प्रिया आए दिन उस से सारा पैसा लौटाने का दबाव बना रही थी, लेकिन अचानक लौकडाउन लग गया. 28 मार्च को शमशाद लेबर को पैसे देने के लिए एक प्रकाशक से 2.80 लाख रुपए लाया था. प्रिया ने शमशाद के पास इतनी बड़ी रकम देख कर जब अपने पैसे मांगे तो शमशाद ने कहा कि यह पैसा मजदूरों को देना है.
लौकडाउन के कारण उन के पास खाने का कुछ नहीं है जब हालात थोड़ा ठीक होंगे और पैसा आएगा तो वह सारा पैसा चुका देगा. बस इसे ले कर दोनों में विवाद शुरू हो गया. बात हाथापाई तक पहुंच गई. उस वक्त रात का समय था.
प्रिया ने नाखूनों से शमशाद का मुंह नोंच डाला. इस के बाद वह दौड़ कर रसोई में गई और चाकू ले आई. उस ने शमशाद पर हमला कर दिया. इस हमले में शमशाद के हाथ की कलाई कट गई.
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हाथ से खून बहता देख शमशाद गुस्से से पागल हो गया और उस ने प्रिया को जोर का धक्का दे दिया. प्रिया जमीन पर गिर पड़ी.
शमशाद ने लपक कर जमीन पर पड़ी प्रिया का गला पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा. गुस्से और जुनून में शमशाद उस का गला तब तक दबाता रहा जब तक उस के शरीर ने छटपटाना बंद नहीं कर दिया.
शमशाद के सिर पर चढ़ा गुस्से का उबाल जब शांत हुआ तो उस ने अपने सामने प्रिया का शिथिल पड़ा शरीर देखा. उस ने प्रिया को हिला डुला कर देखा. पहले उसे लगा कि शायद वो बेहोश हो गई है. लेकिन उस ने प्रिया की नब्ज से ले कर नथुनों से आने वाली सांसों को टटोला. तब उसे यकीन हुआ कि उस ने गुस्से में आ कर क्या कर दिया है. प्रिया की मौत हो चुकी थी. तभी शमशाद के दिमाग में एकाएक खुद को बचाने के लिए एक शैतानी खयाल आया.
उस ने सोचा कि क्यों न प्रिया के साथ उस की बेटी कशिश को भी खत्म कर दिया जाए. जब कोई गवाह ही नहीं रहेगा तो पुलिस उसे किस सबूत के आधार पर पकड़ेगी.
कुछ देर बाद शमशाद लंबी सांस छोड़ते हुए इस तरह निश्चिंत हो गया मानो उस ने सब कुछ तय कर लिया हो. इस के बाद शमशाद पूरा हैवान बन गया. वह दूसरे कमरे में गया, जहां खुद के लिए खतरा बन चुकी प्रिया की 9 साल की बेटी कशिश गहरी नींद सो रही थी.
उस ने कशिश की मासूमियत की परवाह किए बिना बेदर्दी से गला दबा कर उसे भी मार डाला. तब तक 28 मार्च की रात के करीब 12 बज चुके थे.
मांबेटी की हत्या करने के बाद शमशाद ने दोनों लाशों को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. पहले उस ने दोनों लाशों को कहीं बाहर ले जा कर ठिकाने लगाने की सोची, मगर पकड़े जाने के डर से योजना बदल दी. 29 मार्च की सुबह करीब 5 बजे शमशाद ने अपने घर के बेडरूम में करीब 3 फुट गहरा गड्ढा खोदा. इस के बाद दोनों लाशों को एक साथ चादर में अच्छी तरह से लपेटा और लाशें गड्ढे में डाल दीं.
लाश जल्दी से गल जाए और बदबू ना आए, इस के लिए उस ने दोनों लाशों के नीचे और ऊपर नमक डाल दिया. ऊपर से मिट्टी डाल कर शमशाद ने ऊपर से वैसा ही सीमेंट वाला प्लास्टर कर दिया जैसा पहले था.
किसी को शक न हो इसलिए ऊपर अपना डबलबैड डाल दिया. वह रात को उसी बैड पर सोता जिस के नीचे कल तक उस की अंकशायिनी बन कर रहने वाली प्रिया व उस की बेटी की लाश दबी थीं.
