ऐसा नहीं था कि प्रीति और अंकित के प्यार की बात उन के घर वालों को पता नहीं थी. उन के घर वालों को दोनों के प्रेम संबंध के बारे में सब पता था. इसीलिए प्रीति के घर वाले बेटी की शादी जल्द से जल्द कर देना चाहते थे ताकि आवारा अंकित से बेटी का पीछा छूट जाए.
प्रीति के घरवालों ने अंकित से पीछा छुड़ाने के लिए सन 2011 में उस की शादी पिठोरिया के रहने वाले जनार्दन केसरी के एकलौते बेटे कार्तिक केसरी के साथ कर दी. प्रीति के घर वाले प्रार्थना करते रहे कि बेटी की गृहस्थी बस जाए, उस पर अंकित का बुरा साया न पड़े.
सालों तक प्रीति और अंकित का प्यार राज बना रहा. पति के काम पर जाने के बाद प्रीति अपने आशिक अंकित से फोन पर घंटों बातें करती रहती थी.
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एक बार अंकित प्रेमिका की ससुराल आया तो उस ने अपने सासससुर और पति से उस का परिचय दूर के रिश्ते के भाई के रूप में कराया. इस के बाद अंकित का वहां आनाजाना शुरू हो गया. जिस दिन पति किसी काम से शहर के बाहर गया होता, प्रीति सीधेसादे सासससुर की आंखों में धूल झोंक कर अंकित को फोन कर के बुला लेती और दिन भर उस की बांहों में झूलती.
अंकित के बारबार आने से ससुर जनार्दन को अंकित पर शक हो गया कि वह बारबार क्यों आता है? इस बात को ले कर एक दिन कार्तिक पत्नी से पूछ बैठा कि अंकित बारबार क्यों आता है? मुझे उस के लक्षण कुछ ठीक नहीं लगते. तुम उसे यहां आने से मना कर दो.
प्रीति समझ गई थी पति को उस पर शक हो गया है. उस ने यह बात फोन पर अंकित को बता दी कि कार्तिक को उस पर शक हो गया है. जब तक मैं न कहूं, तब तक यहां मत आना. प्रीति की बात सुन कर अंकित थोड़ा मायूस जरूर हुआ, पर उस ने हिम्मत नहीं हारी.
अंकित भी एक रईस परिवार से था. उस के घर में गाड़ी, नौकर और सुखसुविधा के सभी महंगे सामान थे. रुपएपैसों की कोई कमी नहीं थी. वह दिन भर आवारा दोस्तों के साथ आवारागर्दी करता था. उन पर पानी की तरह पैसे लुटाता था. उस के खास दोस्तों में गांव के विशाल पांडेय, दीपक लिंडा और उज्जवल केसरी शामिल थे. विशाल पेशे से वकील था और उज्जवल केसरी उस का ड्राइवर. इन तीनों से अंकित की प्रेम कहानी छिपी नहीं थी.
प्रीति ने जब से अंकित को ससुराल आने से मना किया था, तब से उस के दिमाग में एक ही ख्याल बारबार आता था कि कार्तिक को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दे.
अंकित ने अपने मन की बात दोस्तों से शेयर की, लेकिन दोस्तों ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया. विशाल ने उसे समझाया कि बीच का कोई रास्ता निकालते है, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.
सितंबर, 2019 के दूसरे हफ्ते की बात है. कार्तिक के एक रिश्तेदार के यहां पार्टी का आयोजन था. पार्टी में शहर के बड़ेबड़े लोग शरीक हुए. रात का समय था. पार्टी में आए मेहमान प्लेटों में खाना लिए खाने का लुत्फ ले रहे थे.
पार्टी में कार्तिक ने प्रीति और अंकित को किया जलील
पार्टी में अंकित केसरी भी शामिल था. कार्तिक भी पत्नी को ले कर आया था. पार्टी में पत्नी को छोड़ कर कार्तिक मेहमानों और पुराने दोस्तों से मिलने चला गया. अंकित जानता था कि पार्टी में प्रीति जरूर आएगी. उसी दरमियान उस की नजर प्रीति पर पड़ी तो वह खुशी से उछल पड़ा. अंकित प्लेट में खाना लिए खा रहा था, प्रीति भी उसी की बगल में खड़ी हो कर उसी की प्लेट में खाना खाने लगी. तभी वहां कार्तिक आ गया.
पत्नी को प्रेमी अंकित के साथ एक ही प्लेट में खाना खाते देख कार्तिक गुस्से से पागल हो गया. उस ने मेहमानों के सामने पत्नी और उस के आशिक को खूब झाड़ पिलाई. जो नहीं कहना था, गुस्से में आ कर वह तक कह गया. अंकित और प्रीति के सिर शर्म से झुक गए. अंकित प्रीति की खातिर उस समय अपमान का घूंट पी कर रह गया. लेकिन मन ही मन उस ने फैसला कर लिया कि जिस तरीके से कार्तिक ने भरी महफिल में उन दोनों को अपमानित किया है, उसे उस का फल तो भुगतना ही पड़ेगा. प्रीति भी खून का घूंट पी कर रह गई थी. पार्टी के बाद कार्तिक पत्नी को ले कर घर आ गया. पार्टी में उस ने पत्नी को जो डांट पिलाई थी, सो पिलाई थी, घर आ कर भी उस ने उसे खूब डांटा.
