29 जून, 2020 की रात कुलदीप सिंह खाना खाने के बाद टहलने के लिए घर से निकला ही था कि उस के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया. कुलदीप फोन पर बात करतेकरते सड़क पर आगे बढ़ गया. लेकिन जब वह काफी देर तक घर वापस नहीं लौटा तो उस के परिवार वाले परेशान हो गए. उन की चिंता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उस का मोबाइल भी बंद था.
जब उस के घर वाले बारबार फोन लगाने लगे तो रात के कोई 10 बजे उस का फोन 2 बार कनेक्ट हुआ, लेकिन उस के बाद तुरंत कट गया.
उन्होंने तीसरी बार कोशिश की तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस से उस के घर वाले बुरी तरह घबरा गए. कुलदीप जिस गांव में रहता था, वह ज्यादा बड़ा नहीं था. उस के परिवार वालों ने उस के बारे में गांव के सभी लोगों से पूछताछ की, गांव की गलीगली छान मारी लेकिन उस का कहीं अतापता नहीं चल सका.
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किसी अनहोनी की आशंका के चलते कुलदीप के चाचा बूटा सिंह आईटीआई थाने पहुंचे. लेकिन वहां पर पूरा थाना क्वारंटीन होने के कारण उन्हें पैगा चौकी भेज दिया गया.
अगले दिन सुबह ही पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल ने कुलदीप के गांव जा कर उस के घर वालों से उस के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस अभी कुलदीप को इधरउधर तलाश कर रही थी कि उसी दौरान 2 जुलाई को गांव के कुछ युवकों ने गांव के बारात घर से 200 मीटर की दूरी पर खेतों के किनारे स्थित नाले में एक शव पड़ा देखा. उन्होंने यह जानकारी ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह को दी.
ग्राम प्रधान ने कुछ गांव वालों को साथ ले जा कर शव को देखा तो उस की शिनाख्त लापता कुलदीप सिंह के रूप में हो गई. नाले में पड़े गलेसड़े शव की सूचना पाते ही एएसपी राजेश भट््ट, सीओ मनोज ठाकुर, आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह, पैगा पुलिस चौकी इंचार्ज अशोक फर्त्याल मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने कुलदीप सिंह के शव को बाहर निकलवा कर उस की जांचपड़ताल कराई तो उस के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
शव का पोस्टमार्टम 2 डाक्टरों के पैनल ने किया. पैनल में डा. शांतनु सारस्वत, और डा. के.पी. सिंह शामिल थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कुलदीप सिंह की मौत गला दबाने से हुई थी. जहर की पुष्टि हेतु जांच के लिए विसरा सुरक्षित रख लिया गया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने मृतक कुलदीप के परिवार वालों से जानकारी जुटाई तो पता चला कुलदीप का गांव की ही एक युवती के साथ चक्कर चल रहा था. सुखविंदर कौर नाम की युवती कुलदीप के मोबाइल पर घंटों बात करती थी. इस जानकारी के बाद पुलिस ने सुखविंदर कौर को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.
पुलिस पूछताछ के दौरान पहले तो सुखविंदर ने इस मामले में अनभिज्ञता दिखाने की कोशिश की. लेकिन बाद में उस ने स्वीकार किया कि उस रात कुलदीप उस से मिला जरूर था, लेकिन उस के बाद वह घर जाने की बात कह कर चला गया था. वह कहां गया उसे कुछ नहीं मालूम. पुलिस ने सुखविंदर को घर भेज दिया.
सुखविंदर से बात करने के दौरान पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि दोनों के बीच गहरे संबध थे. उन्हीं संबंधों के चक्कर में कुलदीप को जान से हाथ धोना पड़ा होगा. पुलिस ने कुलदीप के दोनों मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए तो पता चल गया कि घटना वाली रात कुलदीप सुखविंदर कौर के संपर्क में आया था.
पुलिस ने सुखविंदर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला कि वह कुलदीप के साथसाथ गांव के ही शाकिर के बेटे अली हुसैन उर्फ आलिया के संपर्क में भी थी. उस रात सुखविंदर ने कुलदीप के मोबाइल पर कई बार काल की थी. लेकिन उस ने उस का मोबाइल रिसीव नहीं किया था. शाम को फोन मिला तो सुखविंदर ने कुलदीप से काफी देर बात की थी. यह भी पता चला कि उस रात सुखविंदर ने आलिया के मोबाइल पर भी कई बार बात की थी.
इस से यह बात तो साफ हो गई कि कुलदीप की हत्या का कारण आलिया और सुखविंदर दोनों ही थे. यह बात सामने आते ही पुलिस ने फिर से सुखविंदर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने स्वीकार कर लिया कि पिछले 2 साल से उस के कुलदीप से प्रेम संबंध थे.
लेकिन पिछले कुछ महीनों से उस की अपने ही पड़ोस में रहने वाले युवक आलिया से नजदीकियां बढ़ गई थीं. लेकिन कुलदीप उस का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं था. उस की इसी बात से तंग आ कर उस ने आलिया को अपने प्रेम संबंधों का वास्ता दे कर कुलदीप की हत्या करा दी.
कुलदीप की हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने सुखविंदर के दूसरे प्रेमी आलिया को भी तुरंत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. उस ने बताया कि उस ने सुखविंदर के कहने पर ही कुलदीप की हत्या करने में उस का सहयोग किया था.
पुलिस ने आलिया और सुखविंदर कौर की निशानदेही पर बलजीत के खेत से कुलदीप के मोबाइल के अलावा एक खाली गिलास, पीले रंग का गमछा और जहर की एक खाली शीशी भी बरामद की.
पुलिस पूछताछ में पता चला कि सुखविंदर एक साथ 2 नावों में यात्रा कर रही थी, जो कुलदीप को बिलकुल पसंद नहीं था. उसी से चिढ़ कर उस ने अपने दूसरे प्रेमी आलिया के साथ मिल कर उस की हत्या करा दी. इस प्रेम त्रिकोण का अंत कुलदीप की हत्या से ही क्यों हुआ, इस के पीछे एक विचित्र सी कहानी सामने आई.
काशीपुर (उत्तराखंड) कोतवाली के अंतर्गत थाना आईटीआई के नजदीक एक गांव है बरखेड़ी. यह सिख बाहुल्य आबादी वाला छोटा सा गांव है. इस गांव में कई साल पहले सरदार हरभजन सिंह आ कर बसे थे. वह पेशे से डाक्टर थे. उस समय आसपास के क्षेत्र में उन के अलावा अन्य कोई डाक्टर नहीं था. इसी वजह से यहां आते ही उन का काम बहुत अच्छा चल निकला था.
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समय के साथ उन की बीवी प्रकाश कौर 3 बेटियों की मां बनीं. सुखविंदर कौर उन में सब से छोटी थी. हरभजन सिंह ने डाक्टरी करते हुए इतना पैसा कमाया कि अपना मकान भी बना लिया और 2 बेटियों की शादी भी कर दी. उस समय सुखविंदर काफी छोटी थी. डाक्टरी पेशे से जुड़े होने के कारण हरभजन सिंह ने इस इलाके में अपनी अच्छी पहचान बना ली थी.
अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व किसी लाइलाज बीमारी के चलते हरभजन की मौत हो गई. उन के निधन के बाद उन की बीवी प्रकाश कौर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. प्रकाश कौर के पास न तो कोई बैंक बैलेंस था और न कोई आमदनी का जरिया.
हालांकि हरभजन सिंह अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे, लेकिन उन्हें छोटी बेटी की शादी की चिंता थी. प्रकाश कौर के सामने अजीब सी मजबूरी आ खड़ी हुई. जब प्रकाश कौर के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई तो उन्हें हालात से समझौता करना पड़ा. उन्हें गांव में मेहनतमजदूरी करने पर विवश होना पड़ा.