जिस मकान में यह वारदात हुई, वहां शमशाद अकेला रहता था. फिलहाल वहां फरनीचर फिटिंग का काम चल रहा था. उस की पत्नी गाजियाबाद के इंदिरापुरम में किराए के मकान में रहती थी. पत्नी को बिना बताए उस ने यहां प्रिया के साथ दूसरा घर बसा रखा था.
पूछताछ में पता चला कि बिहार के बेगूसराय का रहने वाला शमशाद करीब 16 साल पहले मेरठ आया था. यहां भूड़बराल में किराए का प्लौट ले कर उस ने उस में 2 कमरे बनाए और वहां बुक बाइंडिंग का काम करने लगा. वहीं वह रहता भी था.
पुलिस को पूछताछ में यह भी पता चला कि शमशाद ने एक और शादी कर रखी थी. बेगूसराय की रहने वाली अफसाना से उस ने परिवार वालों की मरजी से शादी की थी. पत्नी अफसाना व अपने साले दिलावर के साथ वह गाजियाबाद के इंदिरापुरम में किराए पर रहता था. ये मकान भूड़बराल में ही रहने वाले उस के दोस्त कपिल विकल का था.
शमशाद ने अपनी पत्नी अफसाना व उस के भाई को बता रखा था कि शादी के पहले से ही उस के संबध एक विवाहित महिला प्रिया से हैं, जिन के साथ वो परतापुर में रहता है. शमशाद ने अपनी पत्नी को बताया था कि प्रिया के पास कुछ प्रौपर्टी है, जैसे ही वह प्रौपर्टी उस के कब्जे में आ जाएगी, प्रिया व उस की बेटी को रास्ते से हटा देगा.
जब उस ने प्रिया व उस की बेटी की हत्या कर दी तो अगले दिन गाजियाबाद जा कर अपनी पत्नी व साले को सारी बात बताई कि उस ने किस तरह प्रिया को अपने रास्ते से हटा दिया है. इस के बाद पत्नी अफसाना व साला दिलावर किसी तरह उस के साथ मेरठ पहुंचे और उन्होंने घर में प्रिया की निशानी के सभी सबूत खत्म कर दिए.
इस दौरान भूड़बराल गांव में रहने वाले शमशाद के एक दोस्त नीरज शर्मा को जब अचानक पता चला कि प्रिया और उस की बेटी लापता हैं तो उस ने कपिल विकल के साथ शमशाद से उन के बारे में पूछा शमशाद ने दोनों को सारी हकीकत बता दी और वादा किया कि अगर वे इस झमेले से निकलने में उस की मदद करेंगे तो वह उन को पैसा देगा.
सारी बात जानने के बाद भी उन्होंने पुलिस को ये बात नहीं बताई और उलटा शमशाद की मदद करते हुए न सिर्फ चंचल को धमकाते रहे बल्कि पुलिस से भी शमशाद को बेकुसूर बता कर उस की पैरवी करते रहे.
शमशाद से पूछताछ में इस बात की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने उस के खिलाफ दर्ज मुकदमे में धारा 302, 201,120बी, 34 जोड़ कर शमशाद की पत्नी अफसाना, उस के भाई दिलावर और भूडबराल निवासी नीरज को भी साजिश में शामिल होने व सबूत नष्ट करने का आरोपी बना दिया.
नीरज को तो पुलिस ने भूड़बराल से गिरफ्तार कर लिया. मगर गाजियाबाद में रहने वाली शमशाद की पत्नी अफसाना व साला दिलावर उस की गिरफ्तारी की भनक पा कर फरार हो गए.
पुलिस उन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही थी. हालांकि इस दौरान शमशाद ने भी पुलिस की गिरफ्त से भागने का प्रयास किया था, लेकिन पुलिस ने उसे 24 घंटे बाद ही मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया.
आजाद जिंदगी बसर करने की चाह में अलग रहने वाली प्रिया को अपने मातापिता से मतभेद कर के एक ऐसा जीवनसाथी चुनना कितना महंगा पड़ा जो न तो उस के धर्म का था और न उस की नीयत साफ थी.
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प्रिया को अपनी इस गलती के लिए पछताने का भी मौका नहीं मिला. अगर उस की सहेली चंचल अचानक उस के लापता होने पर उस की खोजबीन नहीं करती और इंसाफ के लिए आवाज नहीं उठाती तो हो सकता है प्रिया और उस की बेटी कशिश की मौत का राज कभी उजागर नहीं होता.
(कथा पुलिस की जांच, आरोपियों से पूछताछ व चंचल के बयानों पर आधारित)