उस ने प्रीति से यहां तक कह दिया कि आज के बाद अगर अंकित से बात करने की कोशिश की या मिली तो उस से बुरा कोई नहीं होगा. वह घर की इज्जत की खातिर अंकित को मार भी सकता है.
पति की धमकी से प्रीति डर गई. उस ने अंकित को फोन कर के सारी बातें बता दीं. साथ ही अंकित को कार्तिक को रास्ते से हटाने के लिए हरी झंडी भी दे दी.
माशूका की ओर से मिली हरी झंडी के बाद अंकित ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर कार्तिक की हत्या की योजना बना डाली. योजना के अनुसार, 28 सितंबर, 2019 की सुबह कार्तिक पत्नी के कहने पर उसे साथ ले कर अपनी कार से दुर्गा पूजा का सामान लेने रांची गया. दोनों ने दिन भर खरीदारी की. दुर्गा पूजा पर हर साल खरीदारी करने का जिम्मा कार्तिक का ही था. वह दुर्गा पूजा समिति का अध्यक्ष भी था.
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खैर, खरीदारी कर के रात 8 बजे वह रांची से खूंटी के लिए निकला. इसी बीच पति की आंखों में धूल झोंक कर प्रीति ने अपने आशिक अंकित को बता दिया कि वह रांची से घर के लिए लौट रहे हैं. 2 घंटे में वह खूंटी पहुंच जाएगी.
उधर अंकित ने अपनी स्कौर्पियो कार में विशाल पांडेय को बैठा लिया. विशाल उस का साथ देने के लिए पहले ही हामी भर चुका था. उस ने कार में लाठी, डंडा और लोहे का रौड छिपा दी थी. एक बाइक पर दीपक लिंडा और मुंगेश सवार हो कर अंकित के बताए स्थान कांके थानाक्षेत्र के बाड़ू चौक पर जा कर छिप गए. अंकित भी वहीं आ कर छिप गया.
रात 10 बजे कार्तिक की कार बाड़ू चौक के नजदीक पहुंची तो पहले से घात लगाए बैठे अंकित ने दीपक लिंडा को इशारा कर दिया कि शिकार किसी कीमत पर बचना नहीं चाहिए. तुम कार्तिक की कार ओवरटेक करो, हम पीछे से आते हैं.
दीपक ने वैसा ही किया, जैसा उस से करने को कहा गया. कार्तिक की कार जैसे ही बाड़ू चौक के पास पहुंची, दीपक ने अपनी मोटरसाइकिल से ओवरटेक किया और बाइक कार्तिक की कार के सामने तिरछा कर के खड़ी कर दी. तब तक पीछे से अंकित भी वहां पहुंच गया. इस के बाद अंकित और विशाल पांडेय लाठी, डंडा और रौड ले कर कार्तिक के पास पहुंचे.
कार्तिक को जबरन कार से बाहर निकलने पर मजबूर किया गया. कार से बाहर निकलते ही विशाल ने लोहे की रौड से कार्तिक के सिर पर जोरदार वार किया, जिस से कार्तिक का सिर 2 भागों में बंट गया और उस की मौके पर ही मौत हो गई. कार में बैठी प्रीति पति की पिटाई होते देख मन ही मन खुश हो रही थी कि उस की राह का कांटा हमेशा के लिए निकल गया. अब उसे और अंकित को एक होने से कोई नहीं रोक पाएगा.
बहरहाल, प्रीति ने जिस शातिराना अंदाज में शतरंज की बाजी खेली, कानून के जांबाज नुमाइंदों ने उसी चाल से उस की बाजी पलट दी और प्रीति और अंकित को जेल जाना पड़ा.
10 दिसंबर को विशाल पांडेय को गिरफ्तार किया गया. अंकित और उस के दोनों साथी फरार चल रहे थे. 6 मार्च, 2020 को दीपक लिंडा, उज्जवल केसरी और मुंगेश गिरफ्तार कर लिए गए.
फरार चल रहा अंकित अप्रैल, 2020 के दूसरे सप्ताह में गिरफ्तार हुआ. सभी आरोपियों ने कार्तिक केसरी की हत्या में अपना जुर्म कबूल कर लिया. अंकित ने हत्या में प्रयुक्त लाठी, डंडा और रौड बरामद करा दी थी. कथा लिखे जाने तक सभी आरोपी जेल में बंद थे.
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– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित



