. यह आग जब शोला बन गई तो प्रमोद ने विनीता की हत्या करने की ठान ली और हत्या की गहरी साजिश रच डाली.
योजना के अनुसार 18 मई, 2018 की सुबह करीब 10 बजे प्रमोद अपने पिता खेमराज के घर पहुंचा. उस के साथ उस की तीनों बेटियां भी थीं. उस ने पिता से कहा कि वह काम करने के लिए दिल्ली जा रहा है, विनीता को भी साथ ले जाएगा. इसलिए इन्हें यहां छोड़ने आया है.
न जाने क्यों पिता खेमराज व मां रामवती ने आवारा बेटे की बातों पर विश्वास कर लिया और वह उन मासूम बच्चियों को अपने पास रखने के लिए तैयार हो गए.
बेटियों को मातापिता के घर छोड़ कर प्रमोद वापस घर आ गया. चूंकि विनीता की बेटियां एकदो दिन के लिए दादादादी के घर चली जाती थीं, इसलिए विनीता ने इस तरह ज्यादा ध्यान नहीं दिया और न ही पति से तर्कवितर्क किया.
प्रमोद भी दिनभर सामान्य बना रहा. पति की साजिश की विनीता को जरा भी भनक नहीं लगी. शाम को विनीता ने खाना बनाया. उस ने पहले प्रमोद को खाना खिलाया फिर स्वयं भी खाना खाया. चौकाबरतन साफ कर वह चारपाई पर लेट गई. कुछ देर बाद वह गहरी नींद में सो गई.
लेकिन प्रमोद की आंखों में नींद नहीं थी. उसे तो इसी वक्त का इंतजार था. वह आहिस्ताआहिस्ता विनीता की चारपाई के पास पहुंचा और उसी की साड़ी से उस का गला कसने लगा. विनीता की आंखें खुलीं तो पति को गला घोंटते पाया.
उस ने बचाव का भरपूर प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सकी. कुछ देर घटपटाने के बाद उस की मौत हो गई.
पत्नी की हत्या करने के बाद प्रमोद ने रात के सन्नाटे में कमरे के अंदर फावड़े से करीब 4 फीट गहरा गड्ढा खोदा और उस में विनीता की लाश दफन कर दी. दूसरे रोज वह ईंट की गिट्टी लाया और कमरे में बिछा कर दुरमुट से खूब कुटाई की. फिर राजमिस्त्री से कमरे का फर्श बनवा दिया.
किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी. इस के बाद वह कमरा बंद कर दिल्ली चला गया. दिल्ली में वह क्या करता है, कहां रहता है इस की जानकारी उस ने न तो अपने मांबाप को दी और न ही किसी और को.
इधर जब 3 महीने बीत गए और उर्मिला की बेटी से फोन पर भी बात नहीं हो सकी तो उर्मिला अपनी बड़ी बेटी वंदना के साथ उस के घर आई. लेकिन कमरे में ताला लटक रहा था. वह रामनगर स्थित विनीता के ससुर खेमराज के पास गई. खेमराज ने बताया कि विनीता और प्रमोद दिल्ली में हैं. बच्चे उस के साथ हैं. प्रमोद दिल्ली में नौकरी करने लगा है.
उर्मिला ने खेमराज से प्रमोद का मोबाइल नंबर लिया और फिर प्रमोद से फोन पर बात की. प्रमोद ने बताया कि वह दिल्ली में है. विनीता भी उस के साथ है. उर्मिला ने जब उस से विनीता से बात कराने को कहा तो उस ने कह दिया कि वह इस समय ड्यूटी पर है, विनीता से बात नहीं हो पाएगी.
इस के बाद तो यह सिलसिला बन गया. जब भी उर्मिला या कालीचरण प्रमोद से फोन पर बात करते और विनीता से बात कराने को कहते तो वह कोई न कोई बहाना बना देता था. न ही वह दिल्ली में अपने रहने का ठिकाना बताता था.
धीरेधीरे एक साल बीत गया. लेकिन वह बेटी की आवाज नहीं सुन सकी. विनीता के संबंध में जानकारी करने उर्मिला कभीकभी उस के अजनारी रोड स्थित घर भी आती थी और किराएदारों से पूछताछ करती थी. लेकिन उसे क्या पता था कि जिस बेटी की तलाश में वह भटक रही है, उस का शव कमरे में दफन है.
उर्मिला जब परेशान हो गई तो उस ने प्रमोद की टोह में उसी के मकान में रहने वाले एक किराएदार की मदद ली. उर्मिला ने उस से कहा कि जब भी प्रमोद अपने कमरे में आए उसे तत्काल मोबाइल पर फोन कर दे. उस ने किराएदार को अपना फोन नंबर दिया, साथ ही सटीक सूचना पर पैसों का लालच भी दिया.
3 जनवरी, 2020 की सुबह उर्मिला को किराएदार ने सूचना दी कि प्रमोद दिल्ली से अपने घर आया है और कमरे में मौजूद है. लेकिन उस के साथ विनीता नहीं है. यह सूचना पाते ही उर्मिला और कालीचरण उरई कोतवाली पहुंच गए और पुलिस को सूचना दी.
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5 जनवरी, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त प्रमोद कुमार अहिरवार से पूछताछ कर उसे उरई की कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट डी. एन. राय की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
मां की हत्या और पिता के जेल जाने के बाद मासूम बच्चियों को संभालने की जिम्मेदारी मृतका की बहनों ने ली है. मृतका की बड़ी बहन वंदना 4 वर्षीय कनिष्का का पालनपोषण करेगी जबकि लाली 3 वर्षीय गुंजन का. नौभी 2 वर्षीय परी का पालनपोषण करेगी. तीनों के पति भी इस के लिए तैयार हो गए.